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Monday, April 9, 2012

परमेश्वर कापड़ि - धुमगि‍ज्‍जर


नामी-गरामी वंशक कहबैकाबड़ैता लोक छथि डागडर साहेब । मैथिली विभागक पहुँचल प्रोफेसर। ई आओर बात जे जतेक छथि नइँ ततेक देखबए लेल अफसियाँत रहैत छथि। बपौती धनक बले घाँटी बजबएमे कोनोे चुक-कोताही नहि करैत छथि। ताहूमे एमरी शहरक तीन कठबा ओ खुआखानि घराड़ी बिकाएल छन्हि। धन दंरभंगा की दोहरी अङा रहबे करतनि ।
से एहि शुद्धि लागनमे हिनकर छोटकी दुलरी ननकिरबीक कन्या दान छन्हि। एहि बेर अगते नियार भेलै जे बरियातीकेँ भोजन बास्ते अपना हाथक, अपन आँखिक देखल शुद्ध नीक माँउस खातीर किछु पूर्वे खस्सी किनलनि‍। तँ से कैला तँ असल भितरिया बात रहै जे हिनकर पड़ोसिया पैकारक खस्सी रहै आ गप्प-सप्प दऽ कऽ नफगरे माल बेचए लाथे उन्टाै-सुन्टा पढ़ा अॉंि‍खपर झोल मारि देलकन्हि। दू ढौैआक खस्सी तीनमे किना अपन सुरखुरु भऽ गेल फेरहा। तहूमे कि तँ रहनि खगता दू गोट खस्‍सीक तँ घटीबेसी लेल तीनटा बेसहि लेलाह। नइँ कहू बरियातीकेँ कनिको कमि गेलै तँ नाहँसी आ सोहरा भऽ जाएत तैला जैं चालीस तैं घपचालिसो रहओ ।
तिरपित नेहाल डागडरनी खस्सीकेँ आबए बला बरियातीयोसँ बेसीए ध्यािन देबए लगलखि‍न्ह । कोनो उपेक्षा कोताही नइँ हुअ पाबए ।
आबएले तँ अएलै हेंड़े किनि कए आब भऽ गेलए गराक घेघ, –एकरा चराएतबझाएत के? कनिके कालमे ततेक ने झौहराअंकाल कएलक जे डागडर साहेबकेँ टेन्शन बढ़ए लगलनि । टहलनी कहलकै मर, अपन दूध उठओनाबाली हएबे करै । चराओन पोसान ओकरे दऽ दियौन । उहे चराबझाकऽ पोसतै ।
बड़ बेस बड़ बढियाँ, शुभशुभ कऽ नीक जेकाँ पक्काहपक्कीक गछा खरियारि कऽ ओकर जिम्मा लगाओल गेल।
गम्हओरियाबाली दूधबालीक सैंझली ढ़िलही बेटी गछने छलै, ओकरा बास्ते सेहो किटुआ पोसान छुटिया देल गेलै।
खँसी पिच्छेा दूचारि मुट्ठी चाउर, बदाम भुजा बास्ते अलगसँ सेहो । भुजा भूजैले आमक ढेङ जरना लेल भेटलै । ढिलही माए आबले बलैया नितराए लगलीगे माइ, अगबे चाउर दालि देने तँ पेटमे चलि जएतै। जौले रिहन्तै नइँ तौले खएते केना? मर तेकरो ला भनसिया चाही । ओहि भनसियाकेँ पेटपर लात हिनका आउरके मारल जएतनि ?
हे लिअ भेल दू पसेरी चाउर अहूँकेँ। गुड़िया बियाहमे अहुँ जै सँ प्रसन्ने रही। गम्हरियाबाली सतखेलिया रहए, असली घैंहरि खेलाड़ि । खँसीकेँ बूझऽ लागलि गोनू बाबूक बिलाड़ि ।
दिन दशो नइँ बीतल हएतै कि दौड़ल आएल हबेलीमे । गुड़िया माए हपसले बहरेली महखरसँ, यै गम्हरियाबाली। खँसीकए समाङ नीके ना अइ ने।
दुर कि नीक रहतै। पहिलका बान्हल खुटेसल खँसीकेँ पेट बैठल रहै । तैला खाएले अहगरेसँ छौड़िया सभ लपेलप भुजाभरी देलकै, से आब पेटमुँह चलै हए।
से सूनिते हहाएले गेलीह डागडरनी गोसाइ घर,–हे भगवती! केहन भाग करम भऽ गेलै एहि छौड़ियाक से नइँ जानि। ओइ दिन गहुम पिसबए गेलै तँ आँटे दोखरा रहि गेलै। दहीक खोर पौड़बला जेकरासँ साइ गछा कऽ अएलै तेकर महिसे दू दिन रहि कऽ बिका गेलै। केहुनाकऽ खँसी बचा कऽ भरमा इज्जति बचा दाए हो देवता-पितर। जिउके बदलामे झाँप आ सभटा नीकेना सिद्ध भऽ जएतै तँ पातरि सेहो देबऽ हे गोसैंयाँ।
मर अइमे देवता पितर की करतैगम्हरीयाबाली एहन समधानल चोट ठोकि देलकनि जे छिलमिला गेलीह गुड़िया माए, जे करत सेैे बैदा ने करतै। सुइयादवाइ दिअएबै तै सँ ने ठीक होतै। नइँ तँ झाँप पातरि पड़ले रहि जाएत आ खँसी जाएत टिङ।
हे देवता पितर नामे एखन एहन कुभाख नै बाजू।
हे आब दबेदारुसँ मालोजाल ठीक होइ छै । गेठरी खोलू हम चलब ।
फिस आ दबाइमे सवा सात सए खरच भऽ गेलनि । डागडर साहेब उसास फेरलनि मर बहि, ढौओ लागि कऽ केहुना खँसीक बलाय तँ टरल ।
चिकबा लुचैया नदाफक सलाहे खँसीकेँ एकआध चम्मच घीउ उठौना शुरु भेेल। एहिसँ खँसी एबरसँ दोब्बर भिसिण्डु लगले भऽ गेल ।
दिनकेँ बितैत देरी नइँ लगलै। धराएल शुभ दिनमा भल अएबे कएलै। उँजबड़ेड़ा आ भीड़ भरक्कासँ बरनेमा नइँ।
सखसोहर लेनदेनक लेखाजोखा नइँ । पालपण्डालक कोन खेरहा । मुज्जोफरपुरके ऊ नामी हलुवाइ मिठाइ बनबऽ बला, जनकपुरके बढ़का स्टार होटलके कूकखाना बनबऽ बला आ काठमाण्डू मीट हाउसक भनसीया स्पेशली माछमँाउसक परिकार बनबऽ लेल मंगाओल गेल रहै। एम्ह‍र तरुआ-बघरुआ, तिलौरी, दनौरी, बड़ीकढ़ी बास्तेै गाम गमैतक बूढ़ पुरैनियाँ सभ रहबे करथिन्ह।
ठामठाम भिडियो कैमरा चालू रहै । एकदम सिनेमा माफिक। जेकरा नहियो काम रहै सेहो अफसियाँत, कैला तँ भिडियो सिडीमे देखार होएब।
रातिमे मन माफिक रंगविरंगक मधुर मिष्ठान संगे माछक व्यबस्था रहै। माछ रहे से देख पड़ोसनी जैर मरऽ बला। बीसबीस किलोके । बनबऽ कालमे दूदू पट्ठा जुआनके सम्हार नइँ धरै । ओकर बनौनाइ देखबऽ लए भिडियो कैमरा एकदम रेडी। धन कही सुखरा मलहबाक पहलमनमा बेटा सोंसियाके जे माछ काटि बना देलकै। दैव रे दैव, माछ रहौ कि बनेल से नइँ जानि, सोसिया मलाहके कएल खेती गमल बात रहै तँए बना सकलै नइँ तँ नइँ बैनतै। मुड़ा निकलै पँँचपँँच किलोके आ कुटिया याह-याह टाके।
खाइतकाल एक छोड़ि दोसर कुटिया कोनो बरियतिया नै गछनि। सौंसे मुरा एक्केह गोटा लेलनि। तिनको सौंसे नइँ अघरलनि ।
बिहान भने भतखइ मे माँउस एकदम अलेल। डब्बुके लऽ कऽ परसल गेल। घरबैयाकेँ होइ जेना माँउस से तोइप कऽ तऽर कऽ दी। खनाइसँ इज्जती बढ़ै छै। जेहन भोज तेहन मान प्रतिष्ठा। बराइ आ प्रशंसासँ डागडरो साहेबक बराती निहाल कऽ देलकनि। आब गच्छि अघाएल बरियाती ढेकार संग मुँह प्रशंसा करऽ लगलथि ।
नै विलक्षण। गच्छ अघाएल बराती अछिनरे रहलै।
हँ तँ काल्हियो आ आइयो मधुर मिष्ठारनसँ थैहर-थैहर कऽ देलथिन। माछमाउस अनपूछे रहलै।
जहिना परसऽ मे उपरौंझ तहिना बड़ाइ प्रशंसामे रहलै।
अघएला उत्तर मूल्यााङ्कन किछु गोटे खोदवेदक रुपमे शुरु कएलनि। नइँनइँ बड़ बेस, बड़ बढियाँ रहलनि। खाली माछ बेसी जुआएल छलनि । व्यग्र डागडर साहेबकेँ पछताबा हुअ लगलनिकेहन हम रजिनराक बात नइँ मानि सेरिए-असेरी माछ किनने रहितहुँ तँ आइ ई खिधान्स नइँ होइत।
ततबे, कुटिया कने छोट-छोट रहितनि ।
कने तरल झूर छलनि ।
घरबैयाकेँ होइक, सभ बूरल आ से भनसिया कारणे। सरबेके बोइने काटि लेबनि ।
इह । माउस कनेे बेसिए सीझल रहनि ।
एकगोटे व्यंगसँ बजलाह- से नइँ बूझल गेलै। स्पेशल भनसिया भेने एहिना होइ छै।
खाएला तँ हमहुँ खएबे कएलिऐ। पाइ लागल रह,ै धरि एते तँ अबश्ये कहब जे खसी बेसी तेलाह रहैक से कोनो खास स्वाद नइँ रहैक।
जतेक मुँह ततेक छेद ।
डागडर साहेब झाम घुरैत मथा-हाथ दैत, सभ कएलधएल अकारथ गेल। ओहिमे एकगोटे एहन बरियाती रहथि जे वरपक्षक नइँ रहथि। खाली अइ दुआरे मार्कण्डेय झाजी केँ लाएल गेल रहनि जे हुनकर कामे रहनि बहुते खाएब। चूड़ा दही भेल तँ अढ़ैया चूड़ा, खोरभरि दही, बिन ढेकारेक देख देताह। खाएलपियलपरसँ साठिसत्तरि रसगुल्ला देखि देताह। आम महिना चालीसपचास आम उठितोउठितो गींर जएता। से पुरुष अहू बरियातीमे खएनाइए देखऽ वास्ते मङाओल गेल छलाह। ओ देखहि जोग खएने छलाह । ई दिगर बात जे भोजमे हुनकर मन नइँ भरलनि । खौंझाएल मार्कण्डेय खिन्ने होइत बजला,– हँ कहऽ तँ पड़लै जे नीके खएनाइ रहनि। मुदा मन पछताइए जे कएक ठामसँ बरियातीमे खाए चल लए बजाहटि आएल रहए। ओम्हपर गेल रहितहुँ तँ पछताए नहि पड़ल रहितए ।
एहि बीचमे एकगोटे जे खाइत काल हुनकर बहुत रास फोटो खिचने रहथि से देखा देलकनि-देखियौ तँ फोटोमे अपने केनाकेना कतेकते खएने छिऐ।
अएना जेकाँ आब फोटबो बजै छै साँच, से देखि भड़कि गेला मार्कण्डेय- रौ साऽऽर, ऐमे हमरा बजनियाँ के बना देलक?
लोको उत्सुकतासँ फोटो देखऽ लागल तँ देखलक जे ई दुनू हाथे कोकाकोलाक जे बोतल पिबैत छथि, से फोटोमे बुझाइक सहनाइ बजबै छथि। चौल करैत एकगोटे बजला- होउ आब इएह फोटो देखा-देखा साइयो बान्हब।
आऽरौ बहिं, से ओतबे, के ने के यैह टा के बेढब मूड़ा हमरा पातपर राखि देलक।
होउ तँ एहन मूड़ा आनठाम कतौ देखनहुँ ने हएब तकर प्रमाण भेल। माने कि जे से, कि जे से सेहे रहितै तँ नीक। ओइमे तँ हमरा मरपर लुधकल सनके बुझाइए ।
छीयाछीया। आरे बाप रे बा, अन्हेेर कएलक ई सभ मार्कण्डेय जी ! अहाँकेँ तँ गयागांग लागल । होउ धोती जनउ जल्दीसँ बदलू आ गंगाजली छीटि शुद्ध होउ।

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