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Monday, April 9, 2012

कामिनी कामायनी - लाल काकी




टक टक टक टक टुन टुन टुन टुन .... 
घंटी बजबैत तांगा क’ सोरसँ ओहि सूतल सूतल सुस्त सुस्त टोलमे हरकत आबि गेलए । कोनो अभ्यागत सएह आबैत छलाह ताँगापर किनको बेटा पूतौह किनको धी जमाए किनको समधी़ किनको सर कुटुम।आऽ टक टक टुन टुन क’ ध्वनि जेना अहि खबरिकेँ समस्त घर धरि पहुँचा दैत़ कियो आएल अछि पाहुन पड़क ।
दिनक करीब दस बाजल छल । मुदा गाममे तँ पराते सभ उठि‍ पराती गबैत पूजा पाठ नेम टेम करैत़ अपन दिनचर्यामे व्यस्त भऽ जाइत छल ताहि लेल दस एगारह बजैत बजैत फुरसते फुरसत।
किछु अपन दरवज्जासँ निकलि किछु अपन दलानसँ बहिराति ताँगा धरि औला़।आऽ खबरि पसरि गेल चारूकात जे लालकाकी पटना जा रहल छथि। हुनक बड़का पाैत्र कन्हैयाजी आबि गेलखिन्ह लेबए लेल । लाल काकी अपन जमानाक परम सुन्नरि गोरवाहि स्त्री ततेक गोर जेना साक्षात चान बुलि रहल अछि धरतीपर। आऽ एकदम लाल बूँद जेना अंगरेज ।
खिस्सा छल हुनका पाछाँ जे बड़का घरक बेटीकेँ गौरव ढाह लेल सासुरमे हुनक पतिकेँ दोसर विवाह कराओल गेल ।ओहि समए समाजमे बहु विवाह पूर्णरूपेण प्रचलित छल । आऽ एकए गोट कतेक कतेक विवाह करैत छलाह । मुदा सौतिनियाँ डाह। सौतिन संगे रहनाय एकटा बड़का दुखदायी प्रसंग छलैक स्त्रीगण समाजक लेल ।
सौतिन एतैन्ह करेजपर राहड़ि दड़रतैन्ह तखन हिनक टहंकार मारैत गौरव ढहतैन्ह बड़ उत्तान भऽ कऽ चलैत छथि। घरवलाकेँ विवाह भऽ गेलन्हि मुदा नबकी कनिया सासुरक मुँहो नहि देख सकलीह।नैहरेमे भोजक पात उठब गेलीह तँ कोना नै कोना बिषहरा महाराज डँसि लेलखिन्ह ।जखन लाल काकीकेँ ई खबरि भेटलैन्ह तँ ठठ्ठा कऽ हॅसैत बजलीह ‘लैह हमर गौरव तँ भगवति सेहो नहि ढाहि सकलीह ।’बाजए कालमे हुनक बुट्टी बुट्टी चमकैन्ह । आऽ दोसर खिस्सा हुनक जे प्रचलित छल ‘विवाहक बड़ दिन धरि हुनका पूत नै होए छल खाली धी धी धी। तँ ओ भगवानसँ कबुला केलथ़ि ‘ हे स़त्तनारैन महाराज ज्योँ हमरा पूतौह झोँट पकड़ि कऽ मरत तँ हम बाजा गाजासँ अहाँक पूजा करब ।’एहिपर बड़ हॅसी ठठ्ठा भेलए मुदा भगवान जेना हुनकापर बड़ अनुग्रही छलखिन्ह । आऽ ओहो दिन एलैन्ह जखन घरमे पूतौह आबि गेलन्हि । मुदा ओ कबुला भगवानक पूजा कऽ। आब करल की जाए । कबुला कबुला छल।आखीरमे भगवानक पूजाक समए बीध जकाँ पूतौह हुनक एकटा लट पकड़लखिन्ह ओ ढोल पीपहीसँ पूजा सम्पन्न भेल छल ।
मुदा हम जे लाल काकीकेँ देखने रहियैन्ह पाकल़ पाकल छोछ-छोट केश़ वृद्वा़ कनि देहगर मुदा गेराई वएह बड़ स्नेहिल़ गप्पक सप्पक सिनेह ।
हम सभ जखन गाम जाई हमर पपा ढेर रास फलफूल नेने जाइथ ।आऽ शरीफा लाल काकीकेँ बड़ पसिन्न । ‘गै बच्चा दूटा सरीफा ला’।तखन एकोटा नैकसँ पाकल शरीफा नै छलै हम कनि कनि पाकल शरीफाकेँ हाथसँ कैस कैस कऽ दाबि दाबि कऽ एकदम घुल्लल बना कऽ दऽ देलियैन्ह ।कनिए कालक बाद काकी हमरा तकने फिरैत छलीह ‘कत्त छै बुचिया’ । आऽ हमरा देखैत मातर बजली ‘ हे ले अपन सरीफा काँचे छाै।’
एक दिन हमर आंगनमे बनल मॅड़वा़ भाई सबहक उपनैनकपर बैसि हमरा खिस्सा सुनबूत छलीह ‘ जार्ज पंचम इंगलैंडक गद्दी पर बैसलै तेकरा बाद जार्ज छठम जार्ज सप्ताम ।’आऽ ओहिक्रम जे ग्प्पर मोन पङैत अछि‍ ओ बाजल छलीह ‘उजरा जीर होइत छै ऊजरा मरीच हमर पीत्ती कलकत्तासँ आनैत छलाह।लोक चान पर पहुँच गेलए।’
हम अपन दायसँ पूछलियैन्ह। ‘दूर हुनक गप्पठ सप्पल एहने रहैत छैन्ह उजरा मरीच आऽ चान परलोक ।चौरचनमे चान महाराजकेँ अरघ देल जाइत अछि ओ भगवान छथि हुन्कर कि ओ तँ कनिए दिनक बाद सूरूज महाराजपर सेहो लोकवेदकेँ पठा देती ।’
हुनक गप्पपर पीठ पाछाँ बड़ मखौल उड़ैए।जीभक बड़ पातरि नीक नूकूत खायब नीक पहिरब।
एक दिन दाइकेँ बड़का पोत जमाए एलखिन्ह तँ ’हुनक कनिए कालक बाद अपन दरवज्जासँ टहलैत टहलैत हमरा आंगनक मॅड़वापर आबि बैसलिह ‘बौआ दाए मैयॉं अपन छोट दियादिनीकेँ ओ अहि नामसँ बजबए छलीह ‘कि सभ बनेलहुँ अछि जमाएक लेल’ । आऽ दाइ जे परम ओरियानी बुधियारि मृदूभाषी़ मर्यादा वाली सुन्नरि स्त्री छलीह बड़ आदरसँ अपन पैघ दियादिनीसँ जमाए्केँ गेलाक बाद चाह पियाबैत बैस कऽ विन्याससँ गप्प करैथ ।
जीभ बसमे नहि छलैन्ह तँ पेट सेहो जवाब द’ देने छलैन्ह । आऽ लालकाकी बीमार भऽ गेल छलीह ।छोटका बेटाकेँ पेलवार तँ लगमे छलैन्ह मुदा पटना वला बेटाकेँ मोनमे छरपट्टी लागि रहल छलै ‘माएकेँ हम अपन लग राखि कऽ बड़का डाक्टारसँ इलाज करैब।आँखिक सोझा रहत तँ हमरो मोनमे चैन रहत।’
आऽ ताहि लेल टमटम आएल छल । उम्हर काकी बड़काटा कऽ भांगटि ठाढ केनो ‘मरि जाएब मुदा मगह नहि जाएब कॅह कासी कॅह उसर मगहर मगहमे जे मरै छै तेकरा पैठ नै होय छाै मगं दोषं दधाति इति मगध ’ ‘मगहीया डाेमसँ बत्तर हम्र जीनगी भऽ जाएतँ ‘किन्नो किन्नों हम मगह नै जाएब।’
छोटकी पूतौह दरवज्जापर बैस व्याख्यान दऽ रहल छलीह ‘तीन दिनसँ अन्न पानि तियागने छथिन्ह भरि राइत जागल कुहरैत ‘हम मगह नै जाएब।’
अपन नूआ आंगीवला झोराकेँ छोटका टेबूलपर ठाढ भऽ क” दहीक खाली मटकूड़ीमे राखि चारसँ लटकैत सींकपर टाँगि कऽ नूका देने रहथि कखनो ओकरा कोठी के दोगमे नूका दैथ मुदा ताकैत ताकैत लोक ताकिए लैक।कखनो अपना लगमे रहए वला पोता सभकेँ बजा कऽ नहुँ-नहुँ निहौरा करैथ’ ‘हे बाऊ अपन हिस्साकेँ जमीन हम तोरे सभकेँ लिख देबऽ हमरा मगह नै जाए दऽ ।’ मुदा हुनक प्राणक रच्छा करए लेल सभकेँ लगै पटना जेनाए आवश्यक छल ओतए पैघ पैघ डाक्टर।
कन्हैया जी हुनक झोरा झपटा उठाबैन्ह ताँगापर राखए लेल गेल तँ ओ झपटि कऽ ओकर हाथसँ झीक कऽ अपन करेजसँ लगा कऽ घाना पसारि दैथ ‘हम नहि जाएब ई गाम छोि‍ड़ कऽ एतयसँ हमर अर्थीए उठत अहि आंगनमे हम मॅहफापर सँ उतरल छलहुँ। ’आऽ ओ भोकासी पाि‍ड़ कऽ नीच्चामे औंघड़ा औघड़ा कानथि‍ दरवज्जाक नीचा ठाढ सबहक आँखि झर झर बहैत छल विशेष कऽ पूरना लोक सभकेँ जे हुनका बड़ दिनसँ कएक बरकसँ जनैत छल। ट्रेनक समए लगचिया गेल छल ।जेनाए परम आवश्यक ।आऽ बेर बेर अपन हाथक घड़ी देखैत एत्ते काल धरि किंकर्त्तव्य विमूढ ठाढ कन्हैयाजी काकीकेँ भरि पाॅज पकड़ि‍ कोरामे उठा ताँगापर बैसा देलकैन्ह जा ओ अन्न पानिक पोटरा पोटरी बाेरा झोरा राखए लेल मुड़ला असक्तद निर्बल काकि नै जानि कोन दैवीक शक्तिसँ उछैलकऽ ताँगासँ नीचा उतरि दुर्गास्थान दिस पड़ए लगलीह।जेना कसाई के देख कऽ गाए चिकरैत छै ओहिना ओ अपन प्रिय बड़का पाैत्रकेँ देख कऽ। चिकरय लगलीह । चिकरैत चिकरैत हुनक गरा बाझि गेलन्ह़ि । कन्हैयाजी हुनका पाछाँ भगला आऽ लपकि कऽ फेर अपन कोरामे उठा ताँगा पर बैसा देलकैन्ह कियो लोटा मुँहमे लगा कऽ दू चारि घोँट पानि पीया देलकैन्ह।कन्हैयाजी अपनो छरपि कऽ बैस रहला आऽ काकिकेँ पॅजिएने रहला। चीज वाेस्त लोके सभ राखि देलकै आऽ तांगा वलाकेँ इसारा करि देलकै ओ तड़रासँ भगबए लागल घाेड़ा ओ हुनक कानब जेना कोने बच्ची दुरगमनिया कनियाकेँ । ताँगाकेँ पाछाँ पाछाँ भरि टोलक लोक अड़ि‍यातए बाेल भरोस दैत़ दियादिनी आऽ पुतौह सभ ‘हे बौआ यौ गोड़ लगैत छी काकी के अवस्से पठा देबैन्ह ।’’ ‘ इलाज करा कऽ चलि अबिहथि ’ ‘जुनि कानैथ़ हिनका हमर सप्पहत़ ।’
आऽ पोखरि धरि अि‍ड़यैत कऽ जखन ओ सभ आपस हुनक दरवज्जापर आबि बैसली तँ सबहक मूँह नाक आँखि लाल-लाल जेना रंग अबीर मलि देने होइ । झर झर नोर बहि रहल छलै एखनो धरि ।
आऽ ओहि दिन की रातियोमे धिया पुत्ताकेँ छोि‍ड़ पैघ ककरो अन्न नै धसले मुँहमे। रहि रहि कऽ लाल काकीकेँ ओ करूण क्रंदन जेना सबहक कानमे घुरियाति रहल छल। पचासो वरखक अपन बास छोि‍ड़ पहिल बेर ओ नैहर वा’ सासूरक आगाँ कत्ताे पएर राखने छलीह।

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