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Monday, April 9, 2012

राकेश कुमार रोशन - पञ्चैति



थप!....थप!....थप!....खैनि तरह थिपर रगड़लाकेँ बाद चपड़ि ठोकि धूल उड़बैत बाजल सिफैत आजुक पञ्चैतिमे बड़ मोन लागल....नहि रौ?....चन्नाड़। खैनि खाइल जीसँ लेर चुबबैत बाजि उठल चन्ना तँ!....आइ खुब मजा एतै....बड़ मोनसँ दुलारसँ आइ.ए., बि.ए. आ आओर किदन बिग्दनन पढ़ेलक जिवछ। माटर....अपन दूनु बेटा आ बेटियोकेँ। कहै छल जे....बलु हमरा धन जोडबाक नहि अछि....बेटा बेटी सभक पढा लिखा देव तँ कमाइयोकेँ खेतै आ....निक लोकसेहो बनि जएतैतह!....आइए माटरबाकेँ बुझा जाएत जे दुकट्ठा जमीन जोड़नेसँ फाएदा होइतै की बेटा पढ़ेनेसँ फाएदा भेलैय। खैनिकेँ मोनसँ घुस्सादैत बाजल सिफैत तखने सिफैतक गोहालिमे साँझुका खानपिन खाहाथ सुखबैत पहुँच गेल दिलिफ आ चट् दऽ बाजि उठल कथिकेँ बातचित चलैत छै....सिफैत का....महरो एक जुम खैनि दियहधुर....खैनि खेता! ....बड़ सौख छौ तँ लगाकेँ खेबहि तँ नहि हेतौ?....अच्छाह ले कनेक्शन खा हमहुँ तँ बेर-बेर माँगिक खाइत छी आ फटसँ दू जुम खैनिकेँ तिन भागल गाबैत आ बातक अगाड़ि बढ़बैत फेर बाजल सिफैत तोँ आइ भरि दिन गाममे नहि छी से....नहि किछु बुझलि एखनी धरी। बातकेँ जोंक नाहित नमराबैत देखि बिचेमे बाजि उठल चन्नाछ रे!....जिवछा माटर द्या गफहोइत छलै....तोहर बाप तँ तोरा बेसि नहि पढेलकौ तँ बुढवा 14 कट्ठा खेतो तँ किनकेँ राखलक ने एकटा जे ई माटर हँ....देखैत नहि छि 4 कठ्ठा खेत छै ओ कनी दूटा घर।....कमाक नै एक्कोब कठ्ठा खेत किनलकै आ....नै दसो हजार रुपैया जम्माक कऽ सकलै....। प्रिन्सिपलक नामपर भेटल पैसा बुढि़या बेटिकेँ बियाहोमे नहि जुमले तँ राखी की सकत। आब आइ ओकर पुतहु सभमे झगड़ा भऽ गेलै तँ बेटा सभ पञ्चैति बैठेने छै....भिन है ले....आब दे‍खैत रहि सार बुढवाकेँ पुछै छै। बुढि़या बोछि एहि सन्दीर्भमे कहने छल जे मास्टदर अपन बेटीकेँ स्नाआनत्तक धरि पढा देलकै बाद विआह कएने छल २१ वर्षक उमेरमे। दिलिफ सभ वात बुक्तसतो अन्ठिया लऽ नाहित बाजल ए आइ पँञ्चैति छियै ने तब देखिलियै बुढवाकेँ द्वारपर दूटा विरिञ्च लागल छलै आ-आ हमरो घर गेल छलै ओकर पोता एकटा विरिञ्च लाबे।....तह....देखह बुढबाकेँ आब गञ्जन भऽ जेतै.....एखन चलै बुलैत छै तँ कहुनाक दिन कटिए जेतै....आ जखन लोथ भए जेतै तँकेँ....केँ देखतै....देहमे पिलुबा फडि जेतै....। आगिमे घी ढारैत बात बढौलक चन्नानतँ देखैत जाहिने....पाँच कठ्ठा खेतमे दूओ कठ्ठा माटरकेँ पञ्च सभ ददेत तैयो कोइ नहि राखैले तैयार होतै।....छोटका तँ ओर हरामी छै,....कहते वलु मरि जाउ बुढवा....हमरा कोनो मतलब नहि छै।....आ बढका।....कनि स्थिर गरे छैत की भेल....दूकठ्ठा खेतसँ कि होइतै बुढवाकेँ सो ओहो राखत।....आइसँ तँ जिबछा माटर अबस्से. भिख मँग्गा भऽ जेते। एम्हखर ठोर तरक खैनिमे सँ पच्चो दऽ थुक फेकैत बाजल दिलिफ”....तह! आब बुढवा माटरकेँ देखह ने दमाक दवाइकेँ किनक लाइवदैत छै बजारसँ आ कोन पुतहु....भोर साझ एक लोटो पानि देतै ब्लडप्रेसरक गोटि खहिले“....ओना आब पँचैति शुरु भऽ गेल होत।....चलै चलहने ओते बुझवो तँ करवै केना केना करैत छै पञ्चसभ आ....आ बुढबाकेँ हालो तँ देख लेबैबाजल सिफैत आ एहि वाले तीनु सहमति होइन डेग बढेल एक उत्सुगक नजर लऽ कऽ जिबछक द्वार दिस।
जिबछ एक आधुनिक सोंचक थिक। जिनकर शिक्षा प्रति विशेष झूकाव छल। ओना अपना तँ गामेक प्राथमिक स्कूकलक शिक्षक छल आ मात्र मैट्रिक पास। मुदा अपन दुनु बेटा जेठका गनपैत आ छोटक धनपैतकेँ पढेमे कोनो कसैर बाकि नहि रखने छल। तैं गनपैत एम.ए. पास केन छल आ धनपैतो बी.ए. पुरा केने छल गनपैत गामक लगेमे रहल एकटा छोट बजार कञ्चनपुरमे एकटा बोर्डिग स्कुकलमे पढ़बैत छल ओही नोकरी ओकरा बड मुस्किलसँ भेटल छल आ एतेक ने कमाइ होइत छल जे खापीक बेटाबेटि पढबैत पढबैत एक्कोर टाका नहि बचैत छल। बेरोजगारीकेँ समस्यासँ ग्रस्त एहि समाजमे धनपैतकेँ एहन एक्कोत गोट नोकरी नहि भेटल छल ताहि लक ओ गामेमे भोर साझ टिसन पढावैत छल आ कहुना कहुनाक ओहो अपन गुजाराकर लैत छल। बुढबा एखन एतके उमरगर भऽ गेल छलथिसे ओ नोकरीसँ रिटाएर्ड भऽ गेल छल आ पेन्सलनक नामपर हुनका जे टाका भेटैत छलथि जे बल्डकप्रेसर आ दमाक नियमित दवाइयोमे मुश्किलसँ जुमि जाइत छल ।
आइ बुढवा जिवछा माटरकेँ भरल छै। मडर मनेजर, राम्फयल, भिक्खतना सँगहि सिफैत, चना, दिलिफ लगाएत बहुटो लोग सभ गोल बृद्ध भए बैसल छल। द्वारक तिनुकातक घरक कोन्टाल सभ भरल छल छौंडी आ जनिजाइत सभ सेँ आ सभक उत्सुलकता पूर्ण आँखि केन्द्री तँ छल पञ्चसभ दिस। साँझुक करिब साढें आठ बजयत होयत। गनपैत तस्तकरीमे सुपाडि, विडि, मोहलिसोंफ आ पान लैत आँगनसँ दुवारपर आएल आ सुभक वाटलागल। एम्हयर मडर मौनताक भंग करैत बोललशुरु कर ने....की भैलेए....खातिर ई पञ्चैति बैसाओल गेल?’’ ओना सभ बुझैत छल जे बास्तैविकताकी थिक? ई तँ बाट शुरु करैके औपचारीक घोषणा मात्र छल धनपैत बाजल ‘’हम दुनू भाँइ भिन होव चाहैत छी से बलु हमरा सभक’....सभ किछु बाँटिदिय। बडि सोक्त आ स्पष्टु भाषामे कहि गेल छोटका एम्हार राम्फतल कनेक्शन गम्भिर होइत बाजल कहल जाइत अछि जे जतेक माथ ततेकबात तेँ बातक सुब मोथलक, चौहु तर्फ नजर दौडबैत- ‘’की हौ पञ्चसभ बढवाकेँ कतेक खेत जीवका देनेसँ निक होयत। एम्हरसँ मनेजर बाजल ‘’पाँच कट्ठा खेतमे की देवह बेटा बेटी सभक....ओना नहि देवह तैमो तँ नहि हो तै ने....से नहि....तीन कट्ठा आ ई छौडा सभी जेकर बाल बच्चा. छै ओ सभक एक्के कट्ठाक....। सभलोक अपन अपन हिसाबे आ बात ओझराइते गेल तावतमे मड़र पुछि उठलक हौ!.... जिबछ मास्टकर छे....सभ बरबैरक बाँटि दह दुनकेँ। बैसल सभ एक बेर जेना चौंक गेल कहल जाइत अछि जे जटेक माथ टटेकबा ते बातक खुब मोथलक, वातावरण कनेक गम्भिर बनि गेल आ ओइ गम्भिरक कारण छल बुढबाक ई गप। किएक तँ सभी सोचने छल जे ओ बाजत पाँच कट्ठा खेत आ छटा कोन्टाक की बाँटब कह....कहक बरु कमाकेँ खाएत आ ई सभ हमरा छाँटि देव। मुदा....ओकर विपरीत बुढबा आइ अपना हिस्सा. सेहो नहि माँगलएक।....कहलक जे हुनके बरोबरी बाँटि दहक बुढबाकेँ ई बात सुनि नहि रहल गेल मनेजरक आ ओ जेना विलाड़ पठरुक झपैट लेना छौ आ बु‍ढ़िया बकँरी भऽ देखैत रहैत हो। तहिने गम्भिर बाताबरणकेँ चिरैत बाजि उठल। तुँ! तुँ कत जेबह।....केँ तोराकेँ राखत....भिख माँगब काल्हिसँ भिख....भिन भेलाक बाद ई बेटा सभ एकटा फूटलहो बाटि नहि देत भिखो माँगो बास्तेत....। बात पूरी नहि भेलछल ता गनपैत बाजि उठल”....अपन बाउकेँ हमहि राखब....हमहि राखब अपन बाउकेँ।....जिविका लेल आ नहि....मुदा हम अपन बाउकेँ बुड़हारिमे सेवा करब। एम्हहर सभ आश्चर्य चकित भऽ गेल। एखन तक एहन पञ्चैति नहि भेल छल। आन पँचैति सभमे जिविको होइत जबरजस्ति लादहल जाइत छल बुढवा बुढियाके....ओकरे कोनो धियापुतापर आ....आ लाधनहार रहैत छल पञ्चसभ....ओहे पञ्चसभ एम्हँर बुढवाकेँ आँखि नोरा गेल छल। ओम्हहर....एक कातमे ठाढ़ धनपैतो तुरुन्ते. बाजि उठलनहि....हम राखब अपन बाउ केँ।....हम अपन बाउके बीन जी नजि सकैत छी....। आब बुढबाकेँ याद परि गेल ओ दिन जखन बुढबा कतेक मेहनतसँ पालने छल ई दू बेटा। एक बेटिकेँ....। ओकरा सभक माय ते कनिएटामे छोडि चैल बैसल छलिथि एहि सँसारमे मुदा....मुदा बुढबा मास्टरर माए आ बाप दुनुके भुमिका पुरा केने छल ओहि सभक लेल। से आब....आब अपन जीवनकेँ सफलताकेँ खुसिक नोर नहि रोकि सकल आ पानिक धार नाहित बनल बुढवाकेँ सिकुड़ल गालक चमडीकेँ बिचोबिचा वह लागल नोर एक सफलताक नोर।

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