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Monday, April 9, 2012

हेमचन्द्र झा - बाट



रामाक बी.ए. (आनर्स)क परीक्षा खतम भऽ गेल रहैक। बिनु समए गमौने ओ तुरंत आगूक प्रतियोगिताक परीक्षा समएक तैयारीमे जूटि जाई चाहैत छल। ऑनर्समे नाम लिखबितहि प्रतियोगिता परीक्षा सभक तैयारीमे लागि गेल रहता ओ। एक दूबेर बैंकक आ कर्मचारी चयन आयोगक लिपिक श्रेणी परीक्षामे बैसियो चुकल छल। आ तेँ प्रश्नक पत्र सभक हाँज भाँज छलैक। संगहि पहिनेसँ विभिन्नी पत्र-पत्रिका पढ़बाक कारणे हिम्मरत कने खूजि गेल छलैक। हिम्मपत केने छल जे यदि ढंगसँ एक-डेढ़ साल प्रतियोगिता परीक्षा सभक तैयारी कयल जाय, तँ कोनो ने कोनो लिपिकीय परीक्षामे उत्तीर्ण भेल जा सकैत अछि। तेँ अपन पहिल लक्ष्य जँ लिपिकीय परीक्षा रखने छल आ बादमे किछु आर।
तथापि शुरूआत कतऽ कयल जाए तेकर बाट नै देखाई छलैक। गामपरसँ परीक्षाक तैयारी असंभव छलैक, कारण एहिठाम एक तँ पत्र-पत्रिका भेटब मोशकिल छलैक, दोसर परीक्षा सभक फाँमौ भेटब दुर्लभ छलैक। आ तेँ कतौ बाहर रहब आनिवार्य छलैक। ओकर दोस्तो -महीम सभ सही प्रकरममे लागल छलैक। तथापि ओकर सभक लक्ष्या पटनामे रहि तैयारी करक छलैक, परन्तुर दोस्तै महीमसँ रामाक स्थिति किछु भिन्न छलैक।
रामाक बाबूजी महेश बाबू पकिया गृहस्थ। बाप-पुरुषाक देल ९-१० बीघा जमीनक बलपर अो महेश बाबू अपन तीनू बेटाकेँ बी.ए. करौने छलाह। दुनू जेठ बेटा बाहर छलनि आ अपन पाएरपर ठाढ़ हेबाक उपक्रममे लागल छलनि। सभसँ छोट छलनि रामा। ओहो बी.ए. ऑनर्स कऽ चुकल छल। एहिबीच दूटा कनेदानो केने छलाह। एहि सभ द्वारे महेश बाबूक आर्थिक दशा नीक नहि छलैन। रामा एकरा अनुभव करैत छल आ तेँ बाबूसँ आगूक पढ़ाइक वास्तेआ पाई मंगबाक ओ हिम्मलत नहि कऽ पाबि रहल छल।
ऑनर्स परीक्षाक तुरंत बाद प्रतियोगिताक क्षेत्रमे भीड़बाक लक्ष्य् पहिनेसँ बनने छल। दुर्गापूजामे बड़का भैया लग एहि संबंधमे प्रस्ताव रखलक, परंतु आश्वाहसनक बात तँ दूर ओ कहलनि जे एहि प्रतियोगिता परीक्षासँ किछु ने होएत, कतौ नोकरीक जोगार करू। संभवतः- बड़का भैयाक अपन व्यतक्तिगत अनुभव रहनि। कारण ओहो एहि तैयारी सभमे दु तीन साल गमौने छलाह आ कतहु नहि चयन हेबाक स्थितिमे अंततः प्राईवेट कंपनीमे कलकत्तामे नोकरी पकड़ने छलाह। मझिला भैया बी.कॉम. केलाक बाद 5–6 महीना पहिने पूर्णत: स्थिरो ने भेल छलाह।
एहन स्थितिमे बड़का भैयासँ मददिक आशा केनाई व्यतर्थ छल। आब एक्केटा रास्ताँ छल जे कोनो शहरमे रहि ट्यूशन करए आ अपना बलबूतापर प्रतियोगिता सभक तैयारी करए। एहि लेल रामा तैयारो छल, परंतु शुरूआत कतऽ करए से नहि फुराईत छलैक। इंतजार छलैक फगुआक, जाहिमे ओकर मसिऔत भाए आबएबला छलथिन। ओकर मसिऔत पटने रहैत छलाह आ संजोगसँ ट्यूशन आछि‍ सेहो करैत छलाह। फगुआमे मसिऔत भाय रमणजी गाम एलखिन। फगुआ प्राते रामा हुनका लग पहुँचल आ अपन सभटा समस्या रखलक। रमण जी पूर्ण सहायताक आश्वाासन देलखिन आ कहलखिन जे हम पुन: मईमे गाम अबैत छी तँ हमरा संग पटना चलब। तथापि ओ कहथिन्हि पटनामे रहनाई। खेनाईक खर्चेटा बेसी छैक तेँ ओतए बेसी ट्यूशन करए पड़त। लिपिकीय परीक्षाक तैयारीक लेल पटना रहब आवश्य।क नहि छैक। एकर तैयारी मधुबनीमे रहिकेँ सेहो कएल जा सकैत छैक। तथापि अहाँ फेरसँ सोचि लिअ आ मईमे हमरा संग चलू
मसिऔतक उक्तू सुझाव रामाकेँ ठीक लगलैक। मधुबनी रहि गामोक संपर्कमे रहि सकैत छल आ जरूरत पड़लापर गामो आबि सकैत छल आ पटनासँ गाम अवैमे पर्याप्त समए आ पाई लगैत छलैक। संगहि अपन दुनू भाँइक बाहर रहने आ स्वयं पटना रहिने बाबूजी सेहो एसगर भक् जेताह, ई सभ सोचि ओ अपन पटना रहबाक प्रोग्रामपर फेरसँ सोचए लागल। तथापि पटना नहि रहत, तँ कतए रहत ? ई प्रश्न् एखन धरि अनुत्तरित छल।
एही ऊहापोहमे अप्रैलक महीना लगिचा गेलैक। मईक अंत धरि पटना जएबाक छैक रामाकेँ आ मधुबनीमे शुरूआत करक छैक। ऑनर्सक दौरान मधुबनीमे रहि चुकल छल तेँ सभटा देखल सुनल छलैक। बस समस्या छलैक जे शुरूआतमे कमसँ कम एकोटा ट्यूशन भेटि जाईत तँ नीक रहैत। बादमे आसे ट्यूशन भेटि जयबाक संभावना रहैत छैक। ट्यूशन मात्र अपन गुजर-बसर जोग करए चाहैत छल। मेसमे खयबाक पक्षमे छल ताकि भानस भात बनेबाक समए बचि जाए। ट्यूशन करैत अध्ययन जारी रखनाई कने कठिनाइ अवस्सन छलैक तथापि दोसर कोनो उपाईयो तँ नहि छलैक।
एही सभ उधेर-बुनमे एक दिन दलानपर बैसल छल कि तखने मंगनूकेँ अबैत देखलक। मंगनू ओकरे गामक एकटा छात्र छल आ एखन मधुबनीमे बी.एस.सी.मे पढ़ि रहल छल। मंगनू रामासँ तीन-चारि साल जूनियर छलैक आ मैट्रिक परीक्षाक समएमे रामा ओकरा पर्याप्तढ़ मददि कएने छलैक। से मंगनू रामाकेँ दलानपर खाली बैसल देखि ओतए आयल। कुशल मंगल भेलैक आ फेर शुरू भऽ गेलैक पढ़ाई-लिखाईक मुद्दा। रामा सविस्तार मंगनूकेँ अपन गप्प बतेलक। पटना जएबाक संबंधमे मसिऔत भाएक विचार सेहो बतेलक आ अपन प्रतियोगिता परीक्षाक तैयारीक शुरूआत मधुबनी या दरभंगासँ करक अपन मंशा प्रकट केलक।
मंगनू मैट्रिकक समयमे रामा द्वारा कएल गेल मददिकेँ बिसरल नहि छल। ओ प्रकटत: बाजल- हम बी.एस.सी.मे पढ़ैत मधुबनीमे ट्यूशन करैत छी आ एतबा आमदनी भऽ जाईत अछि जे बाबूजीसँ हरदम नहि माँगय पड़ैत अछि। अहाँ तँ हमरा पढ़ेने-लिखने छी। जँ हम ट्यूशनसँ अर्जितकेँ सकैत छी तँ अहाँ किएक ने कऽ सकैत छी। अहाँ शीघ्रे मधुबनी आऊ आ अपन शुरूआत करू। हम करब अहाँक लेल ट्यूशनक जोगार
असमंजसक स्थितिसँ दू-तीन महीनासँ गुजरवला रामाकेँ जेना एकाएक अपन बाट भेटि गेलैक। ओ तुरंत अपन सहमति देलक। लगेमे रामाक बाबू बैसल छलथिन। दुनू गोटाक गप्प सूनि ओ बजलाह, “जहन तों स्वायं ट्यूशनसँ आगूक पढ़ाई जारी राखए चाहैत छह तँ जा धरि तोँ पूरा ट्यूशन नहि पकड़बह, हम तोरा मददि करबह
बाबूजीक एहि बातसँ रामाकेँ आर सम्बरल भेटलैक। ओ शीघ्रे मधुबनी गेल, डेरा डंटाक भाँज-पता लगेलक आ सभ सामान लऽ कऽ मधुबनी पहुँचि गेल। मंगनू ओकरा तुरंत ट्यूशन तँ नहि दे सकलैक, तथापि कहलकै जे अहाँ पहिने एकटा पब्लिक स्कूओल पकड़ू। ट्यूशन अनेरे भेटि जाएत। रामा एक-दू दिनक भीतर एकटा पब्लिक स्कू्ल पकड़लक। शीघ्रे ट्यूशनो भेटि गेलैक। शुरूआत नीके जना भऽ गेलैक।
ता कर्मचारी चयन आयोगक लिपिकीय परीक्षा‍क लिखित भागमे पहिले चांसमे सफलता भेटि गेलैक। ओकर खुशीक ठिकाना नहि रहलैक। सभटा खबरि ओ गाम आ भैया सभकेँ कएलक। ओकर बड़का भैया पहिने चांसमे भेटल ओकर सफलतासँ प्रभावित भेलाह आ पाई-कौड़ीक मदति‍ देब शुरू केलनि। फेर की छल रामाक आगू बाट अनायासे खूजैत चलि गेल।

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