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Monday, April 9, 2012

आशीष चौधरी - जीत गयो मोर कान्हा



बड्ड पुरान एकटा सच कथा अछि। एकटा मंगलवार गामक लड़का छलै जकर नाम विद्यानंद छलै। ओकर बिआह नहि होअए छल। किऐक तँ उ आंखिसँ आन्हर छलै। बड्ड दिनक बाद एकटा धीमा गामक लड़कीसँ बिआह तँइ भेल आ बड्ड पैसा लऽ कए ओकर बिआह धीमा गाममे तँइ भेल। किएक तँ उ लड़का हाई स्कूलमे मास्टर सेहो छलै। अइ द्वारे ओकरा बड्ड रास पैसा दऽ कए लड़कीक बाप बिआह तँइ केलक। बड्ड रास बरियाती लऽ कए लड़काक बाप पहुंचल लड़की बलाक ओतए। ओतए विधि विधानसँ ओकर दुनूक बिआह भेल रातिमे सभ बरियातीगण खेनाइ खऽ कए सभ सुतेले चलि गेल। भोरमे बिग्जी कऽ कए सभक इच्छा भेल लड़की देखैक। किऐक तँ ब्राह्मण सभक नियम छलै लड़कीक सुहाग देबेक तखन जाकै सभ लड़कीक देखैत छलै तखन ओकरा बड्ड रास समान आ पैसा देल जाए छलै। लड़काक बाप रातिमे बिआहक बाद लड़कीक देखैत कहलक रहै जीत गयौ मोर कान्हातखन जा कए लड़कीक बाप कहलक भोर भयो तब जानोकिऐक तँ लड़की जे छलै उ एकटा पैरसँ लाचार छलै। तँ जा कए लड़कीक बाप ढ़ेर रास टका पैसा दऽ कए अपन लड़कीक बिआह मास्टर लड़कासँ बिआह करबाक बड्ड खुश छलै। ते उ कहलक जे भोर भयो तब जानो। भोर होबेपर जखन लड़काक बाप कहलक कनेकटा लड़कीक खड़ा करू हम लड़कीक लम्बाई देखब तँ लड़की जब खड़ा भेल तँ लड़काक बापकेँ लागल जे हम हारि गेलो आ सभ बरियाती गण वापस अपन गाम मगंलवार चलि गेल। लेकिन ई एकटा कहानी बनि गेल। उ दुनू लड़का आ लड़की बड्ड खुश रहै लागल किऐक तँ उ मास्टर सेहाब छलै। अखन उ सुमरित हाई स्कूलमे हिन्दीक मास्टर छलै। आ बड्ड नीक मास्टर अछि। किएक तँ हमहुं उ मास्टरसँ पढ़ने छलौं।

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