Pages

Saturday, April 7, 2012

एलेक्‍सनक भूत :: राजदेव मंडल


राजदेव मंडल
एलेक्‍सनक भूत 

नि‍न्नक नि‍शामे मातल सूतल छी आ सपना देखि‍ रहल छी। जुलूस जा रहल अछि‍। इनक्‍लाब जि‍न्‍दाबाद.....।
राजनीति‍क पार्टी आ पाटीक तरफसँ ठाढ़ नेताक लेल वोट माँगएबला जुलूस। आगूमे नेताक बदला प्‍लाईवुडक आदमकद फोटो। दुनू जाँघक बीच मोटका लाठी धोंसि‍या कऽ फोटोकेँ ऊपर उठौने। गर्दमि‍सान करैत भीड़ नि‍कट आबि‍ रहल अछि‍। जितबे करता- जितबे करता, हमर नेता जितबे करता। नेताजीकेँ मारि कऽ गोली, बन्न नै कऽ सकत हमर बोली।‍
भीड़मे एक दोसरासँ पूछैत अछि‍- नेता जीकेँ गोली लगि‍ गेलै की?
हँ भाय, साँझमे। गोली तँ अजमा कऽ छातीमे मारलकै। लेकि‍न हुसि‍ गेलै। टाँगमे गोली लगलै। होसपि‍टलमे पड़ल छथि‍। इलाज चलि‍ रहल छै। तइ दुआरे नेता जीक फोटो लऽ कऽ प्रचार कऽ रहल छि‍ऐ।‍
सभटा एण्‍टी पाटीक कि‍रदानी हेतै।‍
हमर धि‍यान आदमकद फोटोपर अछि‍। आरे तोरीकेँ, ई फोटो तँ हमरे छी। हू बहू। लगल जेना हम उछलि‍ कऽ फोटोमे ढुकि‍ गेलौं। फोटोक बदलामे हमहीं ठाढ़ छी। आ ऊ अगत्ती छौड़ा लाठीपर टंगने हमरा ऊपर नीचाँ कऽ रहल अछि‍। दरदक अनुभव होइत अछि‍। बेसुमार दरद। हम ि‍चचि‍या रहल छी-
हे रौ, हमरा नीचाँ राख। एना कि‍ए नाहकमे जान लैत छँ।‍
भीड़केँ कोनो आँखि‍-कान होइत छै। के सुनत हमर कानब?
मुड़ी उठेलौं। आगूमे देखै छी जे एण्‍टी पाटीक कि‍छु लफंगा सभ घुरि‍या रहल अछि‍। कि‍छु लोकक हाथमे झण्‍डा आ डण्‍टा अछि‍। आ रे तोरीकेँ, ई सभ तँ डाँड़सँ पेस्‍तौल नि‍कालि‍ रहल अछि‍। कि‍यो बम पटकि‍ पड़ाएल।
धुम... धुम... धड़ाम।‍
सभ भागल जहि‍ंपटार। हमरा लाठी सहि‍त गन्‍हकैत नालीमे फेंकि‍ देलक। ओइ भभकैत नालीमे हम लसकल छी, नाक मुनने। हल्‍ला कऽ कहि‍ रहल छि‍ऐ-
हओ, ठाढ़ हुअ। हमरो संग नेने चलह।‍ कि‍न्‍तु के सुनत?
संकटकालमे तँ लोक केहनो प्रि‍य बेकतीक संग छोड़ि‍ दै छै। आ हम तँ नेता छी....। तँए हम तँ सबहक प्रि‍य। कि‍न्‍तु कि‍यो नै अबैत अछि‍। महकैत नालीमे धँसल जा रहल छी।
हे देव, डूबै छी। तँ हाथ पएर मारह। नालीसँ नि‍कलबाक लेल हाथ-पएर जोर-जोर चलेलौं।
स्‍त्रीकेँ झकझोरबसँ नि‍न्न टूटि‍ गेल। तामससँ थरथराइत पत्नी बाजि‍ रहल अछि‍-
दि‍न कऽ गारि‍ आ राति‍मे मारि। हमरा ई जि‍अ नै दैत। हम आब रहि‍ नै सकैत छी।‍
देखू एना नै बाजू। पड़ोसि‍या सुनत तँ की कहत। हमरा तँ मोने नै रहल जे घरमे अहाँ लग सूतल छी। हम तँ सपनामे कतएसँ कतए बौआ रहल छलौं। आब अहाँ जे कही।‍
अच्‍छा, अच्‍छा बुझलौं। भोर भऽ गेल छै। दुआरपर सँ कि‍यो सोर पाड़ि‍ रहल अछि‍। उठू, देखि‍यौ।‍
की देखबै। वएह सभ हेताह।‍
के सभ?
आइ तँ नमनेशन देबाक लेल जाइक छै ने।‍ संगे-संग जाइबला संगी-साथी सभ
ठीके तँ अछि‍। अहूँ नहा-सोना कऽ तैयार भऽ जाउ। चलि‍ जाउ सवेरे।‍
धुर, हमरा राजनेति‍ करनाइ ठीक नै लगैत अछि‍। ई कोनो नीक करम नै अछि‍।
हेओ, अहाँ सपनामे धसना खसैत तँ नै देखलि‍ऐ। आकि‍ एलेक्‍सनक भूत चाँपि‍ देलक। काल्हि‍ तक जइ‍ राजनेति‍क गुण-गान करैत छलि‍ऐ आइ ओकरा अधलाह कहै छि‍ऐ? स्‍वरकेँ अकानैत फेर बजली-
अच्‍छा जाइयौ, दुआरि‍पर सँ सोर पाड़ैत अछि‍।‍
हाथ-मुँह धो कऽ हम दुआरि‍पर पहुँचलौं। देखैत छी- गौआँ-घरूआ, संगी-साथी, कि‍छु नव सि‍खुआ नेता सभ एका-एकी दुआरि‍पर जमा भऽ रहल अछि‍। एकटा छोटका भीड़ सन। भीड़सँ स्‍वर नि‍कलि‍ रहल अछि‍-
अँए यौ, अखनी तक अहाँ तैयार नै भेलौं। कागज-पत्तर लि‍अ। आ जल्‍दी चलू। सभसँ पहि‍ले।‍
हाँ-हाँ सभसँ पहि‍लुक नमनेशन अपने सभक दाखि‍ल हेबाक चाही।‍
जल्‍दी नमगरहा कुरता लगाउ। अरे, मुँह की तकै छेँ। छि‍पगरहा लग्‍गामे झण्‍डा बान्‍ह।
हमरा ठाढ़े भेल देखि‍ एक गोटे बजल-
रौ तोरीकेँ, नेताजी अहाँ ठाढ़े छी। जल्‍दी करू। साम-दामक संग चलैक छै।
तैयो हम असमंजसमे ठाढ़ छी। पछि‍म भर सँ चटपटि‍या काका अपस्‍यि‍ाँत हइत पहुुँचल। भीड़केँ देखि‍ ओकर पएर ठमकल। ओ जोरसँ बजल-
हौ, एकटा गप्‍प बुझलहक। पछबरि‍या सड़कक कातमे एकटा नेताजीकेँ टांग-हाथ तोड़ि‍ कऽ राखि‍ देने छै। ओ नुए बसतरे सभ करम केने पड़ल अछि‍।
धुर सभटा फूि‍स। खाली झूठे बजै छी- अहाँ।
नै हौ, देखि‍ आबहक, अपनेसँ। कि‍रि‍या खा कऽ कहै छि‍अह। कुहरै छै। अखने पानि‍ पि‍आ कऽ एलि‍ऐ।
छोड़ ऐ गप्‍पकेँ। सभ एलेक्‍सनमे तँ अहि‍ना होइ छै। कतेक नेता मरतै-हारतै। अन्‍तमे जे बचत आ जीतत तेकरे राजति‍लक लगतै।
चलू बहादूर, डर नै राखू।
यौ ठकमुड़ी कि‍अए लगल अछि‍।
हमरा लगैत अछि‍- ई सभ आब नै मानत। हमरा जबरदस्‍ती ने लऽ जाए। हम कोनो शर्तपर नै जाएब। हमरा नस-नसमे डर ढुकल जा रहल अछि‍। मि‍टि‍ंगमे नेताजी कहने रहथि‍-
पहि‍ले शि‍क्षा प्राप्‍त करू। संघर्ष करू आ तब बढ़ू सत्ता दि‍स।
तँ कि‍ हम शि‍क्षि‍त नै छी। एकता करबाक लेल प्रयास करैत रहलौं। आब जे समए आएल तँ सत्ता प्राप्‍त करैक लेल कोशि‍शमे लगलौं। फेर ई डर कतएसँ आबि‍ गेल। लगैत अछि‍ तरे-तर कण्‍ठ मोकने जा रहल अछि‍। बेकार एलेक्‍सनमे ठाढ़ हेबाक हवा फैला देलि‍ऐ। सात दि‍नसँ सुनि‍ रहल छी- वि‍पक्षी सबहक गपशप। शाइत ऐ एलेक्‍सनमे हमर मौत लि‍खल अछि‍। गामक सम्‍पन्न आ दबंग मालि‍क सि‍ंहजी सेहो कहैत रहए- जे हमरा बेटाक एण्‍टीमे ठाढ़ हएत ओकरा साफ कऽ देबै।
चारि‍म दि‍न सि‍ंह जीक भाय हमरा समझाबैत कहने रहए-
हौ धि‍या-पुताकेँ पढ़ाबह-लि‍खाबह आ घर दुआरि‍ नीकसँ बनाबह। कि‍ए राजनेति‍क फेरमे पड़ल छह। राजनेती छि‍ऐ आन्‍हर बि‍हाड़ि‍। तोहर घर-परि‍वार तगतगर नै छह। ऐ बि‍हाड़ि‍मे अपनो उड़ि‍ जेबहक आ परि‍वारो नाश भऽ जेतह। तोरा पासमे राजनेति‍ करैबला सामरथ कहाँ छह। छोट जाति‍मे जनमल, छोट परि‍वारक लोक छह। तोरा बुत्ते ई नै हेतह।
लगैत अछि‍ हमरा धीया-पुता अनाथ भऽ जाएत आ पत्नी वि‍धवा। संगी-साथीक की हेतै। फाँटि‍पर तँ हम चढ़बै। धुर नै ठाढ़ हएब हम। कहि‍ दैत छि‍अह साफे-साफ। जोरसँ बजै छी-
हे यौ हम एलेक्‍सनमे नै ठाढ़ हएब। दोसरे गोटेकेँ ठाढ़ करू। हम समर्थन करबै।
सभ अवाक। भीड़ बजैत अछि-
गाछ चढ़ा कऽ छह मारै छेँ। कतौ मुँह देखेबाक जोग रहब हम सभ। नै, आब से नै हेतह। ठाढ़ हुअए पड़तह।
सोचै छी- हमरा पासमे बड़का माथ नै अछि‍। कनि‍यो हुसि‍ जाएब तँ जेल जाएब। आब हमरा भागए पड़त, दोसर कोनो उपाइ नै। देह जेना थर-थराए लगल। जोरसँ बजलौं-
हमरा बोखार लगि‍ गेल। अहाँ सभ चलि‍ जाउ। हमरा बुत्ते एलेक्‍सन लड़ल नै हएत।
ओतएसँ पड़ेलौं, ऑंगन आबि‍ बि‍छौनपर धाँइ दऽ खसि‍ पड़लौं। खि‍सि‍आएल लोक कि‍छुसँ कि‍छु बजैत एका-एकी जा रहल अछि‍। सभ चलि‍ गेल तँ निचेन भऽ नि‍साँस छोड़लौं। पत्नी लगमे आबि‍ हमरा नि‍हारि‍ रहल अछि‍। पुछलि‍ऐ-
एना कि‍अए तकै छी?”
बजलीह- देखै छी जे अहाँ मौगी छी की मरद। अहाँ एतेक मौगि‍याह छी, हमरा पता नै छल। आब तँ हमरा लाज होइए जे एहेन मौगाक संग केना कऽ जि‍नगी काटबै। अहाँ घरेमे रहू, एलेक्‍सनमे ठाढ़ हेबाक लेल हमहीं जाइ छी।कहैत ओ फुरतीसँ नि‍कलि‍ गेली। हमरा भीतरीमे जेना तूफान सन उठए लगल। मोनमे आबए लगल कि‍छु शब्‍द सभ- डेरबुक..... साफ कऽ देब...... बि‍हाड़ि‍..... परि‍वारक नाश..... सत्ता......... राजनेति............. मौगि‍याहा...........।
कि‍छु काल तक मोन औनाइत रहल। फेर जेना भीतरमे कि‍छु उगल। मेघकेँ फाड़ि‍ जेना सूरूज उगि‍ गेल हो। धड़फड़ा कऽ उठलौं। कुरता पहि‍रि‍लौं। झोरा कान्‍हमे लटकेलौं। आ ऑफि‍स दि‍स दौगैत जा रहल छी। मुँहसँ जोरगर स्‍वर स्‍वत: नि‍कलि‍ रहल अछि‍-
चलू जल्‍दी चलू। हम एलेक्‍सनमे ठाढ़ हेबाक लेल जा रहल छी।
फेर दौड़ए लगलौं। एतेक पछुआएल छी तँ दौड़हि‍ ने पड़त।

No comments:

Post a Comment