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Saturday, April 7, 2012

जीत- मानेश्वर मनुज



लोक गाममे रहए वा शहरमे सूर्य आ चन्‍द्रमा ओहिना उगैत छैक आ डुबैत छैक। सूर्योदय होइत छैक आ सूर्यास्‍त होइत छैक। साँझ होइत छैक आ भोर होइत छैक। दुपहरिया रौद आ बसातमे कोनो अंतर नहि होइत छैक। मुदा सुविधामे अंतर होइत छैक। विजुरी आ महल देखि गामसँ शहर आएल लोक छगुन्‍तामे पड़ि जाइत अछि। छगुन्‍तामे रघुवीर पड़ल छल। छगुन्तामे कमल सेहो पड़ल छल। जहाजक ड्यूटी ओहीमे सूतबबैसब। अहीमे सभ नित्‍य क्रियाकर्म। मुदा स्त्रीक दर्शन दुर्लभ। कहियोकाल केओ ककरो घुमबऽफिरबऽ अबैत छल तँ सभ देखिते रहि जाइत छलैक। कैसेट चलैत रहैत छलैक। बीचबीचमे एनाउन्‍समेन्‍ट होइत छलैक। ककरो बजाएल जाइत छलैक तँ ककरो काजमे लगाएल जाइत छलैक। ड्यूटीकेँ बादो केओ कोनो काज करऽसँ मना नहि कऽ सकैत छलैक। तैँ जहाजसँ बाहर नि‍कलि घुमबऽफिरबऽ आवश्‍यक छलैक।
कमल जहाजसँ निकलल आ मुम्बइयक महल, मुम्‍बइयक सड़क आ मुम्‍बइयक स्‍त्रीशरीरकेँ देखैत आगाँ बढ़ैत‍ जा रहल छल। मस्‍तीमे चलि रहल छल। कखनो रिजर्वबैंकक सामने पार्कमे बैसैत छल तँ कखनो म्‍यूजियमक सामने बसस्‍टेन्‍डपर कृष्‍ण चन्‍दरक कथाकेँ याद करैत छल तँ कखनो लवप्‍वाइन्‍टपर बैसि लघुकथा पढ़ैत छल। एक नजरि लघुकथापर तँ दोसर नजरि अगलबगलमे बैसल युगल जोड़ीपर रहैत छलैक।
युगल जोड़ी पहिने समुद्र दिस पीठ कऽ कऽ बैसल छल आ जेना जेना सूर्य समुद्रमे समाएल जाइत छल युगल जोड़ी समुद्र दिस घुमल जाइत छल। सूर्य डुबल। युगल जोड़ी समुद्र दिस घुमल। आगाँ बढि़ नमहरनमहर पाथरपर जा बैसल। जतए दसबीसटा प्रेमी प्रेमिका ओतै ओकर व्‍यवसाय करऽवाली सेहो। के कहैत अछि प्रेम न बारी उपजे प्रेम न हाट बिकाय। जकरा प्रेम करऽ नहि अबैत छैक सेहो प्रेम कीनि सकैत अछि।
कमल मंटोक कथा पढ़ि रहल छल। सभसँ प्‍यरगर बच्‍चा ओ अछि जे एखन धरि जमीनपर पैर रखलक नहि अछि। सभसँ प्रिय बात ओ अछि जे हमरा अहाँक कानमे एखन कहक अछि। जाहि हेतु हमर ठोर फुसफुसा रहल अछि; किन्‍तु एखन धरि अहाँसँ कहलहुँ नहि अछि।
बगलमे दूटा किशोरी बड़ स्‍वभाविक ढंगसँ गप्‍पसप्‍प कऽ रहलि छलि, जेना दूटा सुग्‍गा वेदक चर्चा करैत होए जे: वेद स्‍वयं प्रमाणित अछि कि एकरा प्रमाणित करक प्रयोजन छैक। किशोरी गप्‍प कऽ रहलि छलि जे प्रेम करब नीक बात छैक कि अधलाह। एक ओकर जवाब स्‍पष्‍ट शब्‍दमे जानऽ चाहैत छलि मुदा दोसर ओकरा सवालक जवाब किछु छिड़िआएल शब्‍दमे दैत छलि।
पहिने ओ बाजलि:प्रेम एक अधलाह काज छैक। फेर किछु प्रश्‍न कएलाक बाद बाजलि:किछु सीमा धरि रहलासँ प्रेम एक नीक काज छैक। आ अंतमे एहि बात पर आएलि जे प्रेमसँ बढ़ि कऽ जीवनमे छैहे की। जी भरि कऽ प्रेम करू। अइमे कोनो पाइ खर्च होइत छैक। दुनियाकेँ अहाँ कने प्रेमक नजरिसँ देखियौक। दुनियोँ अहाँकेँ प्रेमक नजरिसँ देखत। प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाय, राजाप्रजा जेहि रूपें बँटिबाँटिकेँ खाए।
पहिल पुछलकैक: देखला आ सुनलासँ प्रेम भऽ जाइत छैक; मुदा कि एतवासँ संतुष्टि भेटैत छैक आदमीकेँ? एना कऽ पहिल दोसरासँ एकपर एक सवाल करैत छलि आ चालाकीसँ दोसरक पेटक बात निकालि नोट कएने जा रहलि छलि। सभ बात ओ दोसराक पेटसँ निकाललाक बाद ठहक्का दऽ कऽ हँसऽ लागलि आ दोसर नम्बरक किशोरीसँ कहलक:तेँ नीक जकाँ अइमे रमलो छाँह आ हमरासँ सभ बात छुपबैत रहलाँए हाँ। आब सत्त कह जे तोँ ककरासँ प्रेम करैत छाँह आ एखन तक तोँ कहाँ धरि पहुँचलाँ हाँ?’’
कमल पाँछौ घुरि तकलक। सूर्य बाँस भरि पानिमे चलि गेल छलैक। कमल आ ओइ दुनू किशोरी छोड़ि सभ केओ अप्‍प्‍न मुँह समुद्रक अन्‍हार दिस कऽ लेने छल आ युगल जोड़ीसभ एक दोसराकेँ कसि कऽ पकड़ि रहल छल। कमल दुनू किशोरीक बात सुनि रहल छल; मुदा जखन ओ दुनू बात करिते ओतँसँ उठि गेलि तँ ओहो उठि कऽ सड़कक कात पार्कमे जा बैँचपर एसगर बैसि गेल। सामनेक बैँच सभपर कतौ दूएकटा स्त्री आ दूतीनटा पुरूषक एक संग बातचित कऽ रहल छल। सामने एक ठाम एक पुरूषक संग दूटा स्‍त्री  छलैक। दुनूस्‍त्री पुरूषक दुनू कात एक संग घासपर बैसल छलैक।
कमलकेँ याद अएलैक गामक ओ गप्‍प। जखन ओ परिक केश पकड़ैत छल तँ शशि टीक पकड़ि लैत छलैक आ जखन परिकेँ छोड़ि शशिक केश पकड़ैत छलि तँ ओम्हरसँ परि बाँहि पकड़ि घिचैत छलैक। ताहिपर ओ खिसिया कऽ परिक गाल पकड़ैत छल। तखन शशि गरदनि पकड़ि लैत छलैक। एना कऽ दुनू ओकरा उछन्‍नर दैत छलि ताहिपर ओ खिसिएबाक नाटक कऽ दुनूक अंगअंग संग खेलौड़ करैत छल। एक बेर परिक हाथ मचोड़ि जमीनपर खसाए देने छल आ हाथदुनू पकड़ि लेलकैक। फेर परिकेँ छोड़ि शशिकेँ जमीनपर ओघरा टाँग पकड़ि घिसियाबऽ लागल छल। खेल खतम हेवाक नाम नहि लऽ रहल छलै। गाल बाँहि कि आब ओ एकाएकी दुनूक छाती तक चलि जाइत छल। परि हारब नहि सिखने छलि। मुदा शशि बीचबीचमे तंग आबि परिसँ मदैत मँगैत छलि आ परि शशिकेँ छोड़बऽ जाइत छलि, मुदा स्‍वयं ओकरा हाथमे आबि जाइत छलि। परिकेँ पीठ भरे जमीन पर लेटाए दुनू हाथ पकड़ि कि दुनू पैर पकड़ि घिचलासँ ओकरा साइत क्रँलिंग करऽमे नीके लगैत छलैक। पकड़ि कऽ घिचलाक बादो ओ हारि मानऽवाली नहि छलि आ तीनू लगातार हँस्‍सीक आ आनन्‍दक चरम उत्‍कर्ष तक बढ़ल जा रहल छल।
शशि आ ओ पूर्ण परिचित छल। ओकरा दुनुक बीच एहि तरहक कोनो लज्‍जयाक बात नहि छलैक। ओ शशिकेँ संग औपचारिकता करैत छल आ चाहैत छल जे परि हारि मानि ओकर चोराएल चप्‍पल दऽ दियाए। एहि बेर ओ परिक देहपर पड़ि ककुड़ा बना शक्तिविहीन कऽ देलक।
शशि चिचिया उठलि: अहिरे दैवा। बीच अङनामे। जुलुम भऽ गेलै। मुदा नहि। परि साड़ीकेँ धोती बना अपना शरीरकेँ पूर्ण सुरक्षित रखने छलि आ एना जाँघमे केँच लगाए देलाक बादो ओ जीतऽ नहि देलकैक आ अंतमे वैह हारि मानि पाएरक चप्‍पल ओतै छोड़ि चलि देलक। दूनू जीतऽ नहिए ने देलकैक। ओकर जिद्द चकनाचूर भऽ गेलैक
रातिमे जखन दुनुक मिलन अपना घरमे भेलैक तँ शशि पुछलकैक: अपना घरमे भेलैक तँ शशि पुछलकैक: आइ बीच अङनामे अहाँ परिकेँ किछु बाँकी नहि रखलियैक
पार्कमे तहिना एक पुरूष आ दूटा स्‍त्री प्रेमालाप कऽ रहल छल। पुरूष जखन एककेँ पकड़ैत छल तँ दोसर छोड़बैत छलैक आ जखन दोसरकेँ पकड़ैत छलैक तँ पहिल छोड़बैत छलैक। एहि क्रममे पुरूष दुनुक अंगअंग तक जाइत छल आ तहिना दुनूस्‍त्री सेहो।
कमलकेँ ओइ तीनूक खेल देखैत देखैत आकच्‍छ लागि रहल छलैक मुदा ओकर सभक खेल समाप्‍त नहि भऽ रहल छलैक। प्रतिपल उमंगउत्‍साह आ उत्तेजना नव अनुभूतिक हेतु आगाँ बढ़ले जा रहल छलैक। एक बेर एक दिस मुड़ल फेर दोसर दिस। एक स्‍त्री छोड़बक बहन्‍ने अपना दिस घिचैत छलि आ जखन देहस्‍पर्शक आनन्‍दक चरमउत्‍कर्ष दिस जाइत देखाइदैत छलैक तँ दोसर ईर्श्यावश ओकरासँ पुरूषकेँ हेट करैत छलि आ अपना दिस घीचि लबैत छलि। ई क्रिया त्‍वरित गतिसँ लगातार दोहराएल जा रहल छल, मुदा समाप्‍त नहि भऽ रहल छल। कमल सोचि रहल छल जे ई सभ एतँसँ कतऽ जाएत से देखी। कोनो घर दिस जाएत कि होटल दिस जाएत कि गाड़ीमे बैस चलि जाएत। मुदा समय जखन बहुत आँगा बढ़ि गेल छलैक आ ओ सभ ओतँसँ उठि नहि रहल छल तँ स्‍वयं सभ प्रश्‍न ओतै छोड़िअपना जहाजक लेल रस्‍ता नपलक। काल्हि सेलिंग छलैक। दू मास तक मुम्‍बइयक सड़क, मुम्‍बइयक महल आ अत्‍याधनिकफैशनसँ रंगलढ़ंगल युगलजोड़ीकेँ नहि देख सकत।
मुदा नहि जहाजक सेलिंगक प्रोग्राम करीब पन्‍द्रह बीस दिनक हेतु स्‍थगित भऽ गेलैक। आन दिन ओ कोनो साहित्यिक पत्रिका हाथमे लेने एसगर घुमैत छल। कतौ कोनो गाछ तर बैसैत छल कि लगातार दूरदूर चरि चलिते रहैत छल। आइ रघुवीर आ ओकर संगी इरफान कमलकेँ संग कऽ लेलक, ओतँ हेतु जतँ ओ दुनू बरमहल जाइत छल आ एक बस मात्र ओकरा दुनूकेँ सही जगहपर उतारि दैत छलैक।
कोठापर सोफा लगाएल छलैक। तीनू बससँ उतरि सीढ़ी चढ़ल आ सोफापर जा बैस गेल। देहश्रमिक सजिधजि कऽ देह सुन्दरी बनलि छलि। एकएकटा रघुवीर आ इरफानक बगलमे बैस गेलि। ओ सभ पूर्व परिचित छल। अपना प्रोग्रामक अनुसार एकएकटाकेँ हाथ पकड़ि दबौलक। यानी आइ तोरा चुनि लेलियौक। आ इशारा केलकैक आँगा बढ़क हेतु।              
नम्हर हाँलमे नेवार मढ़ल लोहाक खाट लगाएल छलैक। थोड़ेक काल ओ दुनू गप्पसप्प केलक आ नर्स जकाँ मरीजकेँ देखक हेतु खाटकेँ चारू दिससँ डंटा ठाढ़ कऽ परदा लगौलक  रघुवीर एक खाटक गद्दापर जा बैस गेल। इरफान सेहो दोसर खाटक गद्दापर जा बैस गेल। दुनू देहसुन्‍दरी रतिक्रियाक हेतु खाटपर चलि गेलि। थोड़ेक काल गप्‍पकएलक आ फेर गद्दापर पड़ि रहल। रघुवीर ओकरा देहक संग खेलब शुरू कऽ देलक। इरफान सेहो दोसरक संग आइ नव अन्दाज आ उमंगसँ खेलब शुरू कऽ देलक। दुनू दिलक मरीज बराबर ओतँ थोड़ेक शांतिक एहसास लैत छल। इरफान अपना उद्वेगक संग आतुर छल मुदा ओ, सीमा अप्पन मूड़ी परदासँ बाहर निकालि सिगरेट पीबऽ लागलि। ओकर गरदनि सेहो खाटसँ बाहर लटकि रहल छलैक। कमल ओम्‍हरे बैसल छल। ओ पूछि बैसलैक: भऽ गेलैक? “तँ जवाब देलकैकनहि।
कमल ओतँसँ उठि सीढ़ी दिस बढ़ल जे निच्चाँ उतरि आब बसेस्‍टेन्‍डपर इन्‍तजार कएल जाए। ताबे एक देहश्रमिक निच्चासँ उप्‍पर आबि रहल छलैक। छोटगोरनार मुदा कठगरि। तनल छाती देखि कमल अप्पन हाथ लपका जकाँ बढ़ा देलक आ आधा सीढ़ीसँ निच्चाँ उतरऽ लागल कि ओ ओकरा माथपर उपरेसँ हाथ मारलक। ताबे ऊपरसँ दुनू मालती आ सीमा आबि गेलैक आ पुछलकैक: की भेलौक गई? “तँ कहलकैक सीढ़ीपर पटसँ लपकि लेलकाए। पइसा बचा कऽ राखत आ मगनीमे मजा लेत
इरफान आ रघुवीर ताबे बाथरूममे साफ ----------सफाई कऽ रहल छल।
सीमा कहलकैक: हँम तँ एहीलाए एकरा निच्चाँसँ ऊपर बजौलियैक। हम सभ तँ अहीँ सभक छी ने। एतँ किछु करू अपराध नहि मानल जाएत। बाहरमे ई सभ अपराध छैक। कतौ ताकि झाँकि देबैक से अपराध। धक्का देबैक तँ अपराध आ एना लपकबैकझपटबैक तँ से अपराध मानत। मुदा एतँ पाइ खर्च करू आ आनन्‍द लिअऽ। एतँ अहाँ बलात्‍कारी नहि कहाएब। लोक कमाइखटाइए कथी लाए?  ई पसंद अइ तँ ई अहीकेँ अइ। लऽ जाऽ एकरा आ करेजापर चढ़ि मड़मड़ा दिअऽ। एतँ केओ शर्माएत नहि। केओ लजाएत नहि।
ओहो सीढ़ीसँ ऊपर चढ़ऽवाली कहलकैक :हाँ तँ। ठीके तँ कहैत अइ।
ताबे रघुबीर आ इरफान आबि गेल। दुनू पुछलकैक ओकरा सँ ;की भेलैक?
कमल कहलकैक: चल, आगाँ कहबौक। आ तीनू ओतँसँ विदा भऽ गेल। आ अपना अपना स्‍थानपर गेल।
एक दिन इन्‍सटीच्यूट क टेरस पर कमल मदनक संग दू ग्‍लासमे रम भरि पहुँचल। मदन कमलकेँ अपना राधाक विषय घंटाघंटा किछु सुनबैत छलैक। जिनगीक अनेक पक्षपर ओ ओकरा कहैत रहैत छलैक, मुदा कमल घोटँ भरैत छल कथा जगतक अथाह सागरमे डुबकी लगबऽलाए। ओ मदनकेँ कथा तत्‍व आ किछु उत्‍कृष्‍क कथाक विषय कहऽ लगलैक। मुदा मदन ओकरा मुँहपर हाथ धऽ राधाक विषय कहऽ लागल। ओकर ओ कथा सत्‍य कथा छलैक। पहिल बेर जखन राघा भेँट भेल छलैक तँ ओ ओकर हाथ दिस तकलक हाथ सुन्‍न लगैत छलैक। बाजल:–“एक दोकानमे एतेक सुन्‍दर चूड़ी सभ देखलियाए जे मोन ललचा गेलाए। ओ चूड़ी तोराँ हाथमे खुलतौक
ताहिपर राधा कहलकैक: हमरा कतँसँ पाइ आएत”? ताहिपर मदन चट्टसँ जेबीसँ बीस रूपैया निकालि कऽ देलकैक आ कहलकैक, जो, ओइ दोकानमे चूड़ी पहिर ले गऽ
राधा खुशीसँ रूपैया लऽ लेने छलैक आ चूड़ी पहिरि आएलि छलि। आ मदनक एहि उपकारसँ ओ बहुत खुश छलि। कतौ मदन जाइत अबैत छल तँ राधा दौड़ि जाइत छलि। ओ ओकरापर आकर्षित भऽ गेलि छलि। दुनूक बीच चारिपाँच साल प्रेम रहलैक मुदा बादमे राधा ओकरा संग प्रेम तोड़ि लेने छलि; एकरे तड़प छलैक मदनक मोनमे। मदन तैँ कहि रहल छलैक जे आजक जीवन अनिश्‍चतासँ भरल अछि।
चारू दिस पाथर जकाँ सिर्फ धोखेधोखा पड़ल अछि। सदिखन ठेस लगबाकसँ भावना अछि। प्रेमोमे धोखा छिपल रहैत छैक। आजुक जीवन सिर्फ सत्तपर आश्रित नहि अछि। जीवनमे छल आ संदेहक अहं भूमिका छैक। चिड़ै कखन केमहर घूमि जाएत, हवा अप्‍पन रूखि कखन बदलि लेत, मालजाल कखन बमकि जाएत आदमी नहि जनैत छैक।
मदनकेँ भावुक भेल जाइत देखि कमल फेर कथाजगतक बात उठौलक। ताहिपर मदन कहलकैक: हमरा कोन काज अछि कथा जगतसँ; हमरा कोनो लेखक बनक अछि। हम तँ अप्‍पन जिनगी जिबैत छी। हमरा कोन काज अछि कल्‍पनासँ। हमरा कोन काज अइ अइ सभसँ।
मदन ओकरा बातकेँ काटि दैत छलैक तैँ ओ लगातार घूँट लैते गेल छल आ तहिना मदन राधाक गममे डुबल जाइत छल।
दुनू तरमराइत ओतँसँ उठल आ बाहर निकलल आ चलैतचलैत सोझे सिनेमा हॉलक सामने जा कऽ ठाढ़ भऽ गेल। थोड़ेक काल दुनू पोस्‍टर देखलक। मदन कहलकैक: हम तँ सिनेमा देखब।
कमल कहलकैक, हमरासँ सिनेमा हॉलमे तीन घंटा बैसल पार नहि लागत। ई सिनेमा हॉल नहि जेल अछि। हम एहिमे बन्‍द नहि होएब। बाँकी दुनियाँ कतेक सुन्‍दर छैक! कतेक फलल फूलल छैक! कतेक हरियरहरियर छैक! हम एहि फुजल दुनियाँमे रहब। केम्हरोसँ हवा चलैत छैक, तँ केम्‍हरोसँ विजुरी चमकैत छैक। केम्‍हरीसँ मेघ उठैत छैक तँ केम्‍हरोसँ वर्षा शुरू भऽ जाइत छैक। एकरा कहैत छैक फुजल दुनियाँ। पक्षी सन स्‍वतन्‍त्र दुनियाँ। आकाशमे जतँ तक जेवाक होए चलि जाऊ। जल आ जमीनसँ खेल करब।
ओ हँलसँ बाहर निकलल तँ बदबदा कऽ वर्षा शुरू भऽ गेलैक। कमल देखलकसड़कपर पाँनि लागि गेल छलैक, मुदा ओ सोचलक जे ई पानि अप्‍पन प्रोग्राम नहि बदलि रहल अछि तँ हम अप्पन प्रोग्राम केएक बदलू। वर्षा होइत रहत आ हम चलैत रहब।
चम्‍पा रघुवीरकेँ बॉहिमे पजिया रूममे लऽ जाइत छलैक। जॉघपर बैसि गरदनि पकड़ि धरि रूममे रहैत छलि ओकरा संग। बाहर एलाक बादो ओकरा बगलमे सटि कऽ सोफापर बैसैत छलि। बिदा हेबाक काल फेरसँ पाँच मिनटक लेल अढ़मे लऽ जाइत छलि आ ओकर दुनू हाथ पकड़ि अपना करेजापर रखैत छलि आ ओकरा विदा कऽ खिड़कीसँ बहुत बहुत काल धरि ओम्हर निहारैत रहैत छलि। कमलकेँ दोस्‍त सभ अप्‍पन पर्सआइडेन्‍टी कार्ड आ अउठीकेँ सम्‍हारि कऽ राखक हेतु लऽ जाइत छल। कमल रिसिप्‍सनमे चुपचाप बैसल छल। ओतुक्का स्‍टन्‍डर्ड किछु अधिक छलैक। फ्रिज, टी.वी., वाथरूम, एयर कूलर आ ए.सी. रूम सभक व्‍यवस्‍था छलैक। एक गोटे एकटा छौड़ाक संग एलैक आ किछु पीबाक आर्डर दैत अन्‍दर घुसि गेल आ कहलकैक ओकरा सभक हेडकेँ—संगमे एवाक हेतु। ओ सभ चीज लऽ अन्‍दर गेलैक आ वापस हँसैत अयलैक आ बाजलि: आइए छड़वेक दिन खराप छन्हि।
कमलक बगलमे परि सन एक देहश्रमिकसुन्‍दरी आबि कऽ बैसि गेलैक आ ओकर हाथ पकड़ि लेलकैक आ ओकरा हाथक आँगुरमे अप्‍पन आँगुर सन्हिया देलकैक। कमल ओकरासँ ओकर नाम, ठेकान, पता, इत्‍यादि पुछऽ लगलैक। ओ बुझौएल जकाँ छछीचीलगा कऽ एक अजीब सन भाषामे ओकरासँ पूछि रहल छलैक आ ओ ओही भाषामे हँसिहँसि कऽ जवाब दऽ रहल छलैक।
कमल कुर्सीपर बैसल छल। ओ ओकरा जाँघपर आबि बैस गेलैक आ दोसरो हाथक आँगुरमे आँगुर सन्हिया देलकैक। कमल निजीर्व जकाँ अपना शरीरकेँ स्थिर रखने छल आ ओकरा शरीरमे उत्तजेना भरऽ चाहैत छलि।
ओ कहैत छलैक जे ओ सभ गरीब अइ। बाप मास्‍टरक काज करैत छैक। दीदी नम्हर शहर देखबऽ लाए अनलकैक आ कहलकैक किछु दिन छोटछिन काजो कऽ ले घरभाड़ाक। मुदा ओकरा आदमीकेँ प्रसन्‍न करक काज लगा देलकैक। आदमीकेँ प्रसन्‍न करैत ओकरा सुख भेट रहल छलैक आ ओ बजैत छलि जे ओ ओतँ बड्ड खुश अछि। दीदी मानैत छैक1 कथुक दुःख नहि छैक। अप्‍पन मानैत छैक। कहियो काल बाहरो जाइत अछि। केओ अप्‍पने घर लऽ जाइत छैक तँ केओ होटल। जहाजमे सेहो जाइत अछि। तीन दिन ओहीमे रहल अछि। बहुत पाइ कमौनी छलि। आब कतौ अबैत जाइत डर नहि होइत छैक। कहियो काल सजिधजि कऽ सिनेमा सेहो जाइत अछि।
ओ कमलक जाँघपर मोटर साइकिल जकाँ पैर फैला कऽ बैसलि छलि। ओ कमलकेँ कसि कऽ पजिया कऽ पकड़लक आ छातीकेँ छातीसँ मिलौलक। कमलक शरीरमे कोनो तरहक उत्तेजना नहि अएलैक। ओकर दुनू हाथ प‍कड़ि कपड़ाक तरसँ अपना छाती
धरि लऽ गेलि आ ओकर तरहत्‍थीक ऊपर अप्‍पन तरहत्‍थी रखने रहल। कमल ने तँ ओकरा किछु करऽसँ प्रतिवाद करैत छलैक आ ने कोनो तरहक उन्‍माद देखबैत छल। ओ पाँछा दिससँ हुक छोड़ा लेलक। कमल हाथ हटबक कोशिश केलक तँ चट्टसँ ओकर हाथ पकड़ि लेलक आ ओकर हाथ अपना छातीपर लऽ गेलि। आब ओकरा लगलैक जे कमल हाथ हटबक कोशिश नहि कऽ रहल अछि। हाथ छोड़ि देलोपर हाथ ओतेँ रखने अछि। ओ अपन हाथ कमलक दुनू जाँघक बीच सन्हिया देलक। एहि क्रियासँ कमलक आँगुर नहूँनहूँ गतिमे आबऽ लगलैक। ओ प्रायःकमलक हाथ अपना शरीरक सभ क्षेत्र तक लऽ गेलि छलि तहिना ओ बहुत देरी तक अप्‍पन हाथ ओकरा सम्‍पूर्ण शरीरकेँ टटोलैतउत्तेजित करैत असफल देखल जाइत छलि। ओकर दीदी ओकरा अपस्‍याँत देखि धूपदीपक संग कामदेवकेँ प्रसन्‍न करबाक हेतु नाचऽगाबऽ लागलि। ताबे इरफान आ रघुवीर रूमसँ निकलि गेल छल। आ ओ निराश भऽ मुँह विधुआ कऽ अलगबैस गेलि छलि।
हारि कऽ दोस्‍त सभकेँ कहलक: एकरा कहकने चलक हेतु। ताहिपर रघुवीर डाँटि देलकैक: फाल्‍तू परेशान किएक करैत छही। ई अहिना हमरा संग आएल छल।
जाए काल ओकर दीदी गातिर देलकैक: हिजरा नहि तन। ताहिपर ओ जवाब देलकैक: नइ गइ! से बात नहि छैक। ताहिमे तँ धाकर अछि मुदा की जानि एना किएक भेलैक।
एना किएक कऽ रहल छैक से रधुवीर नीक जकाँ जनैत छल। मेडिकल कॉलेजक जिमना जियमक बगलक घटनासँ कमल बहुत दु:खी छल आ ओ ओहने गलती फेरसँ दोहराबऽ नहि चाहैत छल जिमनाजियमक बगलमे रेललाइनसँ सटल एक साधारण साड़ीमे ठाढ़ि एक समवयस्‍काकेँ देखलक तँ बुझेलैक जेना ओ ओकरे गामक पनिभरनी होइक। ओ पुछलापर सैह कहलकैक जे मालिक गामसँ लऽ अनने छथि घरक काज करक हेतु। मोन एसगरि नहि लगै‍त अछि तँ एम्हर आबि जाइत छी। ओ जगह लवप्‍वाइन्‍टक लगेमे छलैक। कमलक मोनमे सेहो लवक बात आबि गेलैक मुदा झाँझ उन्‍हारि भऽ गेल छलैक। ओकरा ओ जामुन बिछैत मालती लगलैक। ओ गाछीमे मालतीक पेटक चमड़ी पकड़ि दवा देने छलैक आ अपने हाथसँ जामुन नहि बीछि ओकरा खोइछामे सँ जामुन मंगैत छलैक आ जामुन लेबक बहन्‍ने ओकर नाभि स्‍पर्श करैत छल। मालती एसगरि छलि तैँ डेरा कऽ भागि गेलि छलि। मुदा ओकर हाथ पकड़लाक बादो ओ डेराएल नहि छलि, मुदा पुलिसकेँ देखि कमल ओतँसँ चलि देने छल। ओ रोकैत रहि गेल छलैक। कहैत रहि गेलि छलैक जे हवलदारसँ नहि डेराइ। ओकर बोल कमलपर नशाक काज कएने छलैक आ दोसरो दिन ओ कनेक्शन देरीसँ ओतँ चलि गेल छल। ओ कमलकेँ भांङ आ भाटिक बीच अढ़मे लऽ गेल छलैक। कमल किछु नहि बुझि रहल छल जे ओ ओकरा कतॅं लऽ जा रहल छलैक। ओ ओकरा जेबीसँ पर्श निकाललक। दू एकटा फोटो छलैक, किछु कार्ड आ किछु रूपैया। ओ सभ रूपैया गनऽ लागलि आ गनि कऽ ओकरा वापस कऽ देलकैक आ कहलकैक: एहिमे सँ हमरा चालीस रूपैया दिअऽ? “
ओ पुछलकैक, किएक?’’
नहि, अबलाकेँ किछु देबक चाही। हम सभ अबला छी। पाइ देलासँ पाप कटित होइत छैक ने तँ श्राप पड़ैत छैक। ई सभ हमर मजूरी अइ।
’’ ओ कहलकैक देब ने, एखन तँ बैसवे कएलहुँ अछि।
ओ बाबू, बौआ कहि तेना ने परतारि चुचकारि कऽ कहलकैक जेओकरा भेलैक जे अपन करेजो काटि कऽ दऽ दियैक। ओ पाइ निकालि कऽ दऽ देलकैक।
ओ अप्‍पन बलाडजक बटन खोलि ओकरा जाँघपर मूड़ी धऽ सूति रहलि छलि। ओकरा भेल छलैक: लवकेँ लिए कुछ भी करेगा। ओकरा ओ बिनु बियाहलि काँच कुम्‍मरि लागल छलैक जे ओकरापर तनमनसँ न्‍योछावर छलैक।
रघुवीर कहने छलैक: तोँ सभसँ स्नेह रखैत छही ताहीपर तोरापर द्रवित भऽ जाइत छैक। जो जाहुकेँ सत्‍य स्नेहु, प्रभु कृपा मिलहुँ न कछु सन्‍देहु। हम पाँचे बजेसँ ओकरा ताकि रहल छिऐक मुदा हमरा ओ नहि भेटल आ तोरा भेट गेलौक। मुदा ओकरा बादमे पता चललैक जे एम्हरआम्हर जे ठाढ़ रहैत अछि गन्‍दगीक कारण बीमारीसँ ग्रसित रहैत अछि। एकरा सभकेँ गामक गोरी नहि बुझियैक,
कमल वर्षामे भिजैततितैत खतराक बिना पर्वाह कयने एस्गर ओकरासँ मिलऽ चाहैत छल जे ओकरा उत्तेजित करक ओतेक प्रयास कएने छलि आ विफल भऽ गेलि छलि। ओकर दीदी ओकरा हिजरा कहने छलै तँ वैह ओकरा दिससँ ओकरा लेल बाजलि छलि जे ई तँ धाकर पुरूष अछि, मुदा नहिजानि एना किएक भऽ रहल छैक।
आइ ओ अपना आपकेँ ओकरा समर्पित कऽ देबऽ चाहैत छल। मुदा लाख कोशिशक बादो ओतँ नहि पहुँच सकल। ओ तँ रघुवीर छल जे एक बेर ओतँ ओकरा ईगलीओ गली घुमवैतफिरबैत लऽ गेल छलैक। ओकरा कोनो रोड आ गलीक ध्‍यान नहि छलैक। वर्षा नाली आ अन्‍हरविहारिक चिन्‍ता तँ ओ नहि कएने छल।
लौट कऽ एक बजे रातिमे सुराक्षित अपना घर यानी जहाजमे आएल। भिजलतितल पेन्‍टशर्ट आ जुत्ता निकालैत लगलैक जे: वाह! आइयो हम जीत गेलहुँ। नशामे केहन खोँट बात मोनमे आबि गेल छल आ केहन खतरनाक प्रतीज्ञा लऽ लेने छलहुँ जेपानि, विहाडि़ आ अन्‍हरसँ की हम हारि जाएब आ एकरा डरे सिनेमा हॉलक बन्‍द वातावरणमे अपना आपकेँ तीन घंटाक हेतु कैद कऽ देब। ओकरा कहाँ बुझल छलैक जे एतँ पूराकपूरा बसट्रक आ कार पानिमे कहियो डूबि गेल छलैक। ओकरा कहाँ बुझल छलैक जे एतँ पानि बहक हेतु सेडक निच्चा केहनकेहन नाला छैक। आइ तक कतेक की घटना आ दुर्घटना एतँ भेल छैक ओकरा थोड़े बुझल छलैक। तथापि ओ अपना बेडपर गेल तँ लगलैक: वाह हम योद्धा छी’’ गलत राहपरपैर राखियो देलाक बाद ओकर आत्‍मा ओकरा गलत काज नहि करऽ देतैक। भोरमे सूर्य उगलैक तँ ओकरा नव संसार देखाइ देलकैक। वाह! गॉड ऑफ विग थिन्‍गस।
एक सालक बाद ओ‍ही जगहपर अपनाकेँ आया कहऽवालीसँ ओ पुछलकैक: अहाँ हमरा चिन्‍हैत छी? “ तँ चट्टसँ जवाब देलकैक, अहाँकेँ एक्के सालक बाद बिसरि जाएब। ओकरा आश्‍चर्य लगलैक। ओतेक ओतेक लोकसँ ओकरा सभकेँ मुलाकात होइत छैक मुदा एखन धरि कमलकेँ याद रखने अछि।
पचीसछबीस वर्षक बाद समुद्रक कात ओ अपना स्‍मृतिकेँ ताजा करक हेतु बैसल छल तँ सभ बात माथमे नाचऽ लगलैक आ ओकर माथ दर्दसँ फाटऽ लगलैक। ओ ओहिना सड़क पर दूटा किशोरीकेँ जाइत देखलक। एक मोटकी आ एक पतरकी। सोचलक: ई सभ ओकर सभक बेटी भऽ सकैत अछि।
ओ गाम गेल। ओकरा होइत छलैक जे एतेक दिनुका बाद परि ओ सभ बात विसरि गेल हेतैक। एक दिन ओ पुछलकैक: याद अइ की बिसरि गेलहुँ: हमर सभक खेल।
परि चट्टसँ जवाब देलकैक: हाँ, देखलहुँ जीतऽ नइँ ने देलहुँ। आ ओकर करेजा तनि गेल छैलैक।

           

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