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Monday, April 9, 2012

सुनीता ठाकुर - अपहरणक सच



वर्ष २००३ सितम्बरक घटना अछि। हमर पितियौत भाय श्री राजीव कुमार इंटरमीडिएटकेँ छात्र छलथि संगहि मेडिकलकेँ तैयारी सेहो करैत रहैथ। ओ पटनाक बोरिंग रोडमे एकटा भाड़ाक मकानमे संगीक संग रहैत छलाह। १५ सितम्बरक दिन हुनका एकटा संगी आशीष हुनके संगे रहैत रहए हुनका ठगि कऽ लऽ गेल जे चलु गया घुमि आबए लेल। राजीब संगीपर विश्वास कऽ हुनका संगे गया लेल बिदा भेलाह। दुनु गोटे रिक्शा पकड़ि पटना स्टेशन पहुँचलाह। ट्रेनमे बैसलापर किछु दूर गेला कि बगलमे एकटा लड़का आबि कऽ बैसि गेल। राजीब छलथि सीधा लड़का ओ किछु बुझि नहि सकलाह। किछु दूर गेलापर दूटा लड़का आ ओर बगलमे आबि कऽ बैसि गेलनि। आशीष कहलखिन जे ई सभ हमरे संगी छथि। राजीब सोचलनि जे ठीक छैक सभ गोटे संगे गया जाएब तेँ मोन लागत। मुदा ओ कि बुझताह जे ई सभ हिनकर जीवन बर्बाद करबाक तैयारीमे छथि। ट्रेनमे सभ खूब बातचीत करैत जाइत गेलाह। बहुत दूर गेलाक बाद राजीब पुछलखिन जे एखन धरि गया नहि आएल तँ आशीष कहलनि जे देखियो ने राजीव हमर भैया सीवानमे रहैत छथि, हुनका हमरासँ कोनो जरूरी गप करबाक छनि फोन केलथि जे पहिने सीवान आऊ ताहि द्वारे पहिने चलु भैयासँ भेंट कऽ लैत छियैन, तकर बाद गया चलब। राजीबसँ बुझि सीवान पहुँचलाह मुदा ओ सभ गोटे एकटा होटलमे नास्ता कएलनि। नास्ताक समए मिठाईमे बेहोशीक दवाई मिला कऽ राजीवकेँ खुआ देल गेल। मिठाई खाइत देरी ओ बेहोश भऽ गेलाह। तकर बादक घटना ओ किछु नहि बुझि सकलाह। संगी सभ मिल कऽ हुनका देवरिया (यू.पी.)मे अपहरणकर्ताकेँ गिरोहमे दऽ देलनि। राजीवक पिता कटिहारमे कोनो साधारण नौकरी करैत छलाह। राजीवक फोन नहि लगलनि तँ ओ चिंतित भेला आ पुनः अपन पैघ भाय जे कि पटनामे रहैत छथिन हुनका लग एलथि। पूरा परिवार चिंतामे डुबल छ्लाह मुदा राजीवक कोनो खबरि नहि लगलनि। सभ बहुत घबरा गेलाह। पुलिस स्टेशन जा कऽ रिपोर्ट लिखैलनि। बहुत ठाम पता लगैलथिन मुदा किछु पता नहि चलल।
चारि दिनक बाद सांझ कऽ अपहरणकर्त्ता फोन कएलक आ राजीवक पापाक कहलनि जे अहाँक बेटा हमरा लग अछि अहाँ २५ लाख टाका लऽ कऽ आऊ, तखन अहाँक बेटाकेँ छोड़ब। ई सुनि राजीवक पापा कहलथिन जे हम साधारण आदमी छी, एतेक टाका कतयसँ आनब। आ बहुत चिंतित भऽ गेलाह। ओहि बेचाराक दुटा बेटीक बिआह करबाक रहनि, कतयसँ ओतेक टाका ओ अनतथि बहुत परेशान भऽ गेलाह। माए, भाए, बहीन, चाचा सभ केओ सोचए लगलनि जे आब की होएत। कतएसँ ओतेक टाका इंतजाम होएत आ राजीवकेँ छोड़ा कऽ आनब। हमहुँ गेल छलहुँ चाचासँ भेट करबाक लेल। हमहुँ बहुत चिंतित भेलहुँ, आ चाचाकेँ समझेलियनि जे चिंता नहि करू सए ठीक भऽ जाइत।
बीस दिन धरि बहुत घमर्थन भेल। अंतमे अपहरणकर्त्ता चारि लाख टाकाक इंतजाम कयलनि आ दुनू भाँइ अपहरणकर्त्ताक गपपर टाका इंतजाम कएलनि आ दुनू भाँइ अपहरणकर्त्ताक गपपर टाका लऽ कऽ छपरा गेलाह। ओतए गेलापर हुनका सभकेँ भरोस नहि होइत छल जे राजीव भेटत। बहुत परेशान कएलनि अपहरणकर्त्ता सभ कखनो फोन कऽ कऽ कहैन जे होटल आऊ तऽ कखनो फोन कहैत जे स्टेशनपर आऊ। बहुत परेशानी भेलनि मुदा अंतमे राजीव भेंट गेलनि। राजीवकेँ देखलथि आँखिपर पट्टी बान्हल, पूरा कारी भेल, पूरा पातर सेहो भऽ गेल छलैक। एकटा चेन पहिरने रहैथ सेहो छीन लेने छल, मोबाइल, घड़ी, सेहो लऽ लेने रहए। पापा एवं चाचाकेँ देखि कऽ राजीव बहुत कानए लागल। ओ सभ समझा बुझा कऽ हुनका पटना डेरापर अनलथिन। राजीवकेँ देखि पूरा परिवार बहुत खुश भेला आ सभ केओ पकड़ि कऽ कनलनि। राजीव सेहो कनलनि, तखन ओ सबकेँ जनौलनि जे एहन संगी भगवान दुश्मनोकेँ नहि देथि। आ पूरा जनौलनि जे केना कऽ ओ बीस दिन अपहरणकर्ताक संग बितौलनि। जंगल रहैथ पूरा आ ओतय एकटा घरमे बंद कऽ कऽ राखनि। खेनाइ पिनाइमे दिक्कत नहि होइत मुदा ओ खेता कि ओ तँ पूरा घबराएल रहथि आ हरदम कनैत रहथि। जेना तेना कऽ दिन कटलनि।
बादमे पता चलल जे आशीष मधुबनी जिलाकेँ छल, हुनके सभटा हाथ रहैथ राजीवक अपहरणमे। हुनका गलत फहमी भऽ गेल रहनि जे राजीव बहुत बड़का बापक बेटा छथि। पुलिसकेँ जखन आशीषक नाम बताओल गेल तँ ओ सभ छान बीन कऽ ओकरा थाना अनलक। बहुत दिन धरि मामिला चलल। ताहि बीचमे आशीषक पापा राजीवक पापाकेँ कहलनि जे चारि लाख टाका हम दैत छी हमरा बेटाकेँ नाम कटवा दियौ, मुदा ओ सभ तैयार नहि भेलाह। आ एखनो धरि आशीष जेलमे अछि। राजीव दिल्लीमे एम.बी.ए.क तैयारी कऽ रहल अछि। ई छल अपहरणक सच।

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