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Saturday, April 7, 2012

ब्रेस्ट कैंसर- मीना झा




लन्दनक थेम्स नदीक पश्चिम किनारपर नवनिर्मित सेंट थोमस अस्पतालक पाँचम मंजिलपर कैंसर वार्ड रहैक। खिरकी लगक कोनाबला बेड रहनि  मनोरमा सिंघक। खिरकीक पैघ शीशासँ मनोरमाक आँखि बिग बेनक पैघ घड़ीपर अटकल छलनि। सूर्यास्तक समयमे सूरजक किरण बिग बेनकेँ मनोरम बना रहल छल मुदा मनोरमाक आँखि ऐ मनोरम दृश्यक आनंद नै लऽ घड़ीक सुइपर लागल छल जे आब ६ बाजि ३५ मिनट देखा रहल छल। हुनकर पति सुरेश आ जौंवा बेटी रश्मि आ किरणकेँ तँ अखन तक आबि जायके चाही छलन्हि। पति अपन न्यूज़ एजेंटक दोकान साढ़े ५ तक बंद कऽ दैत छथिन आ बेटी सभ सेहो स्कूलसँ आबि जाइत छन्हि। ६ बजे नर्स हुनका रातुक भोजन दऽ गेलनि, ओ नै खयली, ओ अपन परिवार संगे भोजन करए चाहैत छलीह।
कैंसर वार्डमे १२ टा बेड रहैक, पुरुख आ स्त्रिगनक वार्ड अलग-अलग। स्त्रिगनक वार्डक सभटा बेड भरल रहैक। ओना सबहक बेडक चारू कात हरियर पर्दा लागल रहैक तैँ के की कऽ रहल छल से नै पता चलैक। नर्स मनोरमाक टेबलसँ भरल प्लेट लऽ गेलन्हि आ आइसक्रीम दऽ गेलन्हि, आब आइसक्रीम सेहो पिघलि कऽ चुबय लागल, जेना मनोरमाक आँखिसँ नोर। मनोरमा पिछला ३ सालमे १३  बेर अस्पतालमे भर्ती भेल छथि। जखने दर्द तेज होइन्ह वा उलटी नै रुकन्हि, अस्पतालमे भर्ती भऽ जाथि। कखनो कोनो समय ९९९ नंबर घुमाबथि, अम्बुलेंस  लेबय लेल आबि जानि। ओहू दिन किछु एहिना भेल रहैक। मनोरमा अपन पतिक पसंदक भोजन मकइक रोटी आ सरिसौंक साग बनौने छलीह। दुनु बेटी भोजन कऽ बैठकमे टीवी देखि रहल छलन्हि आ पति देव मुँह हाथ धोअ लेल बाथरूममे गेल छलखिन्ह। एम्हर मनोरमा दुकान बंद होबय कऽ आवाज सुनिते  टेबलपर २ टा थारीमे सरिसोंक साग हरियर मिर्चीक संगे, २टा कटोरीमे दही, आ तवा चूल्हापर राखी मकइक रोटी हाथपर गोल-गोल घुमाबऽ लगलीह, तवा गर्म होइते रोटी राख देलखिन्ह। अपन पसंदक लाल रंगक सलवार कुरता पहिरने मनोरमा चूल्हा लग ठाढ़ छलीह, मुदा हुनकर आटा लागल दहिना हाथ रोटीके उनटाबय लेल उठि नै रहल छलन्हि।  अचानक हुनका दहिना छातीमे दर्द उठल जे बाहींसँ होइत हाथ धरि पहुँचि गेल। दर्दसँ छटपटा उठलीह मनोरमा। भानस घरमे सौंसे धुँयासँ भरि गेलैक, स्मोक अलार्म बजे लागल। घरक सभ लोक भानस घर दिस दौड़लाह। रोटीसँ धधरा निकलि रहल छल। मनोरमा अपन बामा हाथसँ दहिना हाथ पकड़ने चिचिया रहल छलीह। ओही दिन अम्बुलेंस संगे फायर ब्रिगेड सेहो आएल छल।
३ बरख पहिने मनोरमाकेँ कैंसर डैगनोस भेल रहनि, बामा ब्रेस्टमे, जे ६ मासक इलाजक बाद ठीक नै भेलन्हि, तैँ डॉक्टरकेँ हुनकर ब्रेस्ट काटि हटाबय पड़लन्हि, जइसँ शरीरक आर भागमे कैंसरक कीटाणु नै फैलैक। मुदा हुनका रेडिओ थेरापी भेलन्हि आ कतेक तरहक दवाइ सेहो खाइत छलीह, तइ सभसँ कैंसर कण्ट्रोलमे छलन्हि। नव दवाइ आ दवाइक खुराकमे फेर बदल कएलापर साइड इफेक्ट बढ़ि जाइत छलन्हि तैँ अस्पतालक बेर-बेर चक्कर लगाबय पड़ैत छलन्हि। ऐबेर ओ तेरहम बेर अस्पतालमे भर्ती भेल छलीह। डॉक्टर सबहक अथक प्रयासक बादो मनोरमाक दहिना ब्रेस्टमे सेहो कैंसर भऽ गेल रहनि। हुनकर सबहक सलाह रहैक जे दवाइसँ ठीक नै हएत। ओइ लेल ओपरेसन मात्र उपाय अछि।
मनोरमा बड्ड असमंजसमे छलीह। ओपरेसन करा लेने हुनका किछु दिन आर जिनगी भेट जयतनि मुदा की ओ जिनगी मृत्युसँ कम भयावह हेतन्हि। मनोरमा लेल निर्णय लेब बहुत कठिन लागि रहल छलन्हि। जौँ ओ ओपरेसन नै करोतीह तँ कैंसर सौंसे शरीरमे पसरि जेतन्हि आ जौं करोतीह तँ हुनकर स्त्रीत्व समाप्त भऽ जेतन्हि। मोनमे उथुल-पुथल मचल छन्हि। पहिल बेर ओपरेसन करौने  छलीह तहियासँ  सुरेश शराब पीयब शुरू कऽ देलखिन। शराबक लत तेहन लगलन्हि जे आब भोरका चाहक बदला शराबक गलास हाथमे रहए लगलन्हि। आमदनीक एक मात्र जरिया न्यूज़ एजेंटक दुकान रहनि, तकर आधा कमाइ ओ अपन सिगरेट आ शराबमे खर्च कऽ दैत छलखिन। शराब पिला बाद हुनका तामस सेहो बहुत होइत छलन्हि।,बेटी सभपर सेहो कहियो काल हाथ उठा दैत छलखिन। ओपरेसनक बादसँ सुरेश बेडरूममे मनोरमा संगे सुतब छोड़ि देलन्हि, बेशी काल शराब पिबैत-पिबैत बैठकमे लुढ़कि जाइत छलाह।
अपना लेल नै तँ अपन दुनो बेटी लेल तँ जीबय पड़तन्हि। दुनु बेटी लेवलक रहल छलन्हि, आगाँ साल एकटा बेटी मेडिकल कॉलेजमे जेतन्हि आ दोसर ला पढ़तनि। मनोरमा ओपरेसन करा लेलीह। बेटीक भविष्यक लेल ओ अपन भविष्य दावपर लगा लेलीह। ममताक आगू सभ बात छोड़ि देलखिन, बेटी सभकेँ कॉलेज जाइत देखी से सपना रहनि।
मनोरमाक आधा खुजल आँखिसँ नोर झर-झर बहि रहल छल। माँ-बाप, भाइ-बहिन सबसँ एतेक दूर अपनाकेँ बहुत असगर महसूस कऽ रहल छलीह। बिग बेनक घड़ीमे ७ क घंटा बाजल। मनोरमाक मोन आशंकित भऽ रहल छन्हि जे अखन धरि बेटी आ पति किए नै अएलखिन। मनोरमा आइ भोरेसँ अस्पतालसँ डिस्चार्ज भऽ घर जाय लेल व्यग्र रहथि, जइ घरमे पिछला २० सालसँ एक-एक टा वस्तु कीनि सजौने रहथि। आगूमे पैघ दुकान रहनि आ पाछूमे भंडार घर,भानस घर आ स्नान घर रहनि। ऊपरमे २ टा सुतयबला घर, एकटा स्नान घर आ एकटा पैघ बैठक आ तइसँ लागल  छोट सनक बालकोनी। मनोरमाकेँ ई घर बड्ड पसिन्न छलन्हि कारण इंग्लैंडमे बालकोनीबला घर बहुत कम भेटैत छैक। ओहुना आब जीवाक इच्छा जेना समाप्त भऽ गेल रहनि, बेटी सभक खातिर ओ घर जाय चाहैत छलीह। जइ कोठरीमे ओ पति संगे कतेओक मधुर पल बितौने छलीह, आब ओ कोठरी हुनका काटय दौड़ैत छलनि। मनोरमा अपनाकेँ पति द्वारा तिरस्कृत महसूस करैत छलीह। सुरेशक सहयोगक बदला उदासीनता हुनकर मोनकेँ आर आहत करैत छलन्हि।
मनोरमाक विवाह बड्ड धूमधामसँ बनारसमे भेल रहनि। माँ-बापक बड्ड दुलारू रहथि। पिता अपने आइ.ए.एस. ऑफिसर रहथिन। चारु भाइ बहिनक शिछा दीक्षा कॉन्वेंटमे भेल रहनि। मनोरमा देखे-सुने मे निक, मुदा चंचल रहथि। मनोरमा ७-८ सालक रहथि, तइ बेर दिवाली दिन फटाका छोड़य कालमे छुरछुरी घूमि गेलैक जइसँ हुनकर दहिना बाँही केहुनी तक आ दहिना गाल निक जकाँ पाकि गेलन्हि, कतेक दिनक इलाजक बाद ठीक भेलथि मुदा दाग नै छुटलनि। ऐ दागक कारण सर्वगुण संपन्न होइतो मनोरमाक विवाह नै भऽ रहल छलनि जइसँ माँ-बाप बड्ड चिंतित रहैत छलखिन। मनोरमाक उम्र सेहो ३० पार कऽ गेल छलनि, सुरेशसँ हुनका अपन एकटा दोस्तक घरमे भेँट करायल गेलनि। सुरेशक अपन अंग्रेज पत्नीसँ तलाक भऽ गेल रहनि, ओहो सुशील कनियाक खोजमे इंडिया आएल रहथि। दुनो गोटाक बात मिलि गेलन्हि। चट मंगनी आ पट विवाह भऽ गेलनि।
विवाहक बाद मनोरमा अपन घर गृहस्थीसँ बड्ड प्रसन्न छलीह। बेटी भेला बाद दुनो गोटा आर प्रसन्न रहए लगलाह। काजक बाद सुरेशकेँ जे समय भेटन्हि ओ अपन बचिया संगे बिताबथि। कहियो काल बेटी सभकेँ लेगोलैंड, डिजनीलैंड घुमाबथि आ कहियो मेला सभमे। बेटी पैघ भेलन्हि तखन पेरिस आ स्विटजरलैंड सेहो घुमा देलखिन। ३ साल पहिने हिनका सबहक ख़ुशीमे जेना ग्रहण लागि गेलन्हि। जहियासँ मनोरमाकेँ कैंसर डैगनोस भेलन्हि, सभ बात उलट-पुलट भऽ गेलनि। मनोरमा ऐ बातसँ बड्ड आहत महसूस करैत छलीह जे सुरेश हुनकर व्यथा कोना नै बुझि रहल छथिन। हुनका लागैत छलन्हि जे ओ हुनकासँ नै हुनकर शरीर मात्रसँ प्रेम करैत छलखिन।
ककरो पदचाप सुनि मनोरमाक आँखि खुजि गेलनि। बाहर अन्हार भऽ गेल रहैक, हुनकर आँखिक नोर सुखा गेल रहनि। हुनका आगू हुनकर दुनो बेटी नोराएल आँखिये मुँह लटकौने ठाढ़ छलखिन। मनोरमा धरफरा कऽ बैसैत पुछलखिन  अहाँ  सभ कखन अएलहुँ?”

अखने मम्मी” - दुनु बेटी धीरेसँ जवाब देलकन्हि।
मनोरमा चारू कात तकैत पुछलखिन- अहाँक पापा कतए छथि?” दुनु बेटी एक दोसराक मुँह ताकए लागल।
की बात छैक बेटा? अहाँ सभ एना गम सुम किए छी?” मनोरमा व्याकुल होइत बजलीह।
मम्मी ......................... पापा.................
हाँ बेटा पापा के की भेलनि?” मनोरमा आतुर होइत बजलीह। हुनकर चिंता बढ़ि गेलनि। की बात भेलैक? बच्चा सभ कानि किए रहल अछि? हुनकर आँखि सुरेशकेँ ताकि रहल छलनि। तखने दुनु बेटी हुनकर गर पकड़ि काने लगलनि। ओ दुनु बेटीक पीठपर हाथ फेरैत पुचाकरैत कहलखिन,- “अहाँ सभ एना बच्चा जकाँ किए कानि रहल छी?”


रश्मि कनैत बाजल- मम्मी-पापा हमरा सभकेँ छोड़ि चलि गेलाह?” “कतए चलि गेलाह बेटा।हतप्रभ होइत मनोरमा बजलीह। हुनकर करेजक धड़कन तेज भऽ गेलनि।
हम सभ जखन स्कूलसँ अएलहुँ तँ पापा दोकानक भीतर खसल छलाह। ओ नींदक दवाइ खा आत्म हत्या कऽ लेलनि।किरण सिसकैत बजलीह।

की............”- मनोरमा चिचिया उठलीह।
निचाँ इमरजेंसी रूममे पापाकेँ रखने छन्हि। हम सभ अम्बुलेंसमे पापाक संगे अएलहुँ।किरण हिचकैत बाजल। मनोरमा अवाक रहि गेलीह।

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