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Monday, April 9, 2012

कमला चौधरी- गुणनफल



मीरा माइक प्रसन्नताक कोनो सीमा नहि। आइ भोरेसँ छोटमोट मोटरी बन्हबामे लागलि छथि। आखिर नव गृहस्थी बसतैक। कतेक छोटछिन वस्तुक खगता होइत छैक।
ताबत ध्यानमे अएलनि जे थोड़ेक कोबीक सुखौंत आ चिक्कस सेहो बान्हि देबाक थिक। नहि तँ जाइते बजारक मुँह देखए पड़तैक। ई सभ करैतकरैत आँखि नोरा गेलनि। मीराफूल सन कोमल आ सादा कागत सन स्वच्छ। आँखिक आगाँ चमकि गेलनि विवाहक ओ दिन।
परिछन करैत काल दाइमाइ सभकेँ मीराक भाग्यपर ईर्ष्या भेल रहनि। केओ टिपैत कहने छलीह-गे दाइ, ई तँ सत्ते मीरा आ कृष्णक जोड़ी हेतै।
वर जहिना कुर्ता आ गंजी खोललनि आकि सभक नजरि हुनक उन्नत आ पुष्ट छातीपर रूकि गेलनि। मीराक माए जल्दीसँ जमाएकेँ डोपटा ओढ़ाए, काजर लगाए देलथिन्ह आ गोसाऊनि घर लऽ कऽ चलि गेलीह। आङ्गन घर शुभे हे शुभेसँ मुखीत भऽ गेल रहए।
सिनुरदान नीक जकाँ सम्पन्न भऽ गेलैक। मीरा माए निश्चिंत नहि रहि सकलीह। चारि दिनुक बादे ओझाक नाकरनुकुर कानमे पड़ए लगलनि।
ओझा माने सुनील बाबू,–खबासक संग स्नान करए जएबाकाल आङनेमे ठाढ़ि सासुकेँ सुनबैत कहलनि-हमरा तँ सूनल छल जे मीरा मैट्रिकक परीक्षार्थी छथि। मुदा हिनका तँ मिडिल मात्रक योग्यता छनि। हम शहरमे रहनिहार लोक छी। पढ़ललिखल लोक सभक संग उठब बैसब अछि। ओहिमे मीरा कोना एडजस्ट करतीह?
मीरा माए कमलपुरवाली अति विनम्र शब्देँ ओझाकेँ बुझबैत कहने छलीह- मीरा एखन मात्र चौदह वर्षक अछि। ओकरा जेना जे पढ़बए चाहथिन से पढ़ि लेतनि। हम एकसरि अपना भरि मीराकेँ सुयोग्य स्त्री बनबाक शिक्षा देने छिऐक। आब आगाँ हिनकर थिकन्हि। जेहन बनाबथि। जेना राखथि।
सप्ताह दिन मात्र सासुरमे रहि ओझा बिदा भऽ चल गेल छलाह। सासुक बहुत आग्रह पर फगुआमे अएबाक भरोस देलथिन।
मुदा तीन फगुआ बीति गेल। ओझाक कोनो पता नहि। शिवरात्रिक मेलामे ओझाक कोनो गौआँ बौआ ककाकेँ कहने रहथि जे हुनकर जोगर कनिञा नहि भेलनि। तेँ आन-जान छोड़ने छथि।
ई बात बुझिते कमलपुरवाली कबुलापातीक आमार लगा देलनि। बेटीक मुँह देखिते ह्रदए टुकड़ी-टुकड़ी होबए लगनि। मुदा साध्य की ! तीन वर्ष तीन युग सन बीतल छल।
ओझाकेँ नहा कऽ घर जाइत देखि कमलपुरवालीक ध्यान टुटलनि। मोटरी बान्हब छोड़ि दौगलथि भानस घर। जैधीकेँ चूल्हि लग बैसा आएल रहथि। कटोरी सभमे तीमन तरकारी सजबए लगलीह। ओझाकेँ भोजन पठा कऽ फेर पेटी सरिआबए लागल रहथि। जेठकी दियादिनीकेँ सोर पाड़ि, मीराकेँ नूआ बदलि केश खोपा कऽ देबए कहलनि।
सभ ओरिओन होइत बेर खसि पड़लैक। ओझाक सम्बाद आएल जे पटना पहुँचैत राति भऽ जाएत, तेँ जल्दी बिदा होएब जरूरी। आङनमे आइ माइ जुमि गेल छलीह।
कमलपुरवाली मीराकेँ भरि पाँज पकड़ि घर लऽ गेलीह। हृदएमे हाहाकार भऽ रहल छलनि। किछु फूटि कऽ बाहर होमए चाहैत छल मुदा अपनाकेँ नियंत्रित कैने छलीह। ईहो दिन भेल जे तीन बरखक बाद ओझा मीराकेँ लेबए अएलाह अछि। दुनू हाथेँ बेटीक गाल पकड़ि बुझबैत कहलनि- दाइ, आइसँ सभ किछु वएह छथुन। जेना रखथुन तहिना रहिहेँ। बिनु पुरूषक स्त्री पाथर होइए। बिसरि जइहेँ सभ किछु। बस कहियो काल पोस्टकार्डपर कुशल मंगल खसा दिहेँ। आर किछु नहि।
माए, काकी, काका सभकेँ गोर लागि बिदा भऽ गेल छलीह मीरा।
बसमे चुपचाप बैसलि मीराक आँखिक आगाँ झुलैत रहलनि सभ दृश्य-पोखरि, इनार, कलम, सरिसोक साग आ संगी बहिनियाजोड़ी, फूल, लौंग....। माएक बात मोन पड़ि गेलनि। ई सभ तँ बिसरि जएबाक थिक। मन रखबा लेल छथि, बस इएह टा!
पटना पहुँचि अपन गृहस्थी बसएबामे मीरा लागि गेलीह। बहुत किछु तँ माए संग कऽ देने रहथिन। बाँकी आवश्यक वस्तु सुनील जुटाए देलथिन्ह। मीरा अपन गृहस्थीमे लीन भऽ गेलीह।
मास दिन तँ पाँखि लगा उड़ि गेल। मुदा एहि बात दिस मीराकेँ आइ ध्यान गेलनि। ऑफिस जएबाक तऽ एकटा कोनो निश्चित समए होइत छैक। सुनीलकेँ बाहर जएबाक तँ कोनो निश्चित समए नहि छन्हि। ओ ई बात आब सुनीलकेँ पूछबे करतीह।
एक दिन उदास स्वरमे सुनील कहने रहथिन्ह मीरा, हम बहुत दुविधामे जीबि रहल छी। अहाँसँ नुकाएब ठीक नहि। वस्तुतः हमर नोकरी छूटि गेल अछि। इम्हरओम्हरसँ पैंचउधार लऽ घरक खर्च चला रहल छी। आब दोस्तोमहीम संग छोड़ि देलनि अछि। एहन समएमे अहीं हमर मददि कऽ सकैत छी।
मीरा हतप्रभ भऽ गेलीह। ओ कोना मददि कऽ सकैत छथि ? ओ तँ अधिक पढ़लोलिखल नहि छथि।
हुनक मनोभाव पढ़ि सुनील बुझओने रहथिन- यएह कातहिमे सौंदर्य केन्द्र छैक। ओहिमे तीन मासक प्रशिक्षण लऽ लिअ आ फेर ओतहि काज करब शुरू कऽ दिअ। दूतीन हजार मास कमायब साधारण बात अछि।
ओहिना ठाढ़ि रहली मीरा। हुनका बुझबामे किछु नहि अएलनि। सौंदर्य केन्द्र ? प्रशिक्षण ? रूपैया ? तीनू शब्द मनमे बेरबेरहौड़ए लगलनि। ओ तँ स्त्रीक काज घर सम्हारब बुझैत छलीह। ई हुनकासँ की करबए चाहैत छथि?
सुनील मीराक हाथ पकड़ि चौकीपर बैसा लेने रहथिन-मीरा, हम सभ बुझा देब। बस, जेना हम कहैत छी से करैत चलू। अहाँ सुंदरि छी। कने स्मार्ट भऽ जाउ। फेर देखू ने, हमर सभक दरिद्रा कोना भागि जाएत।
ई सभ किछु सुनबामे मीराकेँ नीक नहि लागल रहनि मुदा माइक कहल- जहिना रखथुन, तहिना रहिहेँ- मन पड़ि गेलनि। ठीके तँ छैक, जहिना रखताह तहिना रहब।
ओहि दिन साँझमे सुनील नव डिजाइनक साड़ी, रेडिमेड ब्लाउज, हिल चप्पल एवं अन्य फैशनक वस्तु मीराक आगाँ पसारि देलनि।
-ई सभ पहिरिकेँ तँ अहाँ परी जकाँ लागब मीरा। मुदा हमरा बिचारेँ अहाँक नाम बदलिकेँ जँ रूबीरहितए तँ बेसी नीक होइत। मीरा ! बहुत ओल्डफैशनक नाम थिक। आइसँ हम अहाँकेँ रूबी कहल करब।
सभ किछु स्वीकार करबाक अतिरिक्त ओ कए की सकैत छलीह ? प्रातःकाल सुनीलक संग हुनका सौंदर्यकेन्द्र जएबाक छलनि। सुनीलक बिचार छनि जे प्रशिक्षणसँ पूर्व हुनकर अपन सौंदर्यमे निखार आबि जएबाक चाही। तखनहि ओ ठीक ढ़ँगसँ प्रशिक्षण लऽ सकैत छथि।
आज्ञाकारी नेना जेना अभिभावकक संग पाठशाला जाइत अछि, तहिना दोसर दिन सुनीलक पाछाँपाछाँ मीरा बिदा भेलीह। सौंदर्य केन्द्रक व्यव्स्थापिका मिस डेजीसँ मीराक परिचय दैत सुनील कहने रहथिन, ई हमर पत्नी रूबी छथि। हिनका कने अहाँ स्मार्ट बना दियनुजाहिसँ इहो अहाँक एसिसटेंटबनि सकथि। बेस, तँ जावत हिनका निखारबामे समए लागत, ताबत हम एकटा मित्रसँ भेंट कऽ अबैत छी।
सुनील तँ चलि गेल छलाह मुदा मीरा बलिक छागर जकाँ भएभीत दृष्टिसँ मिस डेजी दिस तकिते रहलीह।
तकिते तँ रहि जइतथि मुदा मिस डेजी मीराकेँ केन्द्रक भीतर लऽ कऽ चल गेलीह। ओतए मोटमोट स्त्रीकेँ कुर्सीपर ओंघरल आ मुँहपर लेप लगौने देखि मीराक मन भिनकि गेलनि। ओतुका बात व्यवस्था बड़ अजगुत बुझना जाइनि। ई कोन दुनियाँ थिक ? एहि दुनियाँक खिस्सा तँ कतहु नहि सुनने छी। किछु काल मीराक सुधिबुधि जेना हेरा गेलनि।
ध्यान तखन भंग भेलनि जखन मिस डेजीक कैंची हुनक केशपर चलब शुरू भेल। मीरा, ‘नहि नहिकहैत उठि कऽ ठाढ़ भऽ गेलीह।
-देखू, अहाँक पति जे निर्देश देलनि अछि, सएह हम कऽ रहल छी। हमर समए बर्बाद नहि करू। भौं चढ़बैत मिस डेजी बजलीह। ठीके तँ ओ सुनीलक निर्देशक अनुसार सभ किछु करैत छथि। तखन विरोध कथीक ? मीरा धब्ब दऽ कुर्सीपर बैसि गेलीह।
किछु कालक बाद हुनक केश आ भौंहुक आकारप्रकार बदलि चुकल छल। कुर्सीक नीचाँ काटल केशकेँ देखि भीतरेभीतर कुहरि गेलीह मीरा। केश बन्हैत काल माइक मुँहसँ झहरैत गीत मन पड़ि गेलनि। केशक पोरेपोरे तेल लगा केहन सीटिकेँ केश बन्हैत रहथिन। आब से सम्भव नहि भऽ सकत। नोरक प्रबल वेगकेँ बलात नियंत्रित कएने रहलीह।
केन्द्रक दाइ सुनील बाबूक अएबाक सूचना दऽ गेल रहनि। मीराक संग मिस डेजी सेहो बाहर अएलीह। मिस डेजी आ सुनीलमे किछु गप्पसप्प भेलनि आ निश्चित भेल जे काल्हिसँ दस बजे ओ अपन पत्नीकेँ ओतए पहुँचाए देल करताह।
रिक्शापर सुनील मीराकेँ चुटकी लैत कहने रहथि-वाह, हमर रूबी ! आइ तँ अहाँ कमाल लागि रहल छी। चलू एही बातपर एकटा सिनेमा देखल जाए। रिक्शा सिनेमा हॉल दिस बढ़ि गेल छल।
सिनेमा हॉलमे आँखिक आगाँ अबैतजाइत चित्र मीराकेँ कनेको नीक नहि लागि रहल छलनि। चित्रमे एकटा खूब अधिक आधुनिकाकेँ देखबैत सुनील कहलनिरूबी ! छौ मासमे अहाँ एहने स्मार्ट भऽ जाएब। तखन तँ अहाँकेँ गामक सखी बहिनिया चिन्हबो नहि करतीह।- आ सुनील मीराक हाथ अपना हाथमे लेबए चाहलनि।
मीराकेँ किछु नीक नहि लागि रहल छलनि। ओ ओहिन चुपचाप निर्जीव सन बैसल रहलीह। हुनकर चुप्पीकेँ सुनील लक्ष्य कऽ रहल छलाह। घर अएलापर ओ विशेष तमसाए गेल रहथि-अहाँ अपन देहाती चालिढ़ालि छोड़ब आकि नहि ? पति जँ पत्नीसँ हँसी मजाक करए चाहैत अछि तँ ओकर काज थिक ओहिमे संग देब। अहाँ एनापाथर सन किए बनल रहैत छी ? गामसँ की अहाँकेँ हम पूजा करए अनलहुँ अछि ? हम कर्ज लऽ कए अहाँपर खर्च कऽ रहल छी, एकर बदलामे अहाँसँ किछु चाहैत छी तँ से अहूँकेँ नीक नहि लगैए। मीरा, समदाउन आ सोहरक आब समए नहि अछि! प्रैक्टिकल बनू प्रैक्टिकल। जतएसँ आएल छी से बिसरि जाउ। जतए आइ छी बस ओकरे टा ध्यानमे राखू। नहि तँ बाजू, काल्हिए माए लग पहुँचा आबी ?
दुनू हाथेँ कान बन्द कऽ लेने छलीह मीरा। नहि, नहि ओ माए लग नहि जएतीह। तीन वर्ष धरि माइक अंतःपीड़ाकेँ ओ भोगने छलीह। फेरसँ हुनका वएह दुःख देबए नहि जएतीह। मीरा ओछाओनपर कछमछाइत रहलीह। सुनील नीन पड़ि गेल छलाह। काल्हिसँ ओ नव दुनियाँमे प्रवेश करए जा रहल छथि। नहि जे नीक लगैत, ओहिमे मन लगेबाक छनि। माइक कहब पुनः मन पड़ि गेलनि। जहिना रखथुन, तहिना....
भिनसरे मीरा सुनीलक उठबासँ पहिनहि घरक काज धन्धासँ निश्चिंत भऽ स्नान कऽ रहल छलीह। सुनील हुनक फुर्ती देखि अचंभित छलाह।
देखू, हम तैयार छी। अपने विलम्ब करब तँ हमर दोष नहि।- स्नान घरसँ बहराइत मीरा बजलीह। सुनील सेहो तैयार भऽ मीराकेँ प्रशिक्षण केन्द्र धरि दए अएलाह।
लऽ जएबाक ओ लऽ अनबाक ई क्रम सप्ताह भरि चललाक बाद मीरा सुनीलकेँ एहि भारसँ मुक्त कऽ देलनि। आब हुनकामे आत्मविश्वास आबि गेल छल। नियत समएपर जाएब आएब हुनक जीवनक अभिन्न अंग बनि गेल छल आ एकर संगहि दिन प्रतिदिन मिस डेजीक कुशलता अपन आङ्गुरमे समेटने जाथि।
तीन मास बितैतबितैत श्रृंगार-कलामे मीरा निपुण भऽ गेलीह। कटिंग, फेशियल, ब्लीचिंग, वैक्सिंग, मैनीक्योर, पैडीक्योर आदि, सौंदर्यक सभ विद्यापर हुनका दक्षता भऽ गेल छलनि।
ओना तँ केन्द्रमे आर प्रशिक्षिता सभ रहथि मुदा मिस डेजीक बाद दोसर नाम रूबी सएह छल। मिस डेजी सेहो अपन ग्राहकक सोझाँ रूबीक नाम गर्वसँ लैत छलीह। कोनो आकस्मिक काजक दिन केन्द्रक चाभी रूबीक ओतए दऽ अबैत रहथि। रूबीकेँ आमदनी सेहो नीक होमए लगलनि।
पहिल आमदनी लऽ जहिया सुनीलक हाथमे देलनि तँ ओ आनन्दसँ मीराकेँ कोरामे उठा लेने रहथि। ओना मीराक भीतर किछु भिनकि गेलनि मुदा बाहरसँ प्रसन्न होएबाक नाटक कैने छलीह- अच्छा कहू, आब हम अहाँ जोगर स्मार्टप्रैक्टिकलछी आकि नहि? आब तँ ने हमरा गाम दए आएब ?
-सेन्ट परसेन्ट! रूबी आब अहाँ फर्स्ट क्लासभऽ गेल छी। अहाँकेँ भला हम गाम छोड़ि आएब ? कथमपि नहि। जनैत छी रूबी, अहाँक ई रूप गढ़बामे हमर मित्र प्रकाशक बड़ पैघ हाथ अछि। ओ अहाँक फोटो देखि हमरा बिचार देने छल, तोहर पत्नी तँ सुन्दरि छथुन्ह। हुनका पटना आनि ले आ प्रशिक्षित कऽ काजमे लगा दहुन। फेर तँ ओ सोनाक अंडादेनिहारि मुर्गी भऽ जएथुन।
भभा कऽ हँसि देने छलाह सुनील। -सोना अंडा देनिहारि मुर्गी ?- मीराक मनमे चोट लगलनि। मुदा आब तँ ओ ओहि चोटक अभ्यस्त भऽ गेल छथि। जल्दीसँ कपड़ा बदलि जलखै बनबए चल गेलीह। मुदा मुर्गी शब्द माथमे नचैत रहलनि। मीराक मूल्य बस यएह अछि। हृदए हाहाकार करए लगलनि। एहन समएमे माएक स्मृति मनकेँ शांति दैत छलनि। मुदा एहि सभ पीड़ासँ माएकेँ अनचिन्हार रखने छलीह। ओ बरोबरि अपन माएकेँ अपन सुख आ खुशीक मिथ्या वर्णन पत्र द्वारा दैत रहैत छथि। मीराक माए ओ पत्र टोलपरोसमे लोकसँ पढ़ा कऽ कतेक आनन्दित होइत होएतीह से मीरा खूब जनैत छथि। बस, यएहटा खुशी तँ ओ अपन माएकेँ दऽ सकलीह अछि। मुदा माए हुनका अनबा लेल ककरो किएक नहि पठबैत छथि ? मीराक आँखि भरि गेलनि। ओ जनैत छथि माइक आशंकाकेँ -जे अनलासँ फेर कतहुँ ओझा छोड़ि ने देथि। माइक बिचारे बिना पुरूषक स्त्री देवाल बराबरि थिक। स्मृतिक झंझावातकेँ बसात रोकि मीरा सुनीलक आगाँ जलखै दऽ अएलीह।
आब मीराक बेसी समए केन्द्रमे बितैत अछि। ओहिसँ आमदनी सेहो बढ़ि गेलनि। तेँ सुनीलकेँ कोनो विरोध नहि।
हँ घरक टहल टिकोरा लेल एकटा बीरू नामक टेल्हकेँ राखि लेल गेल अछि। मीरा संध्यामे घर आबथि। सुनीलकेँ मित्र मण्डली संग ताश खेलाइत देखथि। बीरू चाह जलखैक ओरिआओनमे लागल। मीराकेँ मोन होइनि जे जखन ओ थाकि कऽ अबैत छथि तँ सुनील हुनका लग आबथि। हाल चाल पूछथि। मुदा सुनील तँ -आबि गेलहुँ- पूछिकेँ अपन खेलमे लागि जाइत छथि।
एम्हर मीराक मन किछु दिनसँ खराप लागि रहल छनि। एक दिन केन्द्रपर जोरसँ कै भऽ गेलनि। मिस डेजी बुझाकेँ कहने रहथिन, अहाँ डॉक्टरसँ देखाऊ, अहाकेँ आरामक जरूरी अछि।
घर आबि सुनीलकेँ मीरा अपन स्थिति कहने रहथि। सुनील एहि बातसँ बहुत चिंतित आ व्यग्र भऽ गेलाह। रूबी, ई ठीक नहि भेल। एखन अहाँ कुशलताक चोटीपर छी। यएह समए तँ अछि कमएबाक। एहिमे बाल बच्चाक समस्या बड़ बाधक होएत। एहि लेल तँ एखन पूरा जीवने पड़ल अछि। हमर बात मानू। डॉक्टरक ओतए चलू। एकरा खतम कए आबी।
मीराकेँ सुनीलक मुँह दिसि ताकि नहि भेलनि। लगलनि जेना हजारक हजार संख्यामे पिल्लू सुनीलक चेहरापर ससरि रहल अछि। घृणासँ मन भरि गेलनि। एहने पुरूष बिना स्त्री देवाल थिक ?
-मीरा ओछाओनमे मुँह गाड़ने कनैत रहलीह। मनक विषाद दूर करबाक हुनका लग आर दोसर कोनो रास्ता नहि छलनि। जँ कनेक काल लेल हुनका उड़बाक शक्ति भेटि जाए तँ माएकेँ जा कहि अबितथि। एहुना तँ ओ देवाले बराबर छथि; जकरा मकान मालिक अपन मनोनुकुल रंगमे समएसमएपर रङैत रहैत अछि। मुदा माइक भ्रम तोड़िकेँ ओ शांत रहि सकतीह ?
सुनीलक इच्छा आगाँ झुकि गेल छलीह मीरा। सप्ताहक भीतरे डॉक्टरक ओतए सुनील हुनका लऽ गेल छलाह। आ मीरा खाली मन आ खाली हाथेँ घर फिरल छलीह। मुदा ओकर बाद मीरा कखनो सहज नहि रहि पाबथि। घरक आगाँ दए कोरामे नेनाकेँ नेने जाइत कोनो स्त्रीकेँ देखि भीतरसँ जेना ओ कुहरए लागथि। दोकानपर धीयापूता लेल टाङल छोटछोट वस्त्र दिस टकटकी लागि जाइनि।
एक दिन केन्द्रसँ फिरैत काल पता नहि कतेक काल एकटा दोकानक आगाँ ठाढ़ि रहि गेलीह। दोकानमे किनबा लए आएल स्त्री लोकनिक नेना आ किनल जाइत वस्तुकेँ अपलक देखैत रहलीह। संयोगे कात दऽ जाइत केन्द्रक सहायिका नीलू टोकि देने रहथिन। परिस्थितिक आभास होइतहि सङ्कित भऽ गेल छलीह। आ घर दिस झटकल डेगे बिदा भऽ गेल रहथि।
घर पहुँचि देखलनि जे सुनील ज्वरमे पड़ल छथि। समीपेक डॉक्टरकेँ बजा अनने छलीह। दवाइ चलए लागल। सौंदर्य केन्द्रसँ थाकल आबि फेर सुनीलक सेवामे लागि जाथि। केन्द्रसँ फिरबाकाल सुनीलक हेतु फल, दूध, अंडा आ दवाइ लऽ आबथि।
सुनीलकेँ पूर्ण स्वस्थ्य होएबामे करीब मास दिन लागि गेल रहनि। डॉक्टर पूर्ण आरामक बिचार देने रहथिन। मीरा अपन कर्त्तव्यमे रत्ती भरि कमी नहि आबए देने छलीह। मुदा कखनो कऽ जीवन भार सदृश लगनि। पटरीपर निर्विकार भावेँ दौगैत निर्जीव ट्रेन सन अपन जीवन बुझाइनि। ओ आगाँ बढ़बा लेल विवश छथि।
ओहि दिन मीरा केन्द्र जएबाक लेल तैयार भऽ रहल छलीह। बीरूक शिकायत करैत सुनील कहने रहथिबीरू दुपहरियामे सूति रहैत अछि। लाख बजौलासँ नहि उठैए। दुपहरियाक दवाइ आ जूस लेबामे देरी भऽ जाइए। नहि हो, तँ किछु दिनक छुट्टी लऽ लिअ। एखन हमरा विशेष सेवा चाही। से तँ अहीं कऽ सकैत छी।
मीराकेँ कंघीक दाँत जेना माथमे गड़ि गेलनि। भीतरसँ छटपटा उठलीह। एतेक दिनमे ओ बहुत सहनशील भऽ गेल रहथि। मुदा आजुक बात कानमे पघिलल शीशा सन बुझएलनि। शरीरमे एक संचार जेना बहुत तीव्र भऽ गेल रहनि। कनपट्टीक नस तनि कऽ टुटबा लेल तैयार भऽ गेल छल। आइ कतबो चाहलनि मुदा चुप नहि रहि सकलीह!
-बस करू आब ! सहन करबाक सेहो एकटा सीमा होइत छैक। चाही....चाही....अहाँकेँ बस चाहबे टा करी। कहियो किछु देबए तँ नहि जनलहुँ। हमर शरीर हमर कमाइ, हमर मातृत्व सभ तँ अहाँ लऽ चुकल छी। हमरा लग आब देबा लेल किछु अछि नहि। मन पाड़ू....। हम मीरा नहि....रूबी छी। सौंदर्य केन्द्रक शीर्षस्थ प्रशिक्षिका। अहाँक शब्दमे सोनाक अंडा देनिहारि मुर्गी। से तँ अहाँक हाथमे सोना दैते छी। मुदा आब हमरो किछु चाही....। हमरो आब अपन किछु व्यक्तित्व अछि....। दस लोकक बीच उठबबैठब अछि। कतेको कस्टमररूबीक प्रतीक्षा कऽ रहल होएतीह। हमर जाएब जरूरी अछि। अहाँ लग सेवा लेल बीरू तँ अछिए। धैर्य राखू। अहींक निर्देशनमे हम प्रैक्टीकल बनब सिखलहुँ अछि....।
पर्स कान्हपर लटकबैत, परदाकेँ तेज हाथेँ उठा मीरा बाहर निकलि गेल छलीह। सुनील बाबू परदाक डोलब बहुत काल धरि देखैत रहल छलाह।

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