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Saturday, April 7, 2012

संघर्ष- गजेन्द्र ठाकुर


संघर्ष

फाइलक गेँट, गरदासँ सनल। ओहिमे सँ एक-एकटा कागत निकालि मुँहपर रुमाल राखि झारि रहल छी। ओइमे सँ किछु काजक वस्तु निकलैत अछि, किछु बेकाजक। विधवा सोहागोक केस-मुकदमाक फाइल। मान-अपमानक खाता-खेसरा। आरोप-प्रत्यारोपक प्रकरणक क्रम। बूढ़ महिलाक युवावस्थाक खिस्सा, किछु सत्य, किछु मिथ्यारोप। पति आ पुत्रक जीवन। बेनग्न होइत हमर सभक सभ्यताक छाप। किएक चानन घसने रहैत अछि ई बूढ़ी। भगवान पर एतेक भरोस? एहि उमरिमे बेटाक स्मारक बनेबाक जिद्द? हारि आ जीतक तारतम्यक बीच, एखन फेर एकटा दोसरे पेटीशन? जितबाक कोन अद्भुत लगन लागल छैक ओकरा। हारिते रहल अछि भरि जिनगी, तैयो!
पहिने तँ कुमोनसँ मंडल सरक कहलापर ई काज हाथमे लेने रही। मुदा आब हमरो इच्छा भऽ गेल अछि, इच्छा ओकर पेटीशनकेँ यथाशीघ्र दाखिल करबाक। इच्छा ओकरा जितेबाक। ई फाइलक गरदा, गरदासँ सानल कागत-पत्तर सभ। डस्टसँ एलर्जी अछैत हम एहिमे घोसिया गेल छी। एहि बुढ़ियाक हारिक नमगर फेहरिस्ट, तकर सोझाँ हमर अपन हारि सभक कोनो लेखा नै। एकरा जितएबाक जिद्दक आगाँ अपन अप्रत्यक्ष विजय लखैत अछि। सोझाँ-सोझी विजय नै तँ एहि बुढ़ियाक माध्यमसँ सम्भावित विजयक पेटीशन। हारत तँ ई बुढ़िया आ जे ई बुढ़िया जीतत तँ जीतब हम। ई बुढ़िया धरि अछि अगरजित। ऑफिसमे सभसँ झगड़ा केने अछि। कार्यालयक क्यो गोटे एकर पेटीशन आगाँ बढ़ेबाक लेल तैयार नै। मंडल सर मुदा एकर सभटा नखड़ा बरदास्त करैत छथि। एकर बेटा हुनकर बैचमेट छलन्हि। नीक लोक छथि, सज्जन। कार्यालयक कनीय सदस्य सभसँ हमरा कहियो कोनो प्रतियोगिता नै होइत अछि। मुदा उच्च पदाधिकारी सभसँ फाइलोपर आ ओहिनो किछु ने किछु होइते रहैत अछि। मुदा मंडल सर नीक लोक। सज्जन। आ एहि पेटीशनकेँ देबाक भार ओ हमरेपर छोड़ने छथि। बुझल छन्हि जे अधिकारी सभ ओहि पेटीशनमे नेङरी मारत। आ तखन दोसर सभ बीचेमे पेटीशन छोड़ि भागि जएत। मुदा हम तँ से भेलापर पाछू पड़ि जाएब आ तखन पेटीशन दाखिल भऽ सकत हमरे बुते। ई विश्वास छन्हि मंडल सरकेँ।
“अहाँपर सँ हमर विश्वास उठि गेल अछि ।  एक महिनासँ झुट्ठे घुमा रहल छी। एखन धरि पेटीशन नै भेल दाखिल कएल”- बुढ़िया आइ लगा कऽ तेसर बेर ई सभ गप सुनेलक अछि आ चलि गेल अछि। पहिल बेर तँ हम मंडल सरकेँ कहबो केलियन्हि जे कोन फेरमे हमरा सभ पड़ल छी। एहि बुढ़िया लेल जान-प्राण लगेने छी। मुदा देखू, दस टा गप सुना कऽ चलि गेल। मुदा मंडल सर कहलन्हि जे- “नञि यौ। समएक मारल अछि ई । जेहन लोक सभसँ आइ धरि एकरा भेँट छै, तेहने ने बुझत ई अपना सभकेँ”। ई गरदा सानल फाइल सभकेँ मुदा आब घोंटि गेल छी हम, बुझू सोंखि गेल छी। आइ फेर बुढ़िया ई सभ गप कहि बहार भऽ गेल। हम आ मंडल सर एक दोसराकेँ देखि रहल छी। बिनु हँसने। पराजयक छाह दुनू गोटेक मुँहपर अछि।
“भऽ गेल अछि सर। एहि शुक्र धरि पेटीशन दाखिल भऽ जाएत”।
“मुदा अहाँक स्थानान्तरण भऽ गेल अछि, शुक्र दिन धरि अहाँकेँ जएबाक अछि”।
“कहलहुँ ने हम। भऽ जाएत शुक्र दिन धरि। जएबासँ पहिने दाखिल कइये कऽ जाएब। परिणाम तँ बादमे पता लागिये जाएत”।
बिनु हँसने, बिनु तमसाएल मुखाकृति लेने बहराइत छी। कऽ दैत छिऐक दाखिल एकर पेटीशन। हारत तँ ई हारत। जीतत जे ई, तँ जीतब हम।


सोहागो। गढ़ बलिराजपुरक बसिन्दा एकर परिवार। खेती-बाड़ी नीक, तरकारी बेचि नीक जमीन-जत्था बनेने। छह भाँएपर भेल छलीह सोहागो।
पिताक दुलारि। माताक दुलारि। सभ भाएँक दुलारि। मुदा मात्र दस बरख। फेर विवाह भऽ गेलन्हि। पतिसँ प्रेम छलन्हि वा नै छलन्हि, ई गप गरदा लागल कोर्ट फाइलमे नै लिखल अछि।
हुनकर नैहरक चर्च मात्र एक पैराग्राफमे खतम अछि। मात्र ई विवरण अछि जे पतिक मृत्यु भऽ गेलन्हि जखन हिनकर उमरि अठारह बरखक छलन्हि।
मुदा एकटा बेटा भगवानक कृपासँ मृत्युक पूर्व पति हुनका दऽ गेल छलखिन्ह। अठारह बरखक उमरि। एकटा बच्चा।
मुदा गरदाबला फाइलमे नहिये सासुरक कोनो लोकक आ नहिये नैहरक कोनो भाए-बन्धुक कोनो गबाही वा किछुओ भेटल। ताहिसँ ई लागल जे भाए सभ अपन-अपन परिवारमे व्यस्त भऽ जाइ गेल होएताह। तखन सोहागोक ई बयान जे ओ नैहरक दुलारि छलीह! माए-बापक आ छह भाँएक। माए-बाप तँ चलू बूढ़ भऽ मरि गेल होएताह, मुदा भाए सभ?
कष्ट काटि अफेलकेँ पढ़ेलन्हि-लिखेलन्हि सोहागो। बीस बरखक बेटा भेलन्हि तँ ओहो मृत्युकेँ प्राप्त कएलक। नीक सरकारी नोकरी भेटले छलैक। घटक सभ घुरियाइये रहल छलैक। आठ बरखक वैवाहिक जीवनक बाद बीस बर्खक वैधव्य। आब पुतोहु अबितैक आ नैत-नातिन संगे ओ खेलाइतए। मुदा तखने ई वज्रपात। मुदा हमर तँ तहिया जन्मो नै भेल छल होएत। नञि, सत्ते। बुझू जाहि बरख एहि बुढ़ियाक बेटाक मृत्यु भेल छलै, ताहि बरख हमर जन्म भेल रहए। आ तकरो बाइस बरख बीति गेल। बूढ़ी आब हमरा समक्ष अछि। ओकर बेटाक बैचमेट हमर मंडल सर। आ हम ओही पदपर छी जाहि पदपर ओकर बेटा आइसँ बाइस बर्ख पहिने नोकरी शुरूह कएने रहए। छह मास मात्र नोकरी कएने रहए आकि...। शुक्र दिन धरि समय बाँचल अछि हमरा लग। की करू? ई बुढ़िया हहाएल-फुफुआएल अबैत अछि। सरकारी कॉलोनीक गेटपर अपन बेटाक मूर्ति लगेबाक आग्रह लोक सभसँ करैए, कैक बरखसँ। मुदा एकर झनकाहि बला स्वभावसँ, व्यवहारसँ लोक एकरापर तमसा उठैत अछि। एकरा अर्द्ध-बताह घोषित कऽ देल गेल अछि। मुदा एहि बेर तँ एकर काज किछु दोसरे तरहक छैक। अही सप्ताह किछु करए पड़त। देखै छी।
 “अफेलकेँ मरबाक रहितै तँ अहाँक रिवाल्वरसँ अपन माथपर किऐ मारितए। ओकरा लग तँ अपन सर्विस रिवाल्वर रहए”।
“श्रीमान्। हमर बेटाक हत्या कएने अछि जटाशंकर। हमर जीवन नर्क बना देलक। बीस सालक हमर तपस्या समाप्त कऽ देलक। एकरा सजाए देल जाए”।
“मुदा जज साहेब। जटाशंकर आ अफेलक अलाबे ओहि घरमे क्यो नै छल। हमर कानून कहैए जे दस दोषी बहरा जाए मुदा एकटा निर्दोषकेँ सजा नै भेटए। के गबाही देत जखन तेसर क्यो रहबे नै करए”?
“मुदा जज साहेब अपने कहि रहल छथि जे अफेल दोसराक रिवाल्वरसँ अपनापर गोली किएक चलाओत। आ अपनापर गोली चलेबाक अर्थ भेल आत्महत्या। हमर बेटा हमरा असगर छोड़ि आत्महत्या कऽ लेत? किएक करत ओ आत्महत्या”?
“जटाशंकरकेँ हिरासतमे लेल जाए...अगिला सुनवाई....”।
फाइल पढ़िते रही आकि बूढ़ी बिहाड़ि जेकाँ आएलि।
“अहाँक चेलाक तँ ट्रांसफर भऽ गेल मंडल सर! सभ एक्के रंगक छी। हमर बेटाक मूर्ति कॉलोनीक गेटपर लागि जाइत तँ कोन अनर्थ भऽ जइतैक। मुदा सभ अपन-अपन घर परिवारमे लागल अछि! जे गेल से गेल। अनका की कहू, हमर भाइये सभकेँ देखू। कहै लेल तँ छह टा....”। हनहन-पटपट करैत ओ बहार भऽ गेलि। मंडल सर ओकरा-“सुनू। हिनकर ट्रांसफर भेल छन्हि मुदा एखन शुक्र दिन धरि रहताह”- ई सभ कहिये रहल छलाह मुदा ओ भङ्गतराहि नै सुनलक। किएक सुनत?
“की भेल? जाए दियौक। शुक्र दिन पेटीशन फाइल भऽ जएतैक तँ ओकर गोस्सा अपने ठंढ़ा भऽ जएतैक”।
“कहू जटाशंकर। हमरा तँ अफेलक आत्महत्याक कोनो कारण नै बुझना जाइत अछि। ई सत्य जे ओहि मृत्युक गबाह नै अछि। मुदा ओहि कोठलीमे मात्र दू गोटे रहथि। अफेल आ जटाशंकर। आ अहाँक रिवाल्वरक गोली अफेलक माथमे गेलैक।”
“मुदा जज साहेब। हमरा किछु सूचना भेटल अछि जाहिसँ हमर दिमाग घूमि गेल अछि। ओना हम ई सूचना सार्वजनिक करबाक पक्षमे नै छलहुँ कारण एहिसँ एकटा भूचाल आओत। मुदा जखन हमर क्लाइन्टपर फाँसीक सजाक खतरा घुरमि रहल अछि, हमरा लग एकरा सार्वजनिक करबाक अतिरिक्त आर कोनो उपाय नै अछि।”
“ई कारी कोट पहीर फेर कोनो बहन्ना अनने अछि। हम गरीब लोक छी सरकार। हमरा कोर्टक तारीखपर आबएमे ढेर खरचा उठबए पड़ैत अछि। एकरा सजा देनेसँ हमर बेटा घुरि कऽ तँ नै आओत मुदा ई फेर एहन काज नै करए से टा हम चाहै छी।”
“मुदा सोहागो देवीजी। ई केस कतेक माससँ चलि रहल अछि मुदा नहिये अहाँक परिवारक आ नहिये अहाँक सासुरक क्यो गोटे आएल”।
आगाँक आरोप प्रत्यारोपमे सोहागोपर चरित्रहीनताक आरोप लगाओल गेल रहै आ सिद्ध करबाक प्रयास कएल गेल रहै जे हुनकर पुत्र अपन माएक प्रेमी सभसँ आजिज आबि कऽ आत्महत्या कएने छल। जटाशंकर बचि गेल रहए। आब तँ ओ रिटायर भऽ सरकारी पेंशन उठा रहल अछि।
बिहारशरीफ घुरि हम बूढ़ीक पेटीशन दाखिल कऽ दै छी। पतिक मृत्युक बाद ऑफिस बला सभ सर्टिफिकेटक अभावमे ओकर जन्म तिथिपाँच साल घटा देने रहै, कोनो जानि बूझि कऽ से नै। मुदा बुढ़िया तै जमानामे मैट्रिक छल। मैट्रिकक सर्टिफिकेटक जन्म तिथिक हिसाबसँ पाँच साल आर नोकरी छै। चलू, जे भेलै एकरा संग, देखी आब। अगिला साल रिटायरमेन्ट छै, जे पाँच साल बढ़ि जएतैक तँ आर नीक। हमर ट्रांसफर तँ भइये गेल रहए से हम अपन झोर-झपटा आ समान चीज-बौस्तु लऽ कऽ अपन नव गन्तव्य स्थलपर बिदा भऽ जाइत छी। कार्यालयसँ जाइत काल बुढ़िया भेटैत अछि, कल जोड़ने ठाढ़, जेना कहि रहल होए- धन्यवाद। हम ओहि काल्पनिक धन्यवादक उत्तर दै छी- काज भऽ जाए तखन ने।
कएक साल बीति गेल। किछु व्यस्तताक कारणसँ आ किछु पेटीशन अस्वीकृत भऽ जएबाक सम्भावित सम्भावनासँ परिणामक प्रति उत्सुक नञि रहै छी। मुदा मंडल सर एक दिन भेटि जाइ छथि।
“ओकर पेटीशन स्वीकृत कऽ लेलकै विभाग। रिटायरमेंटक दिनसँ पहिनहिये आदेश आबि गेल रहै। आब ओ पाँच साल आर संघर्ष करत, सरकारी कॉलोनीक गेटपर अपन बेटाक मूर्ति लगेबाक लेल वा ….वा आन कोनो संघर्ष”।
आह! एहि बुढ़ियाक जीतक बाद हमर अपन हारि सभक नमगर फेहरिस्टक आब कोनो लेखा नै। आब हमरो इच्छा भऽ गेल अछि, इच्छा जितबाक। सोझाँ-सोझी विजयक इच्छा, एहि बुढ़ियाक माध्यमसँ भेल अप्रत्यक्ष विजयक बाद।

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