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Saturday, April 7, 2012

बाबाधाम :: नन्‍द वि‍लास राय


बोल-बम बोल-बम। बोलबम-बोलबम ई आवाज कमलीक कानमे पड़ल तँ ओ घास काटव छोड़ि‍ सड़क दि‍स‍ तकलक। एकटा बसमे पीयर-लाल कपड़ा पहि‍रि‍ने लोक सभकेँ देखलक। बसक भीतर आ छतपर लोक सभ बैस कऽ बोलबम-बोलबमक नारा लगवैत छल। बस तेजीसँ सड़कपर दौड़ रहल छल।
कमलीक खेत सड़कक कातेमे छल। ओ खेतक आरि‍पर घास काटि‍ रहल छलि‍। कमली सोचए लगली- कतेक लोक बाबा धाम जाइत अछि‍ मुदा हमर तँ भागे खराप अछि‍। कतेक दि‍नसँ वि‍कलाक बापकेँ कहैत छी मुदा ओ अछि‍ जे धि‍याने ने दैत अछि‍।

कमली आ लखन दू परानी। एकटा बेटा ि‍वकला। वि‍कला सातमे पढ़ैत। लखनक माए-बापक सत्तर अस्‍सी बर्खक बूढ़। लखनकेँ पाँच बि‍घा खेत। एक जोड़ा बड़द आ एकटा महीसो। लखनकेँ कतौ जइक लेल सोचए पड़ए। कि‍एक तँ सत्तर बर्खक बूढ़ माए आ अस्‍सी बर्खक अथवल बापकेँ छोड़ि‍ कतए जाएत। तइपर सँ एक जोड़ा बरद आ महीसोकेँ देख-रेख। पाँच बि‍घा खेतमे लागल फसलक ओगरवाही। असगरे कमलीसँ कोना पार लागत। तैं कमलीक बाबाधामबला बातपर लखन धि‍यान नै दैत छल। लखन सोचए कमलीकेँ गामक लाेक संगे बाबा धाम भेज देव तँ भानस के करत? धास के आनत। असगरे हम की सभ करब। बेटा वि‍कला पढ़ते अछि‍। ओकरा स्‍कूलसँ छुट्टी होइत अछि‍ तँ ओ टीशन पढ़ै लए चलि‍ जाइत अछि‍। बि‍ना टीशन पढ़ने कोना परीक्षा पास करत। सरकारी स्‍कूलमे की आब पढ़ाइ होइत अछि‍। मास्‍टर सभ बैस कऽ गप लड़बैत रहैत अछि‍। चटि‍या सभ कोठरीमे बैस कऽ गप करैए अथवा लड़ाइ-झगड़ा। मास्‍टर सबहक लेल धनि‍ सन। लखन अपन खेती गृहस्‍थीक संगे माए-बापकेँ सेवा नीकसँ करैत अछि‍। माए तँ थोड़े थेहगरो छथि‍न मुदा बापकेँ उठवो-बैसवोमे दि‍क्‍कते छन्‍हि। हुनका पैखाना-पैशाव लखनेकेँ कराबए पड़ैत अछि‍। पौरकाँसाल फगुनमे लखनक पि‍ताजीकेँ लकबा मारि‍ देलकनि‍। मश्रा पॉली क्‍लि‍नीक दरभंगामे इलाज करेलासँ जान तँ बचि‍ गेलनि‍ मुदा अथवल भऽ गेलाह। भगवान लखन जकाॅँ बेटा सभकेँ देथुन। ओ तन मन आ धनसँ माए-बापकेँ सेवा करैत अछि‍।

लखनक एकटा संगी अछि‍। नाम छी सुकन। सुकन लखनसँ वसी धनीक अछि‍। दूटा बेटा अछि‍ सुकनकेँ। दुनू बेटा सातवाँ तक पढ़ि‍ दि‍ल्लीमे नौकरी करैत अछि‍। मासे-मासे बेटा सबहक भेजलाहा ढौआ सुकनकेँ भेट जाइत अछि‍। सुकनोक माए-बाबू जीवते छथि‍न। सुकनक माए कम देखैत छथि‍न। हुनका राति‍केँ सुझवे नै करैत छन्‍हि। एक दि‍न सुकनक माए राति‍केँ ओसारपर सँ गि‍र गेलखि‍न हुनका पएरमे मोच पड़ि‍ गेलन्‍हि‍। लखनकेँ पता चलल ते ओ सुकनक माएक जि‍ज्ञासा करै लए गेल। सुकनक माए लखनकेँ अपने बेटा जाहि‍त मानैत छेलखि‍न।
लखन सुकनक माएसँ पुछलक- ‍माए कोना कऽ ओसारपर सँ गि‍र गेले।
सुकनक माए बाजलि‍- बौआ, आब हमरा सुझै नइ अछि‍। राति‍ क तँ साफे नै देखैत छी। बेचू बाबूक छोटका कनटीरबा दरभंगामे डाकडरी पढ़ैत अछि‍ ओ फगुआमे गाम आएल छल हुनाक कहलि‍ऐ तँ ओ हमर दुनू आँखि‍ देखलक आ कहलक जे दुनू आँखि‍मे मोति‍यावि‍न भऽ गेलौहेँ। कहलक जे ऑपरेशन करेलासँ ठीक भऽ जाएत आ नीक जहाति‍ सुझए लगत।
हम सुकनकेँ कहलि‍ऐ तँ ओ कहलक जे एखन ढौआ नै अछि‍। ढौआ हएत तँ लहान लऽ जा कऽ ऑपरेशन करा अनबै। मुदा फागुनसँ भादो आबि‍ गेल, ऑपरेशन नै करा आनलक। सुनै छि‍ऐ चौठचन्‍द्रक परात दुनू परानी बाबाधाम जएत।
सुकनक बाबूजी सत्तरि‍ बर्खक छथि‍न। ओ नामी गि‍रहत छलाह। तरकारी उपजा कऽ बेचै छलाह। तरकारी बेचि‍ कऽ पाँच बि‍गहा खेत कीनलाह। आब उमर बेसी भेलासँ काज करै जोकर नै रहलाह। हुनका चाह पीबाक आदति‍ भऽ गेल छन्‍हि‍। भोर आ साँझ चाह हेबाके ताकी। एकटा आदति‍ आओर छन्‍हि‍, खैनी खाइक। सुकन अपनाबाबू जीकेँ चाह आ खैनी नै जुमाबैत अछि‍। केहैत छन्‍हि‍- कैंसर भऽ जेतह। मुदा अपना पान-पराग, सि‍गरेट, दारू सबहक सेवन करैत अछि‍।

एक दि‍न लखन सुकनक दलानक पाछाँसँ जाइत छल तँ सुकन जोर-जोरसँ बाजब सुनि‍ कऽ ठाढ़ भऽ गेल। सुकनक दलानक पाछाँसँ सड़क गुरजै छै। सड़केपर सँ लखन सुनए लागल। सुकन बजै छल- हरदम चाह-चाह रटैत रहैत छहक। कि‍छु बुझबो करै छहक। चीनी चालीस टके कि‍लो भऽ गेल। चाहपत्ती जे बारह टाकामे भेटै छलै आब बीस टाकामे भेटै छै। पानि‍बला दुध पन्‍द्रह रूपैये गि‍लास। के जुमत चाहमे। आ तोरा भोर-साँझ चाह हेबाके चाही। हम न‍ सकब-तोरा चाहजुमबैमे।
बूढ़ा कि‍छु नै बजैत रहथि‍। लखनकेँ कोनो जरूरी काज रहै तँए ओ आगाँ बढ़ि‍ गेल।
सुकन अपना पड़ोसि‍या ओइठाम माए-बाबूक भोजनक जोगार लगा कऽ चौठचन्‍द्रक वि‍हाने दुनू परानी बाबाधाम वि‍दा भऽ गेल। सुलतानगंजमे गंगाजल भरि‍ कामौर लऽ बाबाधाम पहुँचल। एकादशीकेँ बाबाधकेँ जल चढ़ा वासकीनाथ, तरापीठ होइत ओतएसँ कलकत्ता चलि‍ गेल। एमहर एे बीच सुकनक बाबूजी बेमार पड़ि‍ गेलखि‍न। हुनका बोखर लाग गेलनि। लखनकेँ संमाद भेटल जे सुकनक बाबूजी दुखि‍त छथि‍न। लखन ओइठाम जा डाक्‍टरकेँ बजा कऽ अपना दि‍ससँ खर्च कऽ बूढ़ाक इलाज करौलक। जाबे धरि‍ सुकन दुनू परानी बाबाधमसँ आपस नै आएल ताबे धरि‍ लखन दि‍नमे एकबेर सुकनक माए-बाबूक भेँट करबाक लेल नि‍श्चि‍त जाए। दुनू गोटेक लेल अपना दि‍ससँ चाहरे आ खैनीयोक जोगार लखन कऽ देने छल।

सुकन जि‍ति‍या पावनि‍सँ तीन दि‍न पहि‍ने गाम आएल। सुकनकेँ बाबाधाम आ कलकत्तासँ आपस अएलाक दोसर दि‍न भि‍नसरे चौकपर चाहक दोकानपर लखनक भेँट सुकनसँ भऽ गेल। सुकन चाहक दोकानपर बैस कलकत्ताक वर्णन करैत छल। लखन सुकनसँ रास्‍ता-पेराक समाचार पुछलक। तँ सुकन कहलक- रौ दोस, बाबाक कृपासँ सभ कि‍छु नीके रहलौ। दुनू पानी कलकत्तो घुमि‍ये लेलि‍यो। तोँ खाली बैंकमे ढौआ राख ने। तोँ की बुझबेँ धरम-करम। तोरा जँ ढौआक आमदनी हेतौ तँ तोँ खेत भरना लेमे नै तँ बैंकमे रखमे। हम दुनू परानी दस बर्खसँ कामोर लऽ कऽ बाबाधाम जाइत छी।
सुकनक बात लखनकेँ नै सोहाएल। ओ सोचलक जे एखन एकरा जबाब देनाइ ठीक नै हएत। लखन- रौ दोस, से तँ ठीके कहै छी। हम धरम-करम की बूझब। मुदा हम अपन माए-बापक सेवा तन-मन-धनसँ करै छी। हमरा लेल तँ बाबाधाम हमर माइये-बाबू छथि‍। हमरा लेल तँ हमर बाबूजी साक्षात् महादेव आ माए पार्वती छथि‍। हुनके दुनू गोटेक सेवा करब बाबाधाम कामोर लऽ कऽ जाएबसँ बेसी नीक बुझै छी। ककरो अधलाहो नै सोचैत छी आ ने करै छी। तोँ कह जे माइक मोति‍यावि‍न्‍दक ऑपरेशनक लेल तोरा ढौआ नै छौ। बाबूजीक चाह पि‍याबैक लेल तोरा ढौआ नै छौ। मुदा बाबाधाम जेबाक लेल ढौआ छौ। कलकत्ता घुमैक लेल ढौआ छौ। दारू पीबैले ढौआ छौ। माएकेँ सुझै नै छौ। राति‍ कऽ ओसारापर खसलखि‍न तँ पैरमे मोच पड़ि‍ गेलनि‍। जँ तोँ अपन माइक मोि‍तयावि‍न्‍दक ऑरोशन करा आनने रहि‍तेँ तँ ओ ओसारापर सँ नै खसि‍तथि‍न। अपने दुनू परानी बाबाधाम गेलाह मुदा माए-बाबूक भोजनक जोगार पड़ाेसि‍या ओतए लगा कऽ गेलेँ। तोहर बाबूजी बेमार पड़ि‍ गेलखुन तँ डॉक्‍टर बजा हम इलाज करौलि‍यनि‍। तोँ बूढ़ माए-बाबूकेँ एकोटा टाका नै देने गेल रहेँ। अपना दुनू परानी बापक अरजलहा सम्‍पत्ति‍ आ बेटा सभक कमाइसँ एश-मौज करै छेँ। मुदा माए-बाप एक कप चाहक लेल काहि‍ कटै छौ। धुर बूरि‍ तोँ की बजमेँ।

लखनक बात सुनि‍ सुकन गुम्‍म पड़ि‍ गेल। ओकरा कोनो जबाबे नै फुराएल। ओरका भेल जेना बीच बाजारमे कि‍यो नंगट कऽ देलक।

जन्‍म- 02.01.1957ईं.मे,
शि‍क्षा- बी.एस.सी. (गणि‍त),
आइ.टी.आइ. (टर्नर)।
गाम, पोस्‍ट- भपटि‍याही, टोला- सखुआ,
वाया- नरहि‍या, जि‍ला- मधुबनी, ि‍बहार।

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