Pages

Friday, October 18, 2013

(49) एकोटा ने

एकोटा ने

पुरमपुर गाममे पुरन कक्काक परि‍वारकेँ गौआेँ आ अनगौआेँ पुनचन परि‍वारसँ जनैत छन्‍हि‍। ओना अस्‍सी बरखक अवस्‍थामे कहि‍यो पुरन काका कनमा-कनइ नै पढ़लनि‍ मुदा कनमा-कनइ दुनूक कि‍रदानी देखि‍-देखि‍ सदिकाल क्षुब्‍ध रहै छथि‍। गरे ने बैसै छन्‍हि‍ जे जे वस्‍तु तराजूपर रखि‍ बटि‍खाड़ासँ तौलल जाएत, ओ जौं बँटैत-खोंटैत, पौआ-कनमा होइत रत्ती-माशामे चलि‍ जाएत तँ चलि‍ जाएत, मुदा दुनि‍याँक एते नम्‍हर धरती केना बँटाएत-खोंटाएत कनमा-कनइ-फनै दि‍स‍ पहुँच‍‍ जाइए। वादलक कि‍रदानी की‍ पतालक पानि‍ सोंखि लेत? जौं सोंखए चाहत तँ राखत केतए? हवा-बि‍हाड़ि‍ केत्तेकाल अँटका कऽ रखि‍ सकैए। खैर जे होउ मुदा पुरन काका करैला लत्तीक मचान जकाँ अपना परि‍वारकेँ बनाैने छथि‍। जहि‍ना सक्कत-कड़गर बीआ धरती धारण करि‍ते, दि‍यारीक तेल-बत्ती जकाँ अपन ति‍ल-ति‍ल अर्पित करए लगैए‍ तहि‍ना ने करैलोक बीआ केने अछि‍। वएह अँकुर ने धरती धारण करैत ऊपर आबि‍ लत्ती बनि‍ लतड़ए लगल। भलहिं पातर-छीतर कड़चीक आलम संग मचानपर किए ने पहुँचल हुअए। तँए कि‍ ओ अपन शरीरक रच्‍छा करैत मुँह बँचबैत नै पहुँचल? जरूर पहुँचल अछि‍।
पुरन कक्काक परि‍वारोक सभ तेहने छन्‍हि‍ जे अपनामे जे घंघौज होन्‍हि‍ मुदा काका लग पहुँचिते मन सकदम भऽ जाइत छन्‍हि‍, किएक तँ सभ बुझैत जे अगियाएलमे हँसीओ ही-ही-आ कऽ धड़ै छै। तँए जहि‍ना रस्‍तापर ऐंठैत-जुठैत चलैत साँप बोहरि‍मे प्रवेश करि‍ते सोझ भऽ जाइत तहि‍ना कक्काक सोझमे परि‍वारक सदस्‍य। ओना, बि‍नु पएरक चलैबला साँप माटि‍पर चलि‍ केना सकैए। मन-चि‍त्त मारि‍ पुरनो काका राति‍-दि‍न परि‍वारेक पाछू लगल रहै छथि‍। अखनो मनमे ओहि‍ना ओ बात तड़गर बनल छन्‍हि‍ जे वीर भोग्‍या बसुंधरा। जे ऐ धरतीसँ प्रेम करत ओकरे प्रेमी बनि‍ धरतीओ चुम्‍मा लेत। कखनो माए बनि‍, कखनो भाए-बहि‍न बनि‍।
चेतनसँ बालबोध धरि‍क परि‍वार पुरन कक्काक छन्‍हि‍। तालो मेल अजीव छन्‍हि‍। चेतन सभ पुरन काकाकेँ गार्जन बूझि‍ अपन छुट्टी नेने रहैए तँ बालो-बोध सभ अपन बाबा बूझि‍ अपने सभ कि‍छु बुझैए। परि‍वारक सभसँ छोट बच्‍चा चारि‍ सालक छन्‍हि‍। तालो-मेल नीक छन्‍हि‍। अँगनाक सभ समाचारक समदि‍या रहि‍तो संवाद-बाहकक काज करि‍ते छन्‍हि‍। एहेन चेला भेटबो मोसकि‍ल। मुदा से तँ छन्‍हि‍ए। नवका दोस्‍तीआरे तँए बेसीकाल एकठाम रहने चाहो-बि‍स्‍कुट संगे करै छथि‍। काका खुशी जे अपन बात पहि‍ने उसारि‍, भरि‍ दि‍न गप सुनैले तैयार रहैए। आ पोता दीनमा खुशी जे आँखि‍-कान तँ तखने काजक बनत जखनि ओकरासँ काज कराएब। नै तँ गमे-गमे गेड़ी बनि‍ जाएत। मुदा से कहाँ होइ, एक काने सुनै आ दोसर काने उड़ि‍ जाए। उड़ैत-उड़ैत सुतली राति‍मे सभ उड़ि‍ जाए।
वसन्‍तक आगमन भऽ गेल। कि‍छु दि‍न पूर्व जे जाड़सँ जड़ियाएल छल, पालासँ पलाएल छल ओ फुड़फुड़ा कऽ उठल। सुखाएल-सड़ल लत्ती आ कुमही जकाँ पबि‍ते वसन्‍ती हवामे उड़ए लगल। मुदा तैयो बेदरंग भेल धरती, घर-आँगन जकाँ बाहरै-सोहरै लेल इशारा दि‍अए लगल। रसे-रसे रस भरल हवाक रमकी रमकए लगल। जहि‍ना सेवा ि‍नवृत्ति‍क समए कोनो अफसरकेँ स्‍वर्ग सुझैत तँ कोनोक आगूमे नांगट नर्कक नाच होइत अछि‍, तहि‍ना शि‍शि‍र -सि‍रसि‍राइत समए- वसन्‍तक बीच होइत। मुदा से बात पुरन कक्काक परि‍वारमे नै छन्‍हि‍। कोल्हुक बड़द जकाँ परि‍वारक सभ अपने-अपने नाचक पाछू लगल रहै छन्‍हि‍।
दि‍न उगि‍ते दीनमा, बाइस खा जत्ताक -माटि‍क बनौल- दुनू पट्टा दुनू हाथमे नेने दरबज्‍जाक आगूमे बैस‍, रस्‍ताक धूरा-गरदाकेँ जत्तामे पीसए लगल। बि‍नु देखनौं आशा बनले रहै जे बाबा दरबज्‍जेमे छथि‍। सूतल छथि‍ कि‍ जागल, तइसँ कोन मतलब दीनमाकेँ। ओ तँ अपन काजमे बेहाल। मनमे रहबे करै जे चाहक बेर भऽ गेल अछि‍ माए चाह आनि‍ देबे करतनि‍, हमहूँ पीबे करब। परि‍वारक बोझसँ दबल थोड़े रहै जे नून नै अछि‍ तँ केसक तारीखपर जाए पड़त। जहि‍ना तत्ववेत्ता तत्‍वचि‍न्‍तनमे रमल रहैत तहि‍ना दीनमा अपन काजमे हराएल। कोन मतलब ओकरा रहै जे बुझैत, काजक हराएल अधखरूआ रहि‍ जाइए।
माइक हाथक चाह देखि‍ते दीनमा, जत्ता छोड़ि‍ आगूए आगू दरबज्‍जाक ऊपर चढ़ल। दीनमापर नजरि‍ पड़ि‍ते पुरन काका मुस्‍की दैत कहलखि‍न-
की दीनबाबू, चाहो-ताहक बेर भेलैए आकि‍ नै?”
तैबीच चाह नेने पुतोहु पहुँच गेलनि‍। दीनमाक नजरि‍ देबालमे टाँगल हनुमान जीक छातीक रामपर पहुँच‍‍ गेल। देबालमे सटल फोटो देखि‍ दीनमा बाजल-
बाबा, उ फोटो उतारि‍‍ दि‍अ।
दीनमाक बात सुनि‍ पोल्हबैत पुरन काका कहलखि‍न-
बौआ, पहि‍ने चाह पीब लिअ, पछाति‍ ई सभ हेतै?”
जेना बुझले रहै तहि‍ना दीनमा बाजल-
पहि‍ने अहाँ पीब ने लिअ, पाछू हम‍ पीअब।
बहन्ना पकड़ाइत देखि‍ पुरन काका कहलखि‍न-
हमरा हाथमे गि‍लास अछि केना उतारल हएत?
चाह पीब, खि‍ड़कीपर रखल खुरपी उतारि‍‍ पुरन काका वाड़ी-झाड़ी दि‍स‍ वि‍दा होइक वि‍चार केलनि‍। हाथसँ खुरपी छि‍नैत दीनमा आगू-आगू वि‍दा भेल।
दारीमक वाड़ी पहुँच‍‍ काका हि‍या-हि‍या हि‍यबए लगला। गाछक जड़ि‍मे पानि‍क अभाव बूझि‍ पड़लनि‍। मुदा गाछक डगडगी आ फूलसँ लदल गाछ देखि‍ मन ललि‍या गेलनि‍। लाल-लाल फूलसँ लदल गाछ। सभ डारि‍मे फूल लागल। खुरपी नेने दीनमा खाधि‍ खुनैक जगह हि‍यबैत। हि‍या-हि‍या फूलकेँ देखैत हरियाएल-हरियाएल फड़ो देखलनि‍। मन भेलनि‍ जे जेतबे- तेतबे जड़ि‍ सबहक खढ़ उखाड़ि‍ दिएे। मुदा नजरि‍ दारीमक काँटपर गेलनि‍। डारि‍ए काँट भऽ जाइए। ऊपर-नि‍च्चाँ सगतरि‍ काँट। जखने अपने खढ़ उखाड़ए लगब तखने ईहो -दीनमो- कि‍छु-ने-कि‍छु करए लगत। तहूमे खुरपी हाथेमे छै। तेहेन झाड़ी अछि‍ जे सुगबा साँप जकाँ माथमे गड़तै कि‍ गरदनि‍मे तेकर कोन ठेकान। जखने काँट गड़तै की‍ कानब शुरू करत। जखने कानत तखने ओकरा चुप करब आकि‍ गाछक जड़ि‍क खढ़ उखाड़ब। समझौता करैत काज मनमे एलनि‍। काज ई जे फड़क गि‍नती कऽ ली। दीनमा हाथक खुरपी आड़ि‍पर रखि‍, कोरामे उठा दीनमाकेँ काका कहलखि‍न-
बौआ, अहाँकेँ नेने हम टहलब आ अहाँ फड़ गनब।
नव फड़क गि‍नतीक काज देखि‍ दीनमाक मन खुशीसँ आरो खुशि‍या गेल। मुदा कट्टा भरि‍ झाड़ीक बगानमे पचासोसँ ऊपर गाछक फड़ केना गनि‍ लेब। तहूमे बीसे तक गनल होइए। गाछक सभ फड़ अपने हि‍या-हि‍या देखथि‍, जे फड़क बीच कीड़ोक असर भेल हेन आकि‍ नै। अपने तँ एक्केटा गाछक फड़ देखि‍ अन्‍दाजि‍ लेलनि‍ जे केते हएत। जहि‍ना गोल-गोल, कि‍छु नमती नेने लाल-लाल फूल हरि‍अर होइत अपन जि‍नगीक फल पकड़ि‍ रहल अछि‍, तहि‍ना तँ गोटि‍-पंगरा करुआएल आमक आकार सेहो पकड़ि‍ रहल अछि‍। एकसँ दोसर गाछक फड़ गनैमे दीनमा बेर-बेर बि‍सरि‍ जाए। कखनो गि‍नतीए छूटि‍ जाइ तँ कखनो अंके बि‍सरि‍ जाए। कखनो बीससँ ऊपर नै बढ़ल। अंतमे काका पुछलखि‍न-
बौआ, केते फड़ भेलह?”
बाबाक प्रश्न सुनि‍ दीनमाक मुहसँ नि‍कलि‍ गेल-
दसटा।
अच्‍छा बड़बढ़ि‍याँ। आब एतए आबि‍ कऽ खेलिहऽ। ओगरबाहि‍ओ भऽ जेतह आ खेलबो करबह।
नीक फसल भेलनि‍। खाइ जोगर फल हुअ लगल। फड़ फल बनि‍ गेल। ओना सजमनि‍ फड़क-फड़े रहि‍ जाइत। मुदा दारीम, आम, लताम इत्‍यादि‍ फड़सँ फल बनि‍ जाइत अछि‍। अंति‍म अवस्‍था अबैत-अबैत तूबि-तूबि‍ फल अपने खसए लगल।
गाछक सभ फल समाप्‍त भऽ गेल। जहि‍ना परसौती जनानाकेँ देख-भालक जरूरति‍ पड़ैए तहि‍ना ने वाड़ीओ-झाड़ीक अछि‍। ई सोचि‍ पुरन काका दीनमाक संगे दारीमक गाछ लग पहुँचला। जे कहि‍यो फड़-फूलसँ लदल छल ओ सून-सून भेल गाछ अपन बेथा सुना रहल अछि‍। बेथि‍त मने दीनमाकेँ पुछलखि‍न-
बौआ, केते फड़ अछि?”
वि‍चलि‍त होइत दीनमा बाजल-
एकोटा ने।
ऐ लेल वि‍चलि‍त किए होइ छी। जहि‍ना समए आएल छेलै तहि‍ना फेनो औतै।
केना औतै?”
समए अनुसार एकर ताक-हेरि‍ करबै तँ एबे करतै।

m m m

No comments:

Post a Comment