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Monday, September 15, 2014

बेसी भऽ गेल आब नै (क. हेम नारायण साहु)

हेम नारायण साहु :: 

बेसी भऽ गेल आब नै


गामक चौबटि‍यापर एकटा झमटगर पीपड़क गाछ छल। गाछतर बैसल शीलाक मन उदास रहै। गुनधुनमे पड़ल छलि‍। हमर जि‍नगीक समए सभ शेषे अछि‍ हम केना ऐ पहाड़ सन जि‍नगीकेँ पार लगाएब, से नै जानि‍। जि‍नका संगे जि‍नगीक जि‍नगीक शुरूआत बि‍आहक पवि‍त्र बन्‍धनसँ भेल सेहो हमरासँ सदि‍खन लड़ि‍ते-झगड़ि‍ते रहै छथि‍। हरि‍दम गारि‍-बात दैत रहै छथि‍। सासु-ससुरक कोन चर्चा। जखनि‍-तखनि‍ सासुक खोबहाटन लादले रहैए-
तोहर बाप हमरा बेटाकेँ ठकि‍ बि‍आह करा लेलक। हम जे सोचने रही ओ सभटा मनक बात मनेमे रहि‍ गेल। फल्‍लाँ गामक घरदेखि‍या मन-माफि‍त टाका दइ छेलै। गाड़ी दइ छेलै। नै जानि‍ रमुआक बाप कोन ठकहरबाक चालि‍मे पड़ि‍ हमरा बेटाकेँ बोइर देलक।
एवं प्रकारे शीलाकेँ सभ दि‍न फझैत करैत रहै छेलै। बेर-बेर सासु कहैत रहै छेलखि‍न-
अहाँ नैहर जा कऽ अपन माए-बापसँ दू लाख टाका आ एगो मोटर साइकि‍ल लाबि‍ आनू नै तँ...।
शीला ऐ सभ उलहन-उपराग आ पड़तारनासँ उबि‍ गेल छलि‍। उबबो केना ने करैत जखनि‍-तखनि‍ सासुक खोबहाटन शुरू भऽ जाइ छेलै। पति‍ सेहो माइक बातमे हँ-मे-हँ मि‍ला दैत छेलै। वेचारी शीला कएक दि‍न खेनाइओ ने खाइ छलि‍, भूखले रहि‍ जाइ छलि‍। भूखल-पि‍आसल देह कारी झामर भऽ गेल छेलै।
शीलाक माए-बाबू ऐ पेनकट्टा झोड़ाकेँ भरि‍ओ केना पबैत। तीन भाए-बहि‍नक संग माए-बाबूक परि‍वार। मध्‍यम वर्गीय परि‍वार, दस कट्टा जमीन छेलै जेकरा जोति‍-कोरि‍ परि‍वारक भरन-पोषण करैत छल। आमदनीक आर कोनो साधन नै। ओही सि‍मि‍त आमदनीमे तीनू भाए-बहि‍न पढ़ि‍तो-लि‍खि‍तो छल। शीला बी.ए. पास कऽ एम.ए.मे नाओं लि‍खौने छलि‍। छोट बहि‍न बारहमी कक्षामे निर्मली कौलेजमे पढ़ैत छलि‍ तथा सभसँ छोट भाए एगारहमीमे पढ़ै छल।
शि‍लाक बि‍आह फुलपरास नि‍वासी श्रीधर ठाकुरक जेठ सन्‍तान रमाकान्‍तसँ भेल। शि‍लाक बि‍आह अपना भरि‍ बड़ धूम-धामसँ केलनि‍। करबो केना ने करि‍तथि‍ जेठ बेटीक बि‍आह रहनि‍। दस कट्टा जमीनमे सँ तीन कट्ठा बेचि‍ लेलनि‍ आ कि‍छु पैंचो-उधार कऽ शि‍लाक पि‍ता कुटुमकेँ नगदी रूपैआक संग सभ सभ सरमजान देलकनि‍।
कि‍छु दि‍न तँ नीक जकाँ समए बीतल। मुदा पछाति‍ शीला संग जे रामलीला शुरू भेल से असहनीय भऽ गेल। शि‍ला कोनो उपए नै देखि‍ सासुरसँ वि‍दा भऽ चौबटि‍याक पीपड़क गाछतरमे बैसि‍ गुनधुन कऽ रहल अछि‍। गुनधुन करैत दीदीक कहल बात मन पड़ि‍ गेलै, बेटीक पएर सासुरसँ अन्‍ति‍म समैमे उठैत अछि‍। मुदा शि‍ला ऐ वि‍चारकेँ पुरान बूझि‍ पएर उठा नेने छलि‍।
शि‍ला ओतएसँ अचानक उठि, हाथमे झोला लऽ नैहर दि‍स वि‍दा भऽ गेलि‍। नीक-बेजए मनमे नचि‍ते रहै। अन्‍तमे निर्णए केलक जे सै नै तँ पहि‍ने गाम पहुँच माएकेँ सभ दुखनामा सुना देबै, पछाति‍ देखल जेतै।
नैहर आबि‍ शि‍ला अपन सभ दुखरा माएकेँ सुनौलक। माए दुखी भऽ गेली। दुनू आँखि‍सँ नोरक धार बहए लगलनि‍। जमीन बेचलौं संग-संग उधारो-पैंच केलौं अपना भरि‍ कोनो कसरि‍ नै कऽ हँसी-खुशीसँ जे बनि‍ पड़ल से सभ कि‍छु देलौं। मुदा तैयो...।
माएक नोर पोछैत शीला बाजलि‍-
माए, तूँ कनै कि‍ए छेँ। नै कान। हमराले तूँ चि‍न्‍ता नै कर, हम ऐ समस्‍याक नि‍दान नि‍कालि‍ लेब हमरामे ई सामर्थ्‍य अछि‍। हम कोनो मुर्ख नै छी। हमरा सन-सन बहुतो बेटीक संग ऐ तरहक समस्‍यासँ लड़ऽ पड़ि‍ रहल छै। हम अहीठाम रहि‍ अपन गुजर करब मुदा दहेज रूपे राक्षकसँ दूर रहब।
शीलाक ई वि‍चार सुनि‍ माए चुप रहली। गामक अभि‍भावक सभ सेहो शीलाक वि‍चारसँ सहमि‍ गेला।
शीला अपन दलानमे बच्‍चा सभकेँ ट्यूशन पढ़ेनाइ शुरू केलक। देखि‍ते-देखि‍ते ट्यूशन खूब चलए लगल। आर्थिक रूपे कमजोर परि‍वारक बच्‍चाकेँ बि‍नु फीसेक पढ़बैत रहए। ट्यूशनक आमदनीसँ शीला एम.ए.क अधूरा कोर्सकेँ पूरा सेहो केलक। छोट बहि‍नक बि‍आहमे सेहो आर्थिक सहयोग केलक। आगू चलि‍ बि‍हार सरकारक शि‍क्षक नि‍योजन हेतु टी.ई.टी. परीक्षा सेहो पास केलक। आ कनीए दि‍नक बाद शि‍क्षक पदपर बहाली सेहो भऽ गेल।
एम्‍हर शीलाक सुखद दि‍नक चर्च सासुरमे पहुँच गेल। शीलाक ससुर रामाकान्‍तकेँ कहलखि‍न जे कनि‍याँक वि‍दागरी करा आनहुन।
साझक समए छल। रामाकान्‍त सासुर पहुँचि‍ शीलाकेँ देखै छथि‍ शीलाकेँ पढ़ैत। रामाकान्‍त शीलाकेँ हाल-चाल पुछलखि‍न। मुदा शीला कि‍छु ने बाजलि‍। चुप-चाप सुनि‍ रहल छलि‍। बातकेँ घुरि‍यबैत कहलखि‍न-
हम आएल छी अहाँकेँ वि‍दागरी करबए लेल। जे भेल से बि‍सरि‍ जाउ। हमरा स्‍वयं गलतीक भान भेल। बि‍सरि‍ जाउ सभटा। आब कोनो तरहक उलहन-उपराग नै देता हमर माए-बाबू।
शीला बाजलि‍-
अहाँ ई गप कोन मुहेँ हमरा कहै छी। आइ दि‍नकर केमहर उगि‍ गेला। आइ जे हमरा वि‍दागरी करबए एलौं से की।
रामाकान्‍त कहलखि‍न-
जे भेल से आब ि‍कन्नौं ने हएत।
शीला उत्तर देलखि‍न-
आब तँ ठीके आेना नै हएत जेना अपने सभ एतेक दि‍न हमरा संग केलौं। आब तँ हमरा टाका अछि‍, नौकरी अछि‍। से तँ आब अहाँकेँ भेटि‍ए रहल अछि‍। अहाँ हमरासँ थोड़े बि‍आह केने छी। अहाँ तँ टाकासँ बि‍आह केने छी। जइ कारण एते दि‍न फुटलि‍यो आँखि‍ए ने सोहाइ छेलौं। पति‍-पत्नीक सम्‍बन्‍धकेँ बि‍सरि‍ गेल छेलौं। जे सम्‍बन्‍ध जन्‍म-जन्‍मान्‍तरक होइ छै। दुख-सुखमे सेहो ओहि‍ना रहै छै। तेकरा अहाँ सनक पुरुखक पड़ि‍तानासँ आइ समाजक सैकड़ो नव-वि‍वाहि‍ताकेँ आत्‍म हत्‍या करए पड़ै छै, मुदा से हम नै कऽ जे रस्‍ता धेलौं हमरा तहीपर रहए दि‍अ। अहाँ एतएसँ चलि‍ जाउ, जे भेल से बहुत भऽ गेल आब नै। हमरा अहि‍ना रहए दि‍अ।
शीलाक दृढ़ता देखि‍ रामाकान्‍तकेँ जेना ठकमुड़ी लगि‍ गेलनि‍। मने-मन उचि‍त-अनुचि‍तक भान हुअ लगलनि‍।¦¦¦

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