Pages

Wednesday, September 24, 2014

चतुर बालक (क. फागु लाल साहु)

83म सगर राति‍ दीप जरय, सखुआ-भपटि‍याही गोष्‍ठीमे पठि‍त कथा-  



चतुर बालक






ई कथा सोनू नामक एकटा दस बर्खक बालकक छी। सोनू गरीब परि‍वारमे जनम भेने गामक-घरक लड़का सभसँ कतराइते रहै छल जे,  हमर माए-बाबू गरीबीक जि‍नगी जीब रहल अछि‍।
एक दि‍न सोनू अपना गामसँ बजार चलि‍ देलक। बाटमे सोचैत रहल जे गरीबसँ धनीक केना हएब। ई सोचैत सोनू एकटा होटलक सोझहा सड़कपर ठाढ़ भऽ गेल। सोचैत-सोचैत सोनू होटल दि‍स डेग बढ़ेलक। तखने होटलक मालि‍क मनेजरकेँ कहलक-
हम ऊपरका रूपमे सुतैले जाइ छी, बेसी खगता हुअए तखने हमरा उठाएब।
सोनू ऐ बखतकेँ मोनासीब बूझि‍ दस मि‍नट रूकि‍ कऽ मनेजरकेँ कहलक-
होटलक माि‍लक- बौधू बाबू हमर पि‍ताक दोस्‍त छथि‍न। हुनकासँ भेँट करबाक अछि‍।
मनेजर एकटा बेड़ा दि‍यए सोनूक समाद मालि‍क लग पठेलक। माि‍लक अधकचुआ नीनमे रहैक कारणे बेड़ाक बातकेँ ठीकसँ नै बूझि‍ कहलनि‍-
जाउ, जे मगैत होइ से दऽ देबै।
नि‍च्‍चाँ आबि‍ बेड़ा मालि‍कक कहब मनेजरकेँ सुना देलक। आ अपन काजमे लगि‍ गेल।
मनेजर सोनूकेँ पुछलक-
बौआ, की लेबह?”
सोनू उत्तर दैत कहलक-
खेनाइ खि‍आ दीअ आ जे बढ़ि‍याँ मि‍ठाइ हुअए से दूटा डि‍ब्‍बामे दऽ दीअ।
मनेजर सोनूकेँ खेनाइ खि‍आ दू डि‍ब्‍बा बढ़ि‍याँ मि‍ठाइ सजा कऽ दऽ देलक। सोनू होटलसँ दुनू डि‍ब्‍बा मि‍ठाइ लऽ वि‍दा भऽ गेल।
हाथमे दुनू डि‍ब्‍बा लेने चतुराइ करबाक तजूरबा करबाक लेल दोसर शहर चलि‍ गेल। ओतए सोना-चानीक दोकानमे पहुँचल। दोकानक मालि‍क लोभी छल। ई बात सोनूकेँ मालूम भऽ गेल छेलै। सोनू ओइ लोभी मालि‍ककेँ चि‍न्‍ह, प्रेम-भाव देखबैत मि‍ठाइक सुन्‍दर साजौल दुनू डि‍ब्‍बा दैत बाबूजी शब्‍दसँ सम्‍बोधि‍त करैत हाथमे थम्‍हा दैत अछि‍।
लोभी मालि‍क मि‍ठाइक डि‍ब्‍बा अपन पत्नी नि‍रूकेँ बजा दऽ दैत अछि‍। कि‍छुए कालक बाद, जखनि‍ दोकानमे गहिंकी सबहक भीड़ लगल, तखने बाजल-
बाबूजी, डि‍ब्‍बा महक मि‍ठाइ रखि‍ लि‍अ आ डि‍ब्‍बा हमरा दऽ दि‍अ।
मािलक बि‍नु सोचने सोनूकेँ कहलक-
जा भीतर, चाचीसँ डि‍ब्‍बा मांगि‍ लि‍हऽ।
सोनू भीतर गेल आ मालि‍कि‍नकेँ कहलक-
चाची, बाबूजी दूटा सोनाक सि‍क्का दइले कहलनि‍।
सुनि‍ते मलि‍कि‍नी वि‍चारए लगली। देबाक मन नै देखि‍ सोनू जोरसँ बाजल-
बाबूजी, जाबए अपनेसँ नै कहबै ताबए चाची थोड़े देती, अपनेसँ कहि‍यौ ने।
मालि‍क दोकानपर भीड़क कारणे गद्दीएपर सँ पत्नीकेँ कहलखि‍न-
दऽ दि‍औ ने।
पति‍क आदेश पाबि‍ मलि‍कि‍नी सोनाक दूटा सि‍क्का सोनूकेँ दऽ देली। लऽ कऽ साेनू ओतएसँ ससरि‍ गेल।
आब सोनू ओतएसँ तेसर बजार गेल आ ओतए ओ दुनू सोनाक सि‍क्का बेचि‍ धन इकट्ठा करए लगल।  
ऐ बातक जानकारी गामक मालि‍क नवीन बाबूकेँ सेहो भेलनि‍। नवीन बाबू दरबारक सि‍पाहीकेँ कहि‍ सोनूकेँ बजा पूछ-ताछ केलनि‍। सभटा बात साँचे-साँच बतबैत कहलक-
अपन गरीबीसँ छुटकारा पबैले हम एना कऽ रहल छी।
ई बात कहैत सोनू मालि‍ककेँ प्रणाम कऽ सोझहेमे ठाढ़ भेल रहल। कि‍छुए कालक बाद सोनू फेर बाजल-
जाबे हमहूँ धनीक नै हएब ताबे कोनो ने कोनो चतुराइ तँ करि‍ते टा रहब ने।
मालि‍क नवीन बाबू सोनूक चतुराइ संग धनीक हेबाक दृढ़ सोचकेँ देखैत गुम्‍म भऽ गेला। डण्‍डि‍त करब सेहो मनमे एलनि‍ मुदा ओ सोचलनि‍ जे से नइ तँ एकरा नि‍अमि‍त काजमे लगा दि‍ऐ जइसँ ऐ तरहक ठकपानासँ दूर भऽ जाएत। यएह सोचि‍ अपना दरबारमे रखि‍ लेलक।          

¦¦¦

No comments:

Post a Comment