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Friday, September 5, 2014

अबि‍सवास (क. राम वि‍लास साहु)

83म सगर राति‍ दीप जरय, सखुआ- भपटि‍याहीमे पठि‍त श्री राम वि‍लास साहुक-

 लघु कथा- अबि‍सवास


काल्हि‍ए नूनू बाबूक बेटीकेँ बि‍आह छी। नूनू बाबू बि‍आहक सरमजान सबहक ओरि‍यानमे लगल छला। गि‍रहत आ सम्‍पन्न परि‍वार रहि‍तो रूपैआक अभाव छेलनि‍। चारि‍ लाख टाका, पाँच भरि‍ सोना आ एकटा मोटर साइकि‍ल देहेजपर बि‍आह फाइलन भेल छल। दुलहा इंजीनि‍यरिंग कौलेजक छात्र। सुखी सम्‍पन्न परि‍वार। दुलहाक पि‍ता मोहन बाबू एस.डी.ओ. औफि‍सक बाड़ाबाबू। नीक कमेने-खटेने छथि‍। तँए नूनू बाबू अपन बेटी सुचि‍ताकेँ हुनके घरमे कुटमैती करैक निर्णए नेने छथि‍।
नूनू बाबू बहुत परि‍यास करैत तीन लाख रूपैआ मोटर साइकि‍ल, दू भरि‍ सोना ति‍लकक समैमे चुकता कऽ देलनि‍। शेष तीन भरि‍ सोना बेटीक गहना स्‍वरूप बि‍आहे दि‍न देब आ एक लाख रूपैआ जे बँकियौता रहि‍ गेल ओ बेटीक नामे एल.आइ.सी. बीमामे जमा अछि‍। जे दू तीन मास पछाति‍ मि‍लत सेहो चुकता कऽ देब। ति‍लक भेला पछाति‍ बि‍आहक दि‍न ठेकल गेल। मुदा दुलहाक पि‍ता मोहन बाबू बड़ लोभी। ओ मोने-मोन सोचलनि‍, पुतोहु जखनि‍ हमर हएत तँ एल.आइ.सी.क रूपैआ आइ ने काल्हि‍ हमरे हएत। बँकि‍यौता रूपैआ बि‍आहसँ पहि‍ने लऽ लेब तँ लाभमे रहब। मोहन बाबू बि‍आहसँ एक दि‍न पहि‍ने समाद नूनू बाबूक घर पठौलनि‍ जे हमर एक लाख टाका बँकि‍याहा अछि‍ ओ रूपैआ चुकता करि‍ दि‍अ तखने बरि‍याती जाएत नै तँ अहाँ जानू। नूनू बाबू समाद सुनि‍ते जेना देहपर बज्‍ज्‍र खसि‍ पड़ल। ओ सेचमे पड़ि‍ गेला। होश सम्‍हारि‍ मोहन बाबूसँ भेँट कऽ बड़ वि‍नती केलनि‍। अखनि‍ ऐ लेल माफी दि‍अ। हम बेटीबला छी। बहुत चीज-बौसक ओरि‍यान करए पड़त। तैपर सँ बरि‍यातीक सुआगतमे सेहो बहुत खरच हएत। मुदा मोहन बाबू नूनू बाबूकेँ एकोटा बात नै सुनलकनि‍, आ ने आँखि‍क नोर पोछलकनि‍। तखने नूनू बाबू बजला-
खैर, नै मानब तँ अहाँ बरि‍याती लऽ कऽ आउ, हम दरबज्‍जेपर बि‍अाहसँ पहि‍ने रूपैआ बरि‍यातीए घरमे चुकता करि‍ देब तखनि‍ बि‍आह करब।
नूनू बाबू खेत भरना रखि‍ रूपैआक ओरि‍यान केलनि‍। बरि‍याती समैपर आएल। सबहक सुआगत भेल। दरबज्‍जेपर सबहक सोझहेमे एक लाख टाका दुलहाक पि‍ता- मोहन बाबूकेँ चुकता कऽ देलनि‍। दुलहाक परि‍छन भेल, वरमालाक काज शुरू हएत तखने एकटा नव बातक चर्चा भेल जे दुलहा पहि‍ने दुलहि‍नकेँ देखता। पसि‍न भेला पछाति‍ ने बरमाला आ सेनूरदान हएत। ऐ बातसँ कन्‍याँ पक्षमे खलबली मचि‍ गेल आ आक्रोश सेहो बढ़ि‍ गेल। अन्‍तमे निर्णए भेल जे ठीक छै पहि‍ने कन्‍याँ देख लेल जाउ। तखने आगूक काज हएत।
दुलहि‍न चित्रा तँ पहि‍नेसँ वरमाला लेल सजले छलि‍। एकटा कोठलीमे दुलहाकेँ लोकनि‍याँ संगे बजौल गेल। ओही कोठलीमे दुलहि‍न चि‍त्रा सहेलीक संगे आएल। चि‍त्रा इण्‍टर पास पूर्णिमाक चान सन सुन्नरि‍। दुलहा देखि‍ कऽ मोने-मोन खुश भेला। कि‍छु गप-सप्‍प सेहो भेलै। तखने चि‍त्रा बजली-
की यौ दुलहाजी, हम अपनेकेँ पसीन भेलौं?”
दुलहा मुस्‍की मारि‍ पीठे लागल बजला-
हँ, की हमहूँ अहाँकेँ...।  
चि‍त्रा तुरन्‍ते जवाब देलक-
नै अहाँ हमरा पसीन नै छी। तँए आब ई बि‍आह हम कि‍न्नौं ने करब। चि‍त्राक ई निर्णए सुनि‍ सखी-बहि‍नपा, माए-बाप, समाजक बुजुर्ग इत्‍यादि‍ बहुतो गोटे समझेलकनि‍ मुदा एकेठाम चि‍त्रा जि‍द्द धेने रहलि‍ जे ऐ वरसँ हम बि‍आह नै करब।
दरबज्‍जा बरि‍याती-सरि‍यातीसँ भरल छल। ई बात सुनि‍ते लगले सनसना कऽ अगि‍लग्गी जकाँ चारू दि‍स सौंसे गाम पसरि‍ गेल। बहुतो बुजुर्ग लोकनि‍ दुलहि‍नक पि‍ताकेँ बुझा-समझा कऽ कहलकनि‍ मुदा चि‍त्रा अपन दृढ़पर अरल रहलि‍। चि‍त्रासँ कारण पूछल गेल। कहलक-
जखनि‍ दुल्हाकेँ अपन माए-बाप आ सर-समाज कि‍नकोपर बि‍सवास नै छन्‍हि‍ तँ ओ हमरापर बि‍सवास केना करता आ हम केना हुनकापर बि‍सवास करब। दोसर बात जे हि‍नकर पि‍ताजी दहेजक खाति‍र जमीन आइज्‍जत बेचबा सकै छथि‍ तखनि‍ ओ हमरो बेचि‍ सकैत छथि‍ कि‍ने। तँए हम बीख पीब मरि‍ जाएब मुदा एहेन अवि‍सवासी आ दहेज रूपी दानवक बेटा संगे बि‍आह नै करब। ऐसँ नीक तँ हम ओहेन दुल्हा जे गरीबे कि‍एक ने हएत, ति‍नकासँ करब, जे अपन इज्‍जतक संगे दोसरोक इज्‍जत करत।
चि‍त्रा सहेली संगे कोठलीसँ नि‍कलि‍ गेलि‍। दुल्हा आ लोकनि‍याँ सभकेँ ओही कोठलीमे बन्न कऽ ताला लगा आँगन आबि‍ गेलि‍। बि‍आह नै भेल। ई खबरि‍ राति‍ए भरि‍मे चौतरफा पसरि‍ गेल। पंचैतीक बैसार भेल। पंच लोकनि‍ बि‍आह हेबाक बहुत परि‍यास केलनि‍ मुदा चि‍त्रा अपन संकल्‍पपर अडि‍ग रहलि‍। अन्‍तमे जे दहेजक लेन-देन आ सुआगतक खर्च भेल रहै ओ सभटा आपस भऽ जाए। दुलहि‍नक पि‍ता नूनू बाबू बजला-
चारि‍ लाख टाका, दू भरि‍ सोना,  मोटर साइकि‍ल संगे सुआगतमे दू लाख टाका खर्च भेल अछि‍ से सभटा आपस कऽ दि‍अ तखने हि‍नका सभकेँ छुट्टी भेटतनि‍। नै तँ हम कानूनक शरण लेब आ दुनू बापूतकेँ जहल कटेबनि‍।
सभ पंचक वि‍चार भेलनि‍। बात तँ उचि‍ते ने नूनू बाबू कहै छथि‍। कोनो जबरन जुर्माना तँ नै...।
दुल्हाक पि‍ता मोहनबाबू छह लाख टाका, सोना, मोटर साइकि‍ल घरसँ मंगबा नूनू बाबूकेँ पंचक बि‍च्‍चेमे आपस कऽ देलकनि‍। तखनि‍ हुनक बेटाकेँ कोठलीसँ बाहर नि‍कालि‍ देल गेल। जहि‍ना आन गामक चोटाएल कुकुर नांगरि‍ दबौने दुलकी दैत अपन गामक बाट पकड़ि‍ सोझहे-सोझ जाइत रहैए तहि‍ना सभ कि‍यो वि‍दा भेला।
चि‍त्रा पि‍ताक मुरझाएल मुँह देखि‍ बाजलि‍- 
बाबूजी, अहाँ एक्को पाइ चि‍न्‍ता नै करू। हम मनुख संगे बि‍आह करब। पढ़ल-लि‍खल कम्‍मो रहत तइले एको पाइ चि‍न्‍ता नै। एही खाति‍र ने एते झमेल होइए। एक्को पाइ चि‍न्‍ता नै करू।¦¦¦

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