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Thursday, October 23, 2014

हारि‍‍

हारि‍









बीस माघ। सालक बारहम मासमे दस दि‍न कम। ओना वसन्‍तक प्रभातक संग सरस्‍वती पूजा सेहो। आइ तक सरोसति‍या दादी यएह बुझै छेली जे दि‍नक फल भोजन आ सालक फल उपजा होइ छै। जेहेन नीक तेहेन नीक आ जेहेन अधला तेहेन अधला भेल। मुदा आइ माघक जाड़ दादीक हाड़केँ कँपकँपा रहल छन्‍हि‍, अखनि‍ तकक अपन जि‍नगीक अनुभव अपने धि‍क्कारि‍ रहल छन्‍हि‍ जे जि‍नगी हारि‍ गेलौं। मुदा, हारि‍-जीत तँ जीता-जि‍नगी होइ छै मुइला पछाति‍ केकरा के देखए अबै छै। ठि‍ठुरैत देह, सि‍हरैत मन अपन देहक वस्‍त्र लऽ बाँकी सभ कि‍छुकेँ छोड़ि‍ सरोसति‍या दादी घरसँ ओइ समए बहरेली, जखनि‍ शुरूहे अगहनसँ लाधल कुहेस पलाइत-पलाइत आइ बर्खाक बुन्न जकाँ टप-टप खसि‍ रहल अछि‍। एक तँ दि‍नो अन्‍हरोखे जकाँ, मुदा साँझ पड़ि‍ते अन्‍हारक मोट चद्दरि‍ पसरि‍ गेल। दोसरि‍ साँझ करीब सात बजैत, सरोसति‍या दादी घरसँ बहरा मनोहर ऐठाम पहुँचली। मनोहरक घर आ सरोसति‍या दादीक घर अगले-बगल। ओना सामाजि‍क सम्‍बन्‍धसँ मनोहर आ सरोसति‍या दादीक बीच परि‍वारि‍क सम्‍बन्‍ध बहुत लग नै तँ बहुत हटलो नहि‍येँ छन्‍हि‍। घर-गामक सम्‍बन्‍ध मनोहर आ सरोसति‍या दादीक जे रहल होन्हि‍‍ मुदा अपनो बनौल सम्‍बन्‍ध तँ छन्‍हि‍हेँ, तँए दादी अपन अधि‍कार बूझि‍ मनोहर ऐठाम पहुँचली।
गोरहाक धधकैत घूर लग मनोहर बैसल। घूरेक धधड़ाक ईजोतमे कि‍छु देखि‍ पड़ैत बाँकी अन्‍हारे-अन्‍हार। हाथ-हाथ नै सुझैत। दू मास ऊपरेसँ ओस-पालाक प्रकोप उग्र रूप धेने अछि‍। दरबज्‍जाक ओसारपर अबि‍ते सरोसति‍या दादी बजली-
बौआ मनोहर, जान बँचाबऽ आब नै जीब।


अंतिम पेजसँ...............................................................



मनोहरक मन फरि‍च भऽ गेलनि‍। तैबीच अपन जि‍नगीक केतेको खि‍स्‍सा-पि‍हानी सरोसति‍या दादी सुचि‍ताकेँ सेहो सुना चुकल छेली। दादीक बोलक टनकसँ मनोहरक मनमे बि‍सवास बढ़लै जे कौल्हुका बि‍सवास केकरा छै जे हमरा रहत। मुदा आइ दादी टनकि‍ गेली। काल्हि‍ दि‍नले काल्हि‍ अछि‍। समगम होइत मनोहर दादीकेँ पुछलकनि‍-
दादी, मन नीक लगैए कि‍ने?”
दि‍लाशा पाबि‍ सरोसति‍या दादी बजली-
बौआ मनोहर, जँ ऐठाम नै आएल रहि‍तौं तँ राति‍एमे ठि‍ठुरि‍ कऽ मरि‍ जइतौं।
मनोहर चुपे रहल, बि‍च्‍चेमे सुचि‍ता बाजलि‍-
दादी, लोकेक आशा लोककेँ होइ छै, मुदा लोको-लोकक बात छै, एहनो लोक तँ अछि‍ए जे लोककेँ लोक बूझि‍ जानो दइए आ एहनो तँ अछि‍ए जे कुलोक बूझि‍ जान लइतो अछि‍।
सुचि‍ताक बात सुनि‍ सरोसति‍या दादी ठमकि‍ गेली। अपन जि‍नगीक सभ कि‍छु हेराएल देखि‍ हारि‍ कबुलैपर आबि‍ गेली।¦१,२४०¦

१६ जुलाई २०१४

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