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Saturday, October 18, 2014

पुरस्‍कार


पुरस्‍कार





सुबहक सात बजे समाजक सभ (बूढ़-बुढ़ानुससँ लऽ कऽ बेदरा धरि‍) बच्‍चाकेँ पुरस्‍कारक असि‍रवादो दइले आ बोन बीच वि‍चरण करैबला वि‍याधो चि‍न्‍हैले एकत्रि‍त भेला। जेना गामे हलचलाएल अछि‍। हलचलेबो केना ने करैत, कोन-परि‍वारक कोन माता-पि‍ताक मन बच्‍चाकेँ पढ़बै दि‍स नै छन्‍हि‍। के नै बुझै छथि‍ जे सए भरि‍ सोनासँ नीक रती भरि‍ बुधि‍ होइ छै। मनक झोंकमे, पुरस्‍कारक उत्‍सवक कारणे, बारह आना लोक बि‍सरि‍ गेला जि‍नकर बच्‍चा स्‍कूलक आँखि‍ नै देखने। राि‍तए सुतैबेर मे बहुलांश पुरुख अपन-अपन पत्नीकेँ कहि‍ देलनि‍ जे तीन बजे भाेरेमे उठि‍, घर-अङ्गनाक काज सम्‍हारि‍, चुल्हि‍-चौका अमैनि‍याँ बना जलखै तैयार कऽ लेब। कहुना भेल तँ सरस्‍वतीक दरबारक सभा भेल कि‍ने सभ कि‍छु चि‍क्कन बना नै जाएब से केहेन हएत? जि‍नको सभकेँ दुनू परानीक बीच खटपटो छेलनि‍ सेहो सभ पति‍क बातकेँ कन्‍हेठ तीन बजे भोरे उठि‍ पति‍केँ सात बजेसँ पहि‍ने ओहेन तैयार (खाइ-पीबैसँ लऽ कऽ ओढ़ै-पहि‍रै तक) कऽ लेलनि‍ जे सचमुच सरस्‍वतीक मन्‍दि‍र पूजा करए जेता। तैपर दोसर कारण ईहो भेल जे पत्नीक जेते क्रि‍या-कलाप पुरुख सभकेँ नै मोहने छेलनि‍, तइसँ बेसी पत्नीक मन-मक्‍खन मोह मोहलकनि‍। से कोनो एक्के-दुइएकेँ नै, जेना समाजेक भऽ गेलनि‍। सात बजैत-बजैत वि‍द्यावादि‍नी सरस्‍वतीक सभा जकाँ स्‍कूलक आङ्गनक परतीक दुभि‍एपर सभा सजल। जुगक अनुकूल तँ वि‍चारो बदलि‍ते अछि‍, जे स्‍कूलक आङ्गन बच्‍चाक लगौल फुलवारीसँ सजल रहै छल, वि‍द्यालयक चारूकात एबा-जेबाक रस्‍ता  बनल रहै छल, आइ ओ दुभि‍ लगौल परती, दुभि‍ओ लगौल परती कि‍ए कहै छि‍ऐ, बेउदाम जगह बनि‍ गेल अछि‍। एहेन उठौन लोकमे उठल केना


अंतिम  पेज.........................................



सरि‍याती-बरि‍यातीक बीच जखनि‍ बौद्धि‍क परि‍चए हुअ लगल छल तखनि‍ सरि‍यातीक प्रश्न रहनि‍- मरूआ केते गि‍रहपर फड़ैए? 
मुदा जहि‍ना सरि‍यातीक प्रश्न खसलनि‍ तहि‍ना गोबरधन काका लोकैत बजला- ‘पाँच गि‍रहपर मरूआ फड़ैए।’
माँजल कि‍सान गोबरधन काका, एके सुरे मरूआक सङ्ग-सङ्ग आनो-आन जजाति‍क वृतान्‍त सुना देलखि‍न। समाजक जीत भेल रहए। आन समाजसँ जीत कऽ आएल रही। वएह प्रश्न जगरनाथ प्रति‍योगीक बीच रखला। जेकर जवाब रामकि‍सुन देलक। जे पुरस्‍कारक भागी बनल।
तीनू प्रति‍योगीकेँ जि‍नगीक समीक्षा भेल। तीनूक तीन जि‍नगी। ओना कहैले तीनू कि‍साने परि‍वार, मुदा तीनूक पारि‍वारि‍क क्रि‍या-कलाप भि‍न्न-भि‍न्न।
पुरस्‍कारक घोषणा करैत जगरनाथ अपनो घोषणा केलनि-‍
पुरस्‍कार नाओं ‘टैगोर’ भेल आ जेते कमा कऽ अनने छी तइमे अपन घरो बनाएब आ ‘रवि‍न्‍द्र पुस्‍तकालय’ कऽ कऽ पुस्‍तकालाइओ बनाएब।¦२४१४¦

२४ अगस्‍त २०१४ 

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