Pages

Friday, August 10, 2012

असगर वजाहत- हम हिन्दू छी


असगर वजाहत- हम हिन्दू छी- हिन्दी कथाक मैथिली अनुवाद विनीत उत्पल द्वारा
 हम हिन्दू छी
एहेन कन्नारोहट जे मुर्दो कब्रमे ठाढ़ भऽ जाए। लागल जे अबाज सोझे कान लगसँ आएल अछि। ओइ स्थितिमे हम कूदि कऽ बिछौनपर बैसि गेलौं, अकासमे अखनो तरेगन छल.. किंशाइत रातिक तीन बाजल हएत। अब्बोजान उठि कऽ बैसि गेला। कन्नारोहट फेरसँ सुनाइ पड़ल। सैफ अपन अखड़ा खाटपर पड़ल चिकड़ि रहल छल। अंगनामे एक दिससँ सभक खाट लागल छलै।
लाहौलविलाकुव्वत (भूत प्रेत भगबैले वा घृणा प्रकट करैले प्रयोग). . .', अब्बाजान लाहौल पढ़लन्हि खुदा नै जानि ई किए सुतलेमे किए चित्कार करऽ लगैए।अम्मा बजली। अम्मा एकरा राति भरि छौड़ा सभ डरबैत रहै छै. . .हम कहलिऐ। ओइ सरधुआ सभकेँ सेहो चेन नै पड़ै छै. . .लोक सभक जान आफदमे छै आ ओकरा सभकेँ बदमाशी सुझाइ छै”, अम्मा बजली।
सफिया चद्दरिसँ मुँह बहार कऽ बाजलि, “एकरा कहू छतपर सुतल करए।सैफ अखन धरि नै जागल छल। हम ओकर पलंग लग गेलौं आ झुकि कऽ देखलौं जे ओकर मुँहपर घाम छलै। साँस खूब चलि रहल छलै आ देह थरथरा रहल छलै। केस घामसँ भीजल छलै आ किछु केस माथपर सटि गेल छलै। हम सैफकेँ देखैत रहलौं आ ओइ छौड़ा सभक प्रति मोनमे तामस घुरमैत रहल जे ओकरा डराबैए।
तखन दंगा एहेन नै होइत छल जेहेन आइ काल्हि होइए। दंगाक पाछाँ नुकाएल दर्शन, ईलम, काजक पद्धति आ गतिमे ढेर रास  बदलेन आएल अछि। आइसँ पच्चीस-तीस साल पहिने नहिये लोककेँ जिबिते भकसी झोका कऽ मारल जाइ छलै आ नहिये सौंसे टोल-मोहल्लाकेँ सुनसान कएल जाइत छलै। ओइ जमानामे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री आ मुख्यमंत्रीक आशीर्वाद सेहो दंगा करैबलाकेँ नै भेटै छलै। ई काज छोट-मोट स्थानीय नेता अपन स्थानीय आ क्षुद्र स्वार्थ पूरा करै लेल करै छला। व्यापारिक प्रतिद्वंद्व, जमीनपर कब्जा करै लेल, चुंगीक चुनावमे हिंदू वा मुस्लिम वोट समटैले इत्यादि उद्देश्य भेल करै छल। आब तँ दिल्ली दरबारपर कब्जा करबाक ई  साधन बनि गेल अछि, सांप्रदायिक दंगा। संसारक सभसँ पैघ लोकतंत्रक मुँहमे जाबी वएह पहिरा सकैए जे सांप्रदायिक हिंसा आ घृणापर शोनितक धार बहा सकए।
सैफकेँ जगाएल गेल। ओ बकरीक असहाय बच्चा सन चारू दिस ऐ तरहे देखि रहल छल जेना माँकेँ ताकि रहल हुअए। अब्बाजानक बेमात्रे भाइक सभसँ छोट सन्तान सैफुद्दीन प्रसिद्ध सैफ जखन अपन घरक सभ लोककेँ चारू दिस घेरने देखलक तँ ओ अकबका कऽ ठाढ़ भऽ गेल। सैफक अब्बा कौसर चचाक मरबाक खबरि लेने आएल कोनमे कटल पोस्टकार्ड हमरा अखनो नीक जकाँ मोन अछि। गामक लोक सभ चिट्ठीमे कौसर चचाक मरबाके टा खबरि नै देने छला संगमे ईहो लिखने छला जे हुनकर सभसँ छोट सन्तान सैफ आब ऐ दुनियामे असगर रहि गेल अछि। सैफक पैघ भाइ ओकरा अपना संग बम्बै नै लऽ गेल। ओ साफे कहि देलन्हि जे सैफ लेल ओ किछु नै कऽ सकै छथि। आब अब्बाजानक अलाबे ओकर ऐ दुनियामे कियो नै छै। कोन कटल पोस्ट कार्ड पकड़ि अब्बाजान बहुत काल धरि चुपचाप बैसल रहथि। अम्मासँ कएक बेर झगड़ा केलाक बाद अब्बाजान पैतृक गाम धनवाखेड़ा गेलथि आ बचल जमीन बेचि, सैफकेँ संग लऽ घुरलथि। सैफकेँ देखि हमरा सभकेँ हँसी आएल रहए। कोनो देहाती बच्चाकेँ देखि अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटीक स्कूलमे पढ़ैवाली सफियाक आर की प्रतिक्रिया भऽ सकैए, पहिले दिन ई बुझा गेल जे सैफ खाली देहातिये नै वरन् अर्द्ध-बताहसन सोझ वा मूर्ख छल। हम सभ ओकरा कबदाबैत आ फुचियाबैत रहै छलिऐ। एकर एकटा फाएदा सैफकेँ एना भेलै जे अब्बाजान आ अम्माक हृदय ओ जीत लेलक। सैफ खूब मेहनति करए। काजसँ ओ देह नै नुकाबए। अम्माकेँ ओकर ई व्यवहार खूब पसिन्न पड़ै। जँ दूटा रोटी बेसी खाइए तँ की? काज तँ सेहो देह झारि कऽ करैए। सालक साल बितैत गेल आ सैफ हमर सभक जिनगीक अंग बनि गेल। हम सभ ओकरा संग सामान्य होइत गेलौं। आब मोहल्लाक कोनो बच्चा जँ ओकरा बताह कहि दै तँ हम ओकर मुँह नोंचि लै छलिऐ। हमर भाइ अछि ई, एकरा तूँ बताह कोना कहै छेँ? मुदा घरक भीतर सैफक की स्थिति रहै से हमरे सभ टाकेँ बुझल छल।

नग्रमे दंगा ओहिने शुरू भेल छल जेना भेल करै छल, माने मस्जिदसँ ककरो एकटा पोटरी भेटलै, जइमे कोनो प्रकारक माउस छलै आ माउसकेँ बिन देखने ई मानि लै जाइ छल जे किएक तँ ई माउस मस्जिदमे फेकल गेल छल तेँ ई सुग्गरक माउस हेबे टा करत। तकर बदलामे मुगल टोलमे गाय काटि देल गेल आ दंगा शुरू भऽ गेल। किछु दोकान जड़ि गेल मुदा बेसीकेँ लुटल गेल। छूरी-चक्कूक ढेर रास घटनामे मोटा-मोटी सात-आठ गोटे मुइलाह आ प्रशासन एतेक संवेदनशील छल जे कर्फ्यू लगा देल गेल। आइ-काल्हिबला बात नै छल जखन हजारक हजार लोकक मुइलाक बादो मुख्यमंत्री मोंछपर ताव दैत घुमैत छथि आ कहैत छथि जे, जे किछु भेल ठीक भेल।

दंगा किएक तँ लगपासक गामोमे पसरि गेल छल तइ दुआरे कर्फ्यू बढ़ा देल गेल छल। मुगलपुरा मुसलमानक सभसँ पैघ मोहल्ला छल से ओतऽ कर्फ्यूक प्रभाव छल आ जिहाद सन वातावरण सेहो बनि गेल छल। मोहल्लामे तँ गली-कुच्ची होइते छै मुदा कएकटा दंगाक बाद ई अनुभव कएल गेल जे घरक भीतरसँ सेहो रस्ता हेबाक चाही। माने आप्तकालक व्यवस्था। से घरक भीतरसँ, छातक ऊपरसँ देवारकेँ तड़पैत किछु एहनो रस्ता बनि गेल छल जे ओकरा जानैबला मोहल्लाक एक कोनसँ दोसर कोन आरामसँ जा सकैत छल। मोहल्लाक लोक तैयारी युद्ध जकाँ केने छल। एहेन बेबस्था रहै जे जँ एक्को मास धरि जँ कर्फ्यू जाइए तैयो जरूरतक बौस्तुजात मोहल्लेमे भेटि जाए।

दंगा मोहल्लाक छबारी सभकेँ अद्भुते उत्साह देखेबाक मौका दैत छल। रौ.. हम सभ तँ ऐ हिन्दू सभकेँ गर्दा फँका देबै.. की बुझि राखने अछि ई धोती बान्हैबला सभ.. धुर्र डरपोक होइ जाइए ई सभ।.. एक मुसलमान दस हिन्दूपर भारी पड़ैए.. हँसि कऽ लेने छी पाकिस्तान, लड़ि कऽ लेब हिन्दुस्तान.. एहने सन वातावरण बनि जाइ छल। मुदा मोहल्लासँ बाहर निकलैक नामपर सभक जान निकलऽ लागै छलै। पी.ए.सी.क चौकी दुनू दिस रहै। पी.ए.सी.क बूट आ राइफलक हत्थाक मारि कतेको गोटेकेँ मोन रहै, से मौखिक धरि तँ सभ ठीक रहै मुदा ओइसँ आगाँ….
संकटमे लोक एकता सीखि लैत अछि, एकता अनुशासन आ बेबहार। सभ घरसँ एकटा छौड़ा पहरापर रहत। हमर घरमे हमरा अलाबे, हम २५ बरख पार कऽ गेल रही से हमरा छौड़ा नै कहल जा सकैत छल, छौड़ा सैफ टा छल, से ओकरा रतुका पहरापर रहऽ पड़ैत छलै। रतुका पहरा छातपर होइत छल। मुगलपुरा किएक तँ नग्रक सभसँ उपरका हिस्सामे छल, से छातपरसँ सम्पूर्ण नग्र देखाइ पड़ैत छल। मोहल्लाक छौड़ा सभक संग सैफ पहरापर जाइत छल। ई हमरा लेल, अब्बा लेल आ साफिया लेल बड्ड नीक गप छल। जँ हमरा घरमे सैफ नै रहितए तँ शाइत हमरे रातिमे धक्का खाए पड़ितए। सैफक पहरापर जेबाक कारणसँ ओकरा किछु सुविधा सेहो देल गेल रहै, जेना आठ बजे धरि ओकरा सूतऽ देल जाइत रहै। ओकरासँ बाढ़नि नै दिआएल जाइत रहै। ई काज सफियाक जिम्मा भऽ गेल छल जे सफियकेँ एक्को रत्ती पसिन्न नै रहै।
कखनो-कखनो रातिमे हम सेहो छातपर चलि जाइत रही, ओतऽ लाठी, लकड़ी आ पजेबाक ढेरी एम्हर ओम्हर लागल रहै छलै। दू चारिटा छौड़ा लग देशी पेस्तौल आ बेसी लग चक्कू रहै। ओइमे सँ सभ छोट-मोट काज करैबला कारीगर छल। बेशी गोटे तालाक कारखानामे काज करै छल। किछु दर्जीक आ किछु काठ-लकड़ीक काज करै छला। एम्हर बजार बन्न छल से हुनकर सभक काज सेहो बन्न छल। ऐमे बेशी गोटेक घरमे कर्जासँ चूल्हि जरि रहल छलनि। मुदा ओ सभ प्रसन्न रहथि। छातपर बैसि कऽ ओ सभ दंगाक नव खबरिपर टीका-टिप्पणी करै जाइ छला आ नै तँ हिन्दू सभकेँ गारि पढ़ै जाइ छला। हिन्दूसँ बेशी गारि ओ सभ पी.ए.सी.केँ दैत छला। पाकिस्तान रेडियोक सभटा कार्यक्रम हुनका सभकेँ जबानी मोन छलन्हि आ कम अबाजमे ओ सभ रेडियो लाहौर सुनल करथि। ऐ छौड़ा सभमे दू-चारि गोटे जे पाकिस्तान गेल रहथि, हुनकर सभक इज्जति हाजी सन छल। ओ सभ पाकिस्तानक रेलगाड़ी तेजगामगुलशने इकबाल कॉलोनीक एहेन खिस्सा सुनबैत रहथि जे लगै छल जे स्वर्ग जँ कतौ अछि तँ ओ पाकिस्तानमे अछि। पाकिस्तानक बड़ाइसँ जखन हुनकर सभक मोन भरि जाइ छलन्हि तखन ओ सैफ संगे हँसी करै जाइ छला। सैफ पाकिस्तान, पाकिस्तान आ पाकिस्तानक वर्णन सुनलाक बाद एक दिन पुछि देने रहए जे ई पाकिस्तान अछि कतऽ? ऐपर सभ गोटे ओकरा संग बड हँसी केने रहथि। ओ किछु बुझने रहए मुदा ओकरा ठीकसँ ई पता नै चललै जे पाकिस्तान अछि कतऽ?
ई पहरुआ छौड़ा सभ सैफकेँ मजाकमे डरबैत रहथि, “देख सैफ, जँ हिन्दू तोरा देख लेतौ तँ बुझै छहीं की करतौ? पहिने तोरा नाङट कऽ देतौ।छौड़ा सभकेँ बुझल रहै जे सैफ अर्द्ध बताह हेबाक बादो नंगटे भेनाइकेँ बड खराप आ अधला गप बुझै छल, “तकर बाद हिन्दू सभ तोरा तेलसँ मालिश्त करतौ।
किए, तेल-मालिश्त किए करत?”
किएकि जखन ओ सभ तोरा बेंतसँ मारौ तँ तोहर खाल निकलि जाउ। तकर बाद धीपल छड़सँ तोरा दागै जेतौ।…”
नै”, ओकरा बिसवास नै भेलै।
रातिमे ओकरा डरौन आ मारि-काटि बला जे खिस्सा सुनाओल जाइ छल, ओइसँ ओ खूब डरा गेल छल। कखनो काल ओ हमरासँ भसियाएल गप करऽ लागै छल। हमरा रञ्ज होइ छल आ ओकरा चुप करा दै छलौं, मुदा ओकरा मोनक प्रश्नक उत्तर नै भेटि पाबै छलै। एक दिन ओ पूछऽ लागल- भैया, पाकिस्तानमे सेहो माटि होइ छै की?”
किए? ओतऽ माटि किए नै हेतै?”
ओतऽ खाली सड़के सड़क नै छै? ओतऽ टेरीलीन भेटै छै.. ओतऽ सस्त छै.. आ
देखू ई सभटा मोनक गढ़ल गप अछितूँ अल्ताफ आ ओकर संगी सभक गपपर काने नै दए।हम ओकरा बुझेलिऐ।
भैया, की हिन्दू आँखि बहार कऽ लै छथि..
फूसि.. ई तोरा के कहलकौ?”
बच्छन।
फूसि।
तखन चरसा सेहो नै खिचैत छथि?”
ऊँह.. ई की सभ पूछि रहल छेँ..
ओ चुप भऽ गेल, मुदा ओकरा आँखिमे सैकड़ाक संख्यामे प्रश्न छलै। हम बाहर चलि गेलौं। ओ सफियासँ यएह सभ गप करऽ लागल।
कर्फ्यू बढ़िते गेल। रतुका पहरेदारी सेहो चलैत रहल। हमर घरसँ सैफे जाइत रहल। किछु दिन बाद एक दिन अनचोक्के सुतलमे सैफ चिकड़ऽ लागल। हम सभ घबड़ा गेलौं मुदा ई बुझबामे भाङठ नै रहल जे ई सभ ओकरा डराएल जएबाक कारणसँ अछि। अब्बाकेँ छौड़ा सभपर बड्ड पित्त लहरल छलन्हि आ ओ मोहल्लाक एकाध मुँहपुरुख लोकनिकेँ ई गप कहनहियो रहथिन्ह, मुदा तकर कोनोटा असरि नै भेल। छौड़ा सभ आ सेहो मोहल्लाक छौड़ा सभ किए ऐ मनोरंजनकेँ छोड़ितथि?
बात कतऽसँ कतऽ धरि पहुँचि गेल अछि एकर कनियो अंदेशा हमरा ओइ दिन धरि नै भेल जहिया सैफ हमरासँ खूब गम्भीर भऽ पुछलक, “भैया, हम हिन्दू बनि जाउ?” प्रश्न सुनि हम गुम्म पड़ि गेलौं, मुदा तुरत्ते हमरा बुझऽ मे आबि गेल जे ई रातिमे डरौन खिस्सा सुनाओल जएबाक परिणाम अछि। हमरा तामस उठि गेल, फेर सोचलौं जे बताहपर तामस केलासँ नीक जे तामस पीबि जाइ आ ओकरा बुझेबाक प्रयत्न करी। हम पुछलिऐ,
किए? अहाँ हिन्दू किए बनऽ चाहै छी? बचबा लेल? एकर माने भेल जे हम नै बचि पाएब?”
तँ अहूँ बनि जाउ..”, ओ बाजल।
आ तोहर कक्का, हमर अब्बा”, हम अपन अब्बा आ ओकर कक्काक गप पुछलिऐ।
नै.. हुनक सभकेँ…”, ओ किछु सोचऽ लागल। अब्बाजानक उज्जर आ नमगर दाढ़ीमे कतौ ओ ओझरा गेल छल।
देखलौं, ई सभ छौड़ा सभक किरदानी छी जे अहाँकेँ भटकाबैए। ई जे ओ सभ अहाँकेँ कहै छथि, से सभटा झूठ अछि। रौ, महेशकेँ नै चिन्है छेँ?”
ओ जे स्कूटरपर अबै छथि…” ओ प्रसन्न भऽ गेल।
हँ हँ, वएह।
ओ हिन्दू छथि?”

हँ हिन्दू छथि”, हम कहलिऐ। पहिने तँ ओकर मुँहपर निराशाक छाह एलै फेर ओ गुम्म भऽ गेल।

ई सभ उचक्का सभक काज छी.. नहिये हिन्दू लड़ैत अछि आ नहिये मुसलमानउचक्का सभ लड़ैत अछि, बुझलौं?”

दंगा शैतानक अँतड़ी सन नमड़ैत गेल आ मोहल्लामे लोक सभ परेशान हेबऽ लगला- भजार नग्रमे दंगा करैबला हिन्दू आ मुसलमान उचक्का सभकेँ जँ मिलाइयो देल जाए तँ कतेक हएत.. बेशीसँ बेशी एक हजार, चलू दू हजार मानि लिअ। तँ भाइ दू हजार गोटे लाख लोकक जिनगी नर्क बनेने अछि आ हम सभ घरमे सुटकि कऽ बैसल छी।

ई तँ वएह भेल जे दस हजार अंग्रेज कोटि हिन्दुस्तानीपर राज करैत छला आ सम्पूर्ण सरकार ओकर अन्तर्गत चलैत छल, आ फेर ऐ दंगासँ फएदा ककर अछि, फएदा?

औ जी, हाजी अब्दुल करीमकेँ फएदा अछि जे चुंगीक चुनाव लड़त आ ओकरा मुसलमान वोट भेटतै। पंडित जोगेश्वरकेँ हेतै जकरा हिन्दूक वोट भेटतै। आब तखन हम की छी? तूँ वोटर छेँ, हिंदू वोटर, मुसलमान वोटर, हरिजन वोटर, कायस्थ वोटर, सुन्नी वोटर, शिया वोटर, यएह सभ होइत रहत ऐ देशमे? हँ, किए नै? जतऽ लोक मूर्ख अछि, जतऽ भाड़ापर हत्या केनिहार भेटै छै, जतऽ राजनीतिज्ञ अपन गद्दी लेल दंगा करबै छथि ओतऽ आर की भऽ सकैए? भजार, की हम लोक सभकेँ पढ़ा नै सकै छी? बुझा नै सकै छी? हह- हह- तूँ के होइ छह पढ़बैबला, सरकार पढ़ेतै। जँ चाहत तँ सरकार आ जँ नै चाहत सरकार तँ ऐ देशमे किछु नै भऽ सकैए? हँ.. अंग्रेज हमरा सभकेँ यएह सिखेने अछि.. हम एकर अभ्यासी छी.. चलू छोड़ू, तखन दंगा होइत रहत? हँ होइत रहत। मानि लिअ जे ऐ देशक सभटा मुसलमान हिन्दू भऽ जाथि? लाहौलविलाकुव्वत ई की कहि रहल छी? बेस तँ मानि लिअ जे ऐ देशक सभटा हिन्दू मुसलमान बनि जाथि? सुभान अल्लाह केहेन चोटगर गप कहलौं.. तखन की दंगा रुकि जाएत? ई तँ सोचबा जोग गप अछि। पाकिस्तानमे शिया सुन्नी एक दोसराक जानक पाछाँ छथि.. बिहारमे ब्राह्मण दलितक छाहसँ बचैत छथि.. तँ की भजार लोक आकि मनुक्ख कहू सार अछिये एहेन, जे लड़िते रहऽ चाहैए? ओना देखू तँ जुम्मन आ मैकूमे बड़ दोस्तियारी छै। तँ किए ने मैकू आ जुम्मन बनि जाइएह, केहेन बात कहि देलौं, मानेमानेमाने

हम भोरे-भोर रेडियोक कान अमेठि रहल छलौं, सफिया बहारि रहल छलि आकि राजाक छोट भाइ अकरम भागैत भागैत आएल आ फूलल साँसकेँ रोकबाक असफल प्रयत्न करैत बाजल, “सैफकेँ पी.ए.सी. बला सभ मारि रहल अछि।
की? की कहि रहल छी?”
सैफकेँ पी.ए.सी. बला मारि रहल अछि”, ओ कने रुकि कऽ बाजल।
किए मारि रहल अछि? की बात अछि?”
की जानी.. चौबटियापर..
ओतऽ जतऽ पी.ए.सी.क चौकी अछि?”
हँ, ओतै।
मुदा किए…”, हमरा बुझल छल जे आठ बजे सँ दस बजे धरि कर्फ्यू खुजऽ लागल अछि आ सैफकेँ आठ बजेक करीब अम्मा दूध अनबा लेल पठेने छलि। सैफ सन बताहोकेँ बुझल रहै जे जल्दी-जल्दी आपस एबाक अछि, आब तँ दस बाजि गेल अछि।

चलू हम चलै छी।”, रेडियोसँ बहराइत अनटोटल अबाजक चिन्ता केने बिनु हम तेजीसँ बहरेलौं। बताहकेँ किए मारि रहल अछि पी.ए.सी.बला सभ, ओ कोन एहेन कर्म केलक अछि? ओ कइये की सकैत अछि? ओ अपने एहेन भयभीत रहैत अछि जे ओकरा मारबाक आवश्यकते की.. फेर की कारण भऽ सकैए? पाइ, औजी ओकरा तँ अम्मा दू टका देने अछि। दू टका लेल पी.ए.सी. बला सभ ओकारा मारत

चौबटियापर मुख्य सड़कक बराबर कोठापर मोहल्लाक किछु गोटे जमा रहथि। सोझाँमे सैफ पी.ए.सी.बलाक संग ठाढ़ छल। ओकर सोझाँमे पी.ए.सी.क जवान सभ छल। सैफ जोर-जोरसँ चिकड़ि रहल छल, “हमरा तूँ सभ किए मारलेँ.. हम हिन्दू छी.. हिन्दू छी…”

हम आगाँ गेलौं। हमरा देखलाक बादो सैफ बजिते रहल, “हँ, हँ, हम हिन्दू छी..”, ओ थरथरा रहल छल। ओकर ठोढ़क कोनसँ शोनितक एक बुन्न निकलि कऽ टघरि कऽ ठोढ़ीपर ठाढ़ छल।तूँ हमरा मारलेँ कोना.. हम हिन्दू..
सैफई की भऽ रहल छीघर चलू।
हम.. हम हिन्दू छी।
हमरा बड्ड आश्चर्य भेल.. की ई वएह सैफ छी, जे ई छल.. एकर तँ रूपे बदलि गेल अछि। ई एकरा भऽ की गेल अछि?
सैफ, होशमे आउ”, हम ओकरापर जोरसँ तमसेलिऐ।
मोहल्लाक लोक सभ नै जानि केकरापर भितरे-भीतर दूरसँ हँसि रहल रहथि। हमरा पित्त चढ़ल। सार, ई सभ ई तँ नै बुझै छथि जे ओ बताह अछि।
ई अहाँक के अछि?”, एकटा पी.ए.सी. बला हमरासँ पुछलक।
हमर भाए छी.. कनेक मानसिक परेशानी छै एकरा।

तँ एकरा घर लऽ जाउ”, एकटा सिपाही बाजल।

हमरा सभकेँ बताह बना देलक”, दोसर बाजल।

चलूसैफ घर चलू। कर्फ्यू लागल अछि, कर्फ्यू..
नै जाएबहम हिन्दू छी.. हिन्दू.. हमराहमरा…”, ओ हबोढकार भऽ कानऽ लागल।
मारलकहमरा मारलक.. हमरा मारलक.. हम हिन्दू छी.. हम”, सैफ चितंग निच्चाँ खसल.. शाइत बेहोश भऽ गेल छल.. आब ओकरा उठा कऽ लऽ गेनाइ आसान छल।

No comments:

Post a Comment