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Friday, August 10, 2012

कपिलेश्वर राउत- सलाह


कपिलेश्वर राउत- सलाह
फागुन बीत रहल छल आ चैतक आगमन भऽ रहल छल। समए तेहन ने बिकट जे बातरस बलाक लेल बर उकड़ू छल। फागुन चैतमे जेहने गर्मी तेहने हार तक डोलबैबला जाड़। तँए ने एकटा कहावत छै जे एकटा ब्रह्मण गाए बेच कऽ चैतमे कम्‍बल खरीदने रहथि‍। तेहने समए अहू बेर‍ छल। बातरसोक जन्‍म एहने समएमे होइत छै।
ि‍कसुनकेँ बातरस जागि‍ गेल छलै जइ‍सँ बेचारा अफसि‍याँत छल। गाम घरक डाक्‍टरसँ लऽ कऽ दरभंगा तकक डाक्‍टरसँ देखौलक मुदा बेमारी ठीक नै भेलै। बातरस आब गठि‍याक रूप धऽ लेलकै। उठबैसँ लऽ कऽ खेनाइ-पि‍नाइ तकमे असोकर्य होमए लगलै।
एक दि‍न पड़ोसी-बालगोवि‍न्‍द कहलकै- हौ ि‍कसुन, तोरा देखि‍ कऽ हमरा बड़ दया अबैत अछि‍ जे एह धुआ-कायामे ई की भऽ गेलै। हमर वि‍चार अछि‍ जे बेटा दि‍ल्‍लीमे छहे, ओतइ जा कऽ एक बेर‍‍ देखा आबह।
ि‍कसुन बजला- ठीके कहै छह भाय, दू-चारि‍ दि‍नमे चलि‍ जाएब।
दि‍ल्‍ली जा कऽ एम्‍स असपतालमे जाँच करा कऽ एक महीना दवाइ खेलक। ि‍कछु असान भेल, गाम चल आएल। गाम आबि‍‍‍ कऽ जखन दवाइ खाए तँ दवाइ जखन तक असर रहै ताबे तक ठीक रहै आ जखन दवाइक असर खतम भऽ जाइ तँ बेमारी बढ़ि‍ जाइ।
बेचारा असोथकि‍त भऽ असमंजसमे दलानपर बैसल छल ि‍क सुमन जी जे गामे स्‍कूलमे मास्‍टरी करैत छला, ओही टोल दऽ कऽ अबैत छला अाकि‍ नजरि‍ कि‍सुन दि‍स गेलनि‍। कुशल पुछलखि‍न, बेचारा झमानसँ खसल। धूर, हम ि‍क अपन कुशल कहब। हम तँ वातरससँ हरान छी। सुमन जी बोल भरोस दैत कहलखि‍न- अहाँक बेमारी ठीक भऽ जाएत। हमना कहैत छी तना-तना करू आ आयुर्वेदि‍क दवाइ बता दैत छी से करैत रहू, बेमारी ठीक भऽ जाएत।
बेचारेकेँ कतौसँ प्राण एलै। बाजला- एतेक केलौं तँ एकबेर इहो अजमाएब।
सुमनजी बजला- हम जेना-जेना कहै छी तेना-तेना करू। सीधा भऽ कऽ बैसू। एक नम्‍बर, पएर पसारू आ अंगुरीकेँ मोड़ू आ सोझ करू। दोसर, पएरक पंजाक अंगुरीकेँ मोड़ू आ सोझ करू। तेसर, पंजाकेँ आगाँ झुकाउ आ सोझ करू। आब दुनू पएरकेँ सटा कऽ गोल कऽ कऽ घुमा, पाँच बेर‍ एक मुँहेँ तँ पाँच बेर दोसर मुँहेँ। चारिम, जाँघमे हाथसँ गहुआ लगा कऽ छावाकेँना साइि‍कल चलबैत छी तेना चलाउ, उपरसँ नीचाँ मुँहेँ आ नीचाँसँ उपर मुँहेँ, इहो पाँच बेर‍। आ हे याद राखब रीढ़क हड्डी सीधा रहक चाही। पाँचम, पलथा मारि‍ कऽ बैस जाउ आ दुनू हाथकेँ पसारू आ दुनू हाथक अोंगरीकेँ सोझ करू, कसि कऽ मुट्ठी बान्हू, दस बेर करू। छअम, हाथक पंजाकेँ आगू झुकाउ आ सोझ करू १० बेर। सातम, दुनू कलाइक मुट्ठी बान्‍हि‍ कऽ गोल कऽ कऽ घुमाउ, ऊपरसँ नीचाँ आ नीचाँसँ ऊपर मुँहेँ। आठम, हाथकेँ सीधा कऽ कऽ पंजाकेँ पाँखुरपर भि‍राउ आ सोझ करू। नवम, पंजाकेँ पाँखुरपर भिड़ा कऽ कोहुनीकेँ सटाउ आ गोल कऽ कऽ ऊपरसँ नीचाँ आ नीचाँसँ ऊपर मुँहेँ १० बेर करू। दसम, गरदनि‍केँ आगू झुकाउ आ फेर पाछू झुकाउ, पाँच बेर फेर दुनू पाँखुरमे पाँच बेर कानकेँ सटाउ आब गोल कऽ कऽ चारूभर घुमाउ आगूसँ पाछू आ पाछूसँ आगू पाँच बेर। एगारहम, पएर पसारू आ ठेहुनकेँ मोड़ि‍ कऽ पएरपर बैस जाउ आ दुनू हाथ ऊपर उठा कऽ आगू मुँहेँ झुकू आ नाककेँ जमीनपर सटाउ आ हाथकेँ सीधा जमीनपर पसारि‍ दि‍यौ। पेटसँ हवा निकालि‍ दि‍यौ। जखन साँस लेबाक हुअए तखन सोझ भऽ जाउ आ साँस लि‍अ। ई पाँच बेर करू। बारहम, ठेहुन भरे डाँड़केँ सोझ करू आ दुनू हाथसँ पएरक तरबाकेँ पकड़ू, ईहो पाँच बेर करू।
बि‍च्‍चेमे कि‍सुन बजला- ई तँ बड्ड भिरगर अछि‍।
सुमनजी- सभ दि‍न साँझ-भि‍नसर करैत रहब ने तँ कोनो भि‍रगर नै बुझाएत। हँ तँ अगि‍ला आसन सभ सुनू। ततेक ने आसन छै जे करैत रहब तँ भि‍नसरसँ साँझ पड़ि‍ जाएत। अहाँ लेल जे जरूरत अछि‍ ओतबे देखबै छी। तँ सुनू चि‍त भऽ कऽ सुति रहू, दुनू टांगकेँ सटा कऽ ऊपरसँ नीचाँ मुँहेँ आ नीचाँसँ ऊपर मुँहे चलाउ। फेर दुनू टाँगकेँ सटा कऽ ओहि‍ना चलाउ।
ि‍कसुन बजला- ई तँ आरो भि‍रगर अछि‍।
सुमनजी कहलखि‍न- नै, जहन लगातार करए लगब ने तँ सभ हल्‍लुक भऽ जाएत। जहि‍ना जनमौटी बच्‍चाकेँ माए आ दादी सभ टांग, हाथ, देह सभकेँ ममोरि‍-समोरि‍ दैत छै जइसँ सभ अंग सक्कत भऽ जाइ छै, तहि‍ना अहूँकेँ हएत। अहाँक खून जाम भऽ गेल अछि‍। ओकरा चलेबाक अछि‍। अहाँक तँ कमाएल-खटाएल देह छलए, बेटाकेँ नोकरी भेने काज छोड़ि‍ देलि‍ऐ, तँए एना भेल। जँ सभ अंग चलबैत रहब, योग-प्राणायाम करैत रहब, तँ सभ रोग-व्‍याधि‍ स्‍वत: भागि‍ जाएत। हँ तँ आब अगि‍ला करू। आब पीठ भरे सुतू पहि‍ने एक टांगकेँ डाँड़ भरे उठाउ फेर दोसरो टाँगकेँ उठाउ तकर बाद दुनू टाँगकेँ उठाउ आ राखू। एकर बाद दुनू हाथकेँ पाछू लऽ जा कऽ घुट्ठीकेँ पकड़ि‍ कऽ छातीकेँ उठाउ। ऐसँ डाँड़क रोग समाप्‍त। सुबह-शाम खाली पेटे अगर नि‍यमि‍त रूपे करैत रहब तँ नि‍श्चि‍त ठीक भऽ जाएब। आब कि‍छु प्राणायाम सेहो सि‍ख लि‍अ। पद्मासनमे बैस जाउ आ कपाल भाती, उड़ि‍यान बन्‍ध, अनुलोम-वि‍लोम, भ्रामरी आ नाड़ी सोधन प्राणायाम करैत रहू। कपाल भातीमे केवल साँस छोड़ैक छै ई पच्‍चास बेर करू। उड़ि‍यान बंधमे पेटकेँ सटकेबाक छै पूरा हवा पेटसँ नि‍कालि‍ कऽ। अनुलोम-वि‍लोममे वामा नाकसँ साँस लि‍अ आ दहि‍नासँ छोड़ू। तहि‍ना दहि‍नासँ लि‍अ आ वामासँ छोड़ू। ई क्रम दस बेर। भ्रामरीमे, आँखि‍ आ कानकेँ हाथक ओंगरीसँ मोड़ि‍ कऽ औंठा कानमे, दोसर ओंगरी कपारपर आ तीन ओंगरी आँखि‍पर राखू आ कंठसँ ओम शब्‍दक उच्‍चारक करू, दस बेर।
नारी सोधन, वामा नाकसँ साँस लि‍अ आ रोकू, जहन छोड़ैक वि‍चार हुअए तहन दाया नाकसँ पूरा छोड़ि‍ आ बाहरे साँसकेँ रोकने रहू। जहन साँस लइक वि‍चार हुअए तँ दायासँ लि‍अ। फेर रोकि‍ दियौ आ ओहि‍ना वि‍परीतसँ छोड़ू। ईहो दस बेर करू। आ हे सुबह-शाम टहलैक सेहो आदति लगा लि‍अ। एकटा दवाइ बता दइ छी। पहि‍ने दवाइ बनाएब केना से सुनू, आधा कि‍लो करू तेल, एक पौआ लहसुन, पाँचटा धथुरक फड़, दू सए ग्राम लाल मि‍रचाइ, दू सए ग्राम तमाकुलक पात, थोड़ेक आकक पत्ता, सए ग्राम लौंग, सभटाकेँ कुटि‍ कऽ तेलमे डाहि‍ दि‍औ। एक मास तक जरलेहेसँ माि‍लश करू तखन गरलाहासँ करब आ मोन राखब जे मालि‍श केला बाद हाथ साबुनसँ धाेइ लेब।
कि‍सुन लाल बजला- कि‍छु परहेजो-तरहेज छै?”
योग केला बाद बीस मि‍नट तक कि‍छु नै खाएब। एक घंटाक बाद जलपान करब। जलपानक चारि‍ घंटा बाद भोजन करब। खाइत काल पानि‍ नै पीअब। खेलाक एक घंटा बाद पानि‍ पि‍अब। हरि‍अर साग-सब्‍जीक खेनाइमे बेसी बेवहार करब। सूतैकाल एक गि‍लास सुशुम दूध पीि‍ब लेब। जौं नि‍अम आ संयमसँ जेना बता देलौं तेना जँ करैत रहब तँ बातरस तँ ठीके भऽ जाएत जे आनो बेमारी सभ नै हएत। जेना कफ, दम्मा, टीवी, रक्तचाप, मोटापा, गैस, कब्‍ज, हृदए रोग, अवसाद इत्‍यादि‍। देहसँ मेहनति‍ करैबलाक देह केहेन सोंटल-साँटल रहै छै तहि‍ना अहुँक भऽ जाएत।
 

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