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Friday, August 10, 2012

वसंत भगवंत सावंत कोंकणी कथा : मर्णताळणी, मूल कथाकार: हिन्दी अनुवाद : डॉ. शंभु कुमार सिंह ओ श्री सेबी फर्नांडीस: मैथिली अनुवाद : डॉ. शंभु कुमार सिंह




मृत्युकेँ टारब
“कनिष्ठ अभियंताक जीप आबि रहल अछि..... सभ कि‍यो काजपर लागि जाउ।” गाछपर चढ़ि मौध निकालबाक प्रयास कऽ रहल फ्रांसिस पहाड़ीक बाटे हपसैत  अबैत जीपकेँ देखि‍ सभ मजदूरकेँ चेतएबाक स्वरमे चिकरल आ स्वयं सेहो शीघ्रहिं नीचाँ उतरि गेल। बीड़ी पीबाक बहन्नासँ काम बन्न कऽ कए गप्प करएबला आ लगपासमे बैसल सभटा मजदूर हाँइ–हाँइ उठि हाथमे दबिया लऽ कऽ गाछ–बिरीछ काटए लागल। आइ  भोरहिसँ मजदूर सभ मोन लगा कए काज नै केने छल। हमरा सभकेँ दाणे पहाड़ दए चढ़िकए अबैत–अबैत साढ़े नओ बजि गेल रहए। आइ हम स्वयं ओकरा सबहक समक्ष ठाढ़ भऽ कए काज नै लऽ रहल छलौं, ऐ लेल ओहो सभ नहुएँ–नहुएँ काज कऽ रहल छल। बिना काजक दिन खेपैत देखियो कए हम ओकरा सभपर गोस्सा नै कऽ सकलौं। आइ हमर मोन नीक नै रहए। भोरहिंसँ हम पहाड़क टिल्हापर सातनक गाछक नीचाँ बैसल रही। हम जतए बैसल रही ओतएसँ नीचाँ सलावली नहरक काज चलैत रहै, जे साफ झलकैत रहै। बहुतो रास मशीनक हल्ला होइत रहै। नहरक काज आधासँ बेसी भऽ चुकल छलै। आगूक पाँच–छओ बरखक भीतरहिं काज पूर्ण भऽ जएबाक उमेद रहै आर अोइ‍ नहरक पानि पीबा आर आन प्रयोगक लेल ऐ दाणे पहाड़पर ट्रिटमेंन्ट प्लान्ट बनऽबला रहै। हमरा एतुका कार्यभार भेटबासँ पूर्वहिं निरीक्षण भऽ गेल रहै। यएह किछु दिनमे काजक ठीका निकालि ठिकेदारकेँ काज संपन्न करएबाक आदेश दऽ देल गेल रहै। अगिले सप्ताह मुख्यमंत्रीक हाथेँ शिलान्यास हेबाक रहै। ऐलेल अोइ‍ जमीनकेँ चिह्नित करबाक लेल कार्यपालक अभियंता साहेब एतेक मजदूरकेँ लगा कए ऐ महत्वपूर्ण जमीनकेँ साफ करबाक लेल कहने छलै। काल्हि आ परसू तँ मजदूर सभकेँ लड़ा–चड़ा कए हम नीक जकाँ काज करा लेने रही मुदा आइ हमर मोन काजमे नै लागि रहल छल। 
कनिष्ठ अभियंताक जीप पहाड़ीक बाटे एम्हरे आबि रहल छलै आ अोइसँ  आबए बला आवाजसँ हमर बेचैनी बढ़ल जा रहल छल। सभ मजदूर दौग‍ कए काज करबाक नाटकमे लागि गेल, मुदा हमरा उठि कए ठाढ़ होएबाक साधंस नै भेल। हमरा बुझाइत छल जेना हमरा देहसँ प्राण निकलल जा रहल हुअए। काल्हि भोरहिं तँ कनिष्ठ अभियंता द्वारा कार्यस्थल केर निरीक्षण कऽ लेल गेल छलै, तखन अखन दिनक बारह बजे ओ किए आबि रहल छलै? निश्चित रूपेँ ओ हमरा बाबूजीक मृत्युक खबरि लऽ कए आबि रहल हेताह, हमरा लागल। “आइ काजपर नै जाउ” भोरहिसँ हमर घरक लोक सभ कहैत छलाह। बाबूजी कखन अपन अंतिम साँस लेताह भरोस नै। ओछाओनपर पड़ल बाबूजीक हालति एकदम खराप भऽ गेल छलनि। मुदा दाणे पहाड़केँ साफ करएबाक काज हमरा भेटल रहए। जँ ऐकालमे कोनो प्रकारक व्यवधान भेलै तँ हमरा नोकरीसँ निकालि देबाक धमकी कार्यपालक अभियंता पहिनहिं दऽ देने रहए। हम कनिष्ठ अभियंताक व्यवहारसँ नीक जकाँ अवगत रही ऐलेल हम घरक लोक सबहक कथनी नै मानि डिब्बामे दूटा रोटी राखि काजपर चलि देलौं। हमरा दाणे जंक्शन धरि पहुँचतहि आठ बजि गेल छल। सभ मजदूर अपन–अपन दबिया आ डिब्बा लऽ कए हमर बाट देखैत छल। दाणे पहाड़ दिस जाएबला ट्रक सबहक बाट नै देखि‍ हम सभ पएरे चलब आरंभ कऽ देलौं जे जँ बाटमे कतौ ट्रक भेट गेल तँ ओकरा हाथ दऽ देबै। मुदा कुर्डे पहुँचऽ धरि हमरा सभकेँ एक्को टा गाड़ी नै भेटल। ओतएसँ एक पेरिया बाटे अएबाक कारणेँ हमरा सभकेँ बड्ड विलम्ब भऽ गेल।
मरणशय्यापर पड़ल हमर बाबूजीक चिन्ता आर पैदल चलिकए अएबाक थकानक कारणेँ हमर प्राण कंठ धरि आबि गेल छल। आ अखन हमरा बाबूजीक मृत्युक खबरि लऽ कए आबऽबला जीपकेँ देखि कए हमरा आँखिक सोझाँ तारा नाचए लागल। गाड़ी ऊपर आबि रहल छल। केहनो हृदैविदारक समाद हो हम ओकरा सुनबाक लेल अपना मोनकेँ एकाग्रचित्त केलौं आ आँखि मुनि लेलौं। हमरा आँखिक समक्ष चित्र सभ नाचए लागल, ‘आब ओ जीप ठहरत..... कनिष्ठ अभियंता जीपसँ उतरि जेताह..... काज करएबला मजदूर सभसँ “पर्यवेक्षक कतए छथि ?” पुछताह..... ओ लोकनि गाछ दिस आँगुर देखेतनि, अभियंता घुमिकए हमरा दिस उपर अओताह..... हमरा कान्हपर हाथ राखि बजताह..... मिस्टर नायक...... हमसभ अखन सांगे केर कार्यालय जाएब।’  हम चुप रहब।
अहाँक लेल एकटा खबरि अछि.... इट इज नॉट मच सिरियस..... (ओतेक चिंताजनक नै अछि.....) मुदा अहाँकेँ शीघ्रहिं घर बजाओल गेल अछि। हम जीप लऽ कए ओम्हरे जाएबला छी..... ओतहिसँ अहूँकेँ छोड़ि देब। कनिष्ठ अभियंता जानि-बूझिकए हमरासँ बाबूजीक मृत्युक खबरि नुका रहल अछि, ई हमरा पता लागत..... हमर करेज फाटि जाएत, हमरा आँखिमे नोर आबि जाएत।
यू इडियट (बदमाश)....., एमहर आउ! राजा जकाँ बैसल छथि.... नॉनसेन्स (बेकूफ)। अहाँकेँ देल गेल काजक कोनो परवाहि नै अछि? आब अहाँकेँ घरहिं पठा देब.....।
सोचलौं की आ क्षणहिंमे भऽ गेल की, हमरो पता नै चलि सकल। आँखि खोलिकए देखलौं तँ कनिष्ठ अभियंताक जीप लऽ कए आएल कार्यपालक अभियंता हमरापर डाँट–फटकारक बरखा केने जा रहल छल। अपना समक्ष राक्षस सदृश 
ठाढ़ कार्यपालक अभियंताकेँ देखि‍ हमर तँ हड्डी काँपि गेल।
हे भगवान, ऐ ब्रह्म बबाक चाँगुरसँ हमरा मुक्ति दिया दिअ। 
मोनहि–मोन भगवानसँ प्रार्थना करैत हम कार्यपालक अभियंताक समक्ष ठाढ़ रहलौं।
अहाँक ओकादि एतेक बढ़ि गेल? मजदूर सभपर धि‍यान नै राखि, हमरा अबैत देखियहुकेँ ओतए साहूकार जकाँ बैसल रहलौं? ई सभटा काज चारि दिनक भीतरहि ने संपन्न करएबाक लेल कहने रही, कमीना नहितन? एना तँ अहाँ हमरहु संकटमे दऽ देब.... ठहरू ! एखने हम अहाँकेँ सबक सिखबैत छी.... हम एखने कार्यालय जा कए, अहाँक ‘टर्मिनेशन ऑर्डर’ निकालि दै छी...। 
क्षण भरिक लेल हमरा एहेन बुझाएल जेना एकटा अल्सेशियन कुकुर हमरापर भूकैत एम्हरे आबि रहल अछि। हमरा मुँहसँ एक्कहुटा शब्द नै निकलि सकल। 
साहेब, हिनक बाबूजी बहुत बेराम छन्हि .... ऐ लेल ओ कनेक कालक लेल बैस गेल छलाह, एकटा मजदूर हमर पक्ष लैत कार्यपालक अभियंताकेँ समझएबाक प्रयास कएलक, मुदा साहेबपर हुनक बातक कोनो असरि नै भेलनि।
बेराम छथि तँ होमए दियौ, जीवैत तँ छथि ने? ऐ तरहक बहन्ना बना कए अहाँ काजपर सँ बेसी नागा नै रहल करू, नै तँ सभदिनक लेल घरहिं बैसा देब। कार्यपालक अभियंता हमरापर आर भड़कि गेलाह। अोइ‍ भरल दुपहरियामे हमरा आँखिक समक्ष तरेगन झिलमिलबए लागल।
यूजलेस सुपरवाइजर.... (बेकाम पर्यवेक्षक....) एतए आउ.....देखू ई सभटा गाछ–बिरीछ कटबा लेब। परसू धरि ई सभटा साफ भऽ जएबाक चाही। मंगल दिन सी.एम. (मुख्यमंत्री) अओताह, आेइसँ पहिने कनिष्ठ अभियंताकेँ चिन्हित करबाक लेल ई जगह साफ–सुथरा भेटबाक चाही। जँ ठीक समैपर ई काज नै भेल तँ हम अहाँकेँ देखि‍ लेब।
अहूँ सभ कि‍यो सुनि लेलौं की नै? सभ मजदूरकेँ सुनएबाक लेल ओ ओकरा दिस देखलक आ जा कए जीपमे बैस गेल।
पल भरिक लेल हमरा एहेन लागल जेना ढलानसँ उतरएबला ओइ जीपक पाछू हमरा डोरिसँ बान्हि घिसियाओल जा रहल अछि। हमरा आँखिमे नोर आबि गेल। नोकरीसँ निकालि देबाक धमकीसँ हमर सौंसे देह सुन्न भेल जा रहल अछि, हमरा एहेन बुझाएल। ऐ नोकरीसँ हाथ धो लेब हमरा बसक गप्प नै छल। बी. कॉम. कएलाक बाद लगभग दू वर्ष धरि हम बेरोजगार रही। पछिले साल बाबूजीकेँ लकवाक प्रकोप भेल छलनि ओ तहिएसँ ओछाओन पकड़ि नेने छथि। बाबूजीक दवाइ, कॉलेजमे पढ़एबला अपन छोट भाय आर मैट्रिकमे पढ़एवाली अपन छोटकी बहिनक सभटा दायित्व हमरहिं कन्हापर छल। कतेकोक पएर पकड़लाक पश्चात् हमरा हिसाब-किताबक काज भेटल छल, मुदा डेढ़ दुइ सय टकासँ बेसी हमरा कहियो नै भेट सकल। कतेको पैरवीक केलाक पश्चात् हमरा बारह टकाक दैनिक मजदूरीपर सुपरवाइजर (पर्यवेक्षक)क ई काज भेटल छल। हमर दुब्बर-पातर कद-काठी देखि‍ कनिष्ठ अभियंता हमरा सुपरवाइजरक नोकरी देबाक लेल किन्नहुँ राजी नै छल, मुदा ओकरा लग लऽ जाएबला हमर शुभचिन्तक हमर विषम परिस्थिति आ लचारीक तेना ने बखान कएलनि जे नहियो चाहैत ओ हमरा ई नोकरी दऽ देलक। हमर छोटो छिन गलतीकेँ लऽ कए ओ हमरा सदिखन उँच-नीच कहैत रहै छल। पछिला तीन माससँ तीन-सवा तीन सय टकाक महिनवारी दरमाहासँ हम साधारण रूपेँ अपन जिनगी चला रहल छलौं। ऐ सप्ताह बाबूजीक तबीयत बिगड़ि जेबाक कारणेँ हमरा लग जतेको पाइ छल, सभटा हुनक दबाइ आ डागदरक पाछू खर्च भऽ गेल। जँ बाबूजीक संग किछु भऽ गेलनि तँ हम केना की करब, से सोचबाक साहस आब हमरामे नै रहि गेल छल।
हम अंतर्द्वन्द्वमे फँसि गेल रही। कार्यपालक अभियंता हमरा नोकरीसँ निकालि देबाक धमकी दऽ कए गेल छल।  हमरा बुझाइत छल जेना हमर हड्डीक मज्झा जमल जा रहल अछि। कोनो मजदूर दौग कए हमरा थाम्हि लेलक आ गैलनमे भरल पानिसँ हमरा आँखिपर छिच्चा देलक नै तँ हम ओतहिं अचेत भऽ कए गिर जैतौं।
खएलाक पश्चात् हम भारी मनसँ ओतए आबि ठाढ़ भऽ गेलौं जतए आन मजदूर सभ काज करैत रहथि। हमर नजरि घूमि-फिरि ओइ बाटक दिस जा रहल छल। बाबूजीक मरबाक खबरि लऽ कए जीप आब आएल तब आएल, यएह सोचैत-सोचैत हम आधा दिन बिता देलौं। हमर ऐ स्थितिपर दया करैत मजदूर सभसँ जतेक संभव भऽ सकलै ततेक काज कऽ देलक। जँ मजदूर सभ एहने लगनसँ काज करैत रहल तँ ई काज काल्हि धरि पूरा भऽ जेतै, हमरा बुझाएल। साँझुक पहर हम जल्दीए निकलि कए पहाड़ीक बाटे उतरैत नीचाँ आबि गेलौं। लकड़ी लऽ जाएबला ट्रक भेट गेलाक कारणेँ हम राति हेबासँ पहिनहिं बजार पहुँचि गेलौं। झटकि कए चलि हम घरक बाट पकड़लौं। पिचरोड खतम भेलाक बाद गलीबला माटिक सड़कपर हमर चालि कने मद्धिम भऽ गेल। ऐ गलीक ओइ छज्जाकेँ पार कएलाक बाद हम अपन वार्डमे पहुँचि जैतौं। हम सोचए लागलौं जे हमरा आँगनमे हमर किछु पड़ोसी लोकनि हाथपर हाथ धऽ ठाढ़ छथि। हमरा देखतहिं ओ लोकनि अपनामे गप्प करए लगलाह। हम जेना-जेना घरक दिस बढ़ैत रही तहिना-तहिना कानबाक शोर बढ़ैत जा रहल छल। जहिना हम अँगना पहुँचब, एकटा पड़ोसी आबि हमरा गल-बाँही दऽ घर लऽ जेताह। घरमे बाबूजीक प्राणहीन लहास पड़ल रहतनि। एकटा कोनमे कानि-कानि कए बेदम भेल हमर माए आ बहिनकेँ सम्हारबाक लेल पड़ोसक औरत लोकनि बैसल हेतीह। हुनका सोझाँ सोडाक बोतल आ काटल पेयाजु राखल रहतनि। बाबूजीक लहासक समक्ष एकटा दीप राखल हेतनि। एक दिस तश्तरीमे अगरबत्ती राखल रहत। लगहिमे एकटा पात्रमे चीनी राखल रहत। आेइमे लोक सभ द्वारा चुट्टासँ उठाओल गेल चीनीक चेन्ह हएत। हमहूँ आेइमे सँ एक चुट्टा चीनी उठाएब आ बाबूजीक फुजलका मुँहमे धऽ देबनि आ “बाबा” कहि जोरसँ कानए लागब। 
जखन हम आँगन पहुँचलौं तँ हमरा कि‍यो नै देखनामे आएल। घरसँ ककरहुँ बाजबाक आवाज आबि रहल छलै। हम जूता खोललौं आ नहुएँ-नहुएँ पएर राखैत भीतर चलि गेलौं। 
आउ बाउ! शायद अहींक खातिर हिनकर प्राण कंठ धरि आबि कए अटकि गेल छन्हिि। आब हिनका ऐ कष्टसँ मुक्तिए भेट जेबाक चाहियनि, हमरा भीतर अबैत देखि‍ हमरा माए लग बैसलि एकटा औरत बाजलि। हम बाबूजीक ओछाओन दिस देखलौं। जइ गतिएँ हुनक छाती उपर-नीचाँ होइत छलनि, हमरासँ देखल नै जा रहल छल। मुँहसँ निकलैबला शब्द सुनएमे नै आबि रहल छल। आँखि खुजले छलनि। बाबूजीक ई स्थिति देखि‍ हमरा बुझा पड़ल जेना ओ सरिपहुँ हमरहिं बाट जोहि रहल छलाह। 
हमर  छोटकी बहिन हमरा चाह देलनि। चाह पीब‍ हम अँगपोछासँ अपन मुँह झाँपि बाबूजीए लग बैस गेलौं। 
देखापर चाही, जँ आजुक राति ई काटि लैत छथि तँ..... नै जँ आइ रातिए किछु भऽ गेलनि तँ एहना स्थितिमे एमहर-ओमहर दौगबु नै, काल्हि भोरहिं उठिकए संबंधी लोकनिकेँ समाद पठा देबनि, की ठीक ने? हमरा भरोस देबाक लेल एकटा पड़ोसिन कहलथि। अंगपोछासँ झाँपल अपन माथ डोला हम हँ कहलियनि। राति बढ़ल जा रहल छलै मुदा हमरा निन्न नै आबि रहल छल। हम ओतहि बैसल रहलौं। रातिक बारह बाजि गेल रहै मुदा बाबूजीक घर्र-घर्र केर आवाज अखनो नै कम भेल रहनि। घरक आन सभ सदस्य एमहर-ओमहर कोनमे सूति रहल छलाह। राति तीन बजे धरि बाबूजीक हालतिमे कोनो सुधार नै भेलनि। मुदा भोर होइतहिं हम द्वन्द्वक स्थितिमे आबि गेलौं। आब की करी? नोकरीपर जाइ, वा नै? काज एकदम अनिवार्य रहै आ  जँ हम नै गेलौं तँ कार्यपालक अभियंता हमरा छोड़त नै। जँ कार्यपालक अभियंताक डरे नोकरीपर चलियो गेलौं आ एमहर बाबूजीक संग किछु खराप भऽ गेलनि    तखन की हएत? 
माए.... हम नोकरीपर चलि जाउ? हम साहस कऽ कए माएसँ पुछलौं। माए तँ किछु नै बाजलीह मुदा एखने हमरा घर आएल हमर किछु पड़ोसी सभ हमरापर अपन गोस्सा निकालए लगलाह। 
साँचे अहाँक दिमाग ठौरपर अछि कि नै?  एतए अहाँक बाबूजी मरण-शय्यापर पड़ल छथि आ अहाँकेँ नोकरी सूझैत अछि?
नै, नै, हमर कार्यपालक अभियंता बड्ड खरूस छथि। 
ओ शैतान छथि की? नीक-बेजाए केर ओकरा ज्ञान नै छन्हिर? 
हम चुप भऽ गेलौं। दुपहर होइत-होइत घर्राहटि आर बढ़िते गेलनि। 
चलू नीके छै.... आइ बृहस्पति दिन छै, प्राण छोड़बाक लेल आजुक दिन उत्तम अछि। हमर बूढ़ पड़ोसिन बाजलथि। एतबा सुनतहि हमर माए आर जोर-जोरसँ कानए लगलीह। 
साँझ होइत-होइत हमरा मोनमे आर डर समा गेल। जँ आइयो बाबूजीक प्राण नै निकललनि आ हुनक मृत्यु नै भेलनि तँ ‘काल्हि काजपर किएक नै आएल छलौं?’ एकर स्पष्टीकरण हम कनिष्ठ अभियंताकेँ केना देबनि? बाबूजी मरि गेलाह तकर पहिलुक दिन अहाँ काजपर किएक नै एलौं? ऐ तरहक प्रश्न सभ पुछि-पुछि ओ हमर पिंड नै छोड़ताह.....जँ हम नोकरीपर नै गेलौं आ मजदूर लोकनि काजकेँ आर बेसी घिच लैक तखन ....? आ ऐ गोस्साक कारणेँ जँ ओ हमर ‘टर्मिनेशन आर्डर’ निकालि देलक तखन ...? कार्यपालक अभियंताक काल्हुक पल-पल केर दृश्य हमरा आँखिक सोझाँ नाचए लागल। 
दू बजेक पश्चात् खराप नक्षत्र आरंभ होइ बला रहै, आेइसँ पहिनहि हुनका मुक्ति भेट जएबाक चाहियनि ...! कि‍यो एहेन बाजलथि। मुदा हमरा बुझाएल दू बजे नै बारह बजेसँ पहिनहि हुनक प्राण जएबाक चाहियनि, ताकि बाबूजीक मृत्यु बृहस्पतिए दिन भऽ गेल छलनि, कार्यपालक अभियंताकेँ बतएबामे हमरा सुविधा हएत। 
राति आठ बजे हम एक बाटी मरगिल्ला खा बाबूजी लग बैस गेलौं। काल्हि राति भरिक जगरनाक कारणेँ हमरहुँ आँखि निन्नक बाट जोहि रहल छल। अखन हमर आँखि लागलहि छल कि कि‍यो हमरा हाथ लगा उठा देलक। घरमे सात-आठ पड़ोसी लोकनि ठाढ़ छलाह। हुनका सबहक आँखि बाबूजीपर स्थिर भऽ गेल छलनि। बाबूजीक मुँहसँ होमएबला घर्र-घर्र केर आवाज आर बेसी भऽ रहल छलनि। हम जल्दीसँ उठिकए बैस गेलौं। बाबूजीक आवाज आर बढ़ि गेलनि। क्षण भरिक लेल हुनक सौंसे देह हिललनि आ अचानक सभ किछु शांत भऽ गेल। कतेक बाजि रहल छै, कने धि‍यानसँ देखियौक कि‍यो? कि‍यो बजलाह। कि‍यो आगू बढ़ि पलंगसँ लटकल बाबूजीक हाथ सीधा कऽ कए हुनक फुजल आँखि बन्न कऽ देलकनि। 
हमर माए आ बहिन एक्कहि सँग जोरसँ चिकरैत बाबूजीक लहासपर हाथ राखि कानब शुरू कऽ देलथि। अखन धरि ठाढ़ भए हमरा बाबूजीकेँ देखएबला हमर भाए झुकिकए गिरहिबला छल कि तखनहि कि‍यो हुनका पकड़ि लेलकनि आर ओकरा मुँहपर पानिक छिट्टा देलकनि। मुदा हमरा तँ नीक लागल।
हम एकटा दीर्घ निसाँस लेलौं आर देखलौं..... हमर बाबूजी..... हमर खून, हमरहि सोझाँ मरल पड़ल छथि..... , हमर साक्षात् बाबूजी हमरा सदाक लेल छोड़ि कए चलि गेल छलाह। हम ई देखतहिं रहि गेलौं।
ने जानि कोन-सन अनुभूति हमरा करेजसँ बाहर आबि गेल, बाबूजीकक लहास पकड़ि हम फूटि-फूटि कए कानब शुरू कऽ देलौं ..... हम्मर बाबूजी.........। 

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