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Monday, February 15, 2016

अवाक

राजदेव मण्‍डलक एकटा लघु कथा-

अवाक


अन्‍हरिया राति। लगै छेलै जेना आसमान अन्‍हार उगैल रहल होइ। ऊपरसँ हाँइ-हाँइ बहैत हवा गाछ-बिरिछकेँ झिकझोरि रहल छेलै। तैपर कखनो-काल टिपटिपाइत पानिक बून...।
कखैन समए ठीक भऽ जेतै आ कखैन अधला तेकरा कोन ठेकान। ऐपर केकर वश चलि सकै छै? ओ तँ...।
जितू ऊपर मुहेँ तकलक। लगलै मेघ उनटल आबि रहल अछि। देखते ओकरा टाँगमे पाँखि लगि गेलइ।
एहेन खराप समए आ दू कोसक रस्‍ता! बान्‍ह-सड़क बनिते छेलै तँए ओइ गाम बस-ट्रक तँ जाइते ने छल। एहेन बिगड़ल समैमे रिक्‍शा, टेम्‍पू जेबे नै करतै। पैदले जाए पड़त।
केकर कपार खराप हेतै जे एहेन समैमे निकलत। जितू निकलल छल ठीके समैपर। ओकरा की पता छेलै जे बाटमे बस भँगैठ जेतै आ बसक डरेबरसँ जातरी सभकेँ झगड़ा-फसाद भऽ जेतै। तइ कारण बसकेँ दू घण्‍टा बेमतलब ठाढ़ केने रहतै। आ जातरी सभकेँ एते समस्‍या हेतइ। तइसँ बसबलाकेँ मतलबे की।
सभ तँ अपने सुआरथमे डुबकी मारैत अछि। सुआरथ पूर भेल तँ वाह नइ तँ आह। अनकासँ केकरो की मतलब।
ओ सोचलक- मुदा हम तँ स्‍वार्थमे नै छी। बेमार सारि बारम्‍बार फोन कऽ रहल छेली जे-
हम जीअब की मरब तेकर कोनो ठेकान नहि। एक बेर भेँट कऽ जाउ।
ओइठाम केना नै जाएब, जैठाम जेनाइ कर्तव्‍य अछि।
केतबो लिखब लेख, परेमक रूप अनेक।
भेँट होएत। ओइ भेँट करबामे नै जानि केतेक सुख छै। केतेक आनन्‍द छै। सूचना मिललाक उपरान्‍त जितूकेँ कछमछी लगलै से अखनो धरि लगलै छेलै।
ओकरा यादि पड़लै। अँगनासँ निकलैत-काल पत्नी टोकने रहइ।
केतए जाइ छिऐ। कोनो ओइठाम लोक नै छै।
पत्नी जेना तमसाएल रहइ।
शंकामे औनाइत मन! तामसे फड़फड़ाइत! जितू मिलबैत बाजल-
कोनो आनठाम जाइ छिऐ जे एना तमसाएल छी। अहींक गाम तँ जाइ छी।
हँसैत जितू निकैल गेल छेलै।
सड़कपर ऐबते दोस टोकि देने रहइ-
हे यौ, सासुर अछि पछिम आ जाइ छिऐ उत्तर मुहेँ।
कनी बैंकसँ टको-पैसा लेबाक अछि। अखैन हम नै रूकब।
कहैत आगू बढ़ि गेल रहइ।
जितूकेँ  मनमे  आएल।  जतरा  पहर टोकि देने रहए तँए शायद बाटमे
एना बाधा भऽ रहल अछि।
पुन: सारिक संगे बिताएल समए ओकरा स्‍मरण हुअ लगलै। हँसी-खेल, फगुआक रंग-अबीर, आमक मास, मधुमास। ओकर रूप, गुण, बोली आ मुस्‍की मारैत मुख...।
किछुकाल लेल जेना ओ स्‍वर्गक सागरमे डुमकी मारए लगल। सुखकेँ यादि केलासँ लोक किछु पलक लेल पुन: सुखी भऽ जाइत अछि भोगर सुखक नव रूप!
सुनमसान बाट आ बिकट समए। जेना सभ किछु बिला गेल छेलै।
एकाएक मेघक गर्जनासँ जितूकेँ धियान भंग भऽ गेलइ। जेना फेर चारू-भरसँ अन्‍हार घेर लेलकै। एहने समैमे घटल घटनाक सबहक चित्र आगूमे आबए लगलै।
ओकरा मन पड़लै। एकबेर सासुरेमे सारक दोस कहने रहए-
हे यौ, इलाकामे जँ कुसमए केतौ फँसि जाएब तँ हमर नाम सुमैर लेब।
सारक मुहसँ दोसक बड़ाइ खूबे सुनने रहए।
जितूकेँ बुझेलै जेना कातमे किछो छेलै। मुदा ओ अन्‍हारमे किछो नहि देख रहल छल। पएर थरथराए लगलै। कथी छेलै- भूत-प्रेत आकि चोर-डकैत। पता नै ओतए पहुँच सकब आकि बाटेमे प्राण बिला जाएत...।
फेर भट्ट दऽ किछो खसल। डेराइते ओम्‍हर तकलक। देखते जेना मनकेँ भरोस भऽ गेलइ। कियो आगूमे बाट धेने धड़फड़ाइत जा रहल छेलै। जहिना लटछुटु माल दोसर माल-जालकेँ देखते स्‍थिर भऽ जाइत अछि तहिना जितूकेँ सन्‍तोख भेलै। शंका सभ मेटाए लगलै।
डेग बढ़ौलक जे संगे चलब, लगमे जाइते ओ उनैट कऽ कर्कश अवाजमे पुछलक-
रेऽऽ ठाढ़ रह! केतऽ रहै छी?”
तखने बिजली चमकल। ओही इजोतमे जितू ओकर भयंकर रूप देखलक। भागल भय जेना फेरसँ देहमे समा गेल। डरे देह थराराए लगल। पेटक हवा निकास लेल गोंगिया उठल मुदा ओहो डरसँअन्‍दरेमे बिला गेल। अनायासे मुहसँ निकलल-
हौ, अही अगिला गाम हमर सासुर अछि। हमहूँ तोरा चिन्‍हते छिअ आ तहूँ हमरा चिन्‍हते हेबहक। एना किए करै छहक।
आ रे तोरी-के, कोनए गेलै रौ, चेला सब, ई तँ सभकेँ चिन्‍हते छौ। जुलुम भेलौ। सभटा भेद खोलि देतौ। सभ किछो छीन-ले आ सारकेँ साफ कऽ दही।
हौ बाप, हम केकरो नहि चिन्‍हैत छी।
चुप...।
तड़ाक-तड़ाक मुँहपर चमेटा खसए लगल।लगलै जेना बजर गिरैत अछि। जितू धड़फड़ा कऽ भूमिपर खसि पड़ल।
देखै छी पाछूमे इजोत1 पुलिस आबि रहल छौ। सभ किछो छीन-ले आ गरदैन काटि दही। हम आगू निकलै छियो।
एकटा चेला तरूआरि लेने जितू दिश बढ़ल आर सभ तेजीसँ आगाँ बढ़ि गेल। चेला जितू लग आबि सभ जेबीक तलाशी लेलक आ उठैत बाजल-
यौ गुरू ई तँ थप्‍परेसँ मरि गेलै। मारबै की। भागू जल्‍दी, पुलिसक इजोत लगीच आबि गेल।
सभ पड़ा गेल। जितू चिन्‍हल अवाज सुनि  कुहरैत उठल। मन घृणासँ भरि गेलइ। अचरजमे डुमल स्‍वर निकललै-
धनक लेल लोक एतेक नीचाँ गिर सकैत अछि। केकरा कहबै के पतिएतै, जेकरे कहबै सएह लतिएतै।
जेना लगलै केतौ किछु नहि, कोनो सम्‍बन्‍ध नहि। मनुख केहेन आ जानवर केहेन। के नीक?
अनायासे ओकर हाथ ओहइ जेबी दिस गेलै जइमे आठ हजार टका रखने रहए। सभ टका-पैसा सुरक्षिते रहइ। ओ अवाक् भऽ गेल।
सोचलक- केतौ आ केकरो लग इमान रहि सकैत अछि। बुढ़-पुराणक बात मोन पड़लै-
केतबो काटबहक जड़ि
इमानक सोर पताल धरि।

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