Pages

Sunday, August 3, 2014

नि‍पुतराहा (नन्‍द वि‍लास राय)

नि‍पुतराहा
भोरे-भोर नि‍पुतराहाक दर्शन भऽ गेल। आइ अनजलो हएत कि‍ नै से नै जानि‍।
ई कहि‍ औरहावाली मुँह बि‍जकाबए लगली। रीता बजली-
गइ माए, तों की बजै छेँ। ई सभ मात्र कहबी छि‍ऐ। ओहो तँ मनुखे छथि‍न। भगवान बेटा नै देलखि‍न तँ ओ नि‍पुत्तर भऽ गेल। कोनो बाँझ तँ नै छथि‍न। दूटा बेटी छन्‍हि‍हेँ। एकटा बी.ए. फाइनलमे पढ़ै छन्‍हि‍ आ दोसर इंटरक परीक्षाक फार्म भरने छथि‍न। अपनो बी.एस.सी. पास केने छथि‍न। राजनीति‍ सेहो करै छथि‍न। हुनकर भाषण बड़ जोशगर होइ छन्‍हि‍। सुनै छी ओ साहि‍त्‍यकारो छथि‍न। एहेन लोकक दर्शनकेँ अधला बुझै छि‍ही?”
औरहावाली कहलखि‍न-
गइ तूँ की बुझबि‍ही। नि‍पुत्तर मनुखक दर्शन बड़ अधला। पछि‍ला साल हम उजाला ट्रेनिंगमे शामि‍ल होइले घोघरडीहा जाइत रही, ओइ नि‍पुतराहाक दर्शन भऽ गेल। पाँचे मि‍नट लेल ट्रेन छूटि‍ गेल। सभ दि‍न तँ ट्रेन लेटे रहै छल मुदा ओइ दि‍न ठीक साढ़े दस बजै खूगि‍ गेल। हमरा ट्रेनिंगमे जेनाइ जरूरी छल पछाति‍ तोहर पापा मोटर साइकि‍लसँ घोघरडीहा पहुँचौलनि‍, जइसँ हुनका अपना स्‍कूल पहुँचैमे देरी भऽ गेलनि‍। ओही दि‍न डी.ओ. साहैब एगारह बजै बनगामा हाइ स्‍कूलपर आएल रहथि‍। तोहर पापा साढ़े एगारह बजै स्‍कूल पहुँचल छेलखुन। अदहा घंटा समए हुनका देरी भऽ गेल रहनि‍। डी.ओ. साहैब हुनकासँ स्‍पष्‍टीकरण मंगलकनि‍। ओही दि‍नसँ हम नि‍पुतराहाक दर्शनकेँ खराप बुझै छी।
रीता बजली-
ई सभ संजोगक बात छी। तूँ तँ मास्‍टरी करै छीही। पढ़ल-लि‍खल छेँ। तखनो ऐ रूढ़ीवादीकेँ मानै छीही? कह तँ जौं ई बात विमलकाकाकेँ पता चलतनि‍ तँ हुनका केतेक दुख हेतनि‍? हमरा बि‍आहमे ओ केते खटल रहथि‍। सभ बरि‍यातीकेँ भोजन करा सबहक पात वि‍मलेकाका फेंकने रहथि‍न।
से तँ तूँ ठीके कहै छेँ। तोरा बि‍आहमे ओ बड़ खटल रहथि‍न। मुदा जहि‍या हमर ट्रेन छूटि‍ गेल आ तोहर पापाकेँ डी.ओ. साहैब झमेलामे दऽ देलखि‍न तहि‍यासँ ओकर दर्शनकेँ हम बड़ अधला बुझै छि‍ऐ।
  ई सभटा बात औरहावाली आ हुनकर बेटी रीताक बीच चलै छल जखनि वि‍मलजी नि‍र्मली जाइत रहथि‍न आ हुनके देख कऽ औरहावाली मुँह बि‍जकबैत बाजए लगल रहथि‍न। औरहावालीक मकान सड़कक कातेमे अछि‍। मकानमे सड़को दि‍ससँ ओसारा छै। तही ओसारापर दुनू माइधी बैसल छेली।
  वि‍मलजी बी.एस.सी. पास छथि‍। हुनकर उमेर लगधग चालि‍स बरख छन्‍हि‍। कखनो काल मैथि‍लीमे कथा-कवि‍ता-हैकू-टनका-वाका सेहो लि‍खै छथि‍। पाँच बरख तक एकटा संस्‍कृत उच्‍च वि‍द्यालयमे वि‍ज्ञान वि‍षयक पदपर शिक्षणक काज सेहो केला। स्‍कूल मंजूर नै भेने बेरोजगारे रहि‍ गेला। सामाजि‍क काजमे रूचि‍ सेहो छन्‍हि‍। हि‍नका दूटा बेटीएटा छन्‍हि‍। बड़की बेटी वीणा बी.ए. कऽ रहल छथि‍न आ छोटकी इंटर।
  औरहावालीक पति‍ दि‍नेशजी वनगामा उच्‍च वि‍द्यालयक प्रधानाध्‍यापक छथि‍न। औरहावाली गामेक प्राथमि‍क स्‍कूलमे शि‍क्षि‍का छथि‍न। दूटा बेटी आ एकटा बेटा छन्‍हि‍। जेठकी बेटी रीना सासुरवास छथि‍न। छोटकी बेटी रीताक बि‍आह कनीय अभि‍यंतासँ भेल अछि‍। इंजीनि‍यर साहैब झारखण्‍डमे नोकरी करै छथि‍न। नव-नव नोकरी छन्‍हि‍। तँए रीता अखनि‍ नैहरेमे अछि‍। सभसँ छोट संतान संदीप छन्‍हि‍।
  रीता सोचए लगली, माएक वि‍चार केतेक संकुचि‍त अछि‍। वि‍मलकाका समाजक सबहक दुख-सुखमे हाथ बटबै छथि‍न। केकरो बेटीक बि‍आहमे बि‍नु बजौने जा अपना सक्क भरि‍ मदति‍ करै छथि‍न। हमर पापा तँ बि‍नु सूदि‍ लेने केकरो पाँचो रूपैआ नै दइ छथि‍न। बड़की बहि‍न रीना कहि‍यासँ एकटा टेलीवि‍जन लेल कि‍लोल करैए मुदा ओ पाइ रहि‍तो साधारण मांगक पूर्ति नै कऽ पबै छथि‍न। जखैन कि‍‍ एक मासक दरमाहा मि‍ला कऽ अस्‍सी हजारसँ ऊपरे होइ छन्‍हि‍। तैपरसँ कमतीमे बीस हजार रूपैआ महि‍ना सूदि‍-बि‍आजसँ आमदनी अलग छन्‍हि‍। मुदा हमर माए-बाबू एक नम्‍बरक मखीचूस। वि‍मलकाका हमरा पापासँ नीक लोक छथि‍न। एहेन नीक लोकक प्रति‍ माएक ई सोच छन्‍हि‍!
  दि‍नेशजीक बेटा संदीप भोपालमे इंजीनि‍यरक पढ़ाइ कऽ रहल अछि‍। डोनेशनपर नामांकन भेल छै। तीन बेर कम्‍पीटीशनमे बैसला पछाति सफल नै भऽ सकलै तखनि‍ जा कऽ डोनेशन दऽ पि‍ता नाओं लि‍खौलकनि‍। आइ-काल्हि‍ संदीप गामे अछि‍। माए-बापक दुलरुआ बेटा।
वि‍मल जीक मामाकेँ लकबा मारि‍ देलकनि‍। हुनका इलाज लेल आर.बी.मेमोरि‍यल, लहेरि‍यासरायमे भर्ती करौल गेल। वि‍मलजी सेहो संगे रहथि‍न। एक सप्‍ताहक इलाजक पछाति‍ स्‍वास्‍थमे सुधार हुअ लगलनि‍। वि‍मलजी चाह पीबैले आर.बी.मेमोरि‍यरक बाहर एला तँ हुनकर नजरि‍ दि‍नेशजीपर गेलनि‍। दि‍नेशजी एकटा बोलेरो गाड़ीसँ उतरै छला। वि‍मलजी गाड़ी लग पहुँचला तँ गाड़ीमे संदीपकेँ बेहोश देखलखि‍न। औरहोवाली गाड़ीएमे छेली। वि‍मलजी पुछलखि‍न-
की भेलैए संदीपकेँ? एकरा माथमे पट्टी किए बान्‍हल छै?”
औरहावालीक आँखि‍सँ दहो-बहो नोर जाए लगलनि‍। दि‍नेशजी कहलखि‍न-
पहि‍ने संदीपकेँ उतारि‍ भीतर लऽ चलू। भर्ती करा इलाज चालू कराउ। हालति‍ बड़ खराप छै।
मोटर साइकि‍ल दुर्घटनामे संदीपकेँ माथा फाटि‍ गेलै। बड़ लहू बहलै हेन। खून सेहो चढ़बए पड़तै। फुलपरास रेफरल अस्‍पतालमे पट्टी बान्‍हि‍ डी.एम.सी.एच. रेफर कऽ देलकै। पहि‍ने तँ डी.एम.सी.एचे. अस्‍पताल लऽ गेल रहथि‍न दि‍नेशजी मुदा ओइठाम डाक्‍टर सबहक हड़तालसँ बन्न रहने गाड़ी घूमा आर.बी.मेमोरि‍यल नि‍जी अस्‍पताल आनल गेल।
वि‍मलजी आ दि‍नेशजी दुनू गोरे संदीपकेँ उठा अस्‍पतालक भीतर लऽ गेलखि‍न। इमरजेंसी वार्डमे भर्ती करौल गेल। डाक्‍टर साहैब कहलखि‍न-
रोगीकेँ बड़ खूनक कमी भऽ गेल अछि‍। जल्‍दी पहि‍ने खूनक बेवस्‍था करै जाउ।
संदीपक खूनक जाँच भेल। जइ ग्रुपक खून संदीपक शरीरमे छल ओइ ग्रुपक खून अस्‍पतालमे उपलब्‍ध नै छेलै। दि‍नेशजी आ औरहावाली सेहो दुनू गोटेक खूनक जाँच भेल। दि‍नेशजी खूनक ग्रुप संदीपक खूनक ग्रुपसँ मि‍लल। एक बोतल खून नि‍कालि‍ तत्काल संदीपक इलाज शुरू भेल। डाक्‍टर कहलखि‍न-
एक बोतल आरो चाही।
दि‍नेश जीक शरीरसँ अखनि‍ आरो खून नै नि‍कालल जा सकै छल। कि‍एक तँ कमजोर जकाँ बूझा रहल छेलखि‍न। वि‍मलजी डाक्‍टरसँ अपन खूनक जाँच करैले कहलखि‍न। हुनका खूनक ग्रुप संदीपक खूनक ग्रुपसँ मि‍लि‍ गेल। वि‍मलजी डाक्‍टरकेँ कहलखि‍न-
जेते खूनक खगता अछि‍। हमरा देहसँ नि‍कालि‍ संदीपकेँ चढ़ा दि‍यौ।
तत्काल खगता भरि‍ खून वि‍मल जीक देहसँ नि‍कालि‍ संदीपकेँ चढ़ा इलाज बढ़ौल गेल। जखनि‍ वि‍मल जीक देहसँ खून नि‍कालि‍ संदीपक देहमे डाक्‍टर चढ़बैत रहथि‍न तखनि‍ वि‍मलजी दि‍नेश जीकेँ कलखि‍न-
चलू एक-एक कप चाह पीबी। चाहो पीअब आ गपो करब। भौजीले चाह सेहो नेने आएब। जगहपर आबि‍ गेल छी इलाजो भाइए रहल अछि‍। भगवानक कृपासँ आब संदीपकेँ कि‍छु नै हएत।
दुनू गोटे चाहक दोकानपर जा दोकानदारसँ वि‍मलजी दूटा चाह दइले कहलखि‍न। दोकानदार दू कप चाह पकड़ा देलक। दुनू गोटे चाह पीबए लगला। वि‍मलजी पुछलखि‍न-
आब कहू संदीपक माथ केना फाटल?”
दि‍नेसजी कहलखि‍न-
अहाँकेँ तँ बुझलै अछि‍ संदीप क्रि‍केटक पाछू बताह अछि‍। आइ झंझारपुरमे क्रि‍केटक मैच छल। सबेरे आठ बजे मोटर साइकि‍लसँ बल्‍ला लऽ वि‍दा भेल। गाड़ीपर तीन गोटे बैस गेल जखनि‍ फुलपरास लोहि‍या चौकसँ बढ़ल तँ एकटा कुत्ता मोटर साइकि‍लसँ टकारा गेल। गाड़ी स्‍पीडमे रहै नाचि‍ कऽ सकड़पर गि‍रल। तखने ओकर कपार फाटि‍ गेल। हेलमेट पछि‍ला संगीकेँ देने रहए।
घंटा भरि‍ पछाति‍ संदीप होशमे आएल। आँखि‍ खोललक। डाक्‍टर कहलखि‍न-
आब खतराक कोनो डर नै। संदीपक जान बँचि‍ गेल।
  औरहावाली भरि‍ पाँजमे वि‍मल जीकेँ लऽ कानए लगली-
बौआ यौ बौआ, आइ अहाँ नै रहि‍तौं तँ हमरा बेटाकेँ की होइत से नै जानि‍ यौ बौआ। हम अहाँक दर्शनकेँ बड़ अधला बुझै छेलौं। हमरा माफ कऽ दिअ यौ बौआ।
वि‍मलजी बजलखि‍न-
हमरा खून देलासँ संदीप बँचि‍ गेल। हमरा लेल ऐसँ पैघ काज दोसर की भऽ सकैए। भगवान संदीपकेँ जल्‍दी स्‍वस्‍थ करथुन, सएह कामना अछि‍।
औरहावाली सोचए लगली, एहेन पैघ वि‍चारक लोकक प्रति‍ हमर केतेक खराप सोच छल। रीता ठीके कहै छल...।
औरहावालीक आँखि‍क नोर बन्न नै भऽ अनवरत बहि‍ते रहलै।


¦

No comments:

Post a Comment