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Sunday, August 3, 2014

डिब्‍बाबला दूध (नन्‍द वि‍लास राय)

डिब्‍बाबला दूध
जीबूजी प्राथमिक वि‍द्यालयसँ सेवा निवृत शिक्षक छला। पुरान विचारक बेकती छला। संतानक नाआेंपर एकटा बेटा छन्‍हि‍ जेकर नाओं वि‍नीत छी। वि‍नीत कलकत्तामे बैंक मैनेजर छथि‍। साल भरि पहिने हुनकर बि‍आह कोइलख गामक चुनचुन झाक बेटीसँ भेलनि। बिआहक मास दि‍नक पछाति‍ वि‍नीत पत्नीकेँ संगे रखए लगला। भगवानक कृपासँ कनि‍याँकेँ कल्‍याणक जोगता भेलनि। छह मास धरि‍ कलकतामे रखलनि‍। पछाति‍ गाम नेने एला। कि‍एक तँ ऐ अवस्‍थामे स्‍त्रीकेँ बड़ तरद्दुतक खगता होइ छै। ओतए ओ अपन नोकरी देखितए आकि कनि‍याँक हि‍फाजैत करि‍तए। गाममे सबहक वि‍चार भेल जे एक मास सासुरमे रहि‍ कनि‍याँ अपन नैहर चलि‍ जेती। ओतए माए नीकसँ हि‍फाजैत करथि‍न। कि‍एक तँ हुनका माएकेँ कोनो काज नै रहै छन्‍हि‍। दू-दूटा पुतोहु गाममे रहने हुनका फुरसति‍ए-फुरसति‍ रहै छन्‍हि‍। वि‍नीत कनि‍याँकेँ गाम पहुँचा, बाबू-माएकेँ सभ बात बुझा आपस कलकत्ता चलि‍ गेला।
  जे कनि‍याँ गाममे साड़ी-ब्‍लौज पहि‍रै छेलखि‍न ओ आब नाइटी पहिरए लगली। माथपर नुआँक कोन गप जे छातीओपर नुआँ नै रहै छन्‍हि‍। ससुरसँ बेधरक गप करै छथि‍न। भरि‍ दि‍न टेलीवीजन देखैमे मगन। कनि‍याँक बेवहार आ पहि‍रब ओढ़ब देखि‍ जीबूजी दुनू परानी छगुन्‍तामे पड़ि‍ गेला। जीबूजीक पत्नी कोठि‍यावाली कनि‍याँकेँ समझेबो केली मुदा कनि‍याँ कहलकनि‍-
माए, कलकत्तामे स्‍त्रीगण सभ घरमे यएह कपड़ा पहि‍रैत अछि‍।
मास दि‍नक पछाति‍ जीबूजी मारूती भाड़ा कऽ कनि‍याँकेँ नैहर पहुँचा एला। जखनि‍ बच्‍चा जनमक मास पूरि‍ गेल तँ कोइलखवालीक नैहरामे सबहक वि‍चार भेलनि‍ जे दरभंगा अस्‍पतालमे भर्ती करा देल जाए। पहि‍ल बच्‍चा छि‍ऐ तँए पहि‍नेसँ सतर्क रहबाक चाही। पहि‍ल बच्‍चामे केतेक तरहक फि‍रि‍सानी भऽ जाइ छै। मुदा दरभंगामे तँ सभ बेवस्‍था रहै छै। फोनसँ वि‍नीतजी केँ अबैले कहल गेल मुदा नोकरीक बि‍वस्‍ताक चलैत नै आबि‍ सकला। वि‍नीतक सासु-ससुर एकटा सार आ सरहोजि‍ सभ गोटे वि‍नीतक कनि‍याँकेँ दरभंगा  लऽ जा अस्‍पतालमे भर्ती करा देलकनि‍। जीबूओ जीसँ अबैले कहल गेल। मुदा ओ अपना घरक ओगरवाहि‍ करैले रहि‍ गेला आ पत्नीकेँ भतीजाक संग दरभंगा पठा देलखि‍न। दरभंगा अस्‍पतालमे भर्ती भेला दुइए दि‍न पछाति‍ कनि‍याँ बालकक जनम देलखि‍न। बच्‍चा जनमैमे कोनो तरहक फि‍रि‍सानी नै भेल। छठि‍हार पछाति‍ वि‍नीतक माए अपन गाम मौआही चलि‍ एली आ वि‍नीतक पत्नी अपना माए-बाबूक संग कोइलख चलि‍ गेली। मौआही पहुँचि‍ते जीबूजी पत्नीसँ पुछलखि‍न-
बच्‍चा नीके ना अछि‍ कि‍ने?”
पत्नी कहलकनि‍-
हँ, बड़ नीक अछि‍। एकदम अपना वि‍नीतपर गेल अछि‍। मुँह-आँखि‍-नाक सभटा वि‍नीते जकाँ। केश एकदम कारी आ औंठि‍या।
जीबूजी जि‍ज्ञासा करैत पुछलखि‍न-
कनि‍याँकेँ दूध होइ छन्‍हि‍ कि‍ने?”
तैपर पत्नी कहलकनि‍-
हँ बेस दूध होइ छन्‍हि‍‍।
जीबूजी फेर पुछलखि‍न-
कनि‍याँ मौआही कहि‍या औती?”
पत्नी कहलकनि‍-
किए, पोताकेँ देखैले मोन बेचैन अछि‍ की? तखनि‍ कल्हि‍ भि‍नसरे चलि‍ जाउ कोइलख आ पोताकेँ देखि‍ आउ। ओना कनि‍याँ तीन मास पछाति‍ औती।
जीबूजी बजला-
हँ यै, पोताकेँ देखैले मन चटपटाइए। काल्हि‍ अठबजीआ बस पकड़ि‍ कोइलख चलि‍ जाएब। भऽ सकत तँ काल्हिए‍ पोताकेँ देखि‍ आपसो आबि‍ जाएब।
  सएह केलनि‍ भोरे कोइलख वि‍दा भऽ गेला जीबूजी। साढ़े दस बजे पहुँचला। पोताकेँ देखि‍ मन खुशी भऽ गेलनि‍। ओही दि‍न आपस अबैले चाहलथि‍ मुदा नै आबए देलकनि‍। समधि‍-समधि‍न घेरि‍ लेलकनि‍। दोसर दि‍न गाम पहुँचला।
  तीन मास पछाति‍ कनि‍याँ नैहरसँ सासुर एली। सासु-ससुरकेँ गोर लागि‍ बच्‍चाकेँ सासुक कोरामे देली। सासु बच्‍चाकेँ जीबूजीक कोरामे देलखि‍न। जीबूजी बच्‍चाकेँ देखि‍ते उदास भऽ गेला। कि‍एक तँ बच्‍चाक स्‍वास्‍थ्‍य ठीक नै बुझेलनि‍। बच्‍चा कमजोर छल। कनि‍याँकेँ मौहाअी एलाक तेसर दि‍नक गप छी। जीबूजी बाबू बरही बजार वि‍दा भेला तँ कनि‍याँ एकटा पूर्जा हि‍नका हाथमे देलकनि‍। जीबूजी पुछलखि‍न ई कथीक पूर्जा छी तँ कनि‍याँ कहलकनि‍-
ई दूधक पुर्जा छी। बौआ लेल डि‍ब्‍बाबला दूधक।
तैपर जीबूजी कहलखि‍न-
सासु बाजल रहथि‍ कनि‍याँकेँ नीक दूध होइ छन्‍हि‍ तखनि‍ डि‍ब्‍बाबला दूध की हएत।
कनि‍याँ कहलकनि‍-
हँ माए ठीके कहने हेती। दूधमे कोनो कसरि‍ नै अछि‍। मुदा अपन दूध बौआकेँ नै पीबै छि‍ऐ। कलकत्तामे देखलि‍ऐ डि‍ब्‍बाबला दूध पीबै छै।
जीबूजी फेर पुछलखि‍न-
से किए? रेडि‍योमे तँ कहैत रहै छै माएक दूध बच्‍चा लेल सभ अहारसँ नीक?”
तैपर कनि‍याँ कहलकनि‍-
हँ रेडि‍योपर ठीके कहै छै। हमहूँ सुनैत रहै छी।
तखनि‍ डि‍ब्‍बाबलाक कोन प्रयोजन?”
कनि‍याँ खौंझाइत कहलकनि‍-
ओह, बाबूजी ई सभ गप नै बुझथि‍न। डि‍ब्‍बाबला दूध आनि‍ देथुन।
जीबूजी गुणधूनमे पड़ि‍ बाबूबरही बजार दि‍स वि‍दा भऽ गेला।
डि‍ब्‍बाबला दूध तीन दि‍न पीएला पछाति‍ बौआकेँ रद-दस्‍त हुअ लगल। हालति‍ गड़बड़ भऽ गेलै। जीबूजी एकटा मारूती भाड़ा कऽ बाबूबरही लऽ गेलखि‍न। डाक्‍टर बौआकेँ देखि‍ते कहलकनि‍-
डायरीया भऽ गेल अछि‍। पानि‍ चढ़बए पड़त।
दू बोतल पानि‍ चढ़ला पछाति‍ थोड़ अराम भेलै। डाक्‍टर साहैब कहलखि‍न-
दूधमे कोनो गड़बड़ी भेने एना भऽ गेलै।
तैपर जीबूजी पुतोहु दि‍स इशारा करैत कहलखि‍न-
डि‍ब्‍बाबला दूध पीबै छथि‍न।
डाक्‍टर साहैब अकचकाइत पुछलखि‍न-
से कि‍ए, माएकेँ दूध नै होइ छन्‍हि‍ की?”
जीबूजी कहलखि‍न-
होइ छन्‍हि‍ मुदा कनि‍याँ अपन दूध नै पीअबै छथि‍न। नवका आदमीकेँ नै बूझल अछि‍।
तैपर डाक्‍टर साहैब चूप भऽ मुड़ी डोलबए लगलखि‍न। बच्‍चाक माए डाक्‍टर साहैबकेँ देखैत रहली।

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