बेचन ठाकुर
विदेह मैथिली समानान्तर रंगमंचक संस्थापक। जनम- ५ नवम्वर
१९७०ई.मे, गाम- चनौरागंज, भाया- झंझारपुर, जिला- मधुबनी, बिहार। पिताक नाओं- स्व.
राम सुन्दर ठाकुर, माता- स्व. कलावती देवी।
साहित्यिक कृति-
नाटक- बेटीक अपमान आ छीनरदेवी, बिसवासघात, बाप भेल पित्ती आ अधिकार, ऊँच-नीच
प्रकाशित तथा कौआसँ गेल्ह बुधियार, सिमरियाक पंडा, तेतरि गाछमे आम केना,
राखीक लाज, घोघटवाली कनियाँ, सपूत नाटक आ रमेश डिलर, महाविरलाल, किशुन बम,
बरहमबाबा, रसून-पिआजु नुक्कर नाटक अप्रकाशित।
हरिया इन्सपेक्टर
दूटा
दोस मोहन आ सोहन मैट्रिकक छात्र। दुनू स्कूलसँ पढ़ि कऽ घर अबैकाल रस्तामे अपन
जीवनक उदेसक सम्बन्धमे गप-सप्प करैत छल। मोहन-
“दोस, तोहर की उदेस छौ?”
सोहन-
“हम इंजीनियर पक्का बनबौ। आ तोहर उदेस?”
मोहन-
“हम बिनु पेनीक लोटा छियौ। हमर कोनो उदेस नै। मुदा एगो कह तँू इंजीनियर
केना बनबीही?”
“पढ़ि कऽ हेतै तँ हेतै नै तँ मालपर कमाल हेतै।”
सोहन
जवाब देलक। तैपर मोहन गंभीर साँस लऽ बाजल-
“दोस, तोहर बाबू डाक्टर छथुन। हुनकर आमदनी अथाह छन्हि। हुनका लेल पर्वत
राय छन्हि। मुदा हमर बाबू गरीब किसान छथि। अगिला पढ़ाइमे बेसी खर्चकेँ देखैत
ओ लाल झण्डी देखबै छथि खाली हमरे हिम्मतसँ विशेष पढ़ाइ केना हएत? आजुक समान्य पढ़ाइ कागतक नाव छी। स्कूल कौलेजमे पढ़ाइ कागतेपर बनल सड़क
छै। तइसँ हम हरीए इन्सपेक्टर नै बनि सकै छी तँ और की।”¦¦¦
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