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Tuesday, July 15, 2014

अदि‍या

डॉ. शि‍वकुमार प्रसाद


जनम- १२ नवम्‍वर १९५६ई.मे। पि‍ताक नाओं- गाम- सि‍मरा, पोस्‍ट– सि‍मरा, भाया- झंझारपुर, जि‍ला- मधुबनी, बि‍हार।

 

अदि‍या


एकटा गाममे छोट-छि‍न परि‍वार छल। ओइ परि‍वारमे एकटा नेनाक जनम भेल। माए-बापक आँखि‍क तरेगन। शरीरसँ लक-लक। ओकर सौंसे देहक हाड़ गनल जा सकैत छल। मुदा आँखि‍मे तेज दप-दप करैत रहै। धीरे-धीरे ओ पैघ भेल। नेनाक माथमे कतेक बात सन्‍हि‍याएल छल तेकर हि‍साब करब असान नै छल। नेनाक माए-बाप कुटौन-पि‍सौन आ मजूरी कऽ कहुना गुजर करैत छल। अपन एक मात्र नेना लेल दुनू परानी दि‍न-राति‍ सौचैत रहैत छल।
आब नेना वि‍द्यालय जेबाक योग भऽ गेल। माए-बाप ओकरा पढ़बैले गुन-धुनमे लागल छल। संयोगसँ गामेमे एकटा चि‍मनी-भट्ठा खुगलै। नेनाक बाप गामक आन मजूरक संग भट्ठापर गेल। भट्ठाक मुंशी ईटा बनबैले मजूर सभकेँ नाओं लि‍खैत छल आ कि‍छु-कि‍छु टका दऽ एकटा आदमीक संग जमीन देखबैले भेजने जाइत छल। नेनाक बाप मुंशीसँ पुछलकै-
हमरा लेल कोनो काज नै छै मालि‍क?”
मुंशी पुछलकै-
तों की करबह। ईटा पाथल नै तेतह।
ओ बाजल-
नै मालि‍क हम तँ मजूरी करै छेलौं। मजूरीबला कोनो काज...।
मुंशी बाजल-
माथपर ईटा ऊघल हेतह?”
हँ मालि‍क, ई तँ भऽ जेतै।
मुंशी बाजल-
ठीक छह, तों काल्हि‍ आबह। मालि‍क सेहो काल्हि‍ एतहि‍न। अखनि‍ चि‍मनी बनतै। भट्ठा बनतै। मजदूरक जरूरी तँ छइहे।
नेनाक भागसँ ओकर बापकेँ भट्ठापर मालि‍क महि‍नवारीपर रखि‍ लेलखि‍न। अपन ओकाति‍सँ ओइ नेनाकेँ माए-बाप एकटा छोट-छि‍न वि‍द्यालयमे नाओं लि‍खबा देलकै। टीनबला रि‍क्‍शापर बैस नेना वि‍द्यालय जाए लगल। गाम-घरक आनो-आनो घरक बच्‍चा ओही स्‍कूलमे पढ़ैत छेलै। सभसँ कातमे दुबकल ओइ बच्‍चाकेँ देखि‍ कऽ कोइ सोचि‍ओ नै सकैत छल कि‍ ओइ बकुटा भरि‍क बच्‍चामे खाली बुधि‍एटा भरल छै।
वि‍द्यालयमे एक बरख पुड़ैत-पुड़ैत ओ नेना देखार होमए लगल। माए-बाप, दादा-दादीक संगे-संग सर-समाजक जेतेक लोक छल, ओइ बच्‍चाक बात सुनि‍-सुनि‍ ओकर मुहोँ तकैत रहि‍ जाइत छल। केकरो-केकरो तँ बि‍सवासे ने होइ जे अखनि‍ ओ जे बाजल से ओकरे मुँहसँ बात नि‍कललै वा कोनो आन मुँहसँ।
आब जखनि‍ ओइ नेनाकेँ वि‍द्यालयमे नाओं लि‍खा गेलैक तँ कोनो नामो तँ हेबक चाही। ओकर नाओं राखल गेल आदि‍त्‍य। मुदा ओ कोनो बड़का बापक बेटा थोड़े छेलै। गामसँ वि‍द्यालय धरि‍ ओ भऽ गेल ‘अदि‍या’।
अदि‍या माने आदी वा आरम्‍भ। अपने सभ जे अनुमान करी। हमरा तँ लगैत छल जेना ओ सच्‍चोमे आदी होमए। ऊपरसँ सुखल-पुखल भीतरसँ रसगर। मुदा रस केतए तँ आदीए सन कठगर रेसादार गीरहक समग्र भागमे सन्‍हि‍याएल। आब सुनू ओकर आगूक खि‍स्‍सा।
वि‍द्यालयक सभ गुरुजीकेँ ओकरापर सए प्रति‍शत बि‍सवास। कोनो वि‍षयक गुरुजीकेँ सेहन्‍ते लागल रहलनि‍ जे ओकरा कहि‍यो दबारि‍तथि‍। बेंचपर ठाढ़ करब तँ बहुत दूरक बात छल। सभटा बड़-बढ़ि‍याँ। परीक्षा होइत गेल। मासि‍क, त्रेमासि‍क, छमाही आदि‍। आब वार्षिक परीक्षा हएत। अदि‍या चिंतामे फँसल।
“गुरुजी, हमरा सभ परीक्षामे कम नम्‍बर कि‍एक अबैत अछि‍।”
ई बात अपन गुरुजी सभसँ ओ पुछैत रहल मुदा कोनो गुरुजी ओकरा सही उत्तर नै दइ छेलखि‍न।
अदि‍या मन मारि‍ कऽ माए लग आबि‍ पुछलकै-
माए गइ, हम फस्‍ट नै कऽ सकै छी की?”
माए बुझबैत कहलखि‍न-
बाउ, खूम मन लगा कऽ पढ़ू। फस्‍ट करि‍ कऽ की हेतै अगर ज्ञाने ने हएत।
अदि‍या कहैत छल-
माए गइ, हमरा वर्गमे जे फस्‍ट करैत अछि‍ अेकरा तँ हमरो एतेक नै अबै छै। सर सभ तँ सब दि‍न ओकरा बेंचेपर ठाढ़ केने रहै छन्‍हि‍। फेर नम्‍बर केना पबैत अछि‍?”
वि‍द्यालयमे वार्षिक परीक्षा भेल। अदि‍या वर्गमे फस्‍ट नै केलक। ओ तेसर स्‍थानपर आएल। फेर वएह सरलहबा फस्‍ट कऽ गेलैक। अदि‍या जखनि‍ परीक्षाक रि‍जल्‍ट सुनलक तँ हँसए लगल। ओकरा संगे आनो साथी हँसैत रहल। ओ जखनि‍ गामपर आएल तँ माएसँ कहलक-
माए गे, अहूबेर वएह सरलहबा छौड़ा फस्‍ट कए गेल। जाए दही, मास्‍टर सभकेँ लाजो ने होइ छै। ओकरा केना फस्‍ट करा दइ छै। हमरसँ तँ ओकरा अदहो वि‍षय नै बूझल छै।
गुरुजीक खि‍धांस सुनि‍ माए दुखी भऽ गेली। ओ अदि‍याकेँ बुझबैत कहलखि‍न-
बाउ, मास्‍टरक वि‍षयमे एहेन बात नै बाजी। मास्‍टरसँ ऊपर संसारमे कि‍यो नै होइ छै। हुनक आदर करी। तखने अहाँकेँ वि‍द्या औत।
अदि‍याकेँ अपन गल्‍तीक भान तुरंत भेलै। बाजल-
हँ गइ माए, हमरासँ गल्‍त्‍ी भऽ गेल। हम काल्हि‍ सभ सरसँ माफी मंगबनि‍।
अदि‍या बढ़ैत गेल। आब पैघ सेहो भऽ रहल अछि‍। टि‍नही रि‍क्‍शासँ साइकि‍लपर सवार भऽ वि‍द्यालय जाइत अछि‍। वर्गमे तेसर-चारि‍म स्‍थान अनि‍तौं ओ खुश अछि‍। एकटा गुरुजी अदि‍याकेँ एकान्‍तमे बजा कऽ बता कहलखि‍न-
बाउ, अहाँ वि‍द्यालयक रि‍जल्‍टकेँ चिंता जुनि‍ करू। बोर्डक परीक्षामे अहीं फस्‍ट करब। ऐ बातक गि‍रह बान्‍हि‍ लि‍अ।
दशमी परीक्षाक तैयारीमे सभ वि‍द्यार्थी लागल अछि‍। अदि‍या सेहो यथासाध्‍य अपने अथवा संगी-साथीक मददि‍सँ तैयारीमे लागल अछि‍। अदि‍याकेँ दि‍न-राति‍क होश नै। बोर्डक परीक्षा जि‍ला मुख्‍यालयमे छै। अदि‍या एगो संगी संगे एकटा डेरा ठीक केलक। माएक जी हराएल छै। बाप साइकि‍लसँ पहुँचा गेल। अदि‍या बापकेँ प्रणाम कऽ असि‍रवाद लेलक आ बाबू गामपर घूमि‍ एला।
अदि‍याक परीक्षा शुरू भेल। अदि‍या सभ दि‍न परीक्षा दऽ खुशी-खुशी डेरापर अबैत छल। आइ परीक्षाक अन्‍ति‍म दि‍न अछि‍। अदि‍या परीक्षा दऽ अपन गर्वसँ नि‍कलल। वि‍द्यालयक ओसारि‍पर वर्गमे प्रथम स्‍थान आनए बला लड़का ठाढ़ छल। ओ अदि‍याक हाथ पकड़ि‍ परीक्षा केन्‍द्रक गेटसँ बाहर भेल। गेटसँ बहराइते ओकर आँखि‍ डबडबा गेलै। अदि‍या ओकरासँ पुछलकै-
परीक्षा खराब भऽ गेलौ की?”
ओ वि‍द्यार्थी बाजल-
हमर परीक्षा तँ ओही दि‍न खराप भऽ गेल जइ दि‍न हम वि‍द्यालयक परीक्षामे फस्‍ट केलौं। ऐ परीक्षामे अहाँ प्रथम आएब। हम अखने अहाँकेँ वधाई दइ छी। ऐ जि‍नगीमे ने हम अहाँक बरबरि‍ छेलौं ने आब भऽ सकब।

आदि‍त्‍य कि‍छु कहि‍तै तइसँ पहि‍ने ओ वि‍द्यार्थी दाबि‍ फफकैत वि‍द्यार्थीक भीड़मे सन्‍हि‍या गेल।¦¦¦

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