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Monday, February 15, 2016

जाति

राम विलास साहु

जाति


आसिन मासक चारिम सप्‍ताहक समए अछि। बर्खाक पानि आ बाढ़िक पानि सेहो थीर भऽ गेल अछि। मुदा चर-चाँचरमे पानि भरले अछि। जइमे खेतिहर सभ पटुआ, सन्नइ, चन्नी, चन्ना काटि-झाड़ि गोड़ैत अछि। पानि गनहा रहल अछि।
दू गामक बीच अछि तँए चर दूर तक पसरल अछि। बहुत पहिनहिसँ दुनू गामक लोकक सेवा सेहो करैए। बुढ़-पुरानक कहब छैन जे पहिने कोसी अही चर देने बोहै छल। पछाइत मुँह भरना भेने दोसर दिस धार घूमि गेल। बरखा आ बाढ़िक समए उनटे कोसीक पानि आबि चरकेँ उपेछाल करि दइए। जखन बाढ़िक पानि घटैए तखन चरोक पानि स्‍वत: घटि जाइए। चरक पानि करिया समाढ़सँ करियाएल, तइमे भैँटक फूल कोसी धरि फुला शोभा बढ़ेने रहैए। तैबीच सिल्‍ली, गागन, लालशर, पनिकौआ इत्‍यादि अनेको रंगक चिड़ै-चुनमुनीक क्रीड़ा स्‍थलक संग शरण स्‍थल सेहो बनलए।
एक-दोसर गामक लोक जाइ-अबैले केतए-केतए समाढ़ हटा-हटा बीचमे सिरौर बना पानिटपैले रस्‍ता बनौने अछि। पानि बेसी रहने नाहक साधन सभ अपन-अपन रखने। जे नै रखने अछि ओ भरि डाँड़ भरि जाँघ पानि टपि ऐ-पारसँ ओइ-पार करैत अछि। बेवस्‍थो कोसी क्षेत्र-ले बेमुखे अछि। ऐ क्षेत्रक नेता सभ क्षेत्रक विकास तँ कमे सन मुदा अपन विकास कऽ गामसँ दूर शहरमे बड़का फ्लैट बना रहै छैथ। तँ गाम बाढ़ि-पानिमे डुमैले किए औता। ई तँ गामबला बुझत जे गाम केकर छी। डीहबासूकेँ आकि बहरबैयाकेँ। नेतासभ तँ पाँच बर्खक पछाइत चुनावी महाकुम्‍भमे मात्र नहाइले अबै छैथ। सभ पुण्‍यकेँ मोटरी बान्‍हि नेने चलि जाइ छैथ।
चुनावक समए आएल। नेता सबहक उजैहिया गामे-गाम आबि गेल। क्षेत्रक वोँट बटोरै खातिर ओही कोसी कोसीक चर टपि अगिला गाम जेबाक छैन। सोचलैन पएरे टपने लोक संघर्षशील नेता बुझत। जइसँ अधिक भोँट हएत।
नेता आ नेताक पीठलगुआ गामक कार्यकर्ता संगे सभ कियो जाँघर भरि पानि टपि पार हुअ लगला। तही क्रममे नेताजीकेँ एकटा नमहर पलैहिया जोंक धऽ लेलकैन। पार होइते नेताजीक जाँघसँ छरछर खून निकलए लगलैन। छरछर खून बहैत देख नेताजी छटपटा उठला। संगी सभ निहारि देखलक तँ देखैए नम्‍हरगर जोंककेँ, जे खून पीब मोटागेल अछि।
नेताजी जीबठ बान्‍हि जोंककेँ हाथसँ पकैड़ खींच-तीर कऽ छोड़ौलैन। एक हाथसँ छरछराइत खूनक दाढ़केँ दबने आ दोसर हाथसँ आ दोसर हाथसँ एकटा संगीक लाठीक हूरसँ जोंककेँ थोकैच-थोकैच मारए लगला।
जोंक तँ कठजीब होइते अछि। लाठीक हूरसँ नै मरैबला। तमसाएल नेताजीक मुहसँ निकलैन-
तोरा आर कियो ने भेटलौं जे हमरे खून पीबैले एलेँ। तोरा खनू बोकराए मारि देबौ।
छटपटाइत जोंक बाजल-
हमहूँ तँ अहींक जाति छी, जाति जातिये लग ने जाएत। अहाँ जे एहेन निष्‍ठूर भऽ हमरा मरै छी से जातियोपर ने कनियोँ दया-धरम अछि। अखन हम कोनो अपराधो तँ नहियेँ केलौं अछि। ई तँ जातिक सोभाव छी।
नेताजी डाँटैत बजला-
तूँ जलकीट, असरधे पानिमे रहैबला आ हम श्रेष्‍ठ मनुख फ्लैटमे रहनिहार, तखन तूँ केना हमर जाति भऽ सकै छेँ?”
जोंक कुहरैत बाजल-
जहिना अहाँ जनताक खून पीबै छी तहिना ने हमहूँ खूने पीलौं अछि। अहूँ खूनपीबा आ हमहूँ खूनपीबा। तखन दुनू गोरे जातिये ने भेलौं। जातिक सर्टिफिकेटक चालि-चलनसँ बढ़ि कऽ आरो कोनो नमहर प्रमाण होइ छै जे देब। एक तँ पहिनहिसँ अहाँ सभ हमरापर एतेक अतियाचार केलौं जे हम भागि पड़ा कऽ पानिमे शरण नेने छी...।
नेताजी आँखि लाल-पीअर करैत बजला-
तूँ अपन प्राण बँचबैले ई गुमला हमरा सुनबै छेँ। तोरा बिनु मारनेहम नै छोड़बै।
बाजि नेताजी अनधुन लाठी जोंकक देहपर बरसाबए लगला।
अधमरू भेल जोंक बाजल-
अदना सन गलतीपर हमरा सन अब्‍बल जीवकेँ जानसँ मारै छी आ अहाँ जे लाखक-लाख जनताक खून श्रेष्‍ठ मनुख भऽ पीबितो एलौं आ पीबितो छी से नीक लगैए।
जोंकक ई बात नेताजीकेँ आरो तरङा देलकैन। तखने जुमलासँ एक गोरे कहलकैन-
नेताजी, चुन लगबैक आदेश देल जाए, अपने खून बोकरए लगत।
चुनक नाओं सुनिते जोंक अपन प्राणक भीख मंगैत बाजल-
जेकर आधार बना अहाँ अपन जीवनक यात्रा करै छी यएह तँ हमहूँ छी। दया करू..! जातिपर दया करू..!”

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