Pages

Thursday, October 23, 2014

झीसीक मजा

झीसीक मजा





जेठ मास। मलमासक चलैत जूनक अंति‍म समए काल्हि‍सँ कोटो-कचहरी बन्न हएत जे अदहा जुलाईमे खूजत।
बीस बरख पुरान, अंति‍म केसक फैसला हएत। सेहो जँ फास्‍ट ट्रेक कोर्ट नै खुजैत तँ दस-बीस बरख आरो चलैत। ओना केसक चि‍न्‍ता तँ सोभाविक छै, मुदा जहि‍ना पैजामा सि‍औनि‍हार नि‍कासक जोगार बना लैत तहि‍ना केसो लड़नि‍हार तँ बनाइए लैत अछि‍, से छेलैहे। बना ई लैत अछि‍ जे जखनि‍ नि‍चला कोर्टमे बीस-पच्‍चीस बरख लगैत अछि‍ तखनि‍ ऊपरकामे तइसँ बेसी लगबे करत, तहूमे तीन-तीनटा कोर्ट ऊपर अछि‍। तँए ईहो तँ कम खुशीक बात नहि‍येँ भेल जे सरकारी रेकर्डमे मृत्‍यु  घोषि‍त हएब। तइले जहलकेँ कि‍ए लग आबए देब।
चारि‍ बजे भोरे साइकि‍लसँ मधुबनी वि‍दा भेलौं। ओना वि‍दाहे होइ काल मन छह-पाँच करए लगल जे साइकि‍लसँ जाइ आ ओतए सजा भऽ जाए तखनि‍ साइकि‍ल तँ लुटाइए जाएत। अपना संग लगल वेचारीकेँ कि‍ए जहल जाए देब, एकर कोन कसूर छै, फेर हुअए जे जँ सजे भऽ जाएत, तैयो तँ जमानत हेबे करत, फेर घूमि‍ कऽ एबे करब। हँ-निहस करैत साइकि‍लसँ वि‍दा भेलौं। भोरूका समए, कनी-कनी पूर्वाक सि‍हकी रहबे करै, कि‍रि‍ण फुटैत-फुटैत मधुबनी पहुँच गेलौं। ओना राँटीक पुबरिये घार लग फ्रेस भऽ गेल रही। राँटी चौकपर पहुँचि‍ते चाह-पान केलौं।
भरि‍ दि‍नक उमसमे दू बजैत-बजैत वेदम भऽ गेलौं। एहेन वेदम भऽ गेल रही जे निर्णऐ नै कऽ पाबी जे जहल कष्‍टकर होइ छै आकि‍ कोर्ट। अढ़ाइ बजे जजमेंट भेल। केस खारि‍ज भेल। ओकील मुंसीकेँ भोज-भात करैत सूर्यास्‍त भऽ गेल। अन्‍हरि‍या पख गाम जाइमे दू घंटा लगत, एक तँ अन्‍हार दोसर गर्मी-उमस, तैपर साइकि‍ल चलाएब। मुदा कएले की जाएत। जमातक बीच रही, प्रजातंत्र शासन छिऐहे।


अंतिम पेजसँ..............................................................



एगारह बजे पहुँचि‍ते पत्नी हलसि‍ दौगल आबि‍, जेना जहलसँ पड़ा कऽ आएल होइ तहि‍ना दरबज्‍जा-आँगनक बीच दुहारि‍पर मोथीक बि‍छान बि‍छबैत बजली-
पहि‍ने जि‍रा लि‍अ। तखनि‍ खाएब-पीब। अपना हाथक राति‍ छी, सुतैएमे कनी देरीए हएत ने।
अपन मस्‍तीमे मस्‍त रही। सटले उतारा देलि‍यनि‍-
अहाँ अपन ओरि‍यानमे जाउ, अखनि‍ झीसीक मजा उठबए दि‍अ।¦४५३¦
१ जनवरी २०१४

No comments:

Post a Comment