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Friday, October 17, 2014

अवाक


अवाक






दुनि‍याँक एक-एक मनुखकेँ जहि‍ना अपन देश-कोस आ अपन भूमि‍-मातृभूमि‍क प्रति‍ ममता सि‍नेह रहै छै तहि‍ना हमरो जगल। कोनो अधला वृत्ति‍ तँ छीहो नहि‍येँ जे बेसी तर्क-वि‍तर्क आकि‍ वि‍चार-वि‍मर्श करैक परयोजन पड़ैत। देह-दशासँ दुब्‍बर रहि‍तो अपन मातृभूमि‍क गरि‍मा बढ़बैले समाजसँ अनुचि‍त वि‍चारो आ काजो मेटबैक संकल्‍प मनमे रोपलौं। अनुचि‍तक वि‍रोधमे बाजब शुरू केलौं, मुदा बाजबे धरि‍ रहलौं। जइसँ कोनो भीड़-भड़क्कासँ कहि‍यो भेँट नै भेल। मनो आ मनक वि‍चारो तइसँ कनी-मनी सकता गेल। मन सकताइते अनुचि‍त काज रोकैक उत्‍साह जगल। उत्‍साहक दोसरो कारण भेल, ओ भेल जे हमरा सन-सन बहुत गोटे हमरे संग संकल्‍प मनमे रोपलक। जइसँ एक तरहक वि‍चारक जनम भेल। जहि‍ना आमक आँठीमे पीपही जनमि‍ते दू दलि‍आ बनि‍ आँठीक गुद्दा रगड़ पाबि‍ पीपहीक अवाज दिअ लगै छै तहि‍ना मन पीपीया लगल।
गाममे एकटा घटना भेल। घटना कि‍ भेल जे रामलालक बकरी चोरि‍ भऽ गेल। ओना मालो-जाल आ बकरीओ-छकरीक चाेरि‍ओ होइए आ अपनो डोरी टुटने वा खुजने सेहो खुट्टा छोड़ि‍ हटि‍ जाइए। खुट्टा सून देखने ताक-हेर मलकार करि‍ते अछि‍। मुदा होइ दुनू छै। चोरि‍ओ होइ छै आ खुजबो करै छै। खुजलाहा भेट‍ जाइ छै मुदा चोरौलहा चल जाइ छै।
भोर होइते रामलाल बकरी टोहि‍यबए लगल। परि‍वारक सभ तूर वाड़ी-झाड़ी, अड़ोसी-पड़ोसीक खेत-खरि‍हाँनमे ताकए लगल। सौंसे गाम बकरी चोरि‍क गन्‍ध पसरि‍ गेल। जेतए-तेतए माने चौक-चौराहासँ लऽ कऽ दुआर-दरबज्‍जा, इनार-पोखरि‍क घाट धरि‍मे एक्के चर्च। रामलालक बकरी चोरि‍ भऽ गेल। तही बीच दोसरो गन्‍ध नि‍कलल। ओ नि‍कलल जे कि‍छु रति‍गर दबि‍ कऽ गरम-मसालाक गन्‍ध पसरल। भरि‍सक केतौ मासु रनहाइए! एती राति‍मे! मुदा भाइयो तँ सकि‍ते छै जे कि‍यो दरभंगा-मधुबनीसँ राति‍ दबा मासु-तासु अनने हेता। पोखरि‍क पानि‍क हि‍लकोर जकाँ गामोमे हि‍लकोर उठल, मुदा केतौ असथि‍र तँ केतौ तेज गति‍ आएल। रौतुका मासुक सुगन्‍ध मुदा बकरी चोरि‍क भाँज खोललक। भाँज खुजि‍ते चोर-मोट धड़ा गेल।
समाज तँ समाज छि‍ऐ, ऐठाम तँ गोली-बन्‍दूकक ओगरवाहि‍ नै छै, ऐठाम तँ समाजक दसटा लोके अपन उचि‍त-अनुचि‍तक वि‍चार करता। ई तँ नै जे फल्‍लाँ-गाम चोरक छी आ चि‍ल्‍लाँ-गाम नीक लोकक। गाममे नीको लोक अछि‍ आ चोरो अछि‍। सतो बजनि‍हार अछि‍ झूठो बजनि‍हार तँ अछि‍ए, इमानदारो अछि‍ आ बेइमानो अछि तहि‍ना सूदि‍खोरो अछि‍ आ सूदि‍ देनि‍हारो तँ अछि‍ए। मुदा गाम-समाज तँ ओहेन जगहक इजोत छी जैठाम ऐनाक जरूरते ने छै, हाथक कंग भूमि‍ जकाँ।
बकरी चोरौनि‍हार अपन पूर्व संस्‍कारक परि‍चए दैत ताल ठोकि‍ अपन पैघ-पैघ वृत्ति‍क चर्च बखानि‍ देलक! वातावरण एहेन भऽ गेल जे बकरीएक तराजूपर गाम तौलाइक परि‍स्‍थि‍ति‍ बनि‍ गेल। पनचैतीक समए बनल। पनचैतीमे समाजक एते लोकक जुटान भरि‍सक कोनो पनचैतीमे कहि‍यो नै भेल छल। कोनो काजक एकमुहरी वि‍चार काजकेँ हल्‍लुक बनबै छै, से नै भेल। वि‍चारधाराक धारमे चोरि‍ फँसि‍ गेल!  


अन्‍तिममे.........................



ओही दि‍न मुस्‍की आ मुस्‍कानकेँ देखलौं। रामलालक मुस्‍कान अपन जि‍नगीक लाली परहक, मुदा ओ लालीक जड़ि‍ की? से के देखत जेकरा ले चोरि‍ करी सएह कहए चोरा! कहलि‍ऐ-
रामलाल, तोहरबला केस आब मरानपर आबि‍ गेल अछि‍। बीस बर्खसँ तँ केसमे फँसल सोलहो गोटे मधुबनी रेंगबे केलौं आ खरचो केलौं। अन्‍ति‍म तोर केसक छी, वि‍धि‍-बेवहारमे खर्च होइते छै, कि‍छु उचि‍तो कि‍छु अनुचि‍तो। तँए अगि‍ला खर्च तूँ दऽ दहक।
मुस्‍कान भरल मुहसँ रामलाल बाजल-
हमहीं तोरा सभकेँ पनचैतीमे मारि‍ करए कहने रहि‍यऽ जे केसक खर्चा मंगै छह?”
रामलालक गप सुनि‍ अवाक भऽ गेलौं।
ओना मरैसँ पहि‍ने लोक अङेज नेने रहैए जे मुइलोपर अस्‍सी मनक भार पड़बे करत तइले चि‍न्‍ता केने चीता मानत। जे बीस बरख लड़ल ओकरा बुते फरि‍छौल नै हेतै। मुदा...?¦१,०४१¦ १७ मई २०१४

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