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Thursday, October 23, 2014

सोनाक सुइत

सोनाक सुइत











जेना-जेना सुचि‍त्राक बि‍आहक दि‍न लगि‍चाएल जाइत तेना-तेना निर्मला काकीक मनमे धएल वि‍चारक टनकक टहकी सेहो बढ़ए लगलनि‍। जहि‍ना गुर घओक टनक रसे-रसे रसि‍आ शरीरमे टहकी बढ़ा दइए, जेकरा खि‍ल रूपमे नि‍कालला पछाति‍ टनको कमैए आ धाओ छूटबाक आशा जगबैए, तहि‍ना निर्मला काकीक मनक टहकी सेहो बढ़ि‍-नि‍कलैक मोड़पर आबि‍ मन कबुल लेलकनि‍ जे अनेरे मनक बात मनमे सड़बै छी, एकरा नि‍कालबे नीक हएत। करि‍याएल मने निर्मला काकी बेटीक मनोरथक आशा नि‍कालि‍ नि‍राल-नि‍राश होइत अपन हृदैक हारि‍क संग मनक हारि‍ कबुल करैत सुचि‍त्राकेँ बुझबैत आगू बजली-
बुच्‍ची, तूँ बेटी छि‍अ। मनक बात तोरा नै कहबऽ तँ केकरा कहब। तहूमे तोरे धनक क्षय भेल अछि‍। कि‍छु छि‍अ तँ कोखि‍क सन्‍तान तँ तोहीं छि‍अ। पुश्‍तैनी सोनाक सुइत...?”
सोनाक सुइत तँ निर्मला काकीक मुहसँ नि‍कलि‍ गेलनि‍ मुदा धसना तर पड़ि‍ते कोनो धार जेना रूकि‍ जाइ छै तहि‍ना निर्मलो काकीकेँ भेलनि‍। अनायास मुँहक बोल ठमकि‍ कऽ रूकि‍ गेलनि‍। माइक अधखि‍जू बात सुनि‍ सुचि‍त्राक मनमे उठल जे चाउर कुटैकाल धानो अधखि‍जू होइए, मुदा एहनो तँ होइते छै जे अधखि‍जुओ मारि‍क चोट नीजा जीवनो-जान लऽ लइ छै। आखि‍र हुनका मनमे कोन एहेन आँकर-पाथर पड़ि‍ गेलनि‍ जे कण्‍ठसँ ऊपर बकार नै आबि‍ रहल छन्‍हि‍। पताएल आगिकेँ जहि‍ना खोरनीसँ खोड़ि‍ते जीताएल आगि‍ ऊपर चलि‍ अबैत तहि‍ना खोड़ैत सुचि‍त्रा बाजलि‍-
माए, मनक बौस आ हृदैक ऋृषा दुनू दू सीमानक भीतर रहैए, छातीक दूध पीनि‍हारि‍ सन्‍तान हम छि‍यौ, तखनि‍ लाथ कि‍ए करै छेँ। जखनि‍ गरीब माए-बापक घर कि‍यो जनम लइए तखने छाती मुक्का मारि‍ बुझैए जे जि‍नगी भरि‍ कजराएल आँखि‍क नोरक धार बहबे करत, तइले चि‍न्‍ते की? साँझे जेकर मृत्‍यु भेल तेकराले की लोक भरि‍ राति‍ कनि‍ते रहत। बाज माए, बाजि‍ कऽ हमरो बाजूगर बना दे। बाज-बाज माए, तूँ माए छँह, तोरा नै कहबौ तँ अनका कहनौं की हएत।” 


अंतिम पेजसँ.......................................................




सुि‍चत्राक वि‍चार सुनि‍ निर्मला काकीक मन चौदहो भुवनक सातम सीढ़ी पार कऽ गेली। आठम सीढ़ीपर पएर रखि‍ बजली-
बुच्‍ची, भुमकममे बुड़हाक देहपर घर खसि‍ पड़लनि‍। ओही इलाज करबैमे सुइत बन्‍हकी लगेलौं। अही आशापर लगौने रही जे जहि‍या सुचि‍त्रा बि‍आह करै जोकर हएत तहि‍या ने काज हएत, ताबे बेगरता सम्‍हारि लइ छी। मुदा डकैती कहि‍ सुइत बेइमानी कऽ लेलक।
माइक बात सुनि‍ सुचि‍त्रा बाजलि‍-
अहीले एते सोग करै छेँ, चोर-बेइमान चोरे-बैमान रहत, साधु-साधुए रहत।¦१,१३५¦

१७ जुलाई २०१४

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