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Friday, October 17, 2014

कि‍छु ने


कि‍छु ने





सेवा नि‍वृति‍क दू साल पछाति‍ रवि‍ शंकर गाम आबि‍ दोसरे दि‍न घूमि‍ कऽ पुन: बेटाक डेरापर बंगलोर पहुँचला। कि‍रण कुमार ड्यूटी गेल, मुदा पत्नी डेरापर, तँए रवि‍ शंकर तँ ओसारक कुरसीपर असकरे बैसला मुदा पत्नीक पूछ पुतोहु नीक जकाँ पकड़लनि‍। ओना जलखै, पानि‍, चाह रवि‍ शंकरोकेँ पहुँचलनि‍, मुदा भोजनक मरजाद तँ ओ ने भेल जे जेहने भोज्‍य आँखि‍क आगू तेहने जँ कानोक हुअए, मुदा से तँ बि‍आहे आ घर देखीएटा मे होइए, बाँकी तँ बँकि‍यौता होइत राज-रजबारमे नीलाम होइए।
गामेक स्‍कूलसँ रवि‍ शंकरक पढ़ाइक जि‍नगी शुरू भेल। बच्‍चेसँ ठरकन्‍हक तँए अपन संगी-साथीमे सभसँ अँखि‍गर-कन्‍हगर। ओना गामक बुड़हा गुरुजी अखनो रवि‍ शंकरकेँ मने अछि‍। केना गुरुजी बि‍सरल जेता, वि‍द्यालयक प्रमुख काजमे फुलवाड़ी सेहो छल, सभ वि‍द्यार्थी करै छल। मुदा तइमे रवि‍ शंकर एते जरूर केने छला जे जहि‍ना वि‍द्यालयक फुलवाड़ी तहि‍ना अपना घरोपर दरबज्‍जाक आगू लगौने छला। मुदा संस्‍कारो तँ संस्‍कार छी तहूमे रवि‍ शंकर सन संस्‍कारी। एक दि‍न बाजार गेल। आम आ बेल देखि‍ मन हलसलै, कीन लेलक। गामपर गुद्दो खेलक आ आँठीकेँ रोपि‍ नीक फलो भेल। तँए आम-बेल पकै दि‍नमे पनरह दि‍नक छुट्टीमे रवि‍ शंकर गाममे अबैत रहला। अपन इच्‍छा ओही दि‍नसँ गाममे रहब जइ दि‍न नोकरी करए डेग उठौलनि‍। कोनो गामक तँ हि‍साब शौर्टकटमे वएह ने हएत जे मरैसँ केते दि‍न पहि‍नेसँ गाममे छी आ 



अंतमे...................................



कि‍रण कुमार-
आगूक की वि‍चार करै छि‍ऐ?”
बेटाक आगूक वि‍चार सुनि‍ रवि‍ शंकरक मनमे जेना सौंसे जि‍नगीक शक्‍ति‍ चमकि‍ गेलनि‍। फाटक बान्‍हल पानि‍ जकाँ आस्‍तेसँ रवि‍ शंकर बजला-
बौआ, जहि‍ना बौआएल जि‍नगी सभ दि‍न रहल तहि‍ना बौएबे करबह, तखनि‍ आगूक दि‍न-राति अछि‍ए केतेटा जे तइले चि‍न्‍ता  करब।¦५०१¦

२२ अप्रैल २०१४

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