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Saturday, October 18, 2014

गलती अपने भेल


गलती अपने भेल



‘गलती अपने भेल’ ई बुझैमे आएल कखनि‍ तँ जखनि‍ असमसानमे रही तखनि‍। बारह बजे राति‍क पछाति‍ जखने एकादशी चढ़ल आकि‍ सुतलीए राति‍मे बाबाक प्राण छूटि‍ गेलनि‍, अनुमान भेल तखनि‍ जखनि‍ खोलि‍यापर जरैत डि‍बि‍या बुता गेल तखनि‍। जहि‍ना बारह बजे सुतली राति‍मे दि‍न-ति‍थि‍-मि‍ति‍ अपने बदलि‍ जाइए तहि‍ना भरि‍सक बबो अपने चोला-चोली बदलि‍ लेलनि‍। बीस दि‍नसँ बाबा बि‍मार तँए ओगरवाहि‍क भार अपने रहए। ओगरवाहि‍ ई जे कखनि‍ की खगता हेतनि‍, आकि‍ कड़े (देहक गर) बदलैक हेतनि‍। जखनि‍ जि‍नगी जीवै-मरैक बीच संघर्षरत् छन्‍हि‍हेँ तखनि‍ कोन गरे ऊँट बैसत कहबो कठि‍न अछि‍ से कि‍ कोनो हुनकेटा छन्‍हि‍ से तँ नहि‍येँ। सबहक सएह छै। चुल्हि‍पर चढ़ल ताबाक पानि‍ जकाँ छनाक भऽ सकै छथि‍ आ स्‍वस्‍थ होइत जीवि‍ओ सकै छथि‍। मुदा जहि‍ना बारह बजे राति‍ अपन दि‍नुका औरुदा पुड़बैत, तहि‍ना दोसर दीनक अन्‍हार घटैत इजोत बढ़ैत डुमल सुरूजकेँ पकड़ि‍ अकाससँ धरती देखैत अपन कर्मकेँ भूमि‍पर उतारि‍ डेग आगू बढ़बैए, मुदा से होइ कहाँ छै? बारह बजेक अन्‍हार आरो सघने (बेसी करि‍आइत) होइ छै। डि‍बि‍या बुताइते बि‍नु वि‍चार केने मन मानि‍ लेलक जे भरि‍सक बाबा मरि‍ गेला। मुखौटी केता दि‍न सुनने छेलौं जे डि‍बि‍या (प्रकाश) मृत्‍युक समए मि‍झा जाइ छै। कहि‍यो देखै-परखैक अवसरि‍ नै भेटल तँए कनी-मनी ऐपर (डि‍बि‍या मि‍झाइपर) बि‍सवासो होइए आ कनी-मनी नहि‍योँ होइए। मुदा ओइकाल से नै भेल, सोलहन्नी मन कबूल लेलक जे सत्ते एहेन होइ छै। देहक मालि‍क मने ने छी, जेहेन मन तेहने ने देहो हएत। अपाहि‍जो भऽ सकैए आ दि‍व्‍यो भऽ सकैए। ओछाइनपर सँ उठि‍ते वि‍चार झगड़ि‍ गेल। झगड़ि‍ ई गेल जे पहि‍ने डि‍बि‍या लेसि‍ इजोत बना लेब नीक हएत आकि 


अंतिम पेज..............................



छला। पछि‍ला भुमकममे घर कमजोर रहनि‍ खसि‍ पड़लनि‍, हालक भुमकममे घर मजगूत छेलनि‍, नै खसलनि‍। भुमकम तँ ओतबे टा छल। यएह भेल प्रकृति‍क बीच जि‍नगीक खेल। अनेरे मन वौआ गेल, बाबाकेँ आब नहबए-सोनबए बेर भऽ गेल। मुदा अन्‍ति‍म क्षण जँ अपन सम्‍बन्‍ध-सम्‍बन्‍धीक पनचैती सोझमे नै कऽ लेब तँ परोछक भोज जेहने होइए तेहने परोछक पनचैती। मन पड़ल बाबाक ओ बात जे कहने रहथि‍-  
बौआ सि‍रि‍स, जहि‍ना स्‍कूलमे पढ़ै छह तहि‍ना घरोपर पढ़ह।
‘घरोपर पढ़ह’ स्‍मरण होइते‍ मन दरकि‍ गेल। दरकि‍ ई गेल जे जहि‍ना स्‍कूलक शि‍क्षक पढ़ल-लि‍खल छथि‍ तहि‍ना तँ बाबो छला मुदा घर-पर नै पढ़ने छूटि‍ गेल। यएह ने अपन गलती भेल। हाथ जोड़ि‍ बाबाकेँ कहि‍ माफी मङ्गलि‍यनि‍। मुदा केहेन माफी आे देलनि‍ से तँ जीवि‍त रहि‍तथि‍ तँ मुहसँ कहि‍तथि‍, मुदा...।
मनक बातक वि‍सरजन भेबो ने कएल छल आकि‍ जगरनाथ बाबा आबि‍ बजला-
बौआ सि‍रि‍स, नहाएब-धोब, अङ्ग वस्‍त्र चढ़ाएब परि‍वारक काज भेल। जारनि‍ तैयार भऽ गेल, अछि‍यो सजि‍ रहल अछि‍ अपन काजमे मुस्‍तैदीसँ लगि‍ जाउ।
देखते-देखते बाबा अछि‍यापर सजि‍ गेला। संस्‍कार पड़ि‍ गेल। देखते-देखते बाबा पञ्चतत्वमे वि‍लीन भऽ गेला।¦३३८६¦

०६ अगस्‍त २०१४

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