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Thursday, October 23, 2014

धरती-अकास

धरती-अकास 


सुधीराक बि‍आहक गप-सप्‍प उठल। तीन दि‍न पहि‍ने बी.ए.क रि‍जल्‍ट नि‍कलल छेलै। राजनीति‍शास्‍त्र आनर्स पाबि‍ सुधीराक मन मानि‍ गेल छल जे राज-काज बुझै-चलबैक लूरि‍क प्रमाणपत्र युनि‍वर्सिटी दऽ देलक।
सुधीराक पि‍ता प्रोफेसर साहैब संगी-बीच बैसि‍ चाहो-पान करैत रहथि‍ आ ठहाका-पर-ठहाका सेहो दैत रहथिन‍। ठहाकाक कारण भेल जे अपन टारगेटक भीतरे बेटीक बि‍आहक गर लगि‍ गेलनि‍। बरो राजनीति‍शास्‍त्रेक प्रोफेसर छथिन‍। साल भरि‍ पहि‍ने नोकरी भेलनि‍। बर-कन्‍या जँ एक वि‍षयक जानकार हुअए तँ ओ जि‍नगीक लेल सोनाक सुगंधे भेल। संगी सभकेँ बजबैक कारण प्रोफेसर साहैब सबहक बीच सुधीराक बि‍आहक चर्च उठा, बेटीक वि‍चार जानए चाहलनि‍।
गद-गदाएल मने प्रोफेसर साहैब सुधीरा दि‍स देखैत संगीक बीच बजला-

बेटीक बि‍आह पसि‍नगर घरमे हएत।” 


अंतिम पेजसँ..........................................................



पि‍ता चुपे रहला। दोसर जे संगी रहथि‍न ओ बजला-
बाउ, संयुक्‍त परि‍वार, खानदानी परि‍वार, तहूमे सातो भाँइक भैयारीमे सभसँ छोट भाएक संग।
सुधीरा-
जहि‍ना सात तल अकास ऊपर अछि‍ तहि‍ना सात तल पतालो। भैयारीक सातम तलकेँ ऊपर-नि‍च्‍चाँ तजबीज केलि‍ऐ?”¦१८४¦         

१९ फरवरी २०१४

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