धरती-अकास
सुधीराक बिआहक गप-सप्प उठल। तीन दिन पहिने बी.ए.क
रिजल्ट निकलल छेलै। राजनीतिशास्त्र आनर्स पाबि सुधीराक मन मानि गेल छल जे
राज-काज बुझै-चलबैक लूरिक प्रमाणपत्र युनिवर्सिटी दऽ देलक।
सुधीराक पिता प्रोफेसर साहैब संगी-बीच बैसि चाहो-पान
करैत रहथि आ ठहाका-पर-ठहाका सेहो दैत रहथिन। ठहाकाक कारण भेल जे अपन टारगेटक
भीतरे बेटीक बिआहक गर लगि गेलनि। बरो राजनीतिशास्त्रेक प्रोफेसर छथिन। साल
भरि पहिने नोकरी भेलनि। बर-कन्या जँ एक विषयक जानकार हुअए तँ ओ जिनगीक लेल
सोनाक सुगंधे भेल। संगी सभकेँ बजबैक कारण प्रोफेसर साहैब सबहक बीच सुधीराक बिआहक
चर्च उठा, बेटीक विचार जानए चाहलनि।
गद-गदाएल मने प्रोफेसर साहैब सुधीरा दिस देखैत संगीक
बीच बजला-
“बेटीक बिआह पसिनगर घरमे हएत।”
अंतिम पेजसँ..........................................................
पिता चुपे रहला। दोसर जे संगी रहथिन ओ बजला-
“बाउ, संयुक्त परिवार, खानदानी परिवार, तहूमे
सातो भाँइक भैयारीमे सभसँ छोट भाएक संग।”
सुधीरा-
“जहिना सात तल अकास ऊपर अछि तहिना सात तल
पतालो। भैयारीक सातम तलकेँ ऊपर-निच्चाँ तजबीज केलिऐ?”¦१८४¦
१९
फरवरी २०१४
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