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Thursday, October 23, 2014

मति-गति

मति-गति





रूपलालकेँ देखिते राधारमण बाजल-
रूप भाय, गाममे नै छेलौं की, बहुत दि‍नक बाद नजरि‍ पड़लौं हेन?”
राधारमणक प्रश्नक उत्तर रूपलालकेँ जेना ठोरेपर रहै, बाजल-
गामेमे छी। केतए जाएब। हमरा ले तँ गामे सभ किछ छी, स्‍वर्ग-नर्कसँ लऽ कऽ हाट-कसबा धरि।
रूपलाल आ राधारमण एक उमेरि‍या, संगे दुनू गोटे कौलेज तक पढ़ने। केते दि‍नपर दुनूकेँ भेँट भेल से तँ नि‍सचि‍त दि‍नक ठेकान नै छल मुदा मौसममे परि‍वर्तन जरूर आबि‍ गेल छल। ई बात राधारमणकेँ बूझल जे रूपलालक छोट भाए मोतीलाल पनरह-बीस बर्खसँ एम.ए. करि‍ कऽ महानगर कोलकातामे नोकरी करैए। आगू भऽ कऽ भैयारीक बात पुछब अनुचि‍त बूझि‍ राधारमण बाजल छल। ओना पेटमे रहै जे जहि‍ना अपनो गामक आ आनो गामक पढौल-लि‍खौल छोट भाए, केना पि‍ता तुल्‍य जेठ भाइक संग बेवहार करै छथि‍। मुदा आगू भऽ कऽ बाजब एहेन प्रश्न अनुचि‍तो होइ छै। जे भाए पि‍ताक परि‍वार बि‍सरि‍ जाइए तेकरा लेल तँ उचि‍तो भऽ सकैए मुदा जे से नै मानि‍ चलैए तैठाम तँ अनुचि‍त हेबे करत। अनुचि‍त ई जे केकरो भैयारीक बीच केहेन बेवहारि‍क सम्‍बन्‍ध छै, परि‍वारक भीतर कि‍छु एहनो काज होइ छै जे गोपनीय रखल जाइ छै। ओहेन काज जे परि‍वारकेँ समाजसँ जोड़ैए ओ, आ जे परि‍वार जोड़ैक काज छी, दुनूमे अन्‍तर होइ छै। जँ सम्‍बन्‍धसँ हटि‍ कऽ कि‍छु प्रश्न धोखासँ एहेन उठि‍ जाए, जइसँ बेवघात पैदा लइ तेहनो तँ भऽ सकैए। मुदा गपोक तँ कड़ी होइ छै, जइ कड़ीक बीच सभ बात जुड़ि‍ सकैए, मुदा कड़ीक बीचक बातकेँ जँ पहि‍ने रखल जाए तखनि‍ तँ एहेन बेवघातक स्‍थि‍ति‍ बनि‍येँ जाइए। 


अंतिम पेजसँ................................................



चौकीपर सँ उठैत राधारमण बाजल-
बाउ मोती, बड़ बेर भऽ गेल। जाइ छी। जखनि गाम अबै छह तखनि‍ एको-आध घंटा लेल भेँट होइत रहिहऽ।
मोतीलाल-
मनमे तँ अपनो रहैए, मुदा जि‍नगी ने दूदि‍सिया बनि‍ गेल अछि‍, कि‍छु जे गपो-सप्‍प करब, से की करब। तखनि‍ तँ लोकक जि‍नगीए केतेटा होइ छै। कहुना-ने-कहुना कटिये जाइ छै।
राधारमण-
एना नै बाजह। सदि‍काल मनमे रखि‍ मनुख-परि‍वार-समाज, देश-दुनि‍याँक बीच अपनाकेँ ठाढ़ करैक परियास करह।¦१८०७¦                  
०७ जनवरी २०१४

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