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Friday, October 17, 2014

धरम काँट


धरम काँट






बेर-बेर जि‍नगीमे केते बेर सोन भाय पैंच-पालटक संकल्‍प लेलनि‍ मुदा नै पार लगलनि‍। पार पेबाक रस्‍ते ने भेटनि‍, जँ केतौ अपने भेटबो करनि‍ तँ संगी भोति‍या दन्‍हि‍। ओना भोति‍यबैमे परि‍वारोक हाथ रहबे करनि‍। मुदा जि‍नगीक साठि‍म बर्खक अवस्‍थामे संकल्‍पकेँ मजगूतीसँ पकड़ि‍ आगू डेग बढ़बैक वि‍चार उठौलनि‍-
समाजक बड़ पैघ काज पैंच-पालट छी। जँ से नै हएत तँ नव-नौतुक केना अपन परि‍चए दऽ लालकाकीक मुहेँ चाबस्‍सीओ लेती आ सीखबो करती।
मनक वि‍चार सोन भायकेँ मना लेलकनि‍ जे पैंच-पालटक रक्‍छा  हेबा चाही। मुदा दुनि‍याँमे केकर के बात सुनलक जे हमर सुनत, सुनै तँ तखनि‍ लोक छै जखनि‍ केकरो सोर पाड़लापर टुटैत नीन अपन सोन सन सुनैए। मुदा सोन सन सुन्नर बनाएब तँ सोनारेसँ सम्‍भव अछि‍, सभ बुते हएत केना? मने-मन सोन भाय गड़ लगबए लगला जे पैंच-पालटक दू रूप अछि‍। दुनूक अथाह रूप छै। रौदक छाँह जकाँ जेते नव शक्‍ल  तेते नमहर छाँह। सेहो एक रंग कहाँ होइए। उगैत रौदमे पीठि‍या छाँह तेते नमहर भऽ जाइ छै जे थाहबे कठि‍न भऽ जाइए जे सचमुच साढ़े तीन हाथक मनुख छी आकि‍ कोनो मनुखदेवा। मुदा जेना-जेना रौद प्रखर होइए तेना-तेना आकारो समटाए लगै छै, समटाइत-समटाइत ओते समटा जाइए जे बारह बजे मध्‍य अबैत-अबैत रौद-छाँहक खेल खि‍ल जाइए। 


अन्‍तिम पेज..................................




मुदा फेर दि‍न घटि‍ते पीठि‍आइत ओहि‍ना माया जकाँ छाँह तेना पसरए लगैए जे चि‍न्‍हारो अनचि‍न्‍हार जकाँ हुअ लगै छै। यएह तँ छी जि‍नगीक खेल। खैर! दुनि‍याँक खेल जे होउ, अपन खेल खेलाएब। लोकक उपयोगी वस्‍तुक उपजबैक वि‍चार करैत सोन भाय डेग उठेलथि‍। पाँच सए रूपैआ एक गोटेसँ पैंच लेलनि‍। अखनि‍ धरि‍ सोन भाय अपना निर्णएपर ठाढ़ नै भेल छला, पहि‍ल संकल्‍प छेलनि‍ तँए मजगूतीसँ पकड़ए चाहलनि‍। आमदनीक याेग नीक बूझि‍ पड़लनि‍। मन मानि‍ गेलनि‍ जे आब ऐ संकल्‍पकेँ माने पैंच-पालटकेँ दू खण्‍ड कऽ मजगूतीसँ पकड़ब। दू खण्‍ड  ई जे एक लेनि‍हार दोसर देनि‍हार। अपन पक्षक कि‍यो मालि‍क होइए, अनकर पक्षक भाइयो केना सकैए, ई तँ ओकर जि‍नगीक योग छि‍ऐ। जेकरासँ पैंच नेने छला से तकेदा केलकनि‍। अढ़ाइ सए तत्काल दैत तेसर दि‍नक समए बनबैत कहलखि‍न-
परसू बँकियौता दऽ देबह।
दोसर दि‍न एक गोटेक बेटी बि‍आह। ‘यज्ञक दौड़’ एहने काजमे लोक उपकरि‍-उपकरि‍ यज्ञक योगमे योगदान करैत योगक्रि‍या सम्‍पन्न करैए। सोनो भाय केलनि‍। तकेदा भरि‍ वस्‍तुक सहयोग कऽ देलखि‍न। मुदा यज्ञक बीच तकेदा करब अनुचि‍त। काजक दौड़। यज्ञ केनि‍हारकेँ काजक खाँच भऽ गेलै जइसँ समैपर काज नै चलि‍ सकल।
धरम काँटमे ओझराएल सोन भाय अपन संकल्‍पक आगू ठाढ़ भऽ बजला-
धरम काँटमे पड़ि‍ गेलौं, अहींक सूत्रसँ सूत्रात्‍मक हएब, से जानी अहाँ।¦३९९¦
२३ मई २०१४ 

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