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Thursday, October 23, 2014

चोरूक्का झगड़ा

चोरूक्का झगड़ा
 चोरूक्का झगड़ा





आने दि‍न जकाँ भि‍नसुरका चाह पीऐले शि‍वशंकर, कि‍सुनदेव, सि‍ंहेश्वर, राधाकान्‍त आ मनोहर एक्केबेर चाहक दोकानपर पहुँचला। पाँचोक जेहने मि‍लान चाह दोकानक तेहने मि‍लान बात-वि‍चारक आ तेहने जि‍नगीक काजोक। ओना पाँचो पाँच टोलक, पाँच जाति‍क मुदा चाहक दोकानक एक्के नि‍अम बनौने जे अपने-अपने चाहक खरचे अपनो पीब आ समाजोकेँ पि‍आएब। भोज हेतै। हि‍साबो सोझराएले, पाँचो गोटे छह-छह दि‍नक भोजक खर्चाक हि‍स्‍सा तीस गि‍लास चाहक दाम एक्केठाम जमा करैत रहथि‍। जइसँ तीसो गि‍लासक दाममे अपनो तीसो दि‍न पीबैत आ चारू संगीओकेँ पीअबैत। ऐ बीचमे एकटा शंका नै करब जे के कहि‍या पीऔलनि‍। बोही-खताबला दोकानदार पाहि‍ लगा कऽ नाम बजैत जे आइ फल्लाँक भोज छि‍यनि‍। ओना चाहक दोकान बजारक नै गामक चौक परहक। बजारक दोकानमे सि‍रि‍फ कारोबारक गप-सप्‍प चलैत मुदा गामक चौक अन्‍तर्राष्‍ट्रीय होइत। जैठाम सएओ रंगक गप चलैत। केतो चीलमक चौखड़ी तँ केतौ ताड़ी-दारूक, केतो खेती-पथारीक तँ केतो शास्‍त्र-पुराणक। केतो पार्लियामेंट तँ केतो युनि‍वरसि‍टीक।
तीन दि‍नसँ गुलेतिया दुनू परानी सौंसे गाम केता बेर भौड़ी दऽ देलक। भौड़ीक दइक कारण रहै जे शुरूहेक जेठुआ लगनमे गुलेतिया कबुतरीकेँ मेलासँ पटि‍या कऽ बि‍आह कऽ लेलक। कुमारि‍ कन्‍या कबुतरी नै बूझि‍ सकली जे दोती बर गुलेती अछि‍। मुदा जखनि‍ कबुतरी सासुर आएल तँ सासुक जगह सौतीनक गारजनीमे फँसि‍ गेल। जहि‍ना पड़बा नव-पुरान खोप नै चीन्‍हि‍ चहरेमे लोभा जाइए तहि‍ना। सौतीनक गारजनी कबुतरीकेँ पसि‍न ऐ दुआरे नै होइ जे जखनि‍ एके घरबलाक दुनू घरवाली छि‍ऐ तखनि‍ ओकर हुकुम कि‍ए मानबै। जहि‍ना ओकर घर छि‍ऐ तहि‍ना ने हमरो छी आ जँ अपन नीक दुआरे हमरासँ काज करा लि‍अए तखनि‍ अपना की रहत। 


अंतिम पेजसँ........................................................................... 

सभ चुप। चुपो केना नै रहता। जखने मुद्दे-मुदालह सोझहामे सवाल-जवाब करत तँ पनचैतीओ अपने कऽ लेत तइले पंचक कोन काज छै। पत्नीक प्रश्नक उत्तर दैत गुलेतिया बाजल-
ई झूठ केना भेल। जैठाम तीस-तीस, चालीस-चालीसटा लोक बि‍आह करैए तैठाम तँ हम दुइएटा केलौं, तइले एकरा लगै कि‍ए छै। काेनो कि‍ हमहींटा अपनाकेँ कुमार कहलि‍ऐ आकि‍ सभ कहने हेतै?” ¦५३८¦
२४ दिसम्‍बर २०१३

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