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Thursday, October 23, 2014

कर्जखौक

कर्जखौक









आइ भोरे चाह पीला पछाति‍ करि‍याकाकाकेँ लालकाकीक संग तेहेन टक्कर भेलनि‍ जे भेला पछाति‍ दुनूक मन हरदा बाजि‍ निर्णयक सीमापर पहुँच गेलनि‍, भोरे-भोर एना टक्कर हएब नीक नै! भेल ई जे करि‍योकाका आ लालोकाकी दुनू गोटे चाह पीवि‍ते रहथि‍ तखनि‍ते तरकारीवाली पहुँचल। दुनू परानी मि‍लि‍ तरकारी कीनलनि‍। महगक समए तीनि‍ए कि‍लोक दाम अस्‍सी रूपैआ भऽ गेलनि‍। पाइ देबाकाल करि‍याकाका बजला-
सात तारीककेँ दरमाहा उठैए। आठ तारीककेँ तोरा पाइ भेट जेतह।
तरकारीवाली चुपे रहलि‍। नगद-उधार गाममे चलि‍ते अछि‍। वेपारो तँ वेपारे छी नगदो चलैए उधारो चलैए। मुदा पति‍क बात लालकाकीकेँ नीक नै लगलनि‍। नीक नै लगैक कारण भेल जे जे तरकारीवाली मन भरि‍ तरकारी माथपर नेने गाममे भोरेसँ बेचब शुरू करैए आ तेकर समान उधारी लगि‍ जाए तखनि‍ ओकर कारोबार केना चलत। तखनि‍ तँ यएह ने जे या तँ ओहो वेपारी वा गि‍रहतसँ उधार लि‍अए, वा तेना कऽ दाम लि‍अए जे सूदि‍खोर महाजनक सुइद चुकबए। ओना नफ्फा ओइठाम नै होइ छै जैठाम अछि‍। जैठाम नै अछि‍ तैठाम दोसरो वि‍चार सम्‍भव अछि‍। लोहछि‍ कऽ करि‍याकाकाकेँ लालकाकी कहलखि‍न-
सभ दि‍न अहाँ कर्जखौके रहि‍ गेलौं! आबो चलन पि‍यारा भेलौं, तैयो चालि‍ नै छूटल?” 

अंतिम पेजसँ................................................................. 




पत्नी उझट बात कहि‍ देलनि‍, मुदा तरकारीओवाली कि‍यो आन तँ नहि‍येँ अछि‍, जहि‍ना केतौ पत्नी गुरु बनती केतौ शि‍ष्‍या, तहि‍ना ने हमहूँ जखनि‍ ओ गुरु बनती तखनि‍ शि‍ष्‍य आ जखनि‍ शि‍ष्‍या बनती तखनि‍ गुरु बनैत हँसैत-खेलैत चलैत रहब। चलू, मामला फड़ि‍या गेल। घुड़छीक भत्ता खुजि‍ गेल। मुस्‍की दैत करि‍याकाका लालकाकीकेँ  कहलखि‍न-
कान पकड़ि‍ मानि‍ओ लेलौं आ कानेपर कन्‍हेट कऽ रखनौं रहब जे ओहन काज सदि‍खन करब जे केकरो कर्ज अपना ऊपर नै आबए?”
पति‍क सुमति‍ सुनि‍ लालकाकी बजली-
अहाँक चालि‍ शुरूहेसँ रहल जे जेबीमे पाइ रहि‍तो अनके खाइक ताकमे रहै छी। मुदा मरैओ बेर जँ बुझलौं तँ अगि‍ला जि‍नगीक बात बुझलौं तँए खुशी अछि‍।¦१,१७५¦

२ जुलाई २०१४

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