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Thursday, October 23, 2014

सजल स्‍मृति‍

सजल स्‍मृति‍











एक जनवरीक दि‍न। मासक अन्‍ति‍म दि‍न डाक्‍टर सोनी देवी इंगलैंडक अस्‍पतालसँ सेवा नि‍वृति‍‍ हेती। रबि‍ दि‍न, अस्‍पताल नै जेबासँ नि‍चेन रहने ओछाइनो छौड़ैमे कि‍छु बि‍लम भेलनि‍ आ परि‍वारक काजोमे ढील-ढाल रहबे करनि‍। सुति‍ उठि‍, बि‍नु मुँह धोने दू कुर्ड़ा पानि‍ फेकि‍, बि‍जलीक चुल्हि‍ पजारि‍ डाक्‍टर सोनी देवी काैफी बनौलनि‍। ठण्‍ढ मुल्‍क रहने चाह सोलहन्नी भरपाइ नै कऽ पबैए। आन दि‍न जकाँ दू गि‍लास बनबैक जरूरतो नहि‍येँ भेलनि‍। एक तँ ओहुना मन असकताएल तैपर काजक सुभि‍ता भेने अनुकूलता अबि‍ते अछि‍। जे डाक्‍टर सोनी देवीकेँ सेहो भेलनि‍। आन दि‍न तँ अस्‍पतालक काज मनकेँ अपना दि‍स बहटारने रहै छेलनि‍ से नै रहने मन अपन परि‍वार दि‍स घुमौलकनि‍। घुमि‍ते मन पति‍पर गेलनि‍। पति‍ डाक्‍टर मनमोहन सेहो सर्जन पदसँ एकतीस दि‍सम्‍बरकेँ सेवा नि‍वृति‍‍ भेला जेकरे हि‍साब-किताब दइले तीन दि‍न पहि‍ने अस्‍पताल गेला, अखनि‍ धरि‍ कि‍ए ने एला। काल्हि‍ए तक तँ नोकरी छेलनि‍। भरि‍सक केतौ हि‍साब-कि‍ताबमे ने तँ लटपट भेलनि‍। पति‍क काजक लटपटसँ सोनी देवीक मन गहि‍येलनि‍। गहि‍येलनि‍ ई जे ऐ अबस्‍थामे काजक लटपट भेने काजो भरि‍या जाइ छै। हाथोक काज अनका हाथ गेने जुति‍-भाँति‍ बदलि‍ए जाइ छै। जँ से भेल हेतनि‍ तँ पेन्‍शन जे लटपटेतनि‍ से तँ लटपटेबे करतनि‍ जे जि‍नगी भरि‍क सभ केलहा-धेलहा सेहो पानि‍मे चलि‍ जेतनि‍। पानि‍मे ई जेतनि‍ जे जइ कुरसीपर बैसि‍ आनक काज करै छेलौं, तैठाम आन बनि‍ अपन काज हएत। तँए अपन कि‍रदानी लोककेँ अपने बि‍साइ छै। तहूमे सेवामे रहैत तँ कि‍छु बँचि‍तो छै जे सेवा नि‍वृति‍‍क पछाति‍ तँ ओहो धुआ जाइ छै। मुदा उपए? ‘उपए’ लग अबि‍ते सोनी देवीक मन ओहि‍ना अड़ि‍येलनि‍ जहि‍ना कोनो बोहैत धारक आगू बान्‍ह पड़ने अड़ि‍याइ छै। मुदा जहि‍ना धाराक पानि‍ पाछूसँ अबैत धाराकेँ रोकैत ठमकैत फुलऽ लगै छै तहि‍ना सोनी देवीक मन फुलेलनि‍। फुलाइते नजरि‍ अपना दि‍स बढ़लनि‍। बुदबुदेली-
एकतीसम दि‍न अपनो यएह गति‍ हएत!


अंतिम पेजसँ.........................................................................




पत्नीक वि‍चार सुनि‍ डाक्‍टर मनमोहन ठमकि‍ गेला। ठमकि‍ ई गेला जे रहैक घरसँ लऽ कऽ खेनाइ-पीनाइ, बजनाइ-भुकनाइ सभ कि‍छु बदलि‍ गेल। गाम जेबाक मनकेँ तँ बुझबए ने पड़त, जे जेठक रौदा, भादवक पानि‍, माघक जाड़केँ पचबैक शक्‍ती अछि‍ कि‍ने। बजला-
जँ मन गाम जाइक अनुकूलो हएत तँ शरीर नै गछत।
तखनि‍?”
तखनि एतैसँ गामकेँ गोड़ लगैत रहू जे अहाँ बड़ सुन्नर छी, मि‍थि‍लामे बास करै छी। जेतए जनक सन राजा भेला सीता सन जगतजननी भेली। जामंतो रंगक फुलक फुलवारीसँ सजल फुलवारी छेलनि‍। गुरुक संग राम एला, धनुष तोड़ि‍ चारू बहि‍न सीताक संग चारू भाँइक बि‍आह भेलनि‍। वएह मि‍थि‍ला छी।¦२,३६३¦
१४ अगस्‍त २०१४

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