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Thursday, September 4, 2014

छोटकी (गौरी शंकर साह)

83म सगर राति‍ दीप जरय- जे सखुआ-भपटि‍याही- जे नारी केन्‍द्रि‍त कथा गोष्‍ठी छल। तइमे पठि‍त- 


कथाकार- गौरी शंकर साह


छोटकी


छोटकी दलानपर कबड्डी-कबड्डी खेलि‍ रहल छेली, छोटकी जइ दि‍शा रहै छेली ओकर पक्का जीतबाक गारंटी रहै छल, एतेक चुस्‍त, दुरुस्‍त आ फुर्ति कोनो लड़कीकेँ नै छल। अखनि‍ धरि‍ चारि‍टा केँ माइर देने छेली आ जीतैबला छेली, जहि‍ना छोटकी खेलैमे नम्‍बर एक तहि‍ना पढ़ैमे सेहो एक नम्‍बर छेली, समैसँ दस मि‍नट पहि‍ने स्‍कूल चलि‍ जाइ छेली, स्‍कूलमे सभसँ आगाँक ब्रेंचपर बैसै छेली, जँ कोनो दि‍न कि‍यो लड़की ओकरा जगहपर बैसि‍ रहैत तँ बि‍ना उठौने नै मानैत, हुनका माथामे रहनि‍ जे पाछूमे भूसकोल बैसैत अछि‍ आ हम कोनो भूसकोल छी, तखनि‍ पाछूमे कि‍ए बैसब, बड़ नीक सोच छेलनि‍ छोटकीक। अपनासँ बड़का-बड़काकेँ समस्‍यासँ केतेको बेर छोड़ौने रहथि‍। 
छोटकीकेँ नीक जकाँ बूझल छेलनि‍ जे सभ आदमीकेँ कपारमे मासु आ हड्डी रहै छै मुदा लोक अपन सोचक कारण डाक्‍टर बनि‍ जाइ छै आ अपना सोचेक कारण चपरासीओ नै बनि‍ पबै छै, छोटकी तँए हरि‍दम अपन सोच नीक बनबैले स्‍कूलक पुस्‍तकालयसँ महान-महान आदमीक कि‍ताब लऽ टि‍फि‍नमे पढ़ि‍ आपस कऽ दइ छेली। हुनक बेवहार सेहो बड़ नीक रहनि‍, जइ कारणेँ स्‍कूलक सर, मैडम सेहो बड़ मानैत रहथि‍न। ईहो एकटा ओकरा लेल रामवाणक काज करै छल।
जखनि‍ छोटकी कबड्डी-कबड्डी खेलैत रहथि‍ तखने छोटकीक बहि‍न रूबी स्‍कूलसँ गामपर एली, रूबीक मन उदास देखि‍ छोटकी सेहो उदास भऽ गेली। छोटकी आ रूबी सहोदर बहि‍न। दुनूमे बड़ मि‍लान, एतेक मि‍लान शाइते आइ धरि‍ कि‍यो एक दोसरमे झगड़ैत देखने हेतै। घरक सभ काज दुनू बहि‍न मि‍लि-जुलि‍ कऽ करि‍ लैत छेली। रूबी भोरे-भोरे घर बहारैत तँ छोटकी बरतन माँजि‍ लैत छेली। भारीसँ भारी काज चुटकीमे कऽ लैत छेली। दुनू बहि‍न, छोटकी आठमामे पढ़ै छल, आ रूबी इण्‍टरमे छल, छोटकी एतेक चन्‍सगर छल तँ ओइमे रूबीक सेहो सहयोग छेलै। रूबी छोटकीकेँ सभ सबाल बता दइ छल। की सबाल की अछि‍ आ एकरा केना बनौल जेतै, एतेक नीक जकाँ तँ छोटकीकेँ स्‍कूलोक सर नै बता दइ छेलनि‍।
छोटकी रूबीकेँ उदास देखि‍ पुछलक-
दीदी, अहाँ उदास कि‍ए छी। बड़ फि‍रि‍सान लगै छी। की भऽ गेल अहाँकेँ, बाजू। नै बाजब तँ हम बुझबै केना।
रूबीकेँ छोटकीक जि‍ज्ञासा देखल नै गेलै, रूबी बाजल-
आइ फेरो ने जाति‍, ने अवासीय आ ने आय प्रमाण पत्र भेटल, पता नै की हेतै, जँ काल्हि‍ तक नै भेटत तखनि‍ तँ हम छात्रवृत्ति‍ लेल आवेदन नै कऽ सकै छी। आ नहि‍येँ हमर बैंकमे खाता खुगि‍ सकत।
छोटकी बि‍च्‍चेमे रूबीक बात कटैत बाजलि‍-
दीपाक बहि‍न तँ तोरा बाद जाति‍, अवासीय, आय प्रमाण पत्रक लेल आवेदन जमा केने छेलै, ओकर सबहक तँ बनि‍ गेलै, तखनि‍ अहाँकेँ कि‍ए ने बनल दीदी?”
रूबी बाजलि‍-
छोटकी अखनि‍ बड़ छोट छी, दुनि‍याँदारी तों नै बुझबीही, केना दुनि‍याँ जलैत अछि‍। दीपाकेँ समैसँ पहि‍ने ऐ दुआरे भेट गेलै, कि‍एक तँ ओकर भाए जे ई कागज-पत्तर सभ बनबै छै तेकरा दू सए टाका देने छेलै, आ टाकाबलाकेँ तँ पहि‍ने काज होइ छै। कहबी कोनो बेजए नै अछि‍ जे बाप बड़ा ने भैया सबसँ बड़ा रूपैआ।
कहि‍ रूबी चुप भऽ गेल। छोटकी कि‍छु सोचए लगल। आ फेर बाजल-
सरकार तँ कहै छै जे घूस लेनाइ कानूनन अपराध छै, तखनि‍ ई सभ एना कि‍ए करै छै, कहबा लेल कहै छै की ई लोक सेवाक अधि‍कार छै मुदा हमरा लगि‍ रहल अछि‍ जे ई लोभ सेवाक अधि‍कार छै। टाकाक कारणेँ आदमी कि‍छु कऽ सकैए। मुदा दीदी हमरा एगो बात कहू तँ प्रमाण पत्र बनबैबला सभ केना बूझि‍ जाइ छै जे के टाका देने अछि‍ आ के नै देने अछि‍?”
रूबी बाजलि‍-  
कि‍यो कहैत छेलए जे जखनि‍ कि‍यो आवेदक आवेदन करै छै तँ ओ अपना जेबीमे रखल पुर्जीमे ओकर नाओं आ आेवदन क्रमांक नोट कऽ लइ छै आ सभसँ पहि‍ने ओकरे प्रमाण पत्र बना छै।
छोटकी बाजलि‍-
आ जे पैसा नै दइ छै तेकर की होइ छै।
रूबी-
तेकर की होइ छै, तेकर आवेदनक कोनो माए-बाप नै होइ छै, केतौ फेकि‍ दइ छै, ओइपर कोनो धि‍यान नै दइ छै आ एमहर आवेदक दौगैत-दौगैत तबाह भऽ जाइ छै तखनो नै कोनो असर पड़ै छै, केतबो लोक कहै छै तेकर कोनो परभाब नै पड़ै छै। आवेदककेँ कुकुर बूझि‍ लैत छै आ बीस दि‍न दौगबबैत रहै छै जेना हम दस दि‍नसँ दौग रहल छी।
छोटकीकेँ सुनि‍ बड़ तामस उठलै, छोटकी रूबीकेँ कहलक-
तोहर कागज काल्हि‍ बनि‍ जेतौ, कोनो हालमे चाहे काल्हि‍ सुरूज उगै आकि‍ नै उगै, हवा बहै आकि‍ नै बहै, काल्हि‍ अहाँकेँ कागज हर हालति‍मे बनबाक छै चाहै कि‍छु भऽ जाइ।
से केना हेतै। रूबी बाजलि‍। 
तैपर छोटकी बाजल-
से हम काल्हि‍ कहब, अखनि‍ चलू मुँह-हाथ धोइ कऽ कि‍छु खा लि‍अ फेर भि‍नसर ऐपर बात हेतै।
छोटकी ऐ स्‍टाइलमे कहलक जे रूबीकेँ हँसी आबि‍ गेलै आ छोटकी हँसए लगल। दुनू बहि‍न अँगना गेल आ एके थारीमे बैस दुनू खए लगल।
भि‍नसर भेल दुनू बहि‍न प्रखण्‍डपर पहुँचल। छोटकी रूबीकेँ बाहरे ठाढ़ कऽ अन्‍दर गेल। फेर पाँच मि‍नटक पछाति‍ बाहर आएल आ रूबीकेँ कहलक-
दीदी, अहाँ अहीठाम बैसू हम चट्टे अबै छी।
रूबी कि‍छु ने बाजल। ओतइ बैस गेल। अदहा घंटा भेल, तखने एकाएक तीन-चारि‍टा गाड़ी प्रखण्‍डक मैदानमे आबि‍ लागि‍ गेल। गाड़ी देखि‍ कऽ सभ कर्मचारी सभकेँ होश उड़ि‍ गेलै, सभ अपन-अपन काजमे दनदुरुस्‍तीसँ लगि‍ गेल। गाड़ी एस.डी.ओ.क छेलै। एस.डी.ओ. सीधे ओही कार्यालयमे गेला जैठाम जाति, आय, आवासीय कागज सभ बनैत अछि‍। एस.डी.ओ. घूमि‍-घूमि‍ कऽ सभटा देखए लगला, जेना कि‍छु हराएल चीज ताकि‍ रहल छथि‍। ओइठाम जेतेक कर्मचारी छेलै, सबहक होश उड़ल छल। तखने एस.डी.ओ. साहैब पुछलखि‍न-
रमण के छी?”
ओहीठाम ठाढ़ एकटा कर्मचारी बाजल-
हम छी सर।
कर्मचारी हाकि‍म लग आबि‍ कऽ ठाढ़ भेल, हाकि‍म ओकर जेबीक तलासी लेलक। ओकरा जेबीसँ दू सए रूपैआ नि‍कलल, हाकि‍म अपन जेबसँ पुर्जी नि‍कालि‍, रूपैआक नम्‍बर अपना पुर्जीपर उतारलक। नम्‍बरसँ मि‍लौलक, सभटा नम्‍बर मि‍लि‍ गेलै। हाकि‍म एक झापड़ कर्मचारीकेँ लगौलक। झापड़ कसबर छल, लगि‍ते कर्मचारी नि‍च्‍चाँमे खसि‍ पड़ल। एस.डी.ओ. बजला-
ई पैसा कहाँ से आया?”
कर्मचारी डरसँ बाजल-
सर घरसँ लाए थे।
एस.डी.ओ.केँ तामस उठि‍ गेलनि‍ फेर एक झापड़ कर्मचारीकेँ लगा देलखि‍न। तखनि‍ कर्मचारी मुँह खोललक आ सभटा खि‍स्‍सा कहलक। एस.डी.ओ. तुरंत छोटकीकेँ बजौजलक आ कर्मचारीकेँ कहलखि‍न-
आइ बारह बजे तक रूबी का प्रमाण पत्र बना कर देना।
कहि‍ एस.डी.ओ. साहैब चलि‍ गेला। एमहर छोटकी तीनो प्रमाण पत्र लेबाक लेल बैसि‍ रहल। तखने एकटा कर्मचारी रूबी कुमारी, रूबी कुमारी कहैत अबाज लगेलक। छोटकी तुरंते रूबीकेँ लऽ ओतए पहुँचल आ रजि‍ष्‍टरपर शाइन कऽ कागज लऽ वि‍दा भेल। रूबीकेँ कि‍छु नै फुड़ाइ छेलै। हम दस दि‍नसँ दौगै छेलौं मुदा हमरा नै भेटल आ छोटकी केना एके दि‍नमे काज सलटि‍आ लेलक। रूबीकेँ रहल नै गेलै। छोटकीसँ पुछलक-
आँइ गे तों केना एक्के दि‍नमे कागज बनबा देलँह। तोरा लग कोन एहेन जादूक छड़ी छौ।
रूबीक गप सुनि‍ छोटकीकेँ हँसी लगि‍ गेलै। ओ फरि‍छा कऽ रूबीकेँ कहए लगलै-
देखू, काल्हि‍ जखनि‍ अहाँ कहलौं जे टाका देलासँ काज भऽ जाइ छै तखनि‍ हम अपना डायरीमे दू सए टाका जाइ समए नि‍कालि‍ लेलि‍ऐ आ जेते कोनो नम्‍बर छेलै तेकरा एकटा कागजपर उतारि‍ लेलि‍ऐ, जखनि‍ हम अहाँकेँ ठाढ़ कऽ कर्मचारी लग गेलौं तँ हम ओकरा अहाँक आवेदनक क्रमांक देलि‍ऐ आ दू सए टाका सेहो देलि‍ऐ। ओ एको बेर आँइओं ने केलक हम ओकर नाओं सेहो ओकरासँ पुछि‍ लेिलऐ, तेकर बाद हम अहाँकेँ चट्टे अबै छी कहैत सीधे एस.डी.ओ. लग गेलौं आ हुनका सभटा बात कहि‍ देलयनि‍। हुनका बि‍सवासे ने भेलनि‍ हमर गपक। कि‍एक तँ हम देखैमे धि‍या-पुता लगैत लगलि‍यनि‍‍। तखनि‍ हम नोटक नम्‍बर जे नोट केने रहि‍ऐ से पुर्जा देलि‍यनि‍ आ हुनका कहलि‍यनि‍ जे अगर हमर आरोप गलत होइ तँ हमरा जेल अहाँ सेहो पठा सकै छी, हमर गप सुनि‍ हुनका हमरापर पूर्ण बि‍सवास भऽ गेलनि‍ आ तुरंते उठि‍ कऽ तीन-चारि‍टा हाकि‍मकेँ बजा संगमे लऽ प्रखण्‍ड कार्यालयपर पहुँचला। आ छापा मारलखि‍न। हमर गप सत् भेलनि‍ बाँत अहाँक आगूऐमे घटल।
रूबी बाजलि‍-
छोटकी तों एतेक तेज छेँ से हम नै बुझैत रही।
छोटकी बाजलि‍-
सभटा अहींक असि‍रवाद अछि‍ दीदी।
दुनू बहि‍न हँसए लगल।
भोरे-भोर सबेर भने पेपरमे आएल छल जे घूसखोर रमणकेँ एस.डी.ओ. द्वारा नि‍लंम्‍बि‍त कऽ देल गेल। आ स्‍वतंत्रता दि‍वसक अवसरि‍पर म.वि‍.खड़ौआमे पढ़ैत छोटकीकेँ एस.डी.ओ. द्वारा घूसखोरकेँ पकड़ेबा लेल सम्‍मानि‍त कएल जाएत।
भरि‍ खड़ौआक लोक छोटकीक गुणगान करए लगला।¦¦¦


गौरी शंकर साह
गाम+पोस्‍ट- तुलापत गंज
थाना- झंझारपुर
जि‍ला- मधुबनी
(बि‍हार)

पि‍न- 847109  

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