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Tuesday, September 9, 2014

की करब से अहीं कहू (शारदा नन्‍द सिंह)

शारदा नन्‍द सिंह ::  

की करब से अहीं कहू


रामा कहलकै-
ऐ सुनै नइ छै। अँगनामे नै छै की? केतए चलि‍ जाइ छै, से नै जाइन।
देखि‍यौ ने एतबे कालमे कए गोट महाजन दुआरि‍ लागि‍ गेला। अखनि‍ तँ भोरे भेलैए, दि‍न तँ बाँकी छै। आ कि‍छु पटौनीओं बलामे रहि‍ए गेलै। पहि‍लुका महाजन कहि‍ते रहै आकि‍ धरदनि‍ दोसरो महाजन हुनक मँुहक बात ऊपरे लोकि‍ लेल की जे वरू खाद तरेचा जे नेने छेलै ओहूमे अदहा देने रहै आर बाँकी रहि‍ गेलै। कहने छेलखि‍न जे यूरि‍याक बोरा लेबै ने तँ ओहीमे मि‍झर करादेब।
से तँ आब फसि‍लो नवको होइतै। आइ बि‍नु नेने कि‍ हम टसकि‍ नै सकै छी। एनामे तँ हमर भट्ठीए जाम भऽ जाएत। एहेन महाजनीसँ बाद अबै छी। कहू एहनो भेलैए। एतै कहल गेलै जे पैंच खि‍आइ ऋृणे बि‍आइ। ई उतारा चौरी भऽ रहल छेलै की।
एकटा गाड़ी एम्‍हरे हौरन दैत हुरहुराइत आबि‍ रहले ओहीपर लि‍खल छेलै उतरी बि‍अार ग्रामीण क्षेत्रि‍य बैंक गोड़ा-वौराम दुआरि‍ लागि‍ गेल अछि‍। मुहथरि‍पर अमला सभ ठाढ़ भऽ कऽ पूछि‍ बैसला-
यही रामा का घर है?”
सभकेँ सभ अकबका गेल।
ई तँ एहेन सनक दृश्‍य गोचर होइ छै कि‍ प्रयाग राजक संगम सुनै छी से सएह बुझू। एमहर गमैआ महाजन आ ओमहर सरकरि‍या तंत्र बीचमे रामा।
दुनू अपन-अपन अोसुलीक तगेदाक संगे धमकी दऽ रहल ओ सुनै छल।
ओही कालमे नि‍धरक रामाक घरवाली, जेकरा गामवाली कहै जाइ छै, धरधराएल आबि‍ रहल छेलै। ओकरा ई सभ कोनो पते नै। ई संगम देखि‍ ओ सहमि‍ गेलि‍ आ चाेट्टे पएर घूमि‍ दोसर बाटे काेनो तरहेँ आँगन गेली नेपथ्‍यसँ बाजलि‍-
से की बात छि‍ऐ एना आँगनक मुहथरि‍ छेकने सभ ठाढ़ छै? की हमरा दुआरि‍-दरबज्‍जा नै? महाजन छि‍ऐ आकि‍ धनचक्कर?”
लोकक जेना लक्षणे छै। केहेन जमाना भऽ गेलै। ओ सभ तँ कि‍छु बुझबे ने करै छै।
खाद-पानि‍ आ जोताइबला सभकेँ चि‍न्‍हते छि‍यन्‍हि‍। हुनका सभकेँ तँ उचि‍ते कि‍एक तँ गाम-घरक लोक अहि‍ना होइते छै।
दोसर पेन्‍ट-शर्टबला तँ पढ़ल-लि‍खल सन बुझना जाइ छथि‍ तँ ऊहो सभ तँ ओहने सनक सरकारीओ लोक अछरकटुआ जेना आकि‍ आरक्षणबला लोक छै की। बुझबामे तँ यएह अबैत अछि‍। हाकि‍म-हुकुम आब छथि‍ तँ केतौ बैसि‍ कऽ ऋृणि‍याकेँ बजबै छै आ ओकरा सुख आ दुख बुझबैक कोशीशो करै छै। तेकर उपरान्‍त तँ देब-लेब हेबै करतै। खैर जे कि‍छु।
तेतबा धरि‍मे एगो कहावत छै, ‘दालि‍-भातमे मूसलचन्‍द’ एकटा गाए पोसि‍याँ लगौने छेलै। ऊहो ओहीकालमे जूमि‍ गेल तेना ने तुमकि‍ कऽ बाजए लगल-
गाए वि‍आ गेल चलू फरि‍आ लि‍अ या तँ अहाँ लि‍अ की हमरा दि‍अ?”
आब तँ ई दोसरे ममि‍ला खड़ा भऽ गेल। असमंजसमे रामा कहलकै-
ऐ की करब से अहीं कहू?”
बैंकबला कहलकै- 
रामा बैंक से बैल लि‍ए थे सो अभी तक कुछ नहीं दे पाया है। अब जबदी-कुर्की होगा नोटीश होने जा रहा है अगर एक माह के अन्‍दर तक ऋृण भूगतान नहीं करने पर...।
ई कहि‍ गाड़ी हूर्र...।
से सुनि‍ गामवालीकेँ साँस-मे-साँस एलै। एक मासक बाद ने बूझल जेतै। हँ-हँ सभटा फेर एक्केबेर, वि‍पति‍ तँ एसगर नै ने अबै छै। ओ तँ संगे बहुतो कि‍छु नेनै अबै छै। एकटासँ उवरै छी तँ दोसर जेना दुहारि‍पर।
सभ अपन-अपन ताैक एहनेमे सुतारि‍ ने लइ छै।
दोसर जे मौका पाबि‍ चि‍त्त कऽ दि‍ऐ, जे मनुखक सोभाव छि‍ऐ। देखू ने पैसा तहि‍ना ने उड़ि‍ जाइ छै जेना चि‍ल्होर माँछ लऽ कऽ उड़ि‍ जाइ छै। अखनि‍ एनमेन एहने समए बीति‍ रहल छै।
एमहर गमैया महाजन आइ तँ अनशन तोड़बे ने करै छै। ई तँ केकर दि‍नक पड़ि‍ भऽ गेलै। आँखि‍ आन्‍हर नाम नयन सुख केहेन महाजन, तमासा देखि‍यनु।
जीअब बाँचब सदहा देब ऋृण खा कऽ लोक केतौ रहलैए। आइ ने तँ काल्हि‍ सूदो लगा कऽ देब आइ अपने सभ अनशन तोड़ि‍ दि‍औ?
आब आँखि‍ खुलि‍ गेल जे महाजनीयोँ एगो नि‍ष्‍ठुर चीज होइ छै। एकटा गीत छै जे, ‘तू चीज बड़ी है मस्‍त-मस्‍त’ से सएह।
गामवाली ऐ दुआरे कहै जाइ छै जे ई दुनू गामेक प्राइमरी स्‍कूलमे पढ़ै छेलै। अखुनका जकाँ नै जे दूध छोड़बे ने करै छै आ चट स्‍कूलमे भर्ति करा दइ छै। पहि‍ले तँ दस-बारह बर्खक होइत रहै तहन स्‍कूल ढठि‍यौल जाइत रहै। तही वैचमे ईहो दुनूकेँ आँखि‍ यार भऽ गेल। की लैला-मजनूक कहानी सुनै छी तहि‍ना रामा-अनरि‍याक प्रेम प्रसफुटि‍त भऽ ऐ रूममे आइ देखि‍ रहल छी। रामा गामक बेटा आ अनरि‍या ऐ गामक बेटी मुदा टोल दू। उतरवारि‍ टोलमे रामाक घर आ दछि‍नवारि‍मे अनरि‍याक। जाति‍ एक्के गोत्र दू मूल अलगे। बहुत ताड़नक बादो प्रेम प्रगाढ़ होइते गेलै। जे देखि‍ए रहल छी। दामपत्‍य जीवन बि‍ता रहल छै।
सभ दुख सहि‍तो हँसीसँ रहि‍ रहल छेलै। आब घर बसलै तँ कि‍छु उपार्जनो भेनाइ तँ जरूरी छै। प्रेमभाव दि‍नानुदि‍न बढ़ि‍ते रहलै पढ़नाइओ तँ आगू नै भेल तेहन सन झमेला भऽ गेल जे पढ़ि‍तै की, दोसरे पढ़ौनी पढ़ऽ लगलै।
एक दि‍न अनरि‍या यानी आब गामवाली नाओंसँ जानल जाइ छै, घरबलाकेँ कहलकै-
आउ आब जे भेलै से तँ भऽ गेलै नै बाहर-भीतर जाएब तँ गामेमे खेती-वारी करू दस सेर आ दस-टाका हाथपर रहत।
से सुनि‍ रामा खुशीसँ उछलए लगल-
हँ-हँ हम खेती करब।
तइले पहि‍ले आइ.आर.डी.पी.मे नाओं लि‍खबऽ पड़ैत रहै। जेकरा आब गरीबी रेखामे यानी बी.पी.एल. कहै छै। ओहीमे नाओं अपन घोंसि‍यौलक तँ एक जोड़ा बरद बसौली हाटपर बैंक द्वारा प्रदत्त कएल गेल।
खेती-वारी श्री गणेश कएल। खेत खूब मन लगा कऽ तैयार करए। भरि‍-भरि‍ दि‍न आब तँ खेतेमे रहैए। जोतै-कोरै कि‍सि‍म-कि‍सि‍मक बीआ-खाद कीटनाशक दवाइ छीरकल करै।
एतेक दि‍न तँ जीवन हँसीमे उड़ि‍ गेलै। हेकरी हवा भऽ गेलै, तहनसँ मि‍हनत केनाइ शुरू केलक। साँसो लेल ने होइ। बरद जे बैंकसँ नेने छेलै तँ ओकरेमे लागल रहए पड़ै छेलै। खेतसँ छुटै तँ बरदक सेवा करैत रहए। घरकेँ तँ कायाकल्‍प भऽ गेल। एकटा दोसरे उत्‍साह-उमंग आ प्रेम प्रवाह हुअ लगलै।
भदै आ धान दुनू केलक। भदै तँ अगता फसि‍ल होइ छै जे उपराहैरक आ धन चर-चाँचरमे बागु केलकै।
फसि‍ल सभ तँ जेना उधि‍याएल जाइ छेलै। खेतपर सँ आबए तँ खुशीसँ फुले ने समाइत छल। गामवाली सेहो वर आतर-चातर जे बरू नै बाहर-भीतर तँ गामे नीक जकाँ रहु जेना अखनि‍ रहि‍ रहल छी। से ईश्वरकेँ जएह सोहाइ छन्‍हि‍ सएह करै छथि‍न। ‘ढाक के वही तीन पात’ सभ दि‍न कष्‍टमे बीतल।
भदैकेँ तँ कएक बेर पटौनीओं केलक। शुरू-शुरूमे भदै तँ लहलहा उठलै जे देखि‍ते बनै।
धान अखनि‍ बाँचल छै मन मुग्‍ध कऽ दइ छै। आशापर पानि‍ फि‍र गेल एको ने चलल। अकास दि‍स ताकि‍ते रहि‍ गेलै। कथीले बर्खा होइते, सभटा भदै जरि‍ कऽ खकसि‍याह भऽ गेलै। भदै तँ जरतीमे चलि‍ गेलै।
धान जे कनी-मनी दम धेने रहै तँ आसीन हथि‍या तेतेक ने बरसलै जे गम्‍हरा तक दहा गेलै।
सभटा तीन तेरह भऽ गेलै। रामा अवाक्। गामवाली बड़ जि‍बठगरि‍ दुखक संगी धैर्यवान, हँसमुख तँ तेहेन छेलै कि‍ वि‍पति‍क पहाड़े खसल रहै तैयो हँसि‍ते रहए।
दोसर जेबह नेपाल कपार जाइत संगे, बरदो जे नेने छेलै बैंकसँ से ऐ माटि‍-पानि‍मे एडजेस्‍ट नै कऽ सकलै।
एगो बरद हराठेमे रामनाम सत्‍य भऽ गेल। बँचलाहा कि‍छु दि‍न सेहो चलि‍ बैसला। जओ जबे गया मटर टघहरि‍ए गि‍या।
अहीं कहू आब की करी?
वा की करब से अहीं कहू।
गामवाली तँ गाढ़ेक साथी रहबे करै, रामाक ढाढ़स बान्‍हए लागलि‍। कहलक-
जाउ तँ ओ जे गाए पोसि‍याँ लगौने छेलि‍ऐ।
हँ से की। रमा बाजल।
गामवाली-
गाए फरि‍छा लेब ओकरे दऽ देबै। आ पैसा लऽ कऽ कि‍छु-कि‍छु महाजनोकेँ दऽ देबै तँ ओकरो सभकेँ भरोस हेतै।
गामसँ पाँच आदमी लऽ चलला गाए फरि‍याबऽ लेल। वैद्यनाथ, जमाहर, बि‍लास, पचुआ आ अपने रामा।
गाए बलाकेँ ओहीठाम, वैद्यनाथ हाक पाड़लक-
औऊ, घरवारी छह होउ।
ओ सुनि‍ते देरी हबोढ़कार भऽ कानए लगल। आबि‍ गि‍रहत देखि‍औ भगवानक चलि‍तर।
देखि‍ए कऽ पाँचो आदमीकेँ आँखि‍सँ नोर छलछला गेल रहनि‍। दृश्‍य हृदए वि‍दारक। की कहब हे भगवान अहँूक लीला अपार अछि‍।
तेहेन ने डाँग अहाँक होइ छै जेकरा लगै छै सएह बुझै छै।
आखि‍र भेलै जे नवजात गाएक बच्‍चा मरल पड़ल आ दोसर कात गाए अब-तब जइ घड़ी-जइ पहर। ओकरे मुँह सभ लोक घर दि‍स हि‍आसऽ लगल। और बाजए लगल-
आप इच्‍छा सर्वनाशी, देव इच्‍छा परमबल:।
गामवालीकेँ सभ बोल-भरोस, ओ सभ दऽ प्रस्‍थान केलक।
इति‍श्री होइते गामवाली भारतीय नारीक एकटा अंग Parts of the man कि‍रदार नि‍भावेमे एको मि‍सि‍या कम नै रखने छै।
रामासँ कहै छै-
हे, धि‍रज राखू। जाउ कि‍छु दि‍न परदेश कि‍छु ढौआ कमा लाउ आ महाजनकेँ दि‍यौ।
कपार तँ आगू-आगू दौड़ैए। एकटा कहबी छै, घरक कोस पचास। से लगले रहि‍ गेल। रामाकेँ तँ ओतै अछि‍ नै, एमहर गामवालीक चि‍न्‍ता बढ़ऽ लगल। दि‍न तेना बि‍तै छल जेना राति‍ आँखि‍मे कटि‍ जाइ। नव वि‍वाहि‍ता दि‍न नै होइ राति‍ वरू रहै।
तहि‍ना सन भीतरे-भीतरे कुही होइत रहै, जौं-जौं बैंकबलाक मास नजदीक हुअ लगल।
उपछल डबराक खत्ता जकाँ देखैमे लगै छल। कि‍ फाँड़ल पोठी माछ जकाँ हुअ लगल जखनि‍ कि‍ अखनि‍ धरि‍ अपसुइया छै। चि‍न्‍ताक मारे रामाकेँ नि‍न्न आब टुटलै गामवालीक दशा देखि‍।  
की करबै से अहीं कहू।
से हम आब गाम नै रहब सभ आशपर तुषारपात भऽ गेल गाए बेचि‍ ऋृणि‍याँ महाजनकेँ दैति‍ऐ से नै रहल।
जेतेक खेत अछि‍ सभ बँटाइ लगा देबै। हम तँ चललौं  परदेश। अहाँ अपन धैर्यकेँ नै छोड़ब बि‍नु महाजनी अदा केने घर नै आएब।
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