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Tuesday, September 9, 2014

सूचीमे नाओं (क. शारदा नन्‍द सिंह)

सूचीमे नाओं


मुखि‍या जीकेँ तँ हम सभ वि‍रोधीए भऽ जाइ छी। ओकर घरवाली तखनि‍ घर बहारैत बजैत छेली-
आइ चारि‍ दि‍नसँ सौंसे हल्‍ला छै जे वरू फेरसँ गरीबी रेखा यानी बी.पी.एल.मे सुधार भऽ रहल छै। जेकरा सभकेँ नाओं छूटि‍ गेलै आकि‍ हेर-फेर भऽ गेलै तेकरा सभकेँ फेरो अहीबेर सुधारल जेतै।
घरबलाकेँ कहलकै-
हौ, अपना गि‍रहतकेँ मुखि‍या जीसँ बड़ हाउ-भाउ रहै छै जा ने कनी तोरो नाओं गरीबी रेखाबला सूचीमे दि‍या देथुन।
कहि‍ कोइली आँगन बहारए लागलि‍।
घरबला कहलखि‍न-
कए गोट मुखि‍या भेलखि‍न हेन अखनि‍ धरि‍। अपना घरकेँ सभ बागि‍ए दइ छथि‍न। जे सभ लि‍खैले अबै छै तेकरा तँ सभ कि‍छु लि‍खाइए दइ छि‍ऐ, से मुखि‍या ऐठाम जाइत-जाइत की ने की भऽ जाइ छै। खैर जे कि‍छु से तँ वहए सभ ने बुझथि‍न। हम तँ देखि‍ते छि‍ऐ आ तू नै देखै छीही जे हमर बाप सत्तरि‍ बर्खक बूढ़ छै नांगर छै से तँ देबे ने केलकै। कए बेर गि‍रहतकेँ कहलि‍ऐ आ पहि‍लुको मुखि‍याजीकेँ कहबे केलि‍ऐ जे सुधार कए दि‍यौ। से कहाँ कि‍छो केलकै आ तूँ कहै छीही जे गि‍रहतकेँ जा कऽ कहुन गऽ।
कोयली बाजलि‍-
से तँ तूँ ठीके कहलऽ। करबहक की। अरे, फेर एकबेर जा कऽ कहुन गऽ। एकटा जमाना रहै दोसर से आब...।
घरबला-
से आब की भऽ गेलै ऐ जमानाकेँ? आब कि‍ कोनो काँकोर काटि‍ लेलकैहेँ। से जे तूँ कहै छीही गइ मौगी।
घरवाली-
धुर बोंगमरना, तूँ की कहि‍यो मनुख हेबह? देखै नइ छहक आब तँ बि‍चौलि‍याक जुग आबि‍ गेलै। निच्‍चाँसँ ऊपर धरि‍ बड़का लोकक मुँहलगुआ अगबे रहै छै।
घरवला-
सुनै तँ हमहूँ छि‍ऐ, से आब वएह सभ करतै।
घरवाली-
हँ हौ, जेतबे तोरा कहै छि‍अ ने से कए कऽ देखबहक तहन ने देखल जेतै। एते तूँ जे गि‍रहतकेँ दि‍वाराति‍ भूखे-पि‍आसे खटैत रहै छह से कथीले। अँइ हौ एतबो ने ओ कऽ देथुन?”
घरबला-
गइ, हमरा हरसट्ठे नै ठोंठि‍आ। तोहर बात हम केना कटबौ, बि‍ना हरदा बजौने थोड़े छोड़मे। से कोनो हम नै बुझै छी। हमरा बेरादरीमे घरवालीक डर तँ होइते एलैहेँ, अखनो धरि‍ परम्‍पराक कड़ी लगले छै। कहऽ लगलि‍ओ, लोक कहै छै छोटका जाति‍क राज छै आ राजो चला रहल छै मुदा कनी आँखि‍ खोलि‍ कऽ देखही तँ जे चला के रहल छै। आ कि‍यो चलबो काज केकर होइ छै? हे ऐबरे ने ई मुखि‍या छै ओइ बेर तँ ओहए मुखि‍या रहै आ सभटा काज मोटगरहे लोकक भेलै। अच्‍छा एगो बात कह, तोरा घरमे बि‍जली बरै छौ? आ देखही तँ गि‍रहतक घर चकचक करै छै। आ सभटा काडो बनल छै। हमहीं तँ चाउर-गहुम डीलर ऐठीमसँ लाबि‍-लाबि‍ दइ छि‍ऐ।
घरवाली-
बड़-बढ़ि‍याँ बड़ बेस, नीक बात बजलह। ओकरा सभ दे तँ कहलक मुदा तोरो छोटकामे तँ मुखि‍या भेल छेलह, आ मैनजनो तूहीं सभ छेलहक, ऊहो सभ तँ चप्‍प मुड़ी-घपे कए देलकह। अपना लोक-बेदकेँ बुढ़केँ के कहए जे जुआनो-जहानक नामे बि‍रधा पेन्‍शन लेलकै। आ अपना बेरमे ई सभ नै फुड़ै छेलह। आब एते माथापेंची नै करह आ जल्‍दीसँ जाह गि‍रहतकेँ संग केने बि‍चौलि‍याजी लग जाह।
घरबला-
जाइ छि‍औ, आ हे तूँ गि‍रहतक बरदले एक बोझ घास नेने अबि‍हेँ, बुझलि‍ही कि‍ने। हमरा तँ देरि‍ओ लगि‍ सकै छै, गेलाक बाद तँ हुनके खुशी ने। हुनकर तँ लटारम्‍हे बड़ बेसी। जय हो गोसाँइ काज बना दि‍हऽ एहेन नै जे ओही बेरका जकाँ हाल भऽ जाए।
गि‍रहत बड़का परमभतारबला लोक। तीनए बजेसँ माला फेरनाइ आ तंतर-मंतर मारि‍ते कि‍दनि‍-कहाँदनि‍ करैत रहै छै। आ घरक काज राज तँ नीकसँ करि‍ते रहै छै। गि‍रहतनीक कनी मोट-साेंट रहने डेगा-डेगी दैत रहै छथि‍न। आ ओहो पाछू-पाछू अलगे लाइ-भास जे अपने सनक, जे उदाहरण नै मि‍लै-भेटै छै। आ कनी झनकटाहि‍ सेहो छथि‍न।
नेपथ्‍यसँ-
सुनै नै छै चपलक अवाजसँ तँ बुझना जाइत अछि‍ जे मुन्ने छी। अलगेसँ फटर-फटर सुनै छि‍ऐ।
गि‍रहत कहै छथि‍न-
की रौ मुन्ना, आइ सबेरे जुमि‍ गेलेँ?”
मुन्ना कहै छै-
हँ मालि‍क, एकटा बड़ जरूरी काज भऽ गेलह। ओहो बेर तोरा कहने छेलि‍अ से तँ नै भेलै?”
बिच्‍चेमे गि‍रहतनी कहै छथि‍न-
से कोन एहेन जरूरी भऽ गेलऽ जे अखने जुमि‍ गेलह?”
मुन्ना कहै छै-
यइ गि‍रहतनी, मासक लकधक होइ छै, तीन-चारि‍टा छौरा सभ आँगनमे बैसल कि‍छु-कि‍छु पूछताछ संगे की छै नै छै, घोड़ा-कए गो छह, हाथी कए गो छह, गाड़ी कए गो छह, हर-फार केए गो छह, मारि‍ते की कहाँ लि‍खि‍ कऽ लए गेलै।
गि‍रहनी बाजलि‍-
हँ से की भेलै?”
मुन्ना कहै छै-
से आइ भोरे जखनि‍ कि‍रि‍णक धाही धमकले छेलै तखने मुखि‍याक एकटा नायव‍ आएल छेलै जे सूची तैयार भऽ रहलैहेँ जेकरा सबहकेँ कोनो तरहक गड़बड़ी भऽ गेल हेतै से सभ सुधार हेतै।
गि‍रहतनी कहै छै गि‍रहतकेँ-
से बुझहलि‍ऐ यौ, सुनबो केलि‍ऐ कि‍छु?”
गि‍रहत कहै छै-
देखल जेतै, चलबै। हरौ पहि‍ले गोबर कनी उठा दही आ थैरौ खर्ड़ि‍ए दहि‍न‍। आ सुन...।
 मुन्ना कहै छै-
आब की सुन, देखै नै छहक करि‍ते तँ छि‍अ।
गि‍रहत कहै छै-
एकटा और भांगठ छै सेहो सोझराबए पड़तो तोरे। देखही ने आइ गैसो सठि‍ गेलै आब तँ चाहोपर आफत पड़त। हे देखै छीही ओइ कोनमे एकटा जि‍लेबीबला जड़ि‍याठ छै तेकरा कनी फारि‍ दही।
मुन्ना कहै छै-
नै हौ, मुखि‍याक आदमी दसे बजे तक कहने छै, समैपर नै जेबै ने तँ कहीं गड़बड़ ने भऽ जाइ।
गि‍रहत कहै छै-
तब फरे प्रश्न की। जेबै ने तँ बूझहल जेते।
मुन्ना कहै छै-
हौ, बहुत लोक ओकरा संग लगि‍ गेलै तखने। हम तँ तोरे संग करए आएल छेलि‍अ। तूँ तँ मारि‍ते कि‍दनि‍-कहाँ करए लगलह।
गि‍रहत कहै छै-
अरौ बहिं, सभटा तूहीं बूझि‍ जेबही।
दुनू गोटेक बीच गप-सप्‍प चलि‍ते छल तखने मुन्नाक घरवाली कोइली घासक बोझ माथपर नेने पहुँचलि‍।
कोइली मुन्नाकेँ देखि‍ते बाजलि‍-
रौ मनसा, अखनि‍ तक तूँ एतै छीही, ओ सभ तँ कखनि‍ ने गेलै आ तूँ...।
मुन्ना कहै छै-
देखै छीही जे।
कोइली बाजलि‍-
भेलै, जे हम कहै छेलि‍ऐ ने...। ओ तँ दसे बजेक समए देने छेलै आ दस एतै बजै छै। आब कखनि‍ जेते कखनि‍ नै। फेर ऐ गि‍रहतबाक फेरीमे पड़ि‍ फेर नै सुधरतै।
तखने एकटा प्रपंची त्रि‍फट्टा चानन केने जे अपना ऐठाम ओ चानन नै देखने छेलि‍ऐ, ओ आबि‍ बि‍च्‍चेमे गि‍रहत लग जा बाजल-
सुनै छि‍ऐ, जखनि‍ नै केलि‍ऐ तब ते एना बजैए दुनू परानी आ भऽ जेतै तँ घुरि‍ओ कऽ ने ताकत। 
कोइली अपन माथक बोझ फेकैत घरबलापर बाजए लगल।
मुदा गि‍रहत बि‍च्‍चेमे लोकैत बाजल-
हइ, एना तूँ कि‍ए बजै छह, तोरा काजेसँ ने काज छह।
कोइली कहै छै-
सभ बेर तँ अहि‍ना लल्‍लो-चप्‍पो दइ छि‍ऐ। हम सभ...।
ताबए गि‍रहतनी एकटा कुरहरि‍ लऽ हहाएल-फुहाएल नेने एलै आ बाजल-
हैए ले, दू बेर डेंगपर चोट दए दही, खेनाइओपर सन्‍देह छौ, गि‍रहत ताबए तैयार होइ छथुन, भानस भऽ जेतै ने तँ तूँ एककर खा लि‍हेँ।
मुन्ना कुरहरि‍ लऽ डेंग फाड़ए जहाँ ने की ऊपर उठौलकै आकि‍ झट दऽ कोइली हाथकेँ पकड़ि‍ उपरेमे लोकि‍ लेलक। बाजलि‍-
चलबऽ मुनसे की, समए बीतल जाइ छै आ तूँ जारनि‍ फाड़ै छह, तब भानस हेतै तब खेबहक, आ गि‍रहत तँ अखनि‍ पूजेपर छह, खने नाक दबै छह, खने कान दबै छह। बेर बि‍ता कऽ जाइए कऽ की करबहक।
मुन्ना कहै छै-
हँ गइ मौगी, ठीके कहै छँह, चल-चल ईहो बोझ उठा ले नेने चल।
कोइली कहलकै-
रहऽ दहक। सभटा ओकरे सभकेँ। आन जाति‍क तँ काज नै चलै छै। तोरा भरम लगल छह जे गि‍रहत हमर काज करा देत। सुनह एतएसँ आबत-जाबत छोड़ह।
मुन्ना तेना कऽ ने कुरहरि‍ जुमा कऽ फेकलकै जे पूजापर बैसल गि‍रहत कनी आर लग जइतै तँ कामे तमाम भऽ जइतै। बाजल-
हँ गइ मौगी, चल गइ देखहीही गि‍रहतबक चलि‍तर। तूँ जे कही छेलही ने जे जा कऽ गि‍रहतक कहुन गऽ से ले।
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