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Sunday, August 3, 2014

सोइरी छछारब (क. नन्‍द वि‍लास राय)

सोइरी छछारब

मि‍थि‍लांचलमे एकटा बजार अछि‍ झंझारपुर जे अनुमण्‍डल सेहो छी। झंझारपुरमे एकटा मध्‍यम कि‍सान छला। नाओं रहनि‍ टुनटुन। हुनका तीनटा बेटा आ दूटा बेटी। तीनू बेटाक बि‍आह भऽ गेल छन्‍हि‍ आ दुनू बेटीओक बि‍आह भऽ गेल छन्‍हि‍। ओना दुरागमन पछाइतो दुनू बेटी बेसी काल नहि‍रेमे रहै छन्‍हि। दूटा बेटा पंचायत शि‍क्षक आ एकटा बेटा रोजगार सेवक छथि‍न। जेठका जमाए पंचायत सचि‍व छथि‍न। पहि‍ने तँ ओ दलपति‍ छला। सरकार दलपति‍ सभकेँ पंचायत सेवक बना देलकनि‍ तहीमे ओ पंचायत सेवक भऽ गेला। एम्‍हर पंचायत सेवककेँ सरकार पंचायत सचि‍व बना देलक। बुझू जे ओ सभ तँ आब पंचायतक हाकि‍म भऽ गेला। हुनका सभकेँ नीक आमदनी छन्‍हि‍। कि‍एक तँ हुनका सभकेँ इंदि‍रा अवास आ आनो-आन योजना सभमे कमीशन भेटै छन्‍हि‍। जन्‍म आ मृत्‍यु प्रमाण पत्र बनबैमे सेहो रूपैआ लइ छथि‍न।
  टुनटुन जीक जेठका जमाएकेँ सासुरमे नीक मानदान होइ छन्‍हि‍। कि‍एक ने हेतनि‍। सासुर जखनि‍ अबै छथि‍न तँ खरच-बरचपर तूलल रहै छथि‍न। सासु-सरहोजि‍ लेल फूटा-फूटा मि‍ठाइ, कपड़ा आ धि‍या-पुता लेल सेहो कपड़ा-लत्ताक संग बि‍स्‍कुट, मि‍ठाइ, चकलेट इत्‍यादि‍ अलग-अलग। टुनटुन जीक छोटका जमाए राकेश जीकेँ पढ़ैमे चन्‍सगर रहि‍तो अखनि‍ धरि‍ कोनो नोकरी नै भेटल रहनि‍। ओ मैट्रि‍कसँ लऽ कऽ एम.ए. धरि‍ प्रथम श्रेणीसँ पास करैत रहला। साले भरि‍ पहि‍ने हुनकर कनि‍याँ दुरागमन भऽ सासुर आएल रहनि‍। मुदा कनि‍याँकेँ बेसी समए नहि‍रेमे रहए दइ छथि‍न। नोकरी नै भेने राकेशजी दरभंगाक एकटा नि‍जि‍ वि‍द्यालयमे कार्यरत् छथि‍। मुदा तैयो सरकारी नोकरी लेल अखनो प्रति‍योगि‍ता परीक्षा सभमे बैसैत रहै छथि‍न।
  टुनटुन जीकेँ एक्केटा बहि‍न ओहो मसोमाते। हुनका दूटा बेटा आ दूटा बेटी छन्‍हि‍। दुनू बेटा दि‍ल्‍लीमे नोकरी करै छथि‍न। जेठकी बेटी रीना मामा-मामी लग रहि‍ पढ़ैए। छोटकी बेटी वीणा माइए संग रहैए।
  टुनटुन जीक जेठकी बेटी मालतीकेँ कल्‍याणक जाेगता रहनि‍। जन्‍माशौचक समए लगि‍चाएल रहनि‍। ओकर भौजाइ सभ सोचए, मलतीकेँ जँ भगवान बेटा दऽ दइतथि‍न तँ हमरा सभकेँ पहुनासँ सोइरी छछारला पछाति‍ नीक आमदनी होइतए। ओना तँ पहि‍ल बेर छि‍ऐ बेटीओ भेने तँ नीक आमदनी हेबे करत। जेठकी भौजाइ सोचैत, हम जेठ भौजाइ छी तँए सोइरी हम छछारब आ पहुनासँ नीक गहना लेब। छोटकी सोचैत, हम तँ सभसँ छोट छी तँए सोइरी हम नीपब। पाहुन नीक कमाइ छथि‍न। नीक दान-दछि‍ना भेटबै करत। मझि‍ली भौजाइ सोचैत, हमहीं मालती बुच्‍चीक बेसी खि‍याल रखैत एलौं। पाहुनो अबै छथि‍न तँ ननदि‍-ननदोसि‍केँ सुतैले हमहीं अपन घर छोड़ि‍ दइ छी आ अपने ओसारि‍पर सासु लग सुतै छी। बौआक बाबूजी दलानपर जा सुतै छथि। तँए मालती हमरे सोइरी छछारैले कहत। जौं दोसर कि‍यो छछारत तँ कहि‍यो अपन घर सुतैले नै देबनि।
मालतीकेँ जन्‍माशौच भेल। बेटी भेलनि। मझि‍ली भौजाइ मालतीक दुल्हाकेँ मोबाइलसँ खबरि‍ देलकनि‍। छठि‍हारसँ दू दि‍न पहि‍ने मालतीक दुल्हा वि‍नोदजी एला।
आइ भि‍नसरे वि‍नोदजी दू हजार टाका जेठका सारक हाथमे दऽ नीकसँ भोज-भातक ओरि‍यान करैले कहलकनि‍। जलखै खा छोटका सारकेँ संग बजार गेला। बजारसँ मालती संग बेटी, तीनू सरहोजि‍ आ सासु लेल कपड़ा कीनि‍ कऽ लऽ अनला। आइ छठि‍हार छी। भि‍नसरेसँ भौजाइ सभ अँगना-घर नीपब शुरू केलनि‍। आब चर्चा भेल सोइरी के छछारत। जेठकी भौजाइ बजली-
सभसँ जेठ हम छी। पहि‍ल अधि‍कार हमर अछि‍। मालतीक पहि‍ल बच्‍चा छि‍ऐ तँए सोइरी हम छछारब?”
छोटकी बजली-
सभसँ छोट हम छी। तँए सोइरी हम छछारब।
तैपर जेठकी भौजाइ फरकि‍ कऽ बजली-
अहाँ सभसँ छोट छी तँ छोटकी ननदि‍ ललि‍ताक सोइरी छछारब। ओकरो पएर तँ भारीए अछि‍। पाँचे मास पछाति‍ तँ बच्‍चा जनमत।
छोटकी भौजाइ बि‍च्‍चेमे टि‍पलक-
अहीं ललि‍ता बुच्‍चीक सोइरी छछारब।
मझि‍ली भौजाइ सभ गप सुनै छेली। हुनको रहल नै गेलनि‍ बजली-
जखनि‍ पहुना अबै छथि‍न। तँ हुनका सभकेँ सुतैले हम अपन घर दइ छि‍यनि‍। आ अखनि‍ सोइरी छछारैले घंघौज भऽ रहल अछि‍।
तैपर जेठकी बजली-
अहाँ सुतैले अपन घर दइ छि‍यनि‍ ने तँ अहीं सोइरी छछारू। अहीं दान-दछि‍ना लिअ गऽ।
तैपर छोटकी बजली-
हम जे मालती बुच्‍चीक कपड़ा खि‍चै छी आ पहुनाकेँ नीक-नि‍कुत खेनाइ बना खुआबै छी। तेकर कोनो मानि‍ नै?”
  मालती माए सभ गप सुनै छेलखि‍न। ओ सोइरी घरक मोख लग जा बेटीकेँ कहलखि‍न-
सोइरी छछारैक तीनू दि‍यादनीक बीच घंघौज भऽ रहल अछि‍। केकरा कहबीहीन?”
मालती असमंजसमे पड़ि‍ गेली। सोचए लगली, तीनटा भौाजइ अछि‍। एक गोटेकेँ कहब तँ दू गोटे रूसत। मुदा छछारत तँ कि‍यो एक्के गोटे। बेटीकेँ चुप देखि‍ माए फेरो बजली-
बाज ने, केकरासँ छछरबेवहीन?”
मालती माएकेँ पुछलखि‍न-
तोहर की वि‍चार छौ?”
माएकेँ छोटकी पुतोहु बेसी मानै छथिन। राइते-राति‍ जँतबो करै छथि‍न। ई सभ मन पड़लनि‍। माए बजली-
छोटकीकेँ कहीन सोइरी छछारैले।
तैपर मालती बजली-
मझि‍ली भौजी हमरा सभसँ बेसी मानैए। जखनि‍ सेवकजी अबै छथि‍न तँ अपन घर हमरा सभ लेल छोड़ि‍ अपने दुनू परानी अनतए सुतै छथि‍न।
माए कहलखि‍न-
तोरा जेकरासँ मन हाेउ तेकरासँ सोइरी नीपा। हमरा लेल तँ तीनू पुतोहु एक्के रंग।
मालती अपना दुल्हा सेवक जीसँ सेहो वि‍चार लेब जरूरी बुझलनि‍। ऊहो मझि‍लीए सरहोजि‍सँ नि‍पबैले कहलखि‍न।
मझि‍ली भौजाइ सोइरी छछारलक। तइले छोटकी आ जेठकी भौजाइकेँ बड़ दुख भेलनि‍। मुदा दुनूमे सँ कि‍यो कि‍छु बजली नै।
पाँचे मास पछाति‍ टुनटुन जीक छोटकी बेटी ललि‍ताकेँ बेटा जनमल। आइ छठि‍हार छी। हुनकर दुल्हो नै एलखि‍न आ ने कि‍यो आने सासुरसँ एलनि‍। ललि‍ताक माए तीनू पुतोहुसँ बेरा-बेरी पुछलखि‍न जे सोइरी के नीपब। जेठकी पुतोहु कहलकनि‍-
मालती बुच्‍चीकेँ बेटी भेल तँ मझि‍ली सोइरी नि‍पलक। दान-दछि‍ना लेलक। ललि‍ता‍क दुल्हा तँ पाइबला नै छथि‍न। ओकरो साेइरी मझि‍लीए किए ने छछारत।
मझि‍ली पुतोहुकेँ कहल गेल तँ ओ बजली-
हम तँ मालती बुच्‍चीक सोइरी छछारनहियेँ रही। आब छोटकी नै तँ जेठकी छछारती। हुनके सबहक पार छि‍यनि‍।
जखनि‍ छोटकी पुतोहुसँ कहल गेल तँ खौझाइत जवाब देलखि‍न-
हम कि‍एक छछारौं। जेठका पाहुन अबै छथि‍न तँ नीक-नि‍कुत बना-बना हम खुअबि‍यनि‍, कपड़ा-लत्ता हम खींचौं आ आमदनी बेर आएल तँ साेइरी नि‍पलक मझि‍ली। ओकरे कहथुन वएह नीपत।
  तीनू दि‍यादनी एक्के बात सोचए। छोटका पाहुन तँ पाइबला छथि‍न ने। कहुना कऽ दरि‍भंगामे खानगी स्‍कूलमे पढ़ा सरकारी नोकरी लेल प्रयास कऽ रहल छथि‍न। जहि‍या‍-कहि‍यो सासुर अबै छथि‍न तँ दू-चारि‍ डि‍ब्‍बा साधारनी बि‍स्‍कूट लऽ कऽ। मि‍ठाइ तँ कहि‍यो नाओं लेल नै अनने हेता। सासु आ हमरा सभकेँ के देत कपड़ा। ललि‍तो बुच्‍चीकेँ तँ आफदे रहै छन्‍हि‍। तेलो-साबुन ले लल्‍ला-छुच्‍छी। साेइरी जे छछारब से कोनो गहना-जेबर देत।
ललि‍ताक माए फेर मझि‍ली पुतोहु लग जा कऽ कहलखि‍न-
जेठकी आ छोटकी दुनू गोरे अहीं नाओं कहैए। मालतीक दुल्हा पाइबला अछि‍ तँए ओकर सोइरी अहाँ नीपलि‍ऐ आ ललि‍ताक के नीपत? मालती दुल्हासँ गहना-जेबर अहाँ लेलि‍ऐ तइले ओहो दुनू दि‍यादनीकेँ पछताबा होइ छै जे हम छछारि‍तौं तँ हमरा होइतए। ललि‍ताक तँ सहजे सभ बुझै छै जे ओ कि‍छु दइबला नै अछि‍। उ दुनू दि‍यादनी तँ खुलि‍ए कऽ कहि‍ देलक जे जाथुन ओकरे कहि‍हथि‍न।
मझि‍ली कहलकनि‍-
से जे ई कहै छथि‍न, सेवकजी हमरा गहना देलखि‍न से ई देखने रहथि‍न? गहना दइत तँ पहि‍रतौं आकि‍ नुका कऽ रखने रहि‍तौं। अखनि‍ हमर मोनो भारी लगैए। मथो दुखाइए। भि‍तरे-भीतर बोखार रहैए। सर्दी-कफ भऽ गेल अछि‍। सुनै नै छथि‍न उकासीओ होइत रहैए। साेइरी छछारने तँ नहाए पड़त जइसँ आरो बेसी मोन खराप भऽ जाएत। तखनि‍ हमरा धि‍या-पुताकेँ के करत। हम नै छछारबनि‍।
सासु कहलखिन-
जेठका पाहुन जौं गहना नै देने हेता तँ रूपैआ-पौसा तँ देनैहीए हेता। कोनो कि‍ हमरा सभकेँ देखा-सुना कऽ देलनि‍। कि‍छु नै देने हेता से नै मानब। हम सभ गप बुझै छी। अहाँ सभ सोचै छि‍ऐ जे ललि‍ताक दुल्हा तँ सोइरी नीपाइ कि‍छु देत नै तँए अहाँ सभ एना छि‍रहारा खेलाइ छी। अहाँ सभले कि‍ ललि‍ता सोइरीएमे बैसल रहत आकि‍ नि‍कलबो करत। अहाँ सभ नै नीपै जाएब तँ हम अपनेसँ नीपि‍ देबै। हमर तँ बेटी छी हम थोड़े छोड़ि‍ देबै। जाउ अहाँ सभ सुतू गऽ।
ई कहि‍ माए ललि‍ता लग गेली। माएकेँ देखि‍ते ललि‍ता पुछलकनि-
के नि‍पतौ?”
कि‍यो नै तैयार होइ छौ। तोहर दुल्हा कोनो पाइबला छथुन जे सोइरी नीपाइ गहना-जेबर देबहीन। बुझहै नै छीही छुच्‍छाकेँ के पुच्‍छा। हम अपनेसँ नीपब। तूँ चि‍न्‍ता नै कर।
ललि‍ता बजली-
माए, तोहर नीपनाइ नीक हेतौ। तीन-तीनटा भौजाइ रहि‍तौ माए सोइरी नि‍पलकै। लोक की कहत?”
एकटा काज कर। दीदीक बेटी रीना अछि‍ ने ओकरे कहीन वएह नीप देत। जौं भगवान हमरो दि‍न नीक केलक तँ रीनाकेँ कोनो गहना दऽ देब। अखनि‍ तँ हमरे दि‍न भारी अछि‍ जे नैहर ओगरने छी।
माए बेटीकेँ संतोष दैत कहलखि‍न-
अच्‍छा चि‍न्‍ता जुनि‍ कर। भगवान जरूर दुख बुझथुहुन। हँ गै हँसलै घर बसै छै।
रीना ललि‍ताक सोइरी नीपलक। भोज-भातक कोनो आरि‍यान नै रहए। भगवानक घरमे देर छै अन्‍धेर नै छै। ललि‍ताक दुल्हा राकेश जीकेँ केनरा बैंकमे नौकरी भेलनि‍। आब तँ ऊहो पाइबला लोक भऽ गेला। सासुरमे हुनको मान-दान बढ़ि‍ गेलनि‍।
पहुलका बच्‍चाक जन्‍मक तीन बरख पछाति‍ ललि‍ताकेँ दोसर बच्‍चा भेल। एमकी बेटी रहए। बेटी रहि‍तौ तीनू भौजाइ सोइरी छछारैले उपरौंज करै छेलखिन। जेठकी भौजाइ सोचैत, सोइरी हम छछारब। मझि‍ली तँ जेठकी ननदि‍ मालतीक सोइरी छछारि‍ दान-दछि‍ना पाबि‍ए नेने अछि‍। छोटकी भौजाइ सौचैत ललि‍ता हमर छोटकी ननदि‍ छी आ हम ओकर छोटकी भौजाइ तँए हमर छछारब उचि‍त। मझि‍ली भौजाइ कि‍छु आर सौचैत, हुनकर सोच ई जे जेठकी आ छोटकीमे सोइरी छछारैले रक्का-टोकी हेबे करत, कि‍एक तँ ओकरा दुनू गोटेमे भैंसा-भैंसीक कनारि‍ अछि‍। जखने दुनू गोटेमे बात-बताबलि‍ हएत तँ कहब। से नै तँ अहाँ दुनू गोटे अस्‍थि‍र रहू हम छछारबै। छोटका पाहुन तँ बैंकमे हाकि‍म भऽ गेला। जेठका पाहुनसँ बेसी दान-दछि‍ना देबे करता।
  आइ छठि‍हार छी। राकेशजी अपने तँ नै एला मुदा हुनकर पि‍ताजी एलखि‍न। जेठका सारक नाउँए पाँच हजार टाका पठा देने छथि‍न। नीकसँ भोज-भात करैले कहने छथि‍न आ ललि‍ता जन्‍मलही बेटी, बेटा, सासु आ तीनू सरहोजि‍ लेल कपड़ा सेहो कीनि‍ कऽ दइले कहने रहथि‍न। माए ललि‍तासँ पुछलखि‍न-
सोइरी छछारैले केकरा कहबीहीन। ऐ बेर तँ तीनू भौजाइ मुँह बौने छौ।
ललि‍ताकेँ पछि‍ला सभ गप मने रहनि‍। कहलखि‍न-
सोइरी रीना छछारत। ओकर पछि‍लो दान-दछि‍ना बाँकीए छै। दुनू सोइरीक दान-दछि‍ना अही बेर देबै।
माए कहलखि‍न-
बड़ नीक वि‍चार। भगवान तोरा सभकेँ नीक करथुन।


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