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Sunday, August 3, 2014

पोषाहारक गहुम (क. नन्‍द वि‍लास राय)

पोषाहारक गहुम
चनौरा प्राथमि‍क वि‍द्यालयक शि‍क्षा समि‍ति‍क गठन भेल। रंजन जीक पत्नी रीता देवी सचि‍व आ अनीलजी अध्‍यक्ष भेला। मोहनजी सेहो सदस्‍य चुनल गेला।
वि‍द्यालयमे छात्र सबहक पोषाहारक लेल सभ महि‍ना सरकार गहुम दैत छल आ गरीब छात्र सभ लेल पोषाहारक अलाबे एक रूपैआ प्रति‍दि‍नक हि‍साबसँ प्रोत्‍साहन भत्ता सेहो दइ छल। आब तँ स्‍कूल सभमे मीनूक मुतावि‍क छात्र सभकेँ खेनाइ भेटैए। कहि‍यौ खि‍चड़ी, कहि‍यौ करही-भात तँ कहि‍यौ अण्‍डा-भात। जइ समैमे पोषाहारक रूपमे गहुम भेटै छल तइ समए प्रधानाध्‍यापक आ शि‍क्षा समि‍ति‍क अध्‍यक्ष ब्‍लौकसँ गहुम उठा अानि‍ छात्र सबहक बीच बँटै छल। प्रोत्‍साहन भत्ता स्‍कूलक प्रधानाध्‍यापक प्रखण्‍ड शि‍क्षा कार्यालयसँ अनै छल आ ओहो छात्र सबहक बीच बाँटि‍ दइ छल। मुदा प्रधानाध्‍यापक सभ छात्र सभकेँ कम गहुम दइ छल। प्राय: दू मासपर पोषाहारक बँटवारा होइ छल। जइमे एक कि‍लो कम गहुम छात्र सभकेँ भेटै छेलै। चनौरा प्राथमि‍क वि‍द्यालयक प्रधानाध्‍यापिका सेहो यएह काज करै छेली। प्रोत्‍साहन राशि‍क बँटवारामे पाँच टाकासँ दस टाका धरि‍ कम कऽ छात्र सबहक बीच बँटैत रहथि‍।
ग्राम पंचायतक चुनाव भेल। मोहनजी चनौरा पंचायतसँ पंचायत समि‍ति‍क सदस्‍य चुनल गेला। प्रमुख चुनावमे मोहन जीकेँ सक्रि‍य भूमि‍का रहलनि‍। आ हुनके खेमाक बेकती प्रमुख भेला। आब मोहनजी बेसी काल प्रखण्‍डे मुख्‍यालयमे प्रमुख जीक संग रहए लगला। प्रखण्‍डमे चलैबला सभ योजनाक जानकारी हुनका रसे-रसे हुअ लगलनि‍। प्राथमि‍क वि‍द्यालय चनौरामे छात्र सबहक बीच प्रोत्‍साहन भत्ता आ पोषाहार वि‍तरणमे कटौटी होइते छल। गहुम आ टाका बँटला पछाति‍ जे बँचै छल ओ प्रधानाध्‍यापि‍का असगरे हजम कऽ लइ छेली। छह मास भेल। वि‍द्यालयक शिक्षा समि‍ति‍क अध्‍यक्ष देखैत रहला। आठम मासमे जखनि‍ छात्र सभकेँ प्रोत्‍साहन राशि‍ देल जाइ छल तखनि‍ शि‍क्षा समि‍ति‍क अध्‍यक्ष अनीलजी, सचि‍वक पति‍ रंजनजी आ समि‍ति‍ सदस्‍य मोहनजी तीनू गोटे वि‍द्यालयपर गेला। प्रधानाध्‍यापि‍कासँ प्रोत्‍साहन भत्ताक राशि‍क वि‍तरणक पंजी लऽ लेला। पंजीमे छात्र सबहक नामक आगू सभ वि‍द्यार्थीक हस्‍ताक्षर छल। मुदा राशि‍ अंकि‍त नै छल। शि‍क्षा समि‍ति‍क सदस्‍य सबहक वि‍चार भेल जे काल्हि‍ ई पंजी लऽ जा कऽ प्रमुख साहैबकेँ देखौल जाए। ओ जे सलाह देथि‍न से कएल जाएत।
प्रधानाध्‍यापि‍का वि‍भा देवीक पति‍ शोभाजी गामक दबंग बेकती। हुनका जखनि‍ ई सभ बात पता लगलनि‍ तखनि‍ ओ मोहन जीकेँ बजा धमकी देलकनि‍। मुदा मोहनजी पर ओइ धमकीक कोनो असरि‍ नै भेल। शोभाजी मोहन जीकेँ कहलकनि‍-
अहाँ, वि‍तरण पंजी प्रधानाध्‍यापि‍काकेँ आपस कऽ दि‍यौ नै तँ हम अहाँपर केस करब।
मोहनजी कहलखि‍न-
पंजी तँ अध्‍यक्ष लग अछि‍। हम केतएसँ देब। गौआँकेँ बैसाउ हुनका सबहक जे निर्णए हेतनि‍ सएह कएल जाएत। अहाँ हमरा बेक्‍तीगत रूपे कि‍छु ने कहू। ओना अहाँकेँ जे मन फूड़ए से करू। हम डरेबला नै छी।
जखनि‍ धमकीक कोनो असरि‍ नै भेल तँ शोभाजी पंचायतक मुखि‍या जीकेँ बजेलखि‍न। पंचायतक मुखि‍याजी सेवा नि‍वृत शि‍क्षक छथि‍। ओहो अध्‍यक्ष आ मोहनजी सँ पंजी आपस करैले अाग्रह केलखि‍न। मुदा पंजी आपस नै भेल। दोसर दि‍न भोरे स्‍कूलेपर समुच्‍चा गामक लोक बैसल। ि‍नर्णए भेल, एतेक दि‍न प्रधानाध्‍यापि‍का जे केली से केली मुदा आब आगूसँ राशि‍ वि‍तरण अथवा गहुमक बँटवारामे कटौती नै करथि‍। मुखि‍याजी कहलखि‍न-
जखनि‍ गहुम आकि‍ प्रोत्‍साहनक राशि‍क वि‍तरण हुअ तखनि‍ समि‍ति‍क सभ सदस्‍य मौजूद रहथि‍। हुनके सबहक देख-रेखमे सभ कि‍छु वि‍तरण हुअ।
सभ गोटे मुखि‍या जीक बातक थोपड़ी बजा समर्थन केलक।
  मोहनजी नामक लेल शि‍क्षा समि‍ति‍क सदस्‍य रहि‍ गेला। पंचायत समि‍ति‍क सदस्‍य भेलाक कारण हुनका ब्‍लौकेसँ फुरसति‍ नै रहै छेलनि‍। हुनको दूटा बेटा ओही स्‍कूलमे पढ़ै छल। दू मासक पछाति‍ स्‍कूलमे गहुमक वि‍तरण भेल। मोहनजी अपना पत्नीसँ पुछलखि‍न-
एमकी बौआ सभ स्‍कूलसँ केते-केते गहुम अनलक?”
पत्नी कहलकनि‍-
पहुलकोसँ कि‍लाे भरि‍ कम्मे अनलक। पहि‍ने दू मासमे पाँच कि‍लो अनैत रहए। ऐ बेर चारि‍ए कि‍लो अनलक।
मोहन जीक माथ ठनकलनि‍। पता लगलनि‍ जे चोर-चोर मौसेरा भाय। शि‍क्षा समि‍ति‍क अध्‍यक्ष आ सचि‍वकेँ आब कमीशन भेटए लगलनि‍। तँए एक कि‍लो गहुम आरो कटौती भऽ गेल। मोहनजी अध्‍यक्ष लग जा पुछलखि‍न-
अनील बाबू, एमकी तँ एक कि‍लाे गहुम आरो कटौती भऽ गेल। अहीले एतेक नाटक भेल रहए कि?”
अनीलजी कहलखि‍न-
छोड़ू मोहन भाय, अहूँ ब्‍लौकमे कोनो योजना जाेतू गऽ। कि‍छु कमाउ-धमाउ। अखनि‍ मौका अछि‍। अगि‍ला चुनावमे की‍ हएत कि‍ नै। देखै नै छि‍ऐ, पैघ-सँ-पैघ नेता सभ केतेक नमहर घोटाला करैए।
मोहनजी अनील जीक बात सुनि‍ अवाक् रहि‍ गेला। बजला कि‍छु नै। कि‍छु फुड़ेबे ने करनि‍। थोड़े काल पछाति‍ कहलखि‍न-
ठीक छै, काल्हि‍ हम वि‍द्यालय शि‍क्षा समि‍ति‍सँ ति‍याग पत्र दऽ देब। अहाँ सभकेँ जे मन फूड़त सहए करब।
अगि‍ला दि‍न मोहनजी शि‍क्षा समि‍ति‍सँ ति‍याग पत्र दऽ देलखि‍न। मुदा गहुम वि‍तरणपर नजरि‍ राखए लगलखि‍न। प्राय: दू मासपर गहुमक उठाउ कऽ छात्र-छात्रामे बाँटल जाइ छल। दू मासक एक बेर भेटै छेलै। दि‍सम्‍बर आ जनवरीक गहुम तँ बँटा गेल छल। मुदा फरवरी-मार्चक गहुम अप्रीलोमे नै वि‍तरण भेल। मई सेहो बि‍तल। मुदा गहुमक कोनो पता नै। एक जूनकेँ स्‍कूलक प्रधानाध्‍यापि‍का आ अध्‍यक्ष गहुम उठा कऽ आनि‍ तीन जूनसँ बँटवारा शुरू केलनि‍।
मोहनजी दरबज्‍जापर रहथि‍। तखने कि‍छु लोक हुनका लग आबि‍ कहलकनि‍-
यौ समि‍ति‍जी, जनवरी महिना धरि‍क गहुम भेटल छल। फरवरी, मार्च, अप्रील आ मई ऐ चारू मासक गहुक बाँकीए छल। तइमे दुइए मासक गहुम बाँटल जा रहल अछि‍। दू मासक गहुम केतए गेल?”
मोहनजी कहलखि‍न-
अच्‍छा, हम पता लगबै छी।
मोहनजी प्रधानाध्‍यापि‍का लग जा पुछलखि‍न-
दू मासक गहुम की भेल?”
प्रधानाध्‍यापि‍का कहलकनि‍-
फरवरी आ मार्चक गहुम लेप्‍स कऽ गेल। आवंटने नै भेल। अखनि‍ अप्रील-मई मासक गहुम बँटल जा रहल अछि‍।
मोहन जीक मन नै मानलकनि‍ तँ ओ अध्‍यक्ष अनीलजी लग जा हुनकोसँ पुछलखि‍न। मुदा हुनको जवाब सएह। गहुम लेप्‍स भऽ गेल।
मोहन जीक मनमे भेलनि‍ जे सभ कि‍यो मीली भगत कऽ नेने अछि‍। एकरा सबहक बातपर बि‍सवास नै करी। वि‍चार केलनि‍, भरि‍ दि‍न तँ ब्‍लौकेमे रहै छी। कि‍एक ने बीइओ आॅफि‍समे जा पता लगाबी। अगि‍ला दि‍न ब्‍लौक गेला तँ बीइओ आॅफि‍समे हाकि‍मे नै छल। ओइठाम मात्र एकटा शि‍क्षक छला जे लि‍खा-पढ़हीक काज सम्‍हारै छला। पुछलापर ओहो गोले-मटोल जवाब देलकनि‍। मोहनजी सोचलनि‍ जे अपना बुते नै पता लगत। प्रमुख साहैबकेँ कहए पड़त। ओ तँ दसे मि‍नटमे पता लगा लेथि‍न। प्रमुख जीकेँ सभ बात कहलखि‍न। प्रमुखजी कहलखि‍न-
एतेक छोट काज लेल अहाँ फि‍रि‍सान छी। पाँचे मि‍नटमे पता लगा दइ छी।
कहैत प्रमुखजी टेबुलपर राखल बेलक बटम टीपलनि‍। चपरासी आएल। गोदाम मैनेजरक रजि‍स्‍टर लऽ बजौने अबैले चपरासीकेँ कलखि‍न। पाँचे मि‍नट पछाति‍ चपरासी संग मैनेजर रजि‍स्‍टर लऽ कऽ आएल। प्रमुख साहैब मैनेजरसँ चनौरा स्‍कूलक गहुम उठाबक तारीख पुछलखि‍न। मैनेजर रजि‍स्‍टर देखि‍ बतौलकनि‍। ३१ मईकेँ फरवरी-मार्चक आ ०१ जूनकेँ अप्रील-मई मासक गहुम उठाब भेल अछि‍। उठाब रजि‍स्‍टरपर वि‍द्यालय शि‍क्षा समि‍ति‍क अध्‍यक्ष आ प्रधानाध्‍यापि‍काक हस्‍ताक्षर अछि‍। आब मोहन जीकेँ बुझैमे कनि‍को भांगठ नै रहल जे दू मासक गहुम प्रधानाध्‍यापि‍का, सचि‍व आ अध्‍यक्ष मि‍लि‍ बेचि‍ लइ गेला।
  गामपर आबि‍ मोहनजी एक बेर फेर अध्‍यक्ष अनीलजी लग गेला। पता चललनि‍। अध्‍यक्षजी प्रधानाध्‍यापक ओइठाम गेल अछि‍। तखनि‍ ओहो प्रधानाध्‍यापि‍का ऐठाम एला।
  ऐठाम देखै छथि‍ जे प्रधानाध्‍यापि‍काक पति‍ शोभाजी, अनीलजी आ रंजनजी सभ गोटे एक्केठाम बैस चाह पीब रहल छथि‍। मोहन जीकेँ देखि‍ते शोभाजी बजला-
आबह आबह मोहन, कहऽ की हाल-चाल छह?”
मोहनजी कहलकनि‍-
ठीके अछि‍।
बि‍च्‍चेमे शोभाजी पत्नीकेँ हाक दैत कहलखि‍न-
एक कप चाह ओरो नेने आउ।
मोहनजी कहखि‍न-
हम चाह नै पीब, अखने चौकपर चाह पीलौं हेन।
ताबे वि‍भाजी एक कप चाह आ एक गि‍लास पानि‍ नेने आबि‍ मोहनजी दि‍स बढ़ेली। मोहनजी कहलखि‍न-
बेसी चाह पीलासँ गैस बनि‍ जाइए।
वि‍भाजी कहलखि‍न-
लीअ ने कथीले हमरा सभपर वि‍गड़ल रहै छी।
मोहनजी चाहक कप पकड़ैत कहलकनि‍-
अहाँ कोन हमर खेत जोति‍ लेलौं जे हम अहाँपर वि‍गड़ल रहब।
बि‍च्‍चेमे रंजनजी पुछलखि‍न-
आब कहू समि‍ति‍जी, केम्‍हर-केम्‍हर आगमन भेलैए?”
चाहक घोंट लैत मोहनजी बजला-
हम पुछैले एलौं हेन जे ठीके दू मासक पोषाहार लेप्‍स भऽ गेलै?”
शोभाजी बि‍च्‍चेमे टि‍पलखि‍न-
तँ हम सभ फूसि‍ बजै छी? तूँ तँ भरि‍ दि‍न ब्‍लौकेमे रहै छह। पता लगा लए।
अध्‍यक्ष अनीलजी टोकलकनि‍-
यौ समि‍ति‍जी, छोड़ू ने बि‍तलाहा बात। अहूँ कथी-कथीमे लगल रहै छी। कि‍छु कमाएब-धमाएब से नै। यौ अखनि‍ कमाइक मौका भेटल अछि‍। समैकेँ चि‍न्‍हयौ। मौकाक फेदा उठाउ।
बि‍च्‍चेमे रंजनजी सेहो अपन बात रखलनि‍-
देखि‍यौ ने, डीलर सभ छह-छह मासपर अंत्‍योदय योजनाक चाउर-गहुम जनताकेँ दैत अछि‍। कहाँ कि‍यो कि‍छु बजैए। ओ सभ कमा कऽ बोच भऽ गेल।
मोहनजी तंग होइत बजला-
दुनि‍याँ-दारीक बात छोड़ू जे वि‍षय लऽ कऽ हम एलौं तैपर चर्चा करू। परसू पंचायत समि‍ति‍क बैसक छी। हमरा स्‍कूलक पोषाहार किए लेप्‍स भऽ गेल से ओइ बैसकमे अवाज उठाएब। ठीक छै हम जाइ छी। कहि‍ मोहनजी उठि‍ कऽ ठाढ़ भऽ गेला।
ताबे शोभाजी कहलखि‍न-
बैसह ने, जलखै खा कऽ जइहऽ। किए एते आगुताएल छह?”
मोहनजी कहलकनि‍-
हमरा आरो काज सभ अछि‍। जाए दिअ। कहि‍ मोहनजी वि‍दा भऽ गेला।
      शोभाजी अनील जीकेँ इशारा केलखि‍न। अनीलजी ठाढ़ होइत बजला-
रूकू समि‍ति‍जी, हमहूँ चलब।
चलब तँ चलू। मोहनजी कहलखि‍न। दुनू गोटे संगे वि‍दा भेला। रस्‍तामे अनीलजी मोहनजीकेँ कलखि‍न-
यौ समि‍ति‍जी, गहुम लेप्‍स नै भेल। हम सभ दू मासक गहुम बेचि‍ लेलौं। अहूँक हि‍स्‍सा रखल अछि‍।
मोहनजी कहलखि‍न-
हमरा हि‍स्‍सा-ति‍स्‍सा नै चाही। हमर कोन हि‍स्‍सा? गहुम बेचि‍ लेलि‍ऐ तँ रूपैआ तँ हेबे करत। ओइ रूपैआक फेर गहुम कीनि‍ वि‍द्यार्थी सभमे बाँटि‍ दि‍यौ।
अनीलजी कहलखि‍न-
आब से नै हएत। शोभाबाबू आ रंजनजी से नै करता।
मोहनजी कहलखि‍न-
तँ ठीक छै। हम गौआँकेँ सभ बात कहबै जे दू मासक गहुम अध्‍यक्ष, सचि‍व आ प्रधानाध्‍यापि‍का मि‍लि‍ कऽ बेचि‍ लेलक।
अनीलजी कहलकनि‍-
ठीक छै अहाँ जाउ, हम चौक होइत भेल अबै छी।
मोहनजी बढ़ि‍ गेला।
  अनीलजी घूमि‍ कऽ शोभा जीक दरबज्‍जापर एला। रंजनजी आ शोभाजी बैसले रहथि‍। शोभाजी पुछलकनि‍-
की मोहना बात बुझलक आकि‍ नै।
नै बुझलक। कहलक हम गौआँ सभकेँ कहबै।
रंजनजी बजला-
ठीक छै। कहए दियौ। हम सभ देख लेब।
शोभाजी बजला-
मोहन पंचायत समि‍ति‍मे की जीतल ओ केकराे मोजरे ने करैए। अपनाकेँ बड़का नेता बुझैए। ओ की कोनाे योजनामे गरबड़ नै करैए।
अनीलजी कहलखि‍न-
जौं गौआँकेँ गहुम बेचब पता लगि‍ जाएत तँ बुझू जे आगि‍ लगि‍ जाएत। केकर-केकर मुँह बन्न करब। लोक अपना सभकेँ की-की कहत से नै जानि‍। समाजमे बड़का बदनामी हएत।
शोभाजी पुछलखि‍न-
अहाँक की वि‍चार अछि‍?”
अनीलजी कहलखि‍न-
हम तँ कहब जे गहुम कीनि‍ कऽ बँटबा दि‍यौ।
शोभाजी आ रंजन एक्के संग बात कटैत बजला-
नै से तँ नै हएत। आखि‍र हमरो सबहक कि‍छु इज्जत अछि‍। जे खा गेलि‍ऐ से खा गेलि‍ऐ। जौं गहुम कीनि‍ कऽ बाँटब तँ मोहना कहत, खेलहा गहुम बोकरा देलि‍ऐ। अहाँ बेकार डराइ छि‍ऐ। यौ मोहन असगरे अछि‍। अपना सभ तीन गोटे छी।
अनील जीक मुँहसँ नि‍कललनि‍-
अखनि‍ ने असगरे अछि‍ आ जखनि गौआँकेँ कहत तँ भरि‍ गामे ने भऽ जाएत।
शोभाजी बजला-
हएत तँ हएत। की कऽ लेत। यएह ने हएत जे कि‍छु टाका बीइओ साहैबकेँ देबए पड़त। हम सभ बूझि‍ लेब। अहाँ चि‍न्‍ता जुनि‍ करू।
  जखनि‍ गौआँकेँ पता लगल तँ समुच्‍चा गाममे आगि‍ लगि‍ गेल। चौक-चौराहासँ लऽ कऽ दलान सभपर सेहो मात्र अही गपक चर्चा हुअ लगल। गौआँ सभ आवेदन लि‍खि‍ सभ गोटे सही छाप करै गेल। अगि‍ला दि‍न ब्‍लौक जा एकटा आवेदन प्रमुखजीकेँ आ एकटा बीडीओ साहैबकेँ देलक। आवेदन देखि‍ बीडीओ साहैबक वि‍चार भेलनि‍ जे थानामे एफ.आइ.आर. दर्ज करौल जाए। मुदा प्रमुखजी रोकैत कहलखि‍न-
दू दि‍न थम्‍हू। जौं स्‍कूलक हेड मास्‍टर गहुम बाँटि‍ देत तँ ठीक नै तँ सहए करब।
  जखनि‍ शोभा जीकेँ पता चललनि‍ जे बीडीओ साहैब एफ.आइ.आर. करैले तैयार भऽ गेल अछि‍ तँ माथ चकराए लगलनि‍। सोचए लगला, गहुमक पाइ तँ सचि‍वो आ अध्‍यक्षो खेलक। मुदा फँसत तँ हेड मास्‍टर। जौं ओ सभ फँसबो करत तँ की हएत। हमर पत्नीकेँ तँ नोकरीए चलि‍ जाएत। अनीलजी आ रंजन जीकेँ बजा कहलखि‍न-
बात बढ़ि‍ गेल। एफ.आइ.आर. होइबला अछि‍।
अनीलजी कहलकनि‍-
हम तँ पहि‍ने कहने रही जे मोहनक बात मानि‍ लि‍औ।
शोभाजी बि‍च्‍चेमे बात कटैत बजला-
पछि‍ला बातकेँ छोड़ू आब की करए पड़त से करू। जइसँ जान बँचत।
रंजनजी बजलखि‍न-
जि‍ला परि‍षदक सदस्‍य लोकेशजी हमरा दोसक सार छी। हुनका ब्‍लौकपर पकड़ छन्‍हि‍। हुनकासँ गप कऽ मामि‍लाक रफा-दफा करबैक आग्रह करबनि‍। हम आ अनीलजी अखने जाइ छी।
सएह केलक अनीलजी, रंजनजी दुनू गोटे जि‍ला परि‍षदक सदस्‍य लोकेश जीसँ भेँट कऽ सभ बात कहलकनि‍। लोकेश जीकेँ पहि‍नेसँ सभ बात बूझल छेलनि‍। कहलखि‍न-
अहाँ सभ बड़ जुलुम केलौं। धि‍या-पुताक गहुम बेचि‍ लेलौं। ऐसँ पैघ आरो कोनो गलती होइ छै?”
रंजनजी कहलखि‍न-
आब तँ जे भऽ गेल से भऽ गेल। ई मामि‍ला आगू नै बढ़ए से जोगाड़ कऽ दिऔ।
लोकेशजी-
बात तँ बड़ आगू बढ़ि‍ गेल अछि‍। ओना हम प्रमुख साहैब, मोहन आ बीडीओ साहैबसँ गप करै छी। अहाँ सभ रूकू।
लोकेशजी प्रमुख जीक कक्षमे गेला। ओतै मोहनोजी बैसल रहथि‍। लोकेशजी प्रमुख साहैबकेँ कहलखि‍न-
सर, प्राथमि‍क वि‍द्यालय चनौराबला मामि‍लाकेँ आगू नै बढ़ए दियौ। अहाँ जे कहबै सएह हएत। मोहनो जीक प्रति‍ष्‍ठा रहि‍ जेतनि‍।
प्रमुखजी कहलखि‍न-
ठीक छै, मोहनजी सँ गप करू।
लोकेशजी मोहनकेँ पुछलखि‍न-
की यौ मोहनजी, अहाँक की वि‍चार?”
मोहनजी कहलखि‍न-
यौ पार्षदजी, धि‍या-पुताक पोषाहार ई सभ बेचि‍ लेलक। गहुम बेचलासँ जे रूपैआ भेल से तँ हेबे करत। ओही रूपैआक गहुम कीनि‍ बाँटि‍ देथुन, हमरा तरफसँ सभ गप खतम।
प्रमुखजी कहलखि‍न-
मोहनजी ठीके कहै छथि‍। अहाँ स्‍कूलपर जा गहुम बँटबा दि‍यौ। हम अगि‍ला कोनो कार्रवाइ नै हुअ देबै।
लोकेशजी-
जी सर, हम मोहनजीक वि‍चारसँ सहमत छी। हम सभ पंचायत प्रति‍नि‍धि‍ छी। मोहनजीक प्रतिष्‍ठा हमरो प्रति‍ष्‍ठा छी।
  अगि‍ला दि‍न आठ बजे भि‍नसरमे चनौरा स्‍कूलपर समुच्‍चा गौआँक बैसार भेल। शि‍क्षा समि‍ति‍क सदस्‍य, अध्‍यक्ष, सचि‍व आ समि‍ति‍क सदस्‍य मोहनजी तथा जि‍ला पार्षद लोकेशजी सेहो छला। बैसारक अध्‍यक्षता लोकेशेजी केलनि‍। बड़ घमर्थन भेल। अंतमे अध्‍यक्ष ि‍नर्णए देलखि‍न-
चारि‍ मासमे दू मासक गहुम छात्र सभकेँ पहि‍ने भेटल अछि‍। बँकि‍यौता दू मासक गहुम सात दि‍नक भीतर प्रधानाध्‍यापि‍का वि‍द्यार्थी सबहक बीच बँटती।
  प्रधानाध्‍यापि‍का वि‍भा देवी ठाढ़ भऽ बजली-
जे भऽ गेल ओकरा अहाँ सभ बि‍सरि‍ जाउ। अगि‍ला रवि‍ दि‍न हम बँकि‍यौता दू मासक गहुम सभ वि‍द्यार्थीक बीच बाँटब।


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