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Sunday, August 3, 2014

भोँट (क.नन्‍द वि‍लास राय)

भोँट
पंचायत चुनावक समए रहए। प्रचार-प्रसार पूरा जोर पकड़ने रहए। सभ उम्‍मीदवारक आदमी साइकि‍लपर हौरन बान्‍हि‍ मैकसँ टोले-टोल प्रचार करै छल। चौक-चौराहापर लॉडस्‍पीकरक तेतेक ने अवाज होइ जे कान देनाइ मुस्‍कील। हम तँ बुझू चौकपर गेनाइए छोड़ि‍ देने रही। जखैन कि‍‍ उम्‍मीदवार सभ तरफसँ भोटरकेँ चाह-जलखैक अलाबे दारूओ भेटै छेलै। मंगनीमे चाह-जलखै करैबला सभ सबेरेसँ चौक पकड़ि‍ लइ छल। केते गोटे तँ एहनो अछि‍ जे दू-दू तीन-तीन उम्‍मीवारक चाह-जलखै करै छल। ताड़ीओ आ पोलि‍थिनो पीबैबला सभ अखनि‍ अंग्रेजी दारू पीबैए।
मरद कि‍ जे जनानीओ सभ हेँज बान्‍हि‍-बान्‍हि‍ अँगने-अँगने अपना उम्‍मीदवारक पक्षमे घूमि‍-घूमि‍ भोँट मंगैए। उम्‍मीदवारकेँ तँ अखनि‍ बुझू नीने गाइब। एकटा उम्‍मीदवार उठै छल तँ दोसर उम्‍मीदवार आबि‍ दरबज्‍जापर बैस जाइ छल। सभकेँ चाह-पान तँ करबैए पड़ै छल। पत्नी तँ चाह बनबैत-बनबैत फिरीसान छथि‍। की करब जँ कि‍यो दरबज्‍जापर एता तँ कम-सँ-कम एक कप चाहोक आग्रह तँ करबे करबनि‍।
एक दि‍नक गप छी। दरबज्‍जापर बैसल रही। लगमे सरपंचक उम्‍मीदवार झमेली दास सेहो रहथि‍। दुनू गोटे चाह पीबैत रही। तखने हमर हरवाहा रबि‍या आएल आ कहलक-
गि‍रहत, कनी खैनी दि‍यौ।
हम कहलि‍ऐ जे जा पहि‍ने अँगना जा आ गि‍रहतनीसँ चाह मांगि‍ पीने आबह तखनि‍ तमाकुल खइहऽ। दसे मि‍नट पछाति‍ दरबज्‍जापर आएल रबिया‍। झमेली दास ताबए चलि‍ गेल छला। रबि‍या देखैमे तँ बुड़बके जकाँ लगैए मुदा अछि‍ बड़ चंगला। हम ओकरा चुनौटी दैत कहलि‍ऐ-
लगाबह, हमहूँ खाएब। अच्‍छा एकटा कहऽ जे भोँट केकरा-केकरा देबहक? उम्‍मीदवार सभ तँ अखनि‍ खूब दारू पीयबैत अछि‍। तोरा कहि‍यो परि‍ लगलह कि‍ नै?”
रबि‍या बाजल-
यौ गि‍रहत, अखने तँ समए अछि‍। ई सभ जखनि‍ जीत जाएत तखनि‍ फेर केकरोसँ गपो करत। तँए जएह हाथ सएह साथ। भोँट तँ जेकरा मन हएत तेकरे देब। मुदा खाएब-पीअब सबहक।
हम कहलि‍ऐ-
ई नीक काज नै छी। अपन इमान अपने बँचबए पड़ै छै। नीक लोककेँ चुनि‍हऽ।
रबि‍या-
ई की कहै छि‍ऐ गि‍रहत। नीक केकरा कहै छि‍ऐ। पछि‍ला बेर गोपाल बाबूकेँ सभ मि‍लि‍ मुखयामे जीतौलि‍ऐ। मुदा आइ देखि‍यौ गोपालबाबूकेँ की-सँ-की भऽ गेला। पहि‍ने तँ एकटा कटहीओ साइकि‍ल नै रहनि‍। आब कि‍दनि‍ तँ कहै छै हँ बलरो गाड़ी। ओहीपर हरदम चढ़ि‍-चढ़ि‍ गामसँ हरि‍दम बाहरे रहैए। मकानो गाममे नै दरि‍भंगामे जा कऽ बनेलथि‍ हेन।
हम कहलि‍ऐ-
हौ अहि‍ना होइ छै। सभ कि‍यो कमाइए। देखै नै छहक एमेले-एमपीकेँ पाँचे सालमे करोड़पति‍-अरबपति‍ भऽ जाइत अछि‍।
रबि‍या बाजल-
होइते हएत। जखनि‍ मुखि‍या सभ एते कमाइए जेकरा एक्को पाइ दरमाहा नै छै आ ओकरा सभकेँ तँ दरमहो आ सुनै छि‍ऐ जरकीनो भत्ता भेटै छै।
हम कहलि‍ऐ-
अच्‍छा, छोड़ह ई गप-सप्‍प ई कहऽ जे वाडपंचमे केकरा भोँट देबहक। ओइमे तँ तोहर दि‍यादे बुधन ठाढ़ छह। आन उम्‍मीदवारसँ आदमीओ ठीक अछि‍।
हमर बात कटैत बि‍च्‍चेमे रबि‍या बाजल-
की कहलि‍ऐ गि‍रहत, नीक आदमी। यौ उ तँ गाममे सभसँ गिरहकट अादमी अछि‍।
पुछलि‍ऐ-
से केना?”
कहलक-
परुकाँ साल हमर बकरी ओकर दसटा कोबीक गाछ खा नेने रहए। तइले ओकर मौगी हमरा बि‍खनि‍-बि‍खनि‍ गारि‍ देने रहए। हमरा ओकर गारि‍क बड़ चोट लगल अछि‍। हम अप्‍पन भोँट ओकरा कि‍न्नहु नै देब।


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