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Sunday, August 3, 2014

महाजन (क. नन्‍द वि‍लास राय)

महाजन
महाजन गोड़ लगै छी।
नि‍क्के रहऽ। कहऽ हजारी नि‍क्केना रहै छह कि‍ने?”
की नि‍क्के रहब महाजन। अखार आबि‍ गेल मुदा अखनि‍ धरि‍ खुट्टापर बरद नै आएल।
किए, पहुलका बरद की भेलह।
पहुलका बरद मरि‍ ने गेल। डकहा भऽ गेल रहै। एक हजार टाका श्‍यामजी डाक्‍टरकेँ देलि‍यनि‍। ओहो बड़ मेहनति‍ केलनि‍ मुदा हमर भाग्‍ये खराप अछि‍। बरद नै बँचि‍ सकल। श्‍यामजी अपन मेहताना कि‍छु नै लेलनि‍ खाली दबाइएक दाम लेलनि‍। बड़ नीक लोक छथि‍न श्‍यामजी।
अच्‍छा केते दामक बरद लेबह।
लगलेसुरे लालबाबू पुछलखि‍न।
बरदक दाममे तँ आगि‍ लगल अछि‍। पचीस हजारसँ कममे जोतै जोकर तँ हेबे ने करत। हजारी बाजल।
लालबाबू फेर पुछलखि‍न-
अखनि‍ लेबह रूपैआ?”
नै महाजन, एतेक रूपैआ घरमे रखनाइ नै ठीक हएत। फूसक घर छी चोरि‍ भऽ जाएत तँ ऊहो आफदे। काल्हि‍ जखनि‍ लौफा हाट जाए लगब तखनि‍ लेब। हजारी कहलक।
लालबाबू बजलखि‍न-
ठीक छै जेहेन तोहर वि‍चार।
  लालबाबू आ हजारी दुनू गोटेक घर मैनहा गाममे। मुदा टोल अलग-अलग। लालबाबूक घर अमतटोलीमे जखैन कि‍‍ हजारीक घर खतबेटोलीमे। अलग-अलग टोल भेने सभ घटना सभ नै बूझि‍ सकए। तँए हजारीक बरद डकहा बि‍मारीसँ मरल ई बात लालबाबूकेँ नै मालूम भऽ सकल।
  लालबाबूक पूरा नाओं धनीलाल राउत छि‍यनि‍ मुदा सभ कि‍यो हुनका लालबाबू कहै छन्‍हि‍। आब तँ महाजन सेहो केते लोक कहै छन्‍हि‍। बापक एकलौता बेटा। बुझू, छोट-छीन जमीनदार। पक्काक घर। समूचा घर आ दरबज्‍जा देबालसँ घेरल आगूमे लोहाक फाटक। सभ कि‍यो हुनका घरकेँ हवेली कहैत अछि‍। दरबज्जापर पति‍यानी लगल बखारी छन्‍हि‍। पि‍ताक अमलदारीमे सभटा बखारी धानसँ भरल रहै छल। जौं कोनो साल रौदी भऽ जाइ छेलै तँ लोककेँ खेनाइमे दि‍क्कत नै होइ तइले पोखरि‍ उराहै छला। पोखरि‍मे काज करैबला बेकती सभकेँ जलखै-कलौक अलाबे पाँच सेर धान बोइन दइ छेलखि‍न। अखनो गाममे पाँचटा पोखरि‍ लालबाबूकेँ छन्‍हि‍। जइमे माँछ पोसल जाइए। हाल धरि‍ हुनका दरबज्जापर हाथी-घोड़ा आ पाँच जोरा बरद छेलनि‍। मुदा अखनि‍ तँ समए बदलि‍ गेल अछि‍। आब, घोड़ा तँ दर-देहातमे अछि‍यो मुदा हाथी तँ सरकसेटामे देखै छी। हाथीक जगहपर लालबाबू बोलेरो गाड़ी, घोड़ाक जगहपर बुलेट मोटर साइकि‍ल रखने छथि‍ तहि‍ना बरदक काज टेकटरसँ करै छथि‍न। अखनो हुनका कमतीमे अस्‍सी पचासी बीघा खेत हेतनि‍। सि‍लिंग एक्‍ट एलासँ कि‍छु जमीन हुनकर पि‍ता बेटीकेँ लि‍खि‍ देने रहथि‍न। जन-मजदूर नै भेटैक कारण कि‍छु जमीन लालोबाबू अपना हाथे बेचि‍ देलखि‍न। जमीन बेचलासँ जे रूपैआ भेल रहनि‍ ओहीसँ लगानी-भि‍रानी करै छथि‍। मात्र पाँच बीघा खेत जे घर लग छन्‍हि‍ से अपनासँ उपजबै छथि बाँकी सभटा मनखप लगेने छथि‍। कमतीमे पनरह-सोलह सए मन धान अखनो भऽ जाइ छन्‍हि‍। पाँच सए मन धान बखारीमे ढारि‍ बाँकी धान वेपारी हाथे अगहने-पूसमे बेचि‍ दइ छथि‍न। अखनि‍ हुनकर मुख्‍य पेशा लगानी-भि‍रानी भऽ गेल अछि‍। अपन गाम छोड़ि‍ पास-पड़ोसक दस गाममे हुनकर लहनापाती चलै छन्‍हि‍। धान सबाइपर दइ छथि‍न माने आसीन-काति‍कमे एक मन धानक पूस-माघमे सबा मन लइ छथि‍न आ रूपैआ तीन रूपैए सैकड़ा सूदि‍पर। आन गोटे तँ पाँच रूपैए सैंकड़ा सूदि‍पर लगबैए। अनगौआँकेँ जेबर रखि‍ अथवा जमीन भरना लि‍खा कर्जा दइ छथि‍न मुदा गौआँकेँ बि‍नु जमीन लि‍खौने आ बि‍नु जेबर लेने कर्जा दइ छथि‍न। जौं कोनो खौदका लचरि‍ जाइए तँ ओकरा सूदि‍ माफ कऽ मात्र मूरि लऽ फारकती कऽ दइ छथि‍न।
  तेसर सालक गप छी। जंगलक बापकेँ लकबा लपकि‍ लेलक। जंगल लालबाबूसँ पचीस हजार टाका कर्जा लऽ पि‍ताकेँ दरभंगामे इलाज करौलक मुदा पि‍ता नै बँचि‍ सकलनि‍। एमकी जंगल दि‍ल्‍लीसँ आएल आ कर्जाक हि‍साब सुनलक तँ ओकरा माथमे चक्कर आबए लगल। साढ़े तीन बरखमे मूरि सूदि‍ लगा दोबर भऽ गेल। ओ कानए लगल। दि‍ल्‍लीसँ दस हजार टाका महाजने नामे पठेने छल। बीस हजार संग अनने छल। महाजनक पएर पकड़ि‍ कानए लगल। लालबाबू पुछलखि‍न-
कहऽ जंगल किए कनै छह?”
जंगल बाजल-
महाजन, अहाँक कर्जा नै सदहा सकलि‍ऐ। बीसे हजार टाका छै। दि‍ल्‍लीमे दुखि‍त पड़ि‍ गेलि‍ऐ। कमाएल नै भेलै। केतएसँ अहाँ कर्जा सदहाएब। जौं अहाँक कर्जा नै चुकता करब तँ समाजमे बेर-बेगरतापर के मदति‍ करत। सभ कहत जंगला बेइमान अछि‍।
लालबाबू बजलखि‍न-
सुनह जंगल, कानए जुनि‍। लाबह कहाँ छह टाका।
जंगल बौगलीसँ टाका नि‍कालि‍ लालबाबूक हाथमे देलक। लालबाबू रूपैआ गनि बजला-
बीस हजार छह। दस हजार पहि‍ने भेजने रहक।
जंगल ठाढ़ भऽ हाथ जोड़ैत बाजल-
हँ महाजन, बीसे हजार अछि‍।
लालबाबू पुछलखि‍न-
आब कहऽ की कहै छहक?”
जंगल हाथ जोड़ने‍ बाजल-
हम की बाजू महाजन, केना बाजू। अहाँ एक मुस्‍त पचीस हजार टाका देने रही...। कोन मुहेँ बाजी।
लालबाबू पुछलखि‍न-
आरो केते दऽ सकै छहक?”
जंगल बाजल-
महाजन, एमकी आसीनमे जीड़ी कटैले पंजाब जाएब। ओतएसँ जे कमा कऽ आनब से अहाँक पएरपर दऽ जाएब।
लालबाबू बजलखि‍न-
ठीक छै। तोरे धरमपर छोड़ि‍ दइ छिअ। जीड़ी कटैसँ जे आमदनी हेतह पहुँचा जाइहऽ। तोरा फारकती दऽ देबह।
जंगल एकबेर फेर हाथ जोड़ैत बाजल-
जी महाजन, जे हएत पहुँचा देब।
लालबाबू कहलखि‍न-
अच्‍छा जा।
जंगल चलि‍ गेल।
      लालबाबू एम.ए. पास छथि‍। उमेर साठि‍-पैंसठि‍ हेतनि‍। जइ समैमे एम.ए.पास केने रहथि‍न। कतेको कौलेजमे प्रोफेसरक नोकरी भऽ सकै छल मुदा बाबूजी कहने रहनि‍ जे‍ नोकरी नै करह। अपने सम्‍पति‍केँ लड़ाबह-चराबह। अहीसँ वि‍कास हेतह।
  लालबाबूकेँ दूटा बेटा आ दूटा बेटी। दुनू बेटी सासुर बसैत। दुनू जमाए इंजीनि‍यर। छोटका बेटा संजीत इंजीनि‍यरक पढ़ाइ पढ़ैत आ जेठका रंजीत बी.ए.पास कऽ गामेमे खेती-पथारी आ लगानीक काज देखैत मुदा अखनो जुति‍ लालेबाबूक छन्‍हि‍ घरमे।
  लालबाबूक सार हाइस्‍कूलक शि‍क्षक। ओ लालबाबूकेँ कहैत रहै छथि‍न जे आब हाथ-पएर समटू माने लगानी-भि‍रानी बला काज बन्न करू। जमाना बदलि‍ गेल अछि‍। कखनि‍ के बेइमानी कऽ लेत तेकर कोन ठेकान। मुदा लालबाबूपर सारक बातक कोनो असरि‍ नै। अखनो लगधग पनरहसँ बीस लाख टाकाक लगानी छन्‍हि‍।
  दि‍यारी पछाति‍ जंगल पंजाबसँ आएल। भोरे हवेलीपर गेल। लालबाबू दरबज्जेपर छेलखि‍न।
महाजन गोड़ लगै छी। जंगल गेँटेपरसँ हाथ जोड़ैत बाजल।
लालबाबू बजलखि‍न-
आबह-आबह जंगल। कहि‍या एलह पंजाबसँ?”
राति‍ए एलौं हेन महाजन। जंगल जवाब देलकनि‍।
अच्‍छा बैसह, केहेन रहलह कमाइ-धमाइ?” लालबाबू पुछलखि‍न।
जंगल जवाब देलक-
मि‍ला-जुला कऽ ठीके रहल महाजन। बाजि‍ जंगल जमीनपर बैस गेल।
लालबाबू कहलखि‍न-
ब्रिन्‍चपर बैसह ने।
जंगल बाजल-
नै महाजन, हम नि‍च्‍चेमे ठीक छी।
लालबाबू पुछलखि‍न-
हमरा दइले केतेक पाइ अनलहक?”
सात हजार टाका महाजन।
कहाँ छह पाइ लाबह।
जंगल बौगलीसँ टाका नि‍कालि‍ महाजनक हाथमे दैत बाजल-
महाजन, हमरा फारकती दऽ दिअ।
लालबाबू पुछलखि‍न-
पंजाबसँ एतबे अनलहक?”
जंगल बाजल-
नै महाजन, आठ हजार भेल जइमे पाँच सए तँ टि‍कटेमे चलि‍ गेल आ पाँच सए पावनि‍ ले रखने छी। जँ अपने कहब तँ ऊहो पाँच सए टाका अपनेक पएरपर रखि‍ देब।
लालबाबू बजलखि‍न-
नै, राखए पावनि‍ ले। साल भरि‍क पावनि‍ छी। देखहक तँ रंजीत हवेलीमे अछि‍?”
जंगल हवेलीक गेँटपर जा हाक देलक-
रंजीत माि‍लक, रंजीत माि‍लक?”
रंजीत चाह पीब रहल छल। कप हाथेमे नेने सोझहा आबि‍ बाजल-
कहए जंगल, की बात छि‍ऐ?”
जंगल कहलक-
महाजन अपनेकेँ खोज करै छथि‍न।
चलह चाह पीने अबै छी। रंजीतक मुँहसँ बहराएल आ कनीए काल पछाति‍ दरबज्‍जापर आएल।
लालबाबू रंजीतकेँ कहलखि‍न-
कनी बही नि‍कालह तँ।
रंजीत अलमारी खोलि‍ बही नि‍काललक। लालबाबू फेरो बजलखि‍न-
जंगलक नाओंपर सात हजार जमा कऽ दहक आ बही छेकि‍ देहक। वेचाराक बापो मरि‍ गेल। फि‍रीसान अछि‍। बाजि‍ लालबाबू जंगल दि‍स देखैत कहलखि‍न-
तूँ जा, पावनि‍-ति‍हारक समए छी। केतेक रंगक काज हेतह घरपर।
जंगल हाथ जोड़ैत बाजल-
महाजन, हमरा फारकती देलि‍ऐ ने?”
लालबाबू-
हँ हौ, फारकती कऽ देलि‍अ। सुनलहक नै जे रंजीतकेँ बही छेकैले कहि‍ देलि‍ऐ।
धनि‍ छी महाजन अपने। ई कहैत जंगल लालबाबूक पएर छूबि‍ प्रणाम करैत वि‍दा भऽ गेल।
  मर ई की केलि‍ऐ बाबूजी। साते हजार लऽ बही छेका देलि‍ऐ। जंगलपर तँ पचपन हजार टाका बनै छै। जइमे तीस हजार पहि‍ने देने रहए आ सात हजार अखनि‍ देलक हेन। अठारह हजार टाका छूटि‍ गेल। एना जे फारकती देबए लगबै तँ सभ अहि‍ना करत।
रंजीत तूँ तँ बी.ए. पास छह। महाजनक अर्थ बुझै छहक?”
हँ बुझै छि‍ऐ। महा माने बड़ जन माने आदमी। बड़ आदमी।
एकटा गप कहऽ तँ, गाँधीजी केँ लोक महात्‍मा किए कहैत अछि‍? आ महात्‍माक की अर्थ होइत अछि‍?” लालबाबू फेर पुछलखि‍न।
ई सुनि‍ रंजीत चुप्‍पे रहला। चुप देखि‍ लालबाबू बजला-
हौ, महात्‍माक अर्थ होइत अछि‍ महान आत्‍मा। जेकर अत्‍मा महान अछि‍ वएह महान भेल। आ से छला गाँधीजी। हुनकर अत्‍मा बड़ महान छेलनि‍। दोसरक दुख देखि‍ ओ तुरत दुखी भऽ जाइ छला। सभ जीवकेँ समान नजरि‍सँ देखै छला तँए सभ हुनका महात्‍मा कहैत अछि‍। तहि‍ना महाजन, महा यानी महान आ जन माने आदमी। महान आदमी। सोचहक, लोक हमरा महान आदमी कहैत अछि‍। महान कथी? धनीक छी तँए महान? नै, जेकर दि‍ल महान हुअए। जेकर आत्‍मा महान हुअए। जेकर मन महान हुअए। जेकर चरि‍त्र महान हुअए। वएह महान आदमी हएत आ महाजन कहौत। बुझलहक?”
रंजीत कहलकनि‍-
हँ बाबूजी बूझि‍ गेलि‍ऐ।
  मैनहे खतबे टोलीमे एकगोटे रहए जामुन। जेहने पाकल जामुन कारी होइए तेहने ओकर चेहराक रंग कारी रहए। ओहो लालबाबूसँ महिंस कीनैले तीस हजार टाका नेने रहए। सोचने रहए जे दूध बेचि‍ महाजनक पाइ सठा देब। मुदा भाग साथ नै देलकै। महिंसकेँ साँप काटि‍ लेलकै जइसँ महिंस मरि‍ गेलै। लालबाबूकेँ पता चललनि‍ तँ ओ जि‍गेसा करए जामुन ओइठाम गेलखि‍न। जामुन लालबाबूक पएर पकड़ि‍ कानए लगल। लालबाबू कहलखि‍न-
जुनि‍ कानह, कनलासँ कोनो लाभ नै। भगवानपर भरोस करह वएह पुरा करथि‍न।
जामुन कनैत बाजल-
महाजन, अहाँक कर्जा केतएसँ सठाएब।
लालबाबू कहलखि‍न-
तीन बापूत कमाइबला छह। तीन महि‍ना जँ गाम छोड़ि‍ देबहक तँ हमर पाइ सठा देबहक।
हँ महाजन, सएह करए पड़त। दस कट्ठा रोपनि‍ रहि‍ गेल अछि‍। रोपनि‍ कऽ तीनू बापूत नि‍कलि‍ जाएब।
  जामुन सएह केलक। पाँचे दि‍न पछाति‍ जामुन तीनू बापूत दि‍ल्‍ली जा एकटा दालि‍ मीलमे लागि‍ गेल। दि‍यावती पछाति‍ जेठका बेटाकेँ गाम पठेलक। ओकरा कनि‍याँक पएर भारी छल। जामुनक जेठका बेटा चौठिया डबल मचंड। बाप तँ महाजनक पुरा टाका जोड़ि‍ कऽ बेटा मारफद भेजलक। मुदा चौठिया पुरा पाइ नै देलक। ओ सोचए, महिंस तँ मरि‍ गेल तइ दुआरे महाजनक सूदि‍ किए देब। मूड़ दऽ दइ छी सएह बहुत।
चौठिया लालबाबू ऐठाम जा तीस हजार टाका नि‍कालि‍ कऽ देलकनि‍। लालबाबू चौठियाकेँ पुछलखि‍न-
जामुन नै आएल?”
चौठिया जवाब देलकनि‍-
बाउ, माघमे औत। कहलनि‍ हेन बोही छेकि‍ दइले।
लालबाबू फेरो पुछलखि‍न-
बाबू सूदि‍ कि‍छु ने देबए लेल कहलकह?”
चाैठया बाजल-
यौ महाजन, महिंस मरि‍ गेल। मूड़ दऽ दइ छी यएह बहुत। सूदि‍ केतएसँ देब?”
रंजीतो लालबाबूक बगलमे बैसल छल। जवान खून। तैसमे आबि‍ गेल। ठाढ़ भऽ चौठियाकेँ कहलक-
तोरा महिंसक हम ठेका लेने रहि‍यौ की? साँप काटि‍ लेलकौ आ मरि‍ गेलौ तँ हमरे पाइ नै देमए। फेरो बेगरता नै पड़तौ की?”
चौठिया बाजल-
नै देब तँ की कऽ लेब? गोली मारि‍ देबै की?”
  लालबाबू बात बढ़ैत देखि‍ बेटाकेँ चुप रहैले कहलखि‍न आ चौठिया दि‍स देखैत कहलखि‍न-
ठीक छै। हम पाइ जमा कऽ दइ छी। जखनि‍ जामुन औत तँ हम गप करब।
चौठिया कहलकनि‍-
आब कि‍छु नै देब महाजन। बही छेकि‍ दियौ। बाउसँ कथी गप करब?”
लालबाबू कहलखि‍न-
तोँ जा ने। पाइ तोहर बाबू ने लऽ गेल छल। तँए ओकरेसँ गप करब।
चौठिया भनभनाइत वि‍दा भेल।
  जामुन चौठियासँ फोन कऽ पुछलक-
महाजनक कर्जा फरि‍छा देलि‍हीन?”
चौठिया कहलक-
हँ तीस हजार दऽ देलि‍ऐ। मुदा महाजन बोही नै छेकलक।
तैपर जामुन पुछलक-
आ सूदि‍ बास्‍ते जे पाँच हजार देने रहि‍औ, से की केलही?”
चौठिया बाजल-
महिंस मरि‍ गेल तँ सूदि‍ किए देति‍ऐ। मूड़ दऽ देलि‍ऐ यएह बहुत।
जामुन कहलक‍-
ई नीक काज नै केलहँ। तोरा बेर-बेगरतामे कि‍यो एक्को पाइ नै देतौ।
चौठिया बाजल-
नै देत तँ हम बूझब। कहि‍ फोन काटि‍ देलक।
  एक्के मास पछाति‍ चौठियाक घरवाली बरहावालीकेँ भोरेसँ दर्द शुरू भेल। चौठिया आशा लग गेल। आशा फोन कऽ अस्‍पतालसँ एम्‍बुलेंस मंगौलक। चौठिया आशा आ चौठियाक माए बरहावालीकेँ लऽ फुलपरास रेफरल अस्‍पताल गेल। एक दुपहरि‍या अस्‍पतालमे रहल मुदा जन्‍माशौच नै भेल। एक बजे दि‍नक बाद डाक्‍टर कहलखि‍न-
हि‍नका डी.एम.सी.एच. लऽ जाए पड़त। भऽ सकैए ऑपरेशन करए पड़नि‍।
चौठिया पुछलक-
ऑपरेशनमे केते खर्चा औत?”
लगधग पनरहसँ बीस हजार टाका तँ पड़ि‍ए जाएत। जँ तेलक पाइ जमा कऽ देबहक तँ एम्‍बुलेंसेसँ दरि‍भंगा भेज देबह।
चौठिया बाजल-
अखनि‍ तँ पाँचे सए टाका अछि‍।
डाक्‍टर साहैब कहलखि‍न-
गाम जा कऽ घंटा भरि‍मे टाकाक ओरि‍यान कऽ आबह। जेतेक देरी हेतह, रोगीक हालति‍ तेते खराप हेतह।
  आब तँ चौठियाक माथा चकराएल। सोचए लगल, एतेक टाका के देत। महाजन तँ देत नै। हुनकर सूदि‍ नै देने रहि‍ऐ। रंजीतसँ मुहोँ लगा लेने रही। अच्‍छा गाम जाइ छी। केते गोटेकेँ दारू पीऔने छी। देखै छि‍ऐ बखतपर के काज आबैए। चौठिया टेम्‍पु पकड़ि‍ गाम अाएल। गाममे जेते संगी-साथी, हि‍त-बोन छल सभसँ पाइ मंगलक मुदा कि‍यो एक्को टाका चौठियाकेँ नै देलकै जइसँ अोकर दि‍मागे ने काज करै। हारि‍ कऽ बाबूकेँ दि‍ल्‍ली फोन केलक। सभ गप कहलक। जामुन फोनपर कहलक-
तूँ महाजनक सूदि‍ नै देलि‍हीन। तोरा के पाइ देतौ। जँ महाजनकेँ सूदि‍ देने रहि‍तँए तँ जेते टाका हुनकासँ मंगि‍तीहीन ओ दऽ दैथुन। अाब कोन मुहेँ हुनकासँ पाइ मांगब।
चौठियाकेँ अपन गलती महसूस भेल। पि‍ताकेँ कलहक-
बाउ, हमरासँ गलती भेल। हम पंजाब कमा महाजनक पाइ चुक्‍ता करब। तूँ महाजनसँ बीस हजार टाका बेवस्‍था करा दैह।
जामुन बाजल-
तूँ महाजन लग जो। हुनकासँ गलती माफ करैले नि‍होरा करि‍हनि‍ आ सभ गप कहि‍यनि‍। हुनकर कलेजा बड़ कोमल छन्‍हि‍। हमरा बि‍सवास अछि‍ जरूर मदति‍ करथुन। अगर नै देतहुन तँ हमरा फोन करि‍हेँ आ गप करबि‍हेँ।
  चौठिया लालबाबू दरबज्‍जापर गेल। लालबाबू पेपर पढ़ैत रहथि‍न। चौठिया एक कात ठाढ़ भऽ गेल बाजल कि‍छु नै। जखनि‍ लालबाबूक नजरि‍ चौठियापर गेलनि‍ तँ पुछलखि‍न-
कहऽ चौठी केम्‍हर-केम्‍हर एलह हेन?”
चौठिया धरती दि‍स आँखि‍ गड़ौने बाजल-
महाजन हमरासँ गलती भऽ गेल छल। माफ कऽ दिअ। हमहूँ अहींक बाल-बच्‍चा छी।
लालबाबू पुछलखि‍न-
अच्‍छा, कहऽ की बात अछि‍?”
चौठिया सभ गप सुना देलक।
लालबाबू कहलखि‍न-
तोरा प्रति‍ तँ हमरा बड़ दुख छह। मुदा तोहर कनि‍याँक जान खतरामे छह आ दोसर बात जे जामुन नीक लोक अछि‍। टाका लऽ जा आ नीकसँ इलाज कराबह।
कहैत लालबाबू ति‍जोरीसँ बीस हजार टाका नि‍कालि‍ चौठियाकेँ देलखि‍न। चौठिया लालबाबूक पएरपर खसि‍ दुनू हाथे गोर लागि‍ भरल आँखि‍सँ पहुलका गलती लेल एक बेर फेर गलतीक माफी मांगलक।
लालबाबू कहलखि‍न-
जल्‍दीसँ फुलपरास जा आ कनि‍याँकेँ लऽ दरि‍भंगा जा। अबेर भेलासँ रोगीक हालति‍ खराप भऽ सकैत अछि‍।
चाैठिया टेम्‍पू पकड़ैले सड़क दि‍स वि‍दा भऽ गेल।


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