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Sunday, August 3, 2014

बाबाधाम (क.नन्‍द वि‍लास राय)

बाबाधाम
“बोल-बम बोल-बम। बोलबम-बोलबम ई अवाज कमलीक कानमे पड़ल तँ ओ घास काटब छोड़ि‍ सड़क दि‍स‍ तकलक। एकटा बसमे पीयर-लाल कपड़ा पहि‍रि‍ने लोक सभकेँ देखलक। बसक भीतर आ छतपर लोक सभ बैस कऽ बोलबम-बोलबमक नारा लगबैत छल। बस तेजीसँ सड़कपर दौग रहल छल।
कमलीक खेत सड़कक कातेमे छल। ओ खेतक आरि‍पर घास काटि‍ रहल छलि‍। कमली सोचए लगली- कतेक लोक बाबा धाम जाइत अछि‍ मुदा हमर तँ भागे खराप अछि‍। कतेक दि‍नसँ वि‍कलाक बापकेँ कहैत छी मुदा ओ अछि‍ जे धि‍याने ने दैत अछि‍।
कमली आ लखन दू परानी। एकटा बेटा ि‍वकला। वि‍कला सातमे पढ़ैत। लखनक माए-बापक सत्तर अस्‍सी बर्खक बूढ़। लखनकेँ पाँच बि‍घा खेत। एक जोड़ा बरद आ एकटा महीसो। लखनकेँ केतौ जाइले सोचए पड़ए। कि‍एक तँ सत्तर बर्खक बूढ़ माए आ अस्‍सी बर्खक अथबल बापकेँ छोड़ि‍ केतए जाएत। तइपर सँ एक जोड़ा बरद आ महीसोकेँ देख-रेख। पाँच बि‍घा खेतमे लगल फसलक ओगरवाहि। असगरे कमलीसँ केना पार लागत। तैं कमलीक बाबाधामबला बातपर लखन धि‍यान नै दैत छल। लखन सोचए कमलीकेँ गामक लाेक संगे बाबा धाम भेज देव तँ भानस के करत? धास के आनत। असगरे हम की सभ करब। बेटा वि‍कला पढ़ते अछि‍। ओकरा स्‍कूलसँ छुट्टी होइत अछि‍ तँ ओ टीशन पढ़ै लए चलि‍ जाइत अछि‍। बि‍ना टीशन पढ़ने केना परीक्षा पास करत। सरकारी स्‍कूलमे की आब पढ़ाइ होइत अछि‍। मास्‍टर सभ बैस कऽ गप लड़बैत रहैत अछि‍। चटि‍या सभ कोठरीमे बैस कऽ गप करैए अथवा लड़ाइ-झगड़ा। मास्‍टर सबहक लेल धनि‍ सन। लखन अपन खेती गृहस्‍थीक संगे माए-बापकेँ सेवा नीकसँ करैत अछि‍। माए तँ थोड़े थेहगरो छथि‍न मुदा बापकेँ उठबो-बैसबोमे दि‍क्‍कते छन्‍हि। हुनका पैखाना-पैशाव लखनेकेँ कराबए पड़ैत अछि‍। पौरुकाँसाल फागुनमे लखनक पि‍ताजीकेँ लकबा मारि‍ देलकनि‍। मिश्रा पॉली क्‍लि‍नीक दरभंगामे इलाज करेलासँ जान तँ बचि‍ गेलनि‍ मुदा अथबल भऽ गेला। भगवान लखन जकाॅँ बेटा सभकेँ देथुन। ओ तन मन आ धनसँ माए-बापकेँ सेवा करैत अछि‍।
लखनक एकटा संगी अछि‍। नाम छी सुकन। सुकन लखनसँ बेसी धनीक अछि‍। दूटा बेटा अछि‍ सुकनकेँ। दुनू बेटा सतमा तक पढ़ि‍ दि‍ल्लीमे नौकरी करैत अछि‍। मासे-मासे बेटा सबहक भेजलाहा रूपैआ सुकनकेँ भेट जाइत अछि‍। सुकनोक माए-बाबू जीबिते छथि‍न। सुकनक माए कम देखैत छथि‍न। हुनका राति‍केँ सुझबे नै करैत छन्‍हि। एक दि‍न सुकनक माए राति‍केँ ओसारपर सँ गि‍र गेलखि‍न हुनका पएरमे मोच पड़ि‍ गेलन्‍हि‍। लखनकेँ पता चलल तँ ओ सुकनक माएक जि‍ज्ञासा करैले गेल। सुकनक माए लखनकेँ अपने बेटा जकाँ मानै छेलखि‍न।
लखन सुकनक माएसँ पुछलक-
‍माए केना कऽ ओसारपर सँ गि‍र गेले।
सुकनक माए बाजलि-
बौआ, आब हमरा सुझै नै अछि‍। राति‍ कऽ तँ साफे नै देखैत छी। बेचू बाबूक छोटका कनटीरबा दरभंगामे डाकडरी पढ़ैत अछि‍ ओ फगुआमे गाम आएल छल हुनका कहलि‍ऐ तँ ओ हमर दुनू आँखि‍ देखलक आ कहलक जे दुनू आँखि‍मे मोति‍यावि‍न भऽ गेलौहेँ। कहलक जे ऑपरेशन करेलासँ ठीक भऽ जाएत आ नीक जहाति‍ सुझए लगत।
हम सुकनकेँ कहलि‍ऐ तँ ओ कहलक जे अखनि रूपैआ नै अछि‍। रूपैआ हएत तँ लहान लऽ जा कऽ ऑपरेशन करा अनबै। मुदा फागुनसँ भादो आबि‍ गेल, ऑपरेशन नै करा आनलक। सुनै छि‍ऐ चौड़चनक परात दुनू परानी बाबाधाम जएत।
सुकनक बाबूजी सत्तरि‍ बर्खक छथि‍न। ओ नामी गि‍रहत छला। तरकारी उपजा कऽ बेचै छला। तरकारी बेचि‍ कऽ पाँच बि‍गहा खेत कीनला। आब उमेर बेसी भेलासँ काज करै जोकर नै रहला। हुनका चाह पीबाक आदति‍ भऽ गेल छन्‍हि‍। भोर आ साँझ चाह हेबाके ताकी। एकटा आदति‍ ओरो छन्‍हि‍, खैनी खाइक। सुकन अपनाबाबू जीकेँ चाह आ खैनी नै जुमाबैत अछि‍। कहैत छन्‍हि‍- कैंसर भऽ जेतह। मुदा अपना पान-पराग, सि‍गरेट, दारू सबहक सेवन करैत अछि‍। 
एक दि‍न लखन सुकनक दलानक पाछाँसँ जाइत छल तँ सुकनक जोर-जोरसँ बाजब सुनि‍ कऽ ठाढ़ भऽ गेल। सुकनक दलानक पाछाँसँ सड़क गुजरै छै। सड़केपर सँ लखन सुनए लगल। सुकन बजै छल-
हरदम चाह-चाह रटैत रहैत छहक। कि‍छु बुझबो करै छहक। चीनी चालीस टके कि‍लो भऽ गेल। चाहपत्ती जे बारह टाकामे भेटै छेलै आब बीस टाकामे भेटै छै। पानि‍बला दुध पन्‍द्रह रूपैये गि‍लास। के जुमत चाहमे। आ तोरा भोर-साँझ चाह हेबाके चाही। हम न‍ै सकब-तोरा चाह जुमबैमे।
बूढ़ा कि‍छु नै बजैत रहथि‍। लखनकेँ कोनो जरूरी काज रहै तँए ओ आगाँ बढ़ि‍ गेल।
सुकन अपना पड़ोसीआ ओइठाम माए-बाबूक भोजनक जोगाड़ लगा कऽ चौड़चनक वि‍हाने दुनू परानी बाबाधाम वि‍दा भऽ गेल। सुलतानगंजमे गंगाजल भरि‍ कामौर लऽ बाबाधाम पहुँचल। एकादशी दि‍न बाबाकेँ जल चढ़ा वासकीनाथ, तारापीठ होइत ओतएसँ कलकत्ता चलि‍ गेल। एमहर एे बीच सुकनक बाबूजी बेमार पड़ि‍ गेलखि‍न। हुनका बोखार लगि गेलनि। लखनकेँ समाद भेटल जे सुकनक बाबूजी दुखि‍त छथि‍न। लखन ओइठाम जा डाक्‍टरकेँ बजा कऽ अपना दि‍ससँ खर्च कऽ बूढ़ाक इलाज करौलक। जाबे धरि‍ सुकन दुनू परानी बाबाधमसँ आपस नै आएल ताबे धरि‍ लखन दि‍नमे एकबेर सुकनक माए-बाबूक भेँट करबाक लेल नि‍श्चि‍त जाए। दुनू गोटे लेल अपना दि‍ससँ चाह आ खैनीओक जोगाड़ लखन कऽ देने छल।
सुकन जि‍ति‍या पावनि‍सँ तीन दि‍न पहि‍ने गाम आएल। सुकनकेँ बाबाधाम आ कलकत्तासँ आपस एलाक दोसर दि‍न भि‍नसरे चौकपर चाहक दोकानपर लखनक भेँट सुकनसँ भऽ गेल। सुकन चाहक दोकानपर बैस कलकत्ताक वर्णन करैत छल। लखन सुकनसँ रास्‍ता-पेराक समाचार पुछलक। तँ सुकन कहलक-
रौ दोस, बाबाक कृपासँ सभ कि‍छु नीके रहलौ। दुनू परानी कलकत्तो घुमि‍ये लेलि‍यो। तोँ खाली बैंकमे रूपैआ राख ने। तोँ की बुझबेँ धरम-करम। तोरा जँ रूपैआक आमदनी हेतौ तँ तोँ खेत भरना लेमे नै तँ बैंकमे रखमे। हम दुनू परानी दस बर्खसँ कामोर लऽ कऽ बाबाधाम जाइत छी।
सुकनक बात लखनकेँ नै सोहाएल। ओ सोचलक जे अखने एकरा जवाब देनाइ ठीक हएत। बाजल-
रौ दोस, से तँ ठीके कहै छी। हम धरम-करम की बूझब। मुदा हम अपन माए-बापक सेवा तन-मन-धनसँ करै छी। हमरा लेल तँ बाबाधाम हमर माइए-बाबू छथि‍। हमरा लेल तँ हमर बाबूजी साक्षात् महादेव आ माए पार्वती छथि‍। हुनके दुनू गोटेकेँ सेवा करब बाबाधाम कामोर लऽ कऽ जाएबसँ बेसी नीक बुझै छी। केकरो अधलाहो नै सोचैत छी आ ने करै छी। तोँ कह जे माइक मोति‍यावि‍न्‍दक ऑपरेशनक लेल तोरा रूपैआ नै छौ। बाबूजीक चाह पि‍याबैक लेल तोरा रूपैआ नै छौ। मुदा बाबाधाम जेबाक लेल रूपैआ छौ। कलकत्ता घुमैक लेल रूपैआ छौ। दारू पीबैले रूपैआ छौ। माएकेँ सुझै नै छौ। रातिमे ओसारापर सँ खसलखि‍न तँ पएरमे मोच पड़ि‍ गेलनि‍। जँ तोँ अपन माइक मोि‍तयावि‍न्‍दक ऑपरेशन करा आनने रहि‍तेँ तँ ओ ओसारापर सँ नै खसि‍तथि‍न। अपने दुनू परानी बाबाधाम गेलेँ मुदा माए-बाबूक भोजनक जोगाड़ पड़ाेसीया ओतए लगा कऽ गेलेँ। तोहर बाबूजी बेमार पड़ि‍ गेलखुन तँ डाक्‍टर बजा हम इलाज करौलि‍यनि‍। तोँ बूढ़ माए-बाबूकेँ एकोटा टाका नै देने गेल रहेँ। अपना दुनू परानी बापक अरजलहा सम्‍पत्ति‍ आ बेटा सभक कमाइसँ एश-मौज करै छेँ। मुदा माए-बाप एक कप चाहक लेल काहि‍ कटै छौ। धूर बूड़ि‍‍ तोँ की बजमेँ।
लखनक बात सुनि‍ सुकन गुम्‍म पड़ि‍ गेल। ओकरा कोनो जवाबे नै फुड़ाएल। ओकरा भेल जेना बीच बाजारमे कि‍यो नंगट कऽ देलक।

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