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Sunday, August 3, 2014

पोलिथिन (क. नन्‍द वि‍लास राय)

पोलिथिन
कमलक बेटीक बि‍आह छल। लड़काबलाक कहब छेलै जे खेनाइमे माँछ-भात हेबाक चाही। हम सभ डलडाबला पुरी आ सागर दूधक बनल मि‍ठाइ नै खाएब। हमरो कमल बि‍आहक काड देने छल तँए हमहूँ बरि‍यातीक स्‍वागत लेल पहुँचल छेलौं। बारह बजे रातिमे बरि‍याती आएल। बारहअना बरि‍याती नि‍साँमे बुत्त रहए। जवान सबहक गप की‍ कही जे बुढ़बो सभ डीजेक धूनपर नचैत रहथि‍। हम कमलकेँ कहलि‍ऐ-
हौ कमल, बारहअना बरि‍याती पीने छह तँए जल्‍दी-जल्‍दी वि‍धि‍-बेवहार ससारने चलह।
कमल कहलक-
से तँ ठीके कहै छि‍ऐ।
हम कहलि‍ऐ-
सभ बरि‍यातीकेँ पंडालमे बैसाबह। आ चाह-नस्‍ता कराबह। तेकर पछाति‍ वि‍धि‍-बेवहारक काज शुरू करबि‍हऽ।
कमल अपन भाति‍ज ि‍वनोदकेँ बजा कहलक-
मैकसँ सभ बरि‍यातीकेँ पंडालमे बैसैक आग्रह करही।
मैकसँ कतेको बेर आग्रहक पछाति‍ओ अदहा बरि‍याती डीजेक धूनपर नचि‍ते रहल। हारि‍ कऽ जे बरि‍याती पंडालमे बैसल छल ति‍नका सभकेँ नास्‍ता देल गेल। दुल्‍हाक पि‍ताजीकेँ कहल गेल जे राति‍ बेसी भऽ गेल अछि‍ तँए डीजेकेँ बन्न कऽ चाह-नास्‍ता करै जाउ। तेकर पछाति‍ वि‍धि‍-बेवहारक काज हएत। लड़काबला केतेक नि‍होरा-वि‍नती केलक तखनि‍ जा कऽ डीजे बन्न भेल आ बरि‍याती सभ चाह-नास्‍ता लेल पंडालमे बैसल। युवक सभकेँ आश्वासन देल गेल जे चाह-नास्‍ताक पछाति‍ अहाँ सभ डीजे बाजाक आनन्‍द लेब। सएह भेल। नवयुवक बरि‍याती सभ डीजे बाजा चालू करा फेरो नाचए लगल। घरवारी आ बरि‍यातीक बूढ़-बुजुर्ग वि‍धि‍-बेवहारक काजमे लगि‍‍ गेल। मड़बा लग बर-कनि‍याँक ति‍लक पछाति‍ दुर्वाक्षत भेल। बरकेँ बि‍आह करैले छोड़ि‍ बरि‍याती सभ जनवासामे आएल। हम कमलकेँ बजा कहलि‍ऐ-
जल्‍दी-जल्‍दी पंडालमे टेबुल सेट कऽ बरि‍यातीकेँ भोजन लेल बैसाबह।
सएह भेल। पंडालमे बरि‍याती सभ आबि‍ बैसला। डीजे बन्न भेल। बरि‍याती सभ अपन-अपन ग्रुपमे बैसला। सबहक आगू पलेट आ गि‍लास देल गेल। माँछ-भातक संग सलादक सेहो बेवस्‍था छल। जखनि‍ भोजन शुरू भेल तँ कमल हमरोसँ भोजनक आग्रह केलक। हम कहलि‍ऐ-
बरि‍यातीक पछाति‍ हम खेनाइ खाएब।
कमल हमरासँ फेर आग्रह केलनि‍-
तखनि‍ पंडालमे भोजनक बेवस्‍था देखि‍यौ। कोनो टेबुलपर कोनो चीजक अभाव नै हेबाक चाही।
हम पंडालमे गेलौं तँ देखै छी जे लगधग अदहा बरि‍याती पोलि‍थि‍नसँ दारू गि‍लासमे लऽ लऽ पीब रहल छथि‍। कि‍छु बरि‍याती अंग्रेजी दारूक बोतल सेहो खोलने छथि‍। कि‍छुए बरि‍याती छला जे खाली भोजनेटा कऽ रहल छला। देखि‍ कऽ हम छगुन्‍तामे पड़ि‍ गेलौं। पोलि‍थि‍नमे देशी दारू रहैए जेकर गंध हमरा बरदास नै भेल। हम पंडालसँ बाहर भऽ गेलौं।
  बरि‍यातीक भोजन पछाति‍ सर-कुटुम आ गौआँ-घरुआकेँ भोजनक लेल बैसौल गेल। ओहूमे देखै छी जे अदहासँ बेसी लोक पोलि‍थि‍न आ अंग्रेजी दारू भोजनक संग पीब रहल छथि‍। हम एकबेर फेर छगुन्‍तामे पड़ि‍ गेलौं। कमलकेँ कहलि‍ऐ-
हौ कमल, बेसी लोक पीआके भऽ गेल अछि‍।
ओ बजल-
यौ नन्‍द भायजी, पानि‍ उघैबलासँ लऽ कऽ मड़बा सजबैबला आ रसोइआ सभकेँ बूझू घूसमे पोलि‍थि‍न देबए पड़ल अछि‍। बि‍ना दारूक कोनो काजे नै हएत। पिछला साल मैलाममे एकटा भोज छल। हमर पि‍ति‍या ससूर मरि‍ गेल रहथि‍न। ओहू भोजमे देखलि‍ऐ जे पानि‍ उघैबलासँ लऽ कऽ रसोइआ तककेँ घरवारी पोलि‍थि‍न आनि‍-आनि‍ दइ छेलखि‍न। यौ भाय, आब तँ बि‍नु दारूक कोनो काजे ने ससरैए।
हम कहलि‍ऐ-
हम रूपैआ दऽ देबै मुदा पोलि‍थि‍न वा कोनो दारूक बोतल नै देबै। चाहै हमर काज हुअ अथबा नै हुअ।
कमल बजल-
जखनि‍ बेर पड़त तखनि‍ बुझबै।
  काति‍क मासक समए। सभ गोटे अपन-अपन वाड़ी-झाड़ीमे तीमन-तरकारी रौपैमे बेस्‍त। हमरो कट्ठा दुइएक भीठ खेत। ओइ कोलामे सभ साल अल्‍लू रोपै छी। एमकीओ भीखनासँ हर मोल लऽ खेत जोता तैयार करेलौं। कि‍एक तँ अपना हर-बरद नै। बरद रखबो करब तँ जोतत के। अपना हर जोतैक लूरि‍ नै। दि‍ल्‍ली-पंजाब खुजबाक कारणे हरबाहा भेटब मोसकि‍ल। तँए सभ खेती-गि‍रहस्‍तीक काज टेकटरेसँ होइए। टेकटरबलाकेँ अगुरबारे रूपैआ दऽ अबै छी आ ओ समैपर आबि‍ खेत जोति‍ दइए। मुदा अखनि‍ खेत सभमे धानक फसि‍ल लगल अछि‍। तँए अखनि‍ टेकटरकेँ जाएब मोसकि‍ल। तही दुआरे भीखनासँ हर मोल लऽ अल्‍लूक खेत तैयार करेलौं। घोघरडीहा बजारसँ साइकि‍लपर अल्‍लूक बीआ आ खादो कीनि‍ अनलौं। आब समस्‍या अछि‍। जे रोपत के। बीआ आ खाद तँ अपनो गि‍रा लेब। मुदा कोदारि‍सँ दन के काटत? अपना जौं काटब तखनि‍ तँ पएरे कटि‍ जाएत। पछि‍ला साल सएह ने भेल रहए। जोशमे आबि‍ अपने वि‍दा भेल रही दन कटैले आ पत्नीकेँ खाद आ बि‍आ गि‍रबैले लऽ गेल रही। कोदारि‍सँ दू दन काटि‍ कऽ अल्‍लू तँ रोपलौं मुदा तेसर दनमे तेहन ने पएर कटाएल जे लोक सभ टाँगि‍ कऽ गामपर अनलक। दू सएसँ बेसी रूपैआ दबाइमे लगल आ एक पनरहि‍या चलल-फि‍रल नै भेल।
  राति‍मे खाइतकाल पत्नी बजली-
अल्‍लू पचता भऽ रहल अछि‍। पचता अल्‍लूमे झुल्‍सा पकड़त। लत्ती गलि‍ जाएत आ अल्‍लू कि‍छु ने हएत। केकरो पकड़ि‍ अल्‍लू रोपा लिअ।
हम कहलि‍ऐ-
से तँ ठीके कहै छि‍ऐ।
भोरे हम भीखना लग गेलौं आ कहलि‍ऐ-
आइ हमर अल्‍लू रोपि‍ दए।
भीखना बाजल-
हमरा एक्को पलक छुट्टी नै अछि‍। हमरा तँ हरे जोतैसँ छुट्टी नै रहैए। दू सए टाकामे हर बेचै छी। अखने तँ समए अछि‍ जे कि‍छु कमा लेब। जखनि‍ धान कटि‍ जाएत आ खेत खाली भऽ जाएत तब सभ गोटे टेकटरेसँ खेत जोताएत। अखनि‍ तँ टेकटर जाइक बाटे नै छै। तँए लोक वाड़ी-झाड़ी करैले हर मोल लइए।
भीखनाक गप सुनि‍ ओतएसँ हम बितबा लग गेलौं ओकरो अल्‍लू रोपैक आग्रह केलि‍ऐ। बितबा कहलक-
हम अपने फि‍रि‍सान छी। मंगली माए नैहर चलि‍ गेल। ओकरा माएकेँ लकबा मारि‍ देलकै। हमरा माल-जाल सभकेँ देखए पड़ैए आ भानसो अपने करए पड़ैए। कि‍एक तँ बेटी जे मंगली अछि‍ ओ पढ़ैले इसकूल चलि‍ जाइए। बूझू अखनि‍ सभ काज अपने करए पड़ैए।
हम कहलि‍ऐ-
हौ, आब अल्‍लू पचता भऽ रहल अछि‍। अपनासँ दन काटले ने हएत।
तब बितबा कहलक-
यौ गि‍रहत, भीलबा लग चलि‍ जाउ। ओकरा बैसले देखै छि‍ऐ। चारि‍म दि‍न पंचाबसँ ऐबे कएल अछि‍।
भीलबा लग गेलौं। ओ मोबाइलसँ गीत सुनै छल। हमरा देखते कहलक-
गि‍रहत गोर लगै छी।
हम कहलि‍ऐ-
नीक्‍के रहऽ। कहि‍या गाम एलहक?”
भीलबा बाजल-
चारि‍म दि‍न एलौंहेँ। केम्‍हर-केम्‍हर आएल छेलि‍ऐ गि‍रहत?”
हम कहलि‍ऐ-
हौ, हमरा अल्‍लू रोपेबाक अछि‍। तँए तोरे लग एलिय हेन। कनी आइ हमर बेगरता सम्‍हारि‍ दैह।
तखनि‍ भीलबा कहलक-
हमर तबि‍यत ठीक नै अछि‍। हमरा सक्क नै हएत।
हम कहलिऐ-
हौ भीलाइ तोरा लग बड़ आशासँ आएल छेलौं। आइएटा हमर काज सम्‍हारि‍ दैह।
ताबेतमे भीलबाक माए अँगनासँ नि‍कलल। ओ भीलबासँ कहलक-
जो गि‍रहतकेँ अल्‍लू रोपि‍ दही गऽ। गि‍रहतक हमरापर बड़ उपकार छै। बैसाखमे अपन बकरी लालबाबूकेँ खेरही चरि‍ नेने रहै तँ ओ बकरी बान्‍हि‍ नेने रहए। हमरा पता लगल तँ लालबाबू लग गेल रही मुदा ओ बकरी नै देलक। कहलक, बकरी सरपंच ओइठाम दऽ अबै छी ओतेसँ लऽ जाएब। इहए गि‍रहत लालबाबूकेँ बुझा अपन बकरी दि‍यौलक। जाही हि‍नकर काज कऽ दही गऽ।
भीलबा बाजल-
गि‍रहत, अहाँक अल्‍लू रोपि‍ देब। मुदा बोइनक ऊपरसँ कि‍छु आरो खरचा करए पड़त।
हम पुछलि‍ऐ-
की खर्च लेबहक? चाह-पान लऽ कि‍छु अलगसँ दऽ देबह।
भीलबा बाजल-
से नै हएत। बोइनक अलाबे एकटा पोलि‍थि‍न देबए पड़त।
हमरा कमलक गप मन पड़ि‍ गेल। मुदा की करब। अल्‍लू पचता भऽ रहल छल। हम सोचमे पड़ि‍ गलौं जौं एकरा पोलि‍थि‍न गछि‍ लइ छी तँ अपन सि‍द्धान्‍तक वि‍परीत काज हएत।
बि‍च्‍चेमे भीलबा टोकलक-
“गि‍रहत, बीस टाका तँ अलगसँ खर्च करए पड़त मुदा अल्‍लू तँ रोपा जाएत।”
हम कहलि‍ऐ-
“हौ बाउ, बात बीस टाकाक नै छै। हम दारू पीनाइकेँ नीक नै बुझै छी। हम तोरा मि‍ठाइ खाइले पच्‍चीस टाका दऽ देबह मुदा पोलि‍थि‍न नै देबह।”
भीलबाक माए सभ गप सुनैत, ओ बजली-
“जो, गि‍रहतक अल्‍लू रोपि‍ दहि‍न गऽ बोइनक अलाबे कि‍छु नै मांगही। ठीके कहै छथुन ई सभ नै पी।”
भीलबा हमरा संगे वि‍दा भऽ गेल।


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