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Sunday, August 3, 2014

गोबरबीछनी (क. नन्‍द वि‍लास राय)

गोबरबीछनी
सखुआ गामसँ उत्तर वि‍हुल नदी जे पच्‍छि‍मसँ पूब दि‍स बहैए। नदी बरसाती छी मुदा कोसी नहरि‍क पानि‍ नदीमे गि‍रौने अछि‍ तँए प्राय: बारहो मास पानि‍ बहैत रहैए। नदीक उत्तर कबरगाहबला परती। परतीसँ सए मीटरक दूरीपर एन.एच.सड़क अछि‍। परतीसँ उत्तर-पूब एन.एच. सड़कक दुनू कात नवटोली गाम आ उत्तर-पच्‍छि‍ममे नरहि‍याक धनजैया टोल अछि‍। नदीमे पक्का अथवा लोहाक पुल तँ नै अछि‍ मुदा बाँसक चचरीक लचका अछि‍। जैपर दऽ मनुखसँ लऽ कऽ बकरी-छकरी, साइकि‍ल-मोटरसाइकिल‍ पार होइत अछि‍। परतीक काते-काते लोक सभ अपन जजाति‍ बँचबैक खातीर आरा देने अछि‍। आरापर जि‍लेबी, आम, साहोर, कदम आ गुलरि‍क गाछ सभ अछि‍। सालो भरि‍ परतीपर लोक सभ महिंस, बरद, गाए आ बकरी चरबैए। सखुआ दुनू टोलक, नवटोली आ धनजैया टोलक माल-जालक अलाबे कखनो काल साननो पट्टीक चरबाहा सभ महिंस परतीपर लऽ अनैए तइले कखनो काल सखुआक चरबाहा आ अनगौआँ चरबाहामे रक्का-टोकी सेहो भऽ जाइत अछि‍। सखुआक चरबाहा सबहक कहब छै जे परती हमरा गामक सीमामे अछि‍। तँए ऐपर हमहीं सभटा माल-जाल चराएब। मुदा नवटोली आ धनजैआ टोलक चरबाहा सबहक कहब छै जे परती सरकारी छी तँए ऐपर सबहक अधि‍कार अछि‍। सभ कि‍यो माल चरौत।
पहि‍ने तँ परतीक रकबा बाइस बीघा छल मुदा अखनि‍ दस-बारह बीघाक लगधग हएत। नदीक दक्षि‍न पाँच बीघाक धतपत परती छल जे जोत भऽ गेल। उत्तरवरि‍ओ परतीमे सँ लगधग पाँच बीघा सेहो जोत भऽ गेल। बँचलाहा परती जोत भऽ जाइत मुदा कबरगाह भेने नै जोत भऽ सकल। केतेक बेर लोक सभ जोतेक परि‍यास केलक मुदा सफल नै भऽ सकल।
सखुआ गाममे तँ मुसलमान नै अछि‍ मुदा नरहि‍यामे अछि‍। नरहैए गामक मुसलमान सभ ऐ परतीपर कव्वर दइले अबैत रहै छथि। ऐ परतीपर खाली मालेटा नै चरौल जाइए बल्‍की गुड़ीगुडी, चि‍का-चि‍का आ गुल्‍ली-डंटा इत्‍यादि‍ खेलाएल जाइत अछि‍।
परतीपर तीनटा गाछ अछि‍। दूटा गाछ बरक आ एकटा कदमक अछि‍। चरबाहा सभ अपन-अपन हेँड़ बना ओइ गाछ तर बैसैए। कोनो गाछ तर तास-खेलाइत तँ कोनो गाछ तर लूडो आब तँ गाछ तर चरबाहा सभ मोबाइलपर सि‍नेमाे देखैत रहैए। कि‍छु चरबाहा आरा परहक गाछ तर सेहो बैसल रहैए।
एही परतीपर गोबर बीछि‍ कऽ दुखनी अपन गुजर करैत छेली। दुखनीक पति‍ थोलाइ दू साल पहि‍ने मरि‍ गेल। थोलाइ दि‍ल्‍लीमे नोकरी करै छल। ओतै बोखार लगलै। डाक्‍टरसँ देखौलक तँ डाक्‍टर कहलकनि‍ जे कालाजार भऽ गेल अछि‍। मुदा पाइक ति‍रोटमे ठीकसँ इलाज नै भेल। जखनि‍ चलै-फि‍ड़ैमे दि‍क्कत हुअ लगलै तँ एकटा गाैआँ गाम नेने एलै थोलाइकेँ। गाममे दुखनी कर्जा लऽ ग्रामीण डाक्‍टरसँ इलाज करौलक मुदा बि‍मारी ठीक नै भेलै। दि‍ल्‍लीसँ एला महि‍ने दि‍न पछाति‍ थोलाइ अपन पत्नी दुखनी आ तीन सालक एकटा बुच्‍चीकेँ छोड़ि दुनि‍याँसँ वि‍दा भऽ गेल। दुखनी ऊपर दुखक पहाड़ टूटि‍ खसल। कनैत-कनैत दुखनीक आँखि‍ लाल भऽ फूलि‍ गेलै। टोल-पड़ोसक लोकक अलाबे नहि‍रासँ भाए-बाप आबि‍ हूबा बन्‍हैले कहैत पाँच दि‍न तक रहि‍ दुखकेँ बाँटि‍ संगे नहि‍रा चलैले कहलकै। मुदा दुखनी नै गेल। एक पनरहि‍या तँ शोकेमे डुमल रहली। बेटी बुचनीक मुँह देखि‍ फेरसँ काज-राज करए लगली। आब दुखनी परतीपर गोबर बीछि‍ चि‍पड़ी पाथि‍ ि‍नर्मली बजारमे बेचि‍ अपन गूजर-बसर करए लगली।
दुखनीकेँ एकटा बेटीए टा। प्राय: तहू दुआरे दुखनीक माए-पि‍ता दोसर चुमौन करैले कहलक मुदा दुखनी तैयार नै भेल। दुखनीकेँ मात्र दू कट्ठा घराड़ीएटा अछि‍। माल-जालक नाओंपर एकटा बकरीएटा। घर फूसक ऊहो चुबि‍ते। ओही घरमे भानसो-भात करैत, बकरीओ बन्‍हैत आ दुनू माय-धी सुतबो करैत। भोरे कि‍छु खेनाइ बना खा-पीब घरमे फट्टक सटा बकरी आ बेटीकेँ लऽ दुखनी परतीपर चलि‍ जाइत छल। परतीपर बकरीओ चरबैए, बेटीओकेँ खेलबैए आ गोबरो बीछि‍-बीछि‍ जमा करैए। परतीएपर गोबरक चि‍पड़ी पाथि‍ सुखैले छोड़ि‍ दइए। सूखला पछाति‍ गामपर आनि‍-आनि‍ राखैए आ तेसरा दि‍नपर ि‍नर्मली जा बेचबौ करैए। ऐ खेप ि‍नर्मली बजारमे स्‍कूल जाइत धि‍या-पुतापर नजरि‍ पड़लै। एक्के रंगक कपड़ा पहि‍रने बच्‍चाकेँ स्‍कूल जाइत देखि‍ दुखनीओकेँ अपन बुचनीपर धि‍यान गेलै। सोचए लगल, हमरा बुते तँ बुचनीकेँ बेसी पढ़ौल नै हएत मुदा चि‍ट्ठीओ-पुर्जी जोकर तँ कहुना कऽ पढ़ेबे करब। हमरा जे दुखनीक बाप दि‍ल्‍लीसँ चि‍ट्ठी पठबए तँ चुनि‍याँसँ पढ़ाबी आ चुनि‍येँसँ लि‍खेबो करी। अपना तँ पढ़ल छी नै। तँए मनक बात कहि‍यो बुचनीक बापकेँ नै लि‍खि‍ सकलौं। जेमा चलि‍ए गेल। ई पछि‍ला बात सभ मन पड़ने दुखनीक आँखि‍सँ फेर दहो-बहो नोर जाए लगल।
एम्‍हर आबि‍ कऽ दुखनीक समए भारी भऽ गेल। कि‍एक तँ आब ओकर चि‍पड़ी बि‍कनाइ कम भऽ गेल। कारण लोको सभ आ होटलोबला गैसक उपयोग करए लगल। चाहोबला सभ गैसेपर चाह बना-बना बेचए लगल। पहि‍ने तँ कोइलापर भानस करै छल जइमे चि‍पड़ीक बेगरता रहबे करै छेलै मुदा से आब नै रहल। दुखनीक गुजर-बसरमे दि‍क्कत हुअ लगल।
दि‍नक लगधग बारह बजैत। टहटहौआ रौदमे दुखनी आ बुचनी परती कातक आरापर गाछ तर बैसल छल। बकरीओ लगेमे छेलै। तीन छि‍ट्टा गोबर बीछि‍ जामा केने छेली। बैसल-बैसल सोचै छेली, चि‍पड़ी बीकब तँ कमि‍ गेल हेन मुदा दोसर काजो तँ नै अछि।‍ तखने बुचनी माएकेँ कहलक-
माए गै, भूख लगल अछि‍।
दुखनी बेटी दि‍स देखए लगल सहजे-सहजे आँखि‍सँ नोर बहए लगलै। चुप करैत गामपर वि‍दा भेल। भरि‍ रस्‍ता एतबे सोचै छेली जे आइ तँ घरमे कि‍छु नै अछि‍ बेटीकेँ कथी खुआएब आ अपने केना रहब। रस्‍तेमे आँगनवाड़ीक केन्‍द्र पड़ैत अछि‍। केन्‍द्रपर धि‍या-पुताकेँ थारी लेने पाँति‍मे बैसल देखलक। हाँइ-हाँइ लफरल चलि‍ घरपर जा छि‍पा धोइ बुचनीक हाथमे दऽ केन्‍द्रपर जाइले दुखनी कहलक। पाछू-पाछू अपनो आएल। सहायि‍का जखनि‍ खि‍चड़ी परसए लगली तँ बुचनीपर नजरि‍ गेलनि‍ तँ पुछलखि‍न-
तूँ तँ पहि‍ने नै आएल छेलेँ? तोरा ले तँ खि‍चड़ी नै बनल अछि‍।
सेवि‍का सहायि‍काक बात सुनि‍ बजली-
अच्‍छा, की हेतै। ओकरो थारीमे खि‍चड़ी दऽ दि‍यौ।
सेवि‍काक नजरि‍ दुखनीपर गेल तँ दुखनीकेँ लग बजा पुछली‍-
अहूँ अपनो बेटीकेँ किए ने केन्‍द्रपर पठबै छी?”
दुखनी कहलकनि‍-
की कहू दीदी। एकर बाप दू बरख पहि‍ने मरि‍ गेल। तँए एको रती नीक नै लगैए। बेटी लगमे रहैए तँ संतोख होइए।
बि‍च्‍चेमे सेवि‍का बजली-
देखू जे मरि‍ गेल ओ तँ दुनि‍याँसँ चलि‍ गेल। अहाँ अपना बेटीकेँ भवि‍स किए खराप करै छी। केन्‍द्रपर औत तँ कि‍छु सि‍खबो करत आ नीक संस्‍कारो हेतै। भि‍नसरमे जलखै आ दुपहरि‍यामे खेनाइ सेहो खाएत। आब तँ सरकार अढ़ाइ सए टाका बच्‍चाक कपड़ा लेल सेहो दइ छै।
दुखनी बजली-
दीदी, काल्हि‍सँ हमहूँ अपना बुच्‍चीकेँ केनदरपर पठाएब।
दुखनी अपन सभ दुखरा सेवि‍काकेँ सुना देलक। बँचलाहा खि‍चड़ी दुखनीकेँ सेवि‍का दऽ देलक। दुखनी सभ बासन धोइ-माजि‍ सहायि‍काकेँ दऽ अँगना आबि‍ गेली।  
आब दुखनी अँगने-अँगने वर्तन माि‍ज गुजर करए लगली। दुखनी अछि‍ तँ बड़ गरीब तहूमे मासोमात-बेसहारा मुदा वेचारी अछि‍ इमानदार आ स्‍वाभि‍मानी जे कोनो मनुखक सभसँ पैघ गुण होइए।
एक दि‍न दुखनीकेँ बाटपर एकटा मोबाइल भेटल। मोबाइल लऽ दुखनी अँगना अबै छलि। तखने बाटपर बुचकुन दुखनीक खाेंइछामे मोबाइल देखलक। देखि‍ते पुछलकै-
अहाँक खोंइछामे मोबाइल देखै छी! कहि‍या लेलौं?”
दुखनी बाजलि‍-
ई मोबाइल बाटपर भेटल। जेकर हएत तेकरा दऽ देब।
बुचकुन कहलकै-
देखौं केहेन मोबाइल अछि‍।
दुखनी देखए देलकै। मोबाइल नबे रहै। कमतीमे तीन हजारसँ ऊपरेक। बुचकुनकेँ लोभ आबि‍ गेलै बाजल-
पाँच सए टाका दइ छी हमरा दऽ दिअ।
नै यौ बौआ, हम मोबाइल नै देब आ ने बेचब। जेकर हएत तेकरा दऽ देब।
दुखनी बुचकुनक हाथसँ मोबाइल लऽ घरपर वि‍दा भेल। रहि‍-रहि‍ कऽ मोबाइलमे गीत बजै छल। दुखनीकेँ तँ मोबाइलक कोनो भाँजे ने बूझल रहै तँ ओ रिंग-टोन बाजि‍-बाजि‍ बन्न भऽ जाए। अँगनामे बुचनी देखलक तखने फेर गीत बाजल। बुचनी हरि‍अरका बटम दाबि‍ बाजल-
हेलाउ?”
ओम्‍हरसँ अवाज आएल-
के बजै छी?”
हम बुचनी।
के बुचनी केकर बेटी?”
बुचनी बाजलि‍-
माएक नाओं दुखनी छी। बाबू मरि‍ गेल अछि‍।
ओम्‍हरसँ फेर पुछलक-
तोहर बाबूक की नाओं?”
सुअर्गीए थोलाइ?”
ई मोबाइल तूँ केतएसँ अनलीही?”
बुचनी कहलकै-
माए देलक।
तूँ अपना माएकेँ दही। गप करा।
बुचनी माए हाथकेँ मोबाइल दैत बाजलि‍-
ले गप करही।
दुखनी बेटीए जकाँ मोबाइल कान लग सटा बाजलि-
ई मोबाइल हमरा रस्‍तापर भेटल। जेकर हएत तेकरा दऽ देब।
ओम्‍हरसँ अवाज आएल-
मोबाइल हमर छी। हम अबै छी। कहि‍ मोबाइल बन्न केलक।
कनीए काल पछाति‍ मोटर साइकि‍लसँ दू गोटे दुखनी घरपर पहुँचल। ओइमे एक गोटे मुखि‍याजी रहथि‍न। मुखि‍याजी दुखनीकेँ बजा पुछलखि‍न-
कहाँ अछि‍ मोबाइल?”
दुखनी मोबाइल घरसँ नि‍कालि‍ हाथमे दऽ देलकनि‍। मोबाइल लऽ मुखि‍याजी पाँच सए रूपैआ दुखनीकेँ दिअ लगलखि‍न। मुदा दुखनी रूपैआ नै लेलक। आ बाजलि‍-
हम रूपैआ कथीक लेब हमरा भेटल रहए अहाँक छी लऽ जाउ।
मुखि‍याजी दुखनीक बेवहारपर खुश होइत पुछलखि‍न-
अहाँकेँ सामाजि‍क सुरक्षा पेंसन भेटैए?”
दुखनी जवाब देलक-
हमरा के देत पि‍लसि‍न उ तँ धनि‍काहा सबहक छी ने। हम तँ मसोमात छी।
मुखि‍याजी फेर पुछलखि‍न-
अंत्‍योदय भेटैए आकि‍ नै?”
दुखनी कहलकनि‍-
लि‍खा-पढ़ही तँ कऽ कऽ गेल मुदा अखनि‍ तक कहाँ कुच्‍छो भेटल।
मुखि‍याजी बजलखि‍न-
अहाँ चारि‍टा फोटो घीचा कऽ राखब। हम परसू आबि‍ अहाँक नाओं सामाजि‍क सुरक्षाबला फार्म भरि‍ पठा देब। अंत्‍योदयमे सेहो नाओं जोड़ि‍ देब। केते गोटेक मरलासँ जगह खालीए अछि‍।
तेसर दि‍न मुखि‍याजी आबि‍ फार्म भरि‍ दुखनीसँ फोटो आ नि‍शान लऽ वि‍दा होइत कहलखि‍न-
अगि‍ला माससँ सभ कि‍छु भेटत।
आइ दुखनीक बेटी चाैथामे पढ़ैत अछि‍। ओकरा सामाजि‍क सुरक्षा पेंसन भेटैत अछि‍। इन्‍दि‍रा अवास सेहो भेटल जइसँ घरो भऽ गेलै। हलाँकि‍ छत नै ऊपरमे एसवेस्‍टसे छै।


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