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Sunday, August 3, 2014

वाड़ीक पटुआ (क.नन्‍द वि‍लास राय)

वाड़ीक पटुआ
डाक्‍टर प्रमोद कलकत्ता मेडि‍कल कौलेजसँ एम.डी.क डि‍ग्री लऽ गाम एला। गाममे पि‍ताजी आ मि‍त्र सभसँ क्लिनीक खोलैक वि‍चार करए लगला। मि‍त्र सभ लहेरि‍यासरायक वि‍चार देलकनि‍। मुदा पि‍ताजी कहलकनि‍-
लहेरि‍यासरायमे तँ एक-पर-एक डाक्‍टर सभ अछि‍ए जे रोगीक इलाज करैए। कि‍छु डाक्‍टर सेवा-भावनासँ इलाज करै छथि‍ तँ कि‍छु सोलहैनी पेशा बनेने अछि‍। रंग-रंगक ढाढ़स करैत कहत जे हम डाक्‍टर छी आकि‍ अहाँ। जे कहै छी से करू नै तँ...। सोवहावि‍को छै ओइ वि‍भागक तरी-घटी, नीक-बेजाएक ज्ञान आमकेँ छैइहो नै। तँए सोलहैनी सुतरबो करै छै। से नै तँ गामेमे क्लिनीक खोलह जे सामाजोकेँ लाभ हेतै आ तोरो जि‍नगीक महत रहतह।
  डाक्‍टर प्रमोदक पि‍ता अनंत प्रसाद समाज सेवी बेकती। सबहक दुख-सुखमे संग रहए बला। केतेको मरीज सभकेँ लहेरि‍यासराय लऽ जा इलाज करा अनने छथि‍न। तँए हि‍नका सभ गपक तजुरबा छन्‍हि‍। डाक्‍टरकेँ भगवान बुझै छथि‍न मुदा डाक्‍टरो तँ रंग-बि‍रंगक अछि‍। सेहो फर्क करैत रहै छथि‍न। प्रमोदकेँ डाक्‍टरी पढ़ेबाक उदेस छेलनि‍ जे गाम-देहातमे समैपर इलाजक अभावसँ केते लोक काल-कलवित भऽ जाइए। तँए देहातोमे डाक्‍टर जरूरी छै। ओ केतोको डाक्‍टरकेँ आग्रह सेहो केलखि‍न मुदा कि‍यो तैयार नै भेलनि‍। मुदा डाक्‍टर प्रमोद तँ अपन खून छि‍यनि‍। हुनकापर अनंत प्रसादकेँ तँ पूरा अधि‍कार छन्‍हि‍। ओना डाक्‍टर प्रमोदोमे पि‍ताक गुण-बेवहार छन्‍हि‍। जखनि‍ ओ मेडि‍कल कौलेजमे एम.डी.क पढ़ाइ कऽ रहल छला तहू समैमे केतेको मरीज सभकेँ मदति‍ केने रहथि‍न। अनंत प्रसादक कहब रहनि‍ जे बेरमेमे क्लिनीक खोलल जाए। मुदा बेरमामे तँ खून, लगही, पैखाना इत्‍यादि‍क जाँचक तँ सुवि‍धा नै अछि‍ तँए सबहक वि‍चार भेल जे प्रमोद ि‍नर्मलीमे क्लिनीक खोलता आ सप्‍ताहे-सप्‍ताह बेरमामे समए देथि‍न। अनंत प्रसाद प्रमोदकेँ कहलखि‍न-
बौआ, सेवाक भावनासँ मरीजक इलाज करि‍हऽ। भगवान अहीमे बड़्क्कति‍ देथुन। एकर मतलब ईहो नै जे सोलहैनी फोकटेमे इलाज करब। अपन उचि‍त फीस लऽ रोगीक इलाज करि‍हऽ। तहि‍ना उचि‍त दबाइओ आ जाँचो करबि‍हक।
डाक्‍टर प्रमोद कहलकनि‍-
सएह करब बाबूजी।
  ि‍नर्मलीमे क्लिनीक खोलला छह मास नै बि‍तल हएत। परोपट्टामे हुनकर नाओंक डंका बाजए लगल। रोगी आ रोगीक संबन्‍धी सभ डाक्‍टर साहैबकेँ जश दिअ लगलनि‍। जड़दगरसँ जड़दगर ि‍बमारी डाक्‍टर साहैब ठीक केलखि‍न। सभसँ पैघ बात ई जे गरीब रोगीक इलाज बि‍नु फि‍सेक करै छथि‍न। दबाइओ फाजील नै लि‍खै छथि‍न तँए रोगी सबहक भीड़ लगल रहैए। रवि‍ दि‍न छह बजीआ ट्रेन पकड़ि‍ राेगी देखए बेरमा चलि‍ जाइ छथि‍न। ओतौ बहुत रोगी सभ रहैत अछि‍। सभ रोगीक इलाज कऽ रतुका ट्रेनसँ आपस ि‍नर्मली चलि‍ अबै छथि‍न। बेरमामे बेसी रोगी रहलापर कखनो काल अँटकैओ पड़ै छन्‍हि‍।
  डाक्‍टर साहैबक पि‍ताक मि‍त्र छथि‍न मंगनू प्रसाद। ओहो बेरमेक बासी छथि‍न। अनंत प्रसादक लंगोटि‍या संगी। डाक्‍टर साहैब मंगनू प्रसादकेँ बड़ इज्‍जति‍ करै छथि‍न। प्राय: सभ रवि‍ मंगनू प्रसाद डाक्‍टर साहैबसँ भेँट करए क्लिनीकपर आबि‍ जाइ छथि‍न। डाक्‍टर साहैब हुनका चाहो-पान करबै छथि‍न।
  आइ रवि‍ छी। आठ बजे धरि‍ डाक्‍टर साहैब बेरमा क्लिनीकपर पहुँचता। ई गप सभकेँ बूझल छन्‍हि‍। हम चौकपर चाह पीऐत रही। देखै छी जे मंगनू प्रसाद आ हुनकर पुतोहु आ पोता रि‍क्‍शापर बैस तमुरि‍या दि‍स जा रहल छथि‍। हम लग जा पुछलि‍यनि‍-
मंगनू बाबू अपने लोकनि‍ केतए जा रहल छि‍ऐ?”
मंगनू प्रसाद कहलनि‍-
तमुरि‍या जा रहल छी। ट्रेन पकड़ि‍ लहेरि‍यासराय जाएब। गोपालकेँ मन खराब छै।
तैपर हम कहलि‍यनि‍-
आइ तँ रवि‍ छी। डाक्‍टर प्रमोदो एबे करता। हुनकासँ एक बेर देखा दैति‍ऐ। इलाज तँ ओहो नीक्के करै छथि‍ आ बच्‍चे वि‍भागक छथि‍ओ।
मंगनू प्रसाद कहलनि‍-
छोड़ू, हमरा लहेरि‍येसराय जाए दिअ। हम गाम-घरक फेरमे नै रहए चाहै छी।
ई कहि‍ ओ रि‍क्‍शाबलाकेँ इशारा दैत वि‍दा भऽ गेला।
आठ बजे डाक्‍टर प्रमोद क्लिनीकपर पहुँचला। हमरो ब्‍लड प्रेशर जँचेबाक रहए तँए हमहूँ ओतै रही। हमरा मुँहसँ अनासुरती नि‍कलि‍ गेल-
तमुरि‍या टीशनपर मंगनूबाबू भेटबो केला।
डाक्‍टर साहैब कहलनि‍-
नै तँ, से की? केतए गेला हेन मि‍त्ता काका?”
हम कहलि‍यनि‍-
पोताकेँ डाक्‍टरसँ देखबैले लहेरि‍यासराय गेला हेन। हम कहबो केलि‍यनि‍ अहाँ दऽ जे एबे करता। मुदा कहलनि‍ जे छोड़ू हमरा लहेरि‍येसराय जाए दिअ।
डाक्‍टर साहैब बजला-
जाए दि‍यनु।
  लहेरि‍यासरायमे मंगनू प्रसाद अपना पोताकेँ डाक्‍टरसँ देखौलखि‍न। डाक्‍टर साहैब तीन सए फीस लेलकनि‍। दू हजारक जाँच आ छह सएक अल्ट्रसाउण्‍ड लि‍खलकनि‍। जाँच-परतालक पछाति‍ दू हजारक दबाइ लि‍खलखि‍न। अदहा दबाइसँ बेसीए दबाइ चललोपर गोपालक पेटक दरद ठीक नै भेल। तखनि‍ हारि‍-थाकि‍ कऽ डाक्‍टर प्रमोद लग ि‍नर्मली लऽ जा कहलखि‍न-
हौ डाक्‍टर, लहेरि‍यासरायमे चारि‍ हजारसँ बेसीए खर्च भऽ गेल मुदा गोपलाक दरद कनि‍योँ उन्नैस नै भेल। से कनी देखहक।
डाक्‍टर साहैब गोपालक सभटा जाँचक पुर्जा देखलखि‍न। लहेरि‍यासरायक डाक्‍टर सभटा पटनि‍याँ दबाइ लि‍खने रहै। जाँचो अनाप-सनाप करबौने छेलै। से सभ देखि‍ डाक्‍टर प्रमोद लहेरि‍यासरायक सभटा दबाइ बन्न कऽ मात्र दू सए टाकाक दबाइ लि‍खलखि‍न। तीने ि‍दन दबाइ खेला पछाति गोपालक दरद ठीक भऽ गेल।
  अगि‍ला रवि‍ मंगनू प्रसाद बेरमामे डाक्‍टर साहैबक क्लिनीकपर जा भेँट कऽ तारतम्‍य करैत कहलकनि‍-
हौ, हम तँ लहेरि‍यासराय जा ठका गेलौं। तोहर लि‍खलाहा दबाइ तीनि‍ए दि‍न खेलापर गोपला पेटक दरद सोलहैनी ठीक भऽ गेल।
डाक्‍टर साहैब मंगनू प्रसादकेँ कहलखि‍न-
यौ काका, हम तँ वाड़ीक पटुआ छी। जे तीत सभ दि‍नसँ होइत रहलै हेन।
मंगनू बाबू कि‍छु नै बजला।


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