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Friday, October 18, 2013

बोनिहारिन मरनी (दोसर संस्‍करण)

बोनिहारिन मरनी

छोट-छीन गाम छतौनी। तीनिए जातिक लोक गाममे। साइए घरक बस्‍तीओ। छेहा बोनिहारक गाम। ओना पास-परोसक गामक लोक छतौनीकेँ प्रतिष्ठित गाम नै बुझैत। किएक तँ ओइ गाम सबहक लोकक विचारे प्रतिष्ठित गाम ओ होइत जइमे छत्तीसो जातिक लोक बसैत। जइसँ समाजक सभ तरहक जरूरति‍क पूर्ति गामेमे होइत। मुदा से छतौनीमे नै। तँए छतौनी जमाबंदी गाम भऽ सकैए, प्रतिष्ठित नै। मुदा ऐ विचारकेँ छतौनीक लोक मानैले तैयारे नै। छतौनीक लोकक कहब जे जहियासँ हमर गाम बनल तहियासँ ने कहियो अपनामे झगड़ा-झंझटि भेल आ ने मारि-पीट। जइसँ ने कहियो कियो कोट-कचहरी देखलक आ ने थाना-बहाना। तेतबे नै, तीन जातिक लोक रहितो सभ मिलि-जुलि‍ एकठाम बैसि खेबो-पीबो करए आ तीन जातिक तीनू देवस्थानमे पूजो-पाठ करैए आ परसादीओ खाइए। सभ जातिक लोक संगे-संग कमेबो करैए आ एक-दोसराकेँ मौका-मोसीबत पड़लापर, संगो पूरैए। आन-आन गामबला छतौनीकेँ ऐ दुआरे गाम नै मानैत जे ओ सभ बहरबैया छी आ हमरा सबहक पूर्वज अदौसँ रहल अछि।
छतौनीवासी सभ दिनसँ बोनिहारे नै रहल अछि। पहिने एकरो सभकेँ अपन-अपन खेत-पथार छेलै। खेत-पथार गेलै केना? ऐ सम्बन्धमे छतौनीक बूढ़-बुढ़ानुस लोकक कहब छन्‍हि, हमरा सबहक पूर्वज रौदीक चलैत खेतक बाँकी-मालगुजारी राज दरभंगाकेँ समैपर नै दऽ सकलनि, तहीसँ ओ सभ जमीन निलाम कऽ अबधिया, छपरिया हाथे बेचि लेलक। हमरा सबहक जमीनक मलिकाना हक खतम भऽ गेल। अबधिओ आ छपरिओ राजमे नोकरी करै छेलै जे ऐ इलाकामे आबि जमीनो हथिया लेलक आ मुखिओ सरपंच बनि मैनजनी करैए। मुदा एकटा चलाकी ओ सभ जरूर केलक जे जेना अंग्रेज आबि सत्ता हथिऔलक तेना चलि नै गेल बल्‍की मुगल जकाँ बसि गेल।
जहियासँ देश अजाद भेल आ सत्ता लेल भोट-भाँट शुरू भेल, तहिएसँ ने एक्कोटा कोनो पार्टीक नेता भोट मंगैले ऐ गाम आएल आ ने एक्को बेर गौआँ भोट खसौलक। किएक तँ आइ धरि छतौनीमे भोटक बूथ बनबे ने कएल। तँए नेतो किए औत? गाममे ने चरिपहिया गाड़ी चलैक रस्ता छै आ ने सार्वजनिक जगह स्कूल-अस्पताल, जैठाम भाषण-भुषण हएत। जइ गाममे छतौनीक बूथ बनैत ओइ गामक लोक सभ छतौनीओक भोट खसा लैत। छतौनीक लोकक जिनगीओ छोट। ने पढ़ै-लिखैक झंझटि‍, ने चोर-चहारक झंझटि‍ आ ने रोग-बि‍यादि‍‍क झंझटि । किएक तँ गामक सभ बुझैत जे जेकरा कपारमे विद्या लिखल रहत ओ डुमिओ-मरि कऽ पढ़िए लेत। चोर-चहार एबे कथीले करत। रोग-बियाधि लेल पूजो-पाठ आ झाड़ो-फूक अछिए। तहूसँ पैघ बात जे जे ऐ धरतीपर रहैले आएल अछि ओ जीबे करत। पानि, पाथर, ठनका ओकर कथी बिगाड़ि लेतै। आ जे नै रहैबला अछि ओकरा फूलोक गाछपर साँप काटि लेतै आ मरि जाएत...।
तँए की, छतौनीबलाकेँ भगवानपर बिसवास नै छै? जरूर छै। जँ से नै रहितै तँ देवस्थानमे सालमे एक बेर एते धुमधामसँ पूजा किए करैए? उपास किए करैए? दसनमो स्थान -देवस्थान- आ अपनो-अपनो घरमे गोसाउनिक पीड़ी किए बनौने अछि? साले-साल कामौर लऽ कऽ बैजनाथ किए जाइए?
सभ अभाव रहितो छतौनीक लोक हँसी-खुशीसँ जीवन बितबैए। अगर जँ कियो गाममे मरैत वा साँप-ताँप कटैत आकि‍ आगि-छाइ लगैत तँ सभ कियो दासो-दास भऽ लगि‍ जाइत...।
पचास बर्खक मरनी सेहो तइमे सँ एक। जे अपना आँखिसँ अपन पति, बेटा आ पुतोहुकेँ गाछक तरमे खून बोकरि कऽ मरैत देखने। आइ वेचारी पाँच बर्खक पोता आ आठ बर्खक पोतीक बीच आशा संग जीब रहल अछि। कारी झामर एक हड्डा देह, ताड़-खजुरपर बनौल चिड़ैक खोंता सन केश, आँगुर भरि-भरिक पीअर दाँत, फुटल घैलक कनखा जकाँ नाक, गाए-बरदक आँखि जकाँ बड़का-बड़का आँखि, साइओ चेफड़ी लागल साड़ी, दुरगमनियाँ आङी फटला पछाति‍ कहियो देहमे आङीक नसीब नै भेल, बिनु साया-डेढ़ियाक साड़ी पहिरने। यएह छी मरनी।
चारि साल पहिने सुबध, मनोहर आ तौनकी धान रोपए बाध गेल। जाधरि तौनकीकेँ दोसर सन्तान नै भेल ताधरि मरनीए पति-सुबध आ मनोहर-बेटा संग काज करए जाइत। धनरोपनी, धनकटनी, कमठाउन, रब्बी-राइ उखाड़ै-काटैले संगे जाइत। पुतोहु-तौनकी अँगनाक काज सम्हारैत। मुदा जहन‍‍ दूटा पोता-पोती भेलै तहियासँ मरनी अँगनाक काज सम्हारए लागलि। अंगनोमे कम काज नै। भानस-भात करब, पोता-पोती खेलाएब, खुट्टा परक बाछीक सेवा करब। आने परिवार जकाँ मरनीओ‍क परिवार भरल-पूरल।
दस आँटीक जोड़ा। तीन-तीन जोड़ा बीआ उखाड़ि सुबध आ मनोहर पटैपर टँगलक आ राड़ीक जुन्ना बना तौनकी बीआक बोझ बान्हि माथपर लऽ कदबा खेत पहुँचल। कदबा एक दिन पहिने गिरहत करा देने छेलै। तँए तीनू गोटेक मनमे खुशी होइत जे सबेर-सकाल रोपि कऽ चलि जाएब। आन दिन कदबे दुआरे अबेर भऽ जाइ छेलए। मोने-मन सुबध सोचैत, बेरू पहर अपनो जे कट्ठा भरिक खेत अछि ऊहो सभ तूर मिलि कऽ हाथे-पाथे रोपि लेब। कदबामे बीआ रखि‍ सुबध आड़िपर बैसि, तमाकुल चुनबए लगल। मनोहर आ तौनकी खेतमे बीआ पसारए लगल। सौंसे खेत बीओ पसरि गेलै आ सुबधो तमाकुल खा लेलक। तीनू गोटे एक-एक आँटी खोलि खुज्जा पसारि एक-एक खुज्जा रोपैले बामा हाथमे रखलक। आड़िक कात पच्‍छि‍मसँ तौनकी बीचमे मनोहर आ पूबसँ सुबध पाहि धेलक। एक पाँति‍ रोपि दोसर धेलक आकि पूब दिस एक चिड़की मेघ उठैत देखलक। मेघक छोट टुकड़ी देखि केकरो मनमे पानिक शंका नै उठलै। कनी-कनी सिहकी सेहो चलए लगलै। जहिना-जहिना हवा तेज होइत जाइत, तहिना-तहिना करिया मेघक टुकड़ी सेहो उधिया-उधिया ऊपर चढ़ए लगलै। ऊपर चढ़ि-चढ़ि ओ टुकड़ी एक-दोसरमे मिलए लगल। मुदा पच्‍छि‍म दिस रौद उगलै। कनीए खान पछाति‍ सुरूज झँपा गेल। हवो तेज हुअ लगलै। बिजलोका चमकए लगलै। बुन्दा-बुन्दी पानि पड़ए लगलै। जेते मेघ सघन होइत जाइत तेते पानिओक बुन्न जोर पकड़ैत गेल। संगे बिजलोको बेसीयाएल जाइत। घन-घनौआ बर्खा हुअ लगल। पानिमे भीजै दुआरे तीनू गोटे दौग कऽ आमक गाछ लग पहुँचल। खेतसँ बीघे भरि हटि कऽ आमक गाछ। खूब झमटगर। चारि हाथ ऊपरेमे दू फेंड़ भऽ गेल। सरही आम। गाछक पँजरेमे पच्‍छि‍मसँ तौनकी बैसलि आ पूबसँ सुबध आ मनोहर। तौनकी साड़ी ओढ़ि दुनू हाथक मुट्ठी बान्हि काँखमे लऽ लेलक। मुदा सुबधो आ मनोहरो छुच्‍छे देहे। गमछाक मुरेठा बान्हि लेलक। मुदा तैयो जाड़े दुनू बापूत थर-थर कँपैत। नम्‍हर-नम्‍हर बुन्न कखनो काल देहपर खसै। सौंसे देहक रूइयाँ भुलैक कऽ ठाढ़ भऽ गेलै। मुदा की करैत? कोनो उपए नै। पछिमो मेघ पकड़ि बरिसए लगल। जइसँ दूर-दूर धरि बर्खा हुअ लगलै। रहि-रहि कऽ मेघो गरजै आ बिजलोको चमकै। एक बेर खूब जोरसँ बिजलोका चमकलै। मुदा आन बेरक चमकलहासँ बिजलोकाक रंग बदलल। आन बेर पिरौंछ इजोत होइत जहन‍ कि ऐ बेर लाल टुह-टुह। दुरकाल समए देखि तौनकी मोने-मन खौंझा कऽ भगवानकेँ कोसैत, कोनो काजक समए होइ छै। अखनि‍ पानिक कोन काज छै। जहिना तगतगर लोक हरिदम बलउमकी करैए तहिना ई टिकजरौना इन्द्रो भगवान करैए। अनेरे काजकेँ बरदा जाड़े कठुुअबैए। लोक सभ कहै छै जे देवता-पितरकेँ बड़का-बड़का आँखि होइ छै जे एक्केठीम बैसल-बैसल सगरे दुनियाँ देखैए। से आँखि अखनि‍ केतए चलि गेलै। देवीओ-देवता गरीबे-गुरबाकेँ जान मारै पाछू लागल रहैए। जन-बोनिहारक काज करैक दू उखड़ाहा होइए। भिनसुरका आ दुपहरिया। भिनसुरका उखड़ाहामे जँ एगारहो बजे पानि भेल वा कोनो बाधा भेल तँ गिरहत थोड़े बोइन देत। अगर जँ जलखै भऽ गेल रहलै तँ बड़बढ़ियाँ नै तँ जलखैओ पार। यएह तँ ऐठामक चलनि अछि‍। ई टिकजरूआ भगवान गिरहतेकेँ मददि‍ करै छै।
जाड़सँ कँपैत सुबध मनोहरकेँ कहलक-
“बौआ, सोचै छेलौं जे आन दिन रोपैन करैमे अबेर भऽ जाइ छेलए जइसँ अपन काज नै सम्हरै छेलए मुदा आइ सबेरे-सकाल रोपैन भऽ जाइत तँ अपनो बाड़ी रोपि लैतौं। से सभ भङठि गेल। कखनि‍ पानि छुटत कखनि‍ नै।”
दुनू बापूत गप-सप्‍प करिते छल आकि तड़-तड़ा कऽ ठनका ओही गाछपर खसल। जइठीनसँ दुनू डारि फुटल छेलै तेकरा चिड़ैत माटिमे चलि गेल। चिड़ा कऽ गाछ दुनू भाग खसल। एक फाँकक तरमे तौनकी आ दोसर फाँकक तरमे दुनू बापूत पड़ि गेल।
पानि छुटल। सौंसे गाममे हल्ला हुअ लगलै जे बाधमे जे आमक गाछ छेलै से खसि पड़लै। भरिसक ओहीपर ठनका खसलै। एक्के-दुइए लोक देखैले जाए लगल। कातेमे ठाढ़ भऽ भऽ लोक देखैत। गाछोपर आ गाछक नि‍च्‍चाँ जमीनोपर तेते घोरन पसरि गेलै जे लोक गाछक भीर जाइक हिम्मते ने करैत। मुदा जीबठ बान्हि करिया गाछक जड़ि देखैले बढ़ल। घोरन तँ खूब कटै मुदा तैयो हिम्मत कऽ करिया जड़ि लग पहुँचल। ठनकाक आगिक चेन्ह ओहिना दुनू फाँकमे लागल। जड़ि लग ठाढ़ भऽ करि‍या हिया-हिया देखए लगल। देखैत-देखैत मनोहरक टाँगपर नजरि पड़लै। टाँगपर नजरि पड़िते हल्ला करए लगल-
“एक गोटे तरमे पिचाएल अछि। दौग कऽ अबै जाइ जा, एकरा बहार करह?”
करियाक बात सुनि चारू भरसँ लोक बढ़ल। देखैत-देखैत तीनू गोटेपर नजरि पड़लै। हल्ला करैत करिया कुड़हरि आनए घरपर दौगल। तीनू खून बोकरि-बोकरि मरल। मुदा तैयो सभ बचा-बचा कऽ डारि काटए लगल। डारि काटि शील उनटौलक तँ तीनू थकुचा-थकुचा भेल देखलक। पहिने तँ कियो नै चिन्हलक, किएक तँ तीनू बेदरंग भऽ गेल रहए। मुदा भाँज लगौलापर पता चललै जे दुनू बापूत सुबधकाका छी आ पुतोहु छिऐ।
अखनि‍ धरि मरनी, अँगनेमे दुनू बच्चाकेँ खेलबैत रहए। गौरिया आबि कऽ कहलकै-
“दादी, तोरे अँगनाक सभ, गाछक तरमे दबि कऽ मरि गेलौ।
गौरियाक बात सुनिते मरनी अचेेत भऽ खसि पड़ल। दुनू बच्चा सेहो चिचियाए लगलै। मरनीकेँ अचेत देखि अलोधनी मुँहपर पानि छीटि बिअनि हौंकए लागलि। कनीए खान पछाति‍ होश भेलै। होशमे अबिते मरनी फेर बपहारि काटए लगल।
बच्चाकेँ कोरामे लऽ मरनी संग अलोधनी देखैले विदा भेल। गाछ लग पहुँचि‍ते तीनू गोटेकेँ मुइल देखि मरनी ओंघरनियाँ काटए लागलि। ओंघरनियाँ कटैत देखि करिया पँजिया कऽ पकड़ि मरनीकेँ कात लऽ गेल। मरनीक दशा देखि सभ सांत्वना दिअ लगल। मुदा मरनीक करेज थीरे ने होइत! विचित्र स्थितिमे पड़ल। एक दिस परिवारकेँ नाश होइत देखए तँ दोसर दिस दुनू बच्चाक मुँह देखि कनी-मनी आशा मनमे जगै।
चारि साल पहुलका नै अखुनका, बदलल नव-मरनी। जहिना आगिमे तपैसँ पहिने सोनाक जे रंग रहैत तपलापर जहिना चमकि उठैत तहिना। ओना समाजोक बेवहार जे पहुलका छेलै अहूमे बदलाउ एलै। कियो खाइक बौस दऽ जाइत तँ कियो बच्चो आ मरनीओ‍ लए नुआ-बस्तर। जहन‍‍ केकरो भाँजमे कोनो काज अबै तँ ओ मरनीओ‍केँ संग कऽ लैत। जहिना परिवारमे बूढ़ आ बच्चाक प्रति जे सिनेह होइत, ओहने सिनेह मरनीक प्रति समाजोक बीच हुअ लगलै। अपनो जीबैक आशा आ बच्चोक, मरनीकेँ नव स्फूर्ति पैदा केलक। एते दिन मरनीक हाथमे पुरने खेतीक औजारटा रहै छेलै ओ आब बढ़ि कऽ दोबर भऽ गेल। हँसुआ, खुरपी, टेंगारी, कोदारि संग-संग हथौरी, गैंचा सेहो आबि गेलै।
समए आगू बढ़ल। देशक विकासक गति सेहो, बहुत तेज नै मुदा किछु गति तँ जरूर पकड़लक। गाम-गाममे बान्ह-सड़क, पुल-पुलिया, स्कूल-अस्पताल सेहो बनए लगल। जइसँ खेतीहर बोनिहारक सेहो काज बढ़ल। मरनीओ‍ छिट्टामे माटि उघब, पजेबा उघब, गिट्टी फोड़ब, सुरखी कुटब सीखि लेलक। जइसँ बेकारी मेटाएल। रोज कमेनाइ रोज खेनाइ धरि गरीबो आबि‍ गेल। भलहिं‍ं जिनगीमे बहुत अधिक उन्नति नै एलै मुदा जीबैक आशा जरूर जगलै। मुदा ई सभ काज छतौनीमे नै, पास-पड़ोसक आन-आन गाममे। जइमे छतौनीओक बोनिहार सभ काज करए लगल।
छतौनीओक दिन घुमलै। सात किलोमीटर पक्की सड़क जे एन.एच.सँ लऽ कऽ रेलबे स्टेशनकेँ जोड़ैत, छतौनीए होइत बनब शुरू भेल। जहिएसँ “प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाछतौनी होइत बनैक चर्चा भेल तहिएसँ छतौनीक लोकक मनमे खुशी आबए लगलै। गामक लोकक तँ ओहेन दशा नै जे बस-ट्रक किनैक विचार करि‍तए। मुदा तैयो एते जरूर भेलै जे बरसातमे जे घरसँ बहराएब कठिन छेलै ओ कठि‍नाइ आब नै रहतै। किछु गोटेक मनमे ई बात जरूर होइत जे एते दिन बिनु जूत्तो-चप्पलसँ काज चलै छेलए, से आब नै चलत। आड़ि-धुर-माटिपर चललासँ, बेसीसँ बेसी काँट-कुश गड़ै छल मुदा पीच भेने शीशाक टुकड़ी, लोहाक टुकड़ी सेहो गड़त। जइसँ पएरक नोकसान बेसी हएत। मुदा फेर मनमे अबै, एते दिन कम आमदनी रहने जुत्ता-चप्पल नै कीनि पबै छेलौं से आब नै हएत। नै बेसी तँ एक्को जोड़ा जरूरे कीनि लेब। जइसँ पएरमे बेमाएओ ने फटत।
प्रधानमंत्री योजनाक सड़क बनए लगल। मुदा जेते आशा बोनिहारक मनमे छेलै तेते नै भेलै। किएक तँ माटिक काज शुरू होइते रंग-बिरंगक गाड़ी सभ पहुँचए लगल। जे माटिक काज बोनिहार करैत ओ ट्रेक्टर करए लगल। ओना काजक गति तेज रहै मुदा बोनिहारक बेकारी बरकरारे रहलै। सड़कपर माटि पड़िते रौलर आबि सेरियाबए लगल। खेनाइ-पिनाइ छोड़ि धियो-पुतो आ जनिजातिओ भरि-भरि दिन देखते रहैत। ओना बुढ़ो-बुढ़ानुस देखैत मुदा घरक चिन्ता खीचि कऽ काज दिस लऽ जाइत। पनरहे दिनमे सातो किलोमीटर सड़कपर माटिक काज सम्पन्न भऽ गेलै। एकदम चिक्कन, उज्जड़ धप-धप। घरसँ ऊँच सड़क बनि गेल।
माटिक सड़क बनिते बड़का-बड़का ट्रक चिमनीसँ ईटा खसबए लगल। एह, अजीब-अजीब ट्रको सभ। एते दिन छह-पहिए ट्रकटा गामक लोक देखने मुदा ई सड़क बनने दस पहियासँ लऽ कऽ अट्ठारह पहियाबला ट्रक सभकेँ सेहो देखलक। तीनिए दिनमे सातो किलोमीटरक ईंटा खसा देलक। मुदा ईंटा पसारैक काज तँ इंजन नै करत। ओ तँ लोके करत। मुदा ओइले तँ अनुभवी माने एक्सपर्ट लोकक जरूरत हएत। जे छतौनीमे नै। तँए बाहरेसँ अनुभवी मि‍स्‍त्री औत! मुदा तेहेन बड़का ठीकेदार सड़क बनबैत जे अनेको सड़कक काज एक संग चलबैत। एक्के दिन तेते अनुभवी मि‍स्‍त्री ईंटा पसारैले आएल जे सभकेँ बूझि पड़लै जे दुइए दिनमे सातो किलोमीटर ईंटा पसारि देत। मुदा ईंटा उघैले तँ मजदूर चाही। पहिल दिन छतौनी गामक बोनिहारकेँ काज भेटलै। ईंटा पसरए लगल। धुरझाड़ काज चलए लगल। छतौनीक सभ बोनिहार खुशीसँ काज करए लगल। तैबीच ईंटापर पसारैले फुटलाहा ईंटा ट्रकसँ अाबए लगल। दोहरी काज देखि छतौनीक बोनिहारक मन खुशीसँ नाचए लगल। किएक तँ गिट्टी फोड़ैले गामेक बोनिहारकेँ काज भेटतै। मुदा ठीकेदारक मुनसी, अपने खाइ-पीबै दुआरे सस्ते दरसँ गिट्टी फोड़ैक रेट लगा देलक। एक ट्रेक्टर पजेबा फोड़ैक दर साठिए रूपैआ दइले तैयार भेल। एक-दू दिन तँ बोनिहार सभ गिट्टी फोड़ब बन्न केलक मुदा पेटक आगि मजबुरन सभकेँ लऽ गेलै। मरनी सेहो गिट्टी फोड़ए लागलि। एक ट्रेक्टर गिट्टी फोड़ैमे वेचारीकेँ चारि दिन लगैत। मुदा की करैत?
ऐ सड़कसँ पहिने जे सड़क बनै ओ रियाइत-खियाइत रहि जाइ। माटिक काज भेलापर साल-दू-साल ईंटा बैसैमे लगै। जइसँ माटि ढहि-ढ़ूहि कऽ उबड़-खाबड़ बनि जाए। बड़का-बड़का खाधि सड़कपर बनि जाइ। तहूमे तीन नम्‍मर पजेबा फूटि-भाँगि कऽ गरदा बनि जाइत। गामक धियो-पुतो उठा-उठा खेत-पथारमे फेक दैत। कोठीक गोड़ा बनबैले स्त्रीगण सभ निकहा ईंटा उठा-उठा लऽ जाइत। मुदा ऐ बेर से नै हएत। दुइए मासमे सड़क बनबैक शर्त ठीकेदारकेँ छै। जाबे बर्खा खसत-खसत ताबे सड़क बनि जेबाक छै। पचास बर्खक मरनी जे देखैमे झुनकुट बूढ़ बूझि पड़ैत। सौंसे देहक हड्डी झक-झक करैत। खपटा जकाँ मुँह। खैनी खाइत-खाइत अगिला चारू दाँत टुटल। गांगी-जमुनी केश हवामे फहराइत। तहूमे सड़कक गरदासँ सभ दिन नहाइत। मुदा तैयो मरनी अपन आँखि बचैने रहैत। जहन‍‍ पुर्बा हवा बहै तँ पच्‍छि‍म मुहेँ घूमि कऽ गिट्टी फोड़ए लगैत आ जहन‍‍ पछबा बहए लगैत तँ पूब मुहेँ घूमि जाइत। बीच-बीचमे सुसताइओ लैत आ खैनी सेहो खा लैत। मुदा तैयो मरनीक मुँह कखनो मलिन नै होइ। किएक तँ हृदैमे अदम्य साहस आ मनमे असीम बिसवास हरिदम बनल रहैत। तँए हरिदम हँसिते रहए।
भिनसुरके उखड़ाहा। करीब नअ बजैत। पूब मुहेँ घूमि मरनी गिट्टी फोडै़त रहए। तैबीच पच्चीस-तीस बर्खक सुगिया माथ उघारने, छपुआ बनारसी साड़ी आ ओही रंगक आङी पहिरने, घुमौआ केश सीटि जुट्टी लटकौने, एँड़ीदार चमड़ौ-चप्पल आ मोजा लगौने, मुँहमे पानसए नम्‍मर पत्ती देल पान खेने, प्‍लोथि‍नमे नूनक पौकेट, करूतेलक शीशी, मसल्लाक पुड़िया आ साबुन रखि‍ हाथमे लटकौने आबि कऽ मरनीक लग ठाढ़ भऽ गेल। मरनीक मेहनति‍ आ बगए देखि दिल खोलि मोने-मन हँसए लागल। मरनी गिट्टी फोड़ैमे मस्त। किएक किम्हरो ताकत! सुगियाक हृदैक खुशी मुहसँ हँसी होइत निकलए चाहैत। मुदा मुँहक पानक पीत ठोरक फाटककेँ बन्न केने। तँए पानक पीत फेकब सुगियाकेँ जरूरी भेलै। जइ पजेबाक ढेरीपर बैसि मरनी गिट्टी बनबैत रहए ओही ढेरीपर सुगिया भरि मुँहक पीत फेक देलक। पीतक दू-चारि बुन्न मरनीक देहोपर पड़लै। देहपर पड़िते ओ उनटि कऽ तकलक। टटका पीत चक-चक करैत। कनडेरिए आँखिए मरनी सुगियाक मुँह दिस तकलक। सुगियाकेँ पान चिबबैत देखि मरनीक मनमे आगि पजरि‍ गेलै। पजेबाक ढेरी देखलक। सौंसे थूक पड़ल। मोने-मन सोचलक जे आब केना गिट्टी फोरब। ढेरीओ आ देहो अँइठ कऽ देलक। आँखि गुड़रि कऽ मरनी सुगियाकेँ कहलक-
“गइ रनडिया, तोरा सुझलौ नै जे ढेरीपर थूक फेकलेँ?”
गरीब मरनीक कटाह बात सुनि सुगिया तमकि कऽ उत्तर देलक-
“तोरे बान्ह छियौ जे हम थूक नै फेकब।
सुगियाक बोलकेँ दबैत मरनी बाजलि-
“एतेटा बान्ह छै, तइमे तोरा केतौ थूक फेकैक जगह नै भेटलौ जे ऐठाम फेकलेँ।
सुगिया-
“जदी एतै फेकलिऐ तँ तूँ हमर की करमेँ?”
मरनी-
“की करबौ। आँइ गइ निरलज्जी, तोरा लाज होइ छौ जे सात पुरखाकेँ नाक-कान कटौलही। जेहने कुल-खनदान रहतौ तेहने ने चालि‍ चलमेँ।
सुगिया-
“अपन देह-दशा नै देखै छीही?”
मरनी-
“की देखबै। ई देह बोनिहारनिक छिऐ। तोरा जकाँ की हम कहियो बमैबला छौड़ा सेने तँ कहियो डिल्लीबला छौड़ा सेने बौआइ छी? एक चुरूक पानिमे डूमि कऽ मरि जो! तीमन चिक्खी नहितन। जहिना सात घरक तीमन चिक्खै छँए तहिना सातटा मुनसा देखै छँए। हमर परतर सातो जिनगीमे हेतौ? जेकरा संगे बाप हाथ पकड़ा देलक, सहि-मरि कऽ तइ घरमे छी। छुछुनरि कहीं कऽ! आगि लगा ले ऐ फुललाहा देहमे।
मरनीक बातसँ सुगिया सहमि गेलि। मनमे डर पैसि गेलै जे हो-ने-हो कहीं मारबो ने करए। मुँह सकुचबैत मुड़ी गोति विदा भेल। सुगियाकेँ जाइत देखि मरनी साड़ीक खूटसँ तमाकुल-चुन निकालि चुनबए लागलि। मुदा तैयो मन असथिर नै भेलै। मुड़ी उठा-उठा सुगियो दिस देखै आ मोने-मन बजबो करए-
“देह केहेन सीटने अछि, उढ़ड़ी। जेना रजा-महराजाक बहु हुअए। हाथ-पएरमे लुलही पकड़ने छन्‍हि‍ जे कमा कऽ खेती। जेहने छुछुनरि छौड़ा सभ तेहने छौड़ी सभ।
तमाकुल खा मरनी ईंटा फोडै़ले घुमल आकि दादी-दादी करैत पोता दौगल आबि दुनू हाथे दुनू कान्‍ह पीट्ठीपर लटैक गेल। पाछूसँ पोतीओ एलै। पोताकेँ कोरामे उठा मुँहमे चुम्मा लऽ पोतीकेँ कहलक-
“दाइ, बौआकेँ रोटी नै देलही। दुनू गोटे चलि जाउ, मोरामे रोटी रखने छी, लऽ कऽ दुनू गोटे खाए लेब। हम अखनि‍ काज करै छी। कनीकालमे आबि कऽ भानस करब।
पोता-पोती, आँगन दिस विदा भेल। पूब मुहेँ घूमि कऽ मरनी गिट्टी फोड़ए
लगल। चारिटा बन्दूकधारी बड्डी-गार्ड संग सड़कक ठीकेदार उत्तरसँ दछिन मुहेँ सड़क देखैत जाइ छला। आगू-आगू ठीकेदार पाछू-पाछू बन्दूकधारी। ठिकेदारक नजरि मरनीपर पड़लनि‍। मरनीपर नजरि पड़िते ठिकेदारक डेग छोट हुअ लगलनि‍। ठिकेदारक आँखि मरनीपर अँटकि गेलनि‍। डेग तँ आगू मुहेँ बढ़बैत रहथि‍
मुदा आँखिक
ज्योति हृदैमे ढुि‍क कऽ हृदैकेँ हड़बड़बए लगलनि‍। मनमे अन्हर-तूफान उठए लगलनि‍। जइसँ मोने-मन विचारए लगल जे जेकरा कमाइपर हमरा चारिटा बड्डी गार्ड अछि
, करोड़ो-अरबोक आमदनी अछि, तेकर ई दशा छै। ओ तँ हमर ओहेन समांग जे कमासुत अछि, ओहेन तँ नै जे ऐश-मौजक जिनगी बना कमेलहे सम्पति‍केँ
भोगैए। मुदा अँटकला नै। आगू मुहेँ बढ़िते रहला। किछु दूर आगू बढ़लापर जेना मरनीक आत्मा आगूसँ रोकि देलकनि‍। बि‍च्‍चे सड़कपर ठीकेदार ठाढ़ भऽ गेला। ठाढ़ भऽ एकटा सिपाहीकेँ अढ़ेलखि‍न-
“ओइ गिट्टी फोड़निहारिकेँ कनी बजौने आउ?”
ठीकेदारक बात सुनि एकटा सिपाही मरनी दिस बढ़ल। मरनी लग जा कहलक-
“मालिक बजबै छथुन। से कनी चलही?”
गिट्टी फोड़ब छोड़ि मरनी उनटि कऽ सिपाही दिस तकलक। सिपाहीकेँ देखि मोने-मन सोचए लागलि,‍ ने हम कोनो मेमलामे फँसल छी आ ने कोनो बैंकक करजा नेने छिऐ, तहन‍‍ किए हमरा सिपाही बजबैए। मन सक्कत करि कऽ बाजलि‍-
“तूँ नै देखै छहक जे अखनि‍ हम काज करै छी। जेकर बोइन लेबै ओकर काज नै करबै। अखनि‍ जा। काजक बेर उनैह जेत्तै तब एबह।
मरनीक बात ठीकेदारो आ सिपाहीओ सुनैत रहथि‍। एक-दोसरकेँ देखि आँखि निच्चाँ कऽ लथि‍। मुदा ठीकेदारक मन पीपरक पात जकाँ डोलए लगलनि‍। कखनो मरनीक इमानदारीपर तँ कखनो ओकर अवस्थापर। जइ देशक श्रमिक श्रममे एते बिसवास करैए ओइ देशक विकास जँ बाधित अछि तँ जरूर केतौ-ने-केतौ संचालनकर्ताक बेइमानी छै। ई बात मनमे अबिते ठीकेदार अपना दिस घूमि कऽ तकला, तँ अपन दोख सामने आबि ठाढ़ भऽ गेलनि‍।
सिपाही कड़कि कऽ मरनीकेँ कहलक-
“नै जेबही तँ पकड़ि कऽ लऽ जेबौ?”
सिपाहीक गर्म बोली सुनि मरनी बाजलि‍-
“तोहर हम कोनो करजा खेने छिअ जे पकड़ि कऽ लऽ जेबह। अपन सुखलो हड्डीकेँ धुनै छी, खाइ छी।
मरनीक बात सुनि सिपाहीओक मन उनटए-पुनटए लगलै। एक दिस मालिकक आदेश दोसर दिस मरनीक विचार। आखिर, एहेन लोकक बीच एहेन सक्कत विचार अबैक कारण की छै? अनका देखै छिऐ जे खाली सिपाहीक वर्दी देखि डरा जाइए, भलहिं‍ं ओ सरकारक सिपाही नहियोँ रहए। मुदा हमरा तँ सभ कि‍छु अछि तैयो ऐ बुढ़ियाकेँ डर नै होइ छै। फेर मनमे एलै, हम किछु छी तँ नोकर छी मुदा ई किछु अछि तँ स्वतंत्र बोनिहारिन। स्वतंत्र देशक स्वतंत्र श्रमिक। जे देशक आधार छी। आखिर देश तँ एकरो सबहक छिऐ।
सिपाहीकेँ ठाढ़ देखि ठीकेदारे पाछू ससरि कऽ मरनी लग आएल। मरनीओ‍ सभकेँ देखैत आ मरनीओ‍केँ सभ। ठीकेदार मरनीक आँखि देखथि‍। आँखिमे सुरूजक रोशनी जकाँ प्रखर ज्योति। ललाटसँ आत्म-विश्वास छिटकैत। मधुर स्वरमे ठीकेदार पुछलखि‍न-
“चाची, अहाँक परिवारमे के सभ छथि?”
ठिकेदारक प्रश्न सुनि मरनीक आँखिमे नोर आबए लगलै। मन पड़ि गेलै अपन पति, बेटा आ पुतोहुक मृत्यु। टघरैत नोरकेँ आँचरसँ पोछि बाजलि-
“बौआ, हमर घरबला, बेटा आ पुतोहु ठनकामे मरि गेल। अपने छी आ पिलुआ जकाँ दूटा पोता-पोती अछि।
“बच्चा सभ स्कूलो जाइए?”
“नै। एक तँ गाममे स्‍कूल नै छै। तहूमे पहिने गरीब लोकक धिया-पुताकेँ पेट भरतै तब ने जाएत। ने भरि पेट अन होइ छै आ ने भरि देह वस्‍तर, ने रहैक घर छै, तहन‍‍ इसकूल केना जाएत।
मरनीक बात सुनि ठीकेदार सहमि गेला। मोने-मन सोचए लगला, जे आँखिक सोझमे देखै छिऐ ओ झूठ केना भऽ सकैए। एते भारी काज केनिहारक देहपर कारी खट-खट कपड़ा छै, तोहूमे सएओ चेफड़ी लागल छै, काज करै जोकर उमेर नै छै, तैपर एते भारी हथौरी पजेबापर पटकैए। ठिकेदारक मन दहलि गेलनि‍। जहिना अकास आ पृथ्वीक बीच क्षितिज अछि, जैठाम जा चिड़ै-चुनमुनी लसकि जाइए, तहिना ठीकेदारक मन सुख-दुखक बीच लसकि गेलनि‍। जेना सभ कि‍छु मनक हरा गेलनि‍। सुन्न भऽ गेला। ने आगूक बाट सुझैत‍ रहनि‍ आ ने पाछूक। मरनीसँ आगू की पूछब से मनमे रहबे ने केलनि‍। साहस बटोरि पुछलखि‍न-
“भरि दिनमे केते रूपैआ कमाइ छी?”
ठिकेदारक प्रश्न सुनि मरनीक मनमे झड़क उठलै। बाजलि-
“केते कमाएब! जेहने बैमान सरकार अछि तेहने ओकर मनसी छै। चारि दिनमे एकटा पजेबा ढेरी फोड़ै छी तँ तीन-बीस रूपैआ दइए। ऐसँ तीन तूरक पेट भरत? भरि दिन ईंटा फोड़ैत-फोडै़त देह-हाथ दुखाइत रहैए मुदा एकटा गोटीओ किनब से पाइ नै बँचैए।
ठिकेदारक आँखिमे नोर आबि गेलनि‍। मनुखता जागि गेलनि‍। मुदा ई मनुखता केते काल जिनगीमे अँटकत? जिनगी तँ उनटल अछि‍! जइमे मनुखता नामक कोनो छुइतौ ने अछि!

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